Wednesday 2 December 2020

अगहन बिरस्पत....

अगहन बिरस्पत म होथे लक्ष्मी दाई के बासा...
    कार्तिक पुन्नी के बिहान दिन ले अगहन महीना लगथे। अउ अगहन महीना मा जउन दिन बिरस्पत परथे उही दिन हमर छत्तीसगढ़ म घरो घर अगहन बिरस्पत के परब ल बड़ उछाह ले मनाए जाथे। गजब मान गौन के संग लक्ष्मी दाई के पूजा करथें।
   एकर तैयारी बुधवार के संझा बेरा ले घर के साफ सफाई, अँगना परछी कुरिया के लिपाई। घर के मुहाटी मा सुघर चउँक पुरके माईलोगिन  मन बने चउंक पुरथें, रंगोली बनाथें। लक्ष्मी दाई ल जेन जगा स्थापित करथें उहू जगा ला सफ्फा करके चाउँर पिसान ला घोर के चउँक पुरथें घर के चारों मुड़ा के साफ सफाई करके लक्ष्मी दाई के स्थापना करथें। सुघर आमा पान, फूल पान, नरियर, आँवला फल, आँवला पत्ती, केरा पत्ता,
अउ कंद मूल जिमी काँदा, धान के बाली मा सजा के कलश के स्थापना करथें। अउ बुधवारेच के रतिहा म सबो जूठा बरतन भाड़ा ला माँज धो के रखथें. घर मुहाटी ले लक्ष्मी दाई के वास (स्स्थापना स्थल) तक चाउँर पिसान के सुघर पांव के छापा बनाथें। राते मा माता करा दीया बार के रखथें।
    बिरस्पत के मुँधरहा ले घर के माईलोगिन मन उठ जाथें, नहा धोके घर के दुवारी, रंगोली अउ तुलसी चौंरा मा दीया बारथें। दीया बार के घर के दरवाजा ला खुल्ला राखथें। जेन हा दिन भर खुलेच रहिथे। पूजा पाठ करके माईलोगिन मन उपास घलो रहिथें अउ लक्ष्मी दाई के ध्यान मा मगन रहिथें।
    ये पूजा के एक ठन अउ खास बात हवय, बुधवारे के दिन महिला मन अपन अपन घर मा सबो मनखे ला चेता के रखे रहिथे आज चुंदी, नाखून नइ कटाना हे, साबुन से नहाना नइ हे, बाल नइ धोना हे, पइसा खरचा भी नइ करना हे, कपड़ा लत्ता धोय के मनाही हे कहिके चेताँय रहिथें। माने भारी नियम धियम माने बर परथे। माईलोगिन मन सुघर नवा नवा लुगरा पहिन के टिकली, माँहुर, काजर आँज अपन आप ला सुंदर अउ स्वच्छ बनाय रखथें। ये दिन पीला फल, पीला कपड़ा,  पीला भोग के बड़ महत्व रहिथे। दान मा केला फल, भोग मा चना के दाल ला बड़ शुभदायी मानथे।
     पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पुन्नी के साथे मा अगहन के शुरुआत हो जथे, माईलोगिन मन अपन घर के सुख समृद्धि अउ यश, धन खातिर माता लक्ष्मी के आराधना करथें। येकर पीछू मान्यता इही हे के माता लक्ष्मी अगहन महीना मा क्षीरसागर ले निकल के पृथ्वी लोक मा विचरण करत रहिथें। जेन मन धरम करम से माता के पूजा पाठ करथें तेकर घर आके वोहा वास करथे। अउ ओकर घर मा सुख, शाँति, समृद्धि अउ ऐश्वर्य के वास हो जथे। इही मान्यता खातिर ये तिहार ला हमर छत्तीसगढ़ म घलो नियम धियम अउ पारंपरिक रूप ले मनाये जाथे। ये दिन लक्ष्मी पूजा के संगे-संग सुरुज देवता के पूजा, शंख के पूजा ल भारी फलदायी मानथें। अइसे मान्यता हावय सुरुज देव के किरण हा कीटाणु ला नष्ट कर देथे अउ शरीर ला निरोग बनाथे। तेकर सेती सब बिहनिया बिहनिया जल चढ़ाके आशीष माँगथें।
एक उछाह अउ बिश्वास के साथ अगहन बिरस्पत के परब ल महिला मन बड़ ऊर्जा अउ धरम करम अउ संयमित रहिके मनाथें।
बोलो अगहन बिरस्पत की जय
लक्ष्मी दाई के जय🙏
सुशील भोले-9826992811

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