आँधी का रूप दिखाकर क्यों शांत हो गये पवन तेरे ठहाकों से गूंज रहा है, अब भी धरा-गगन काम अभी भी कई शेष हैं जो तुमने प्रारंभ किए छत्तीसगढ़ियों के सपनों को कुछ-कुछ पूर्ण किए उन्हें पूर्ण करने का हम तो, अब देते हैं वचन यही हमारी श्रद्धांजलि है, शत-शत तुम्हें नमन * सुशील भोले *
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