चाहे कितने भी दो लच्छेदार भाषण
या एक रुपये में ही बांट लो राशन
दुनिया में खुशहाली आ नहीं सकती
जब तक न हो मूलनिवासियों का शासन
* जय सब्बो मूलनिवासी
* जय दुनिया के मूलनिवासी
*सुशील भोले*
या एक रुपये में ही बांट लो राशन
दुनिया में खुशहाली आ नहीं सकती
जब तक न हो मूलनिवासियों का शासन
* जय सब्बो मूलनिवासी
* जय दुनिया के मूलनिवासी
*सुशील भोले*
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