Monday 20 February 2017

राजिम के संत समागम में छत्तीसगढिय़ा संतों की उपेक्षा....

रायपुर। जय छत्तीसगढ़ पार्टी के मीडिया प्रभारी सुशील भोले ने राजिम के काल्पनिक कुंभ में आयोजित किए जाने वाले संत समागम में छत्तीसगढिय़ा मूल के संतों की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार यहां के मूल धर्म और सांस्कृतिक पहचान को समाप्त कर उसके ऊपर बाहरी धार्मिक प्रतीकों को थोपने का लगातार प्रयास कर रही है।

सुशील भोले ने प्रेस को जारी वक्तव्य में कहा है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति मेला-मड़ई की संस्कृति है, लेकिन यहां के गैर छत्तीसगढिय़ा मूल के धर्मस्व मंत्री को शायद इस बात का ज्ञान नहीं है। इसीलिए वे यहां की मूल धार्मिक पहचान को समाप्त कर उसके ऊपर बाहरी धार्मिक प्रतीकों को थोपने षडयंत्र कर रहे हैं। राजिम में पारंपरिक रूप से भरने वाला मेला यहां की संस्कृति के मूलाधार भगवान कुलेश्वर महादेव के नाम पर भरता था। लेकिन जब से यहां कुंभ के नाम पर पाखण्ड किया जा रहा है, तब से इस मूल धार्मिक पहचान को समाप्त कर इसे राजिव लोचन के नाम पर भरने वाला कुंभ कर दिया गया है। उन्होंने प्रश्न किया है, क्या महाशिवरात्रि के अवसर पर भरने वाला मेला महादेव की बजाय किसी अन्य के नाम पर भरा जाता रहा होगा?

सुशील भोले ने कहा, हम मेला को वृहद रूप दिए जाने का स्वागत करते हैं, लेकिन उसकी मूल पहचान और स्थानीय संतों की उपेक्षा कर बाहरी लोगों को किराए में लाकर यहां थोपने की घोर निंदा करते हैं। छत्तीसगढ़ की मेला-मड़ई की संस्कृति के संवाहक यहां के मूल निवासी वर्ग के संत और धार्मिक जन रहे हैं, लेकिन इन्हें ही अब इस आयोजन से बेदखल कर दिया गया है।

सुशील भोले ने आउट सोर्सिंग के चौपाये पर बैठी भाजपा सरकार से प्रश्न किया है, यहां आयोजित होने वाले काल्पनिक कुंभ के संत समागम में गोंडी धर्मावलंबी संतों, सतनाम धर्मावलंबी संतों, रमरमिहा धर्मावलंबी संतों, बुद्ध और कबीर धर्मावलंबी संतों को क्यों आमंत्रित नहीं किया जाता? जबकि यही लोग यहां की संस्कृति और परंपरा के संवाहक रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यहां के मूल धार्मिक और सांस्कृतिक पहचानों की हत्या करने से बाज आएं अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।
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* सुशील भोले
मीडिया प्रभारी, जय छत्तीसगढ़ पार्टी
मो. नं. 98269 92811

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