Tuesday 16 February 2021

मोर नगरगाँव... सुरता..

सुरता...
मोर गाँव नगरगाँव...
तैं झुमर जाबे रे संगी, आ के हमर गाँव, तैं झुमर जाबे..
उत्ती म कोल्हान के धारा बोहत हे
बोहरही दाई जिहां मया बांटत हे
जिहां बिराजे ठाकुरदेव-महादेव के पांव.....
    लइकई पन के सुरता करत अपन गाँव नगरगाँव के अंगना म बिताए कुछ दृश्य ल गीत के रूप देवत रेहेंव.
    वइसे गाँव म मोर जादा दिन रहना नइ हो पाइस. काबर ते हमर सियान रामचंद्र वर्मा जी शिक्षक रिहिन. जब मोर जनम होइस, त उन भाठापारा के मेन हिन्दी स्कूल म पढ़ावत रिहिन. एकरे सेती मोरो जनम ले लेके चौथी तक के स्कूल जवई भाठापारा म होइस.
   मैं जब चौथी कक्षा म पढ़त रेहेंव, उही बखत हमर कका देवचरण वर्मा जी, जेन वो बखत कुर्रा-बंगोली म शिक्षक रिहिन, एक सड़क दुर्घटना म देवलोक गमन होगे. ए भारी हादसा के सेती हमर सियान हमर मन के परीक्षा देवई ल छोड़ा के गाँव ले आइन, अउ ए काहत गाँवेच म हमर डोकरी दाई अउ बबा जगा छोड़ देइन, के इही लइका मनला देख के डोकरी डोकरा दू मुठा अन्न ल खा पाहीं. नइते जवान बेटा के परलोक सिधारे के दुख म उन अन्न पानी ल छूहीं घलोक नहीं.
    अइसे किसम मैं कक्षा चौथी ल फेर पढ़ेंव गाँव म. चौथी ले सातवीं तक, वोकर बाद फेर रायपुर आगेन, काबर ते हमर सियान ह भाठापारा ले रायपुर अपन ट्रांसफर करवा डारे राहंय.
   गाँव म छात्र के जिनगी मैं सिरिफ चारेच बछर भर जीएंव, फेर वो चार बछर ह आज घलो मोर आंखी म मोहनी कस छापा झूल जथे.
     हमर गाँव नगरगाँव थाना धरसींवा, जिला रायपुर के अन्तर्गत आथे. राजधानी रायपुर म अभी जेन विधानसभा भवन हे, उहाँ ले उत्तर दिशा म सिरिफ दस-ग्यारह कि. मी. के दुरिहा होही. अभी जेन विधानसभा भवन हे, वो ह गाँव बरौदा के पटपर भांठा आय. मोला सुरता हे, जब हमन मिडिल स्कूल म रेहेन, त इही भांठा म ब्लॉक स्तरीय खेल कूद होए रिहिसे. हमन ए आयोजन के सेती उहाँ दू दिन ले रेहेन, अउ चैम्पियन ट्राफी ल जीत के लेगे रेहेन.
    वो बखत नगरगाँव खेल कूद के संगे संग पढ़ई लिखई म घलो आसपास के गाँव मन म अगुवा रिहिस. हमर गुरुजी मन घलो भारी समर्पित अउ गुनिक रिहिन. मोला कक्षा पांचवी के ठउका सुरता हे. हमर गाँवेच के गुरुजी लखनलाल दुबे जी वो बखत प्रधान पाठक रिहिन हें, वोमन पांचवीं बोर्ड परीक्षा होथे, हमर गाँव के रिजल्ट पूरा ब्लॉक म पहला आना चाही कहिके खुदे पांचवीं कक्षा ल पढ़ावंय. दिन भर स्कूल म तो पढ़ाबेच करंय, रतिहा जुवर अपन घर म घलोक हमन ल पढ़े बर बलावंय. हमर गाँव म उही बखत नवा नवा बिजली आए रिहिसे, फेर सबो घर बिजली के अंजोर नइ बगर पाए रिहिसे. एकरे सेती हमन  पांचवीं कक्षा के जम्मो लइका  कंडिल धर के गुरुजी घर पढ़े बर जावन. रतिहा जब पढ़ के लहुटन त टूरी मनके कंडिल ल फूंक के बुता देवन, अउ एदे गली म भूत हे कहिके वो मन ल डरवावन.
      पढ़ई लिखई के प्रतिशत आज घलो हमर गाँव म बहुत अच्छा हे, जइसे पहिली रिहिसे. सियान मन बतावंय के हमर गाँव म जेन प्राथमिक शाला हे, वो ह अंगरेज मन के शासन काल ले हे. वो बखत आसपास के अउ कोनो गाँव म स्कूल नइ रिहिस, एकरे सेती मांढर ले लेके सिलयारी तक के लइका मन हमर इहाँ पढ़े बर आवंय. फेर मिडिल स्कूल हमर इहाँ पाछू खुलिस. हमर गाँव के लइका मन मिडिल पढ़े बर कोनो मोहदी, कोनो मांढर त कोनो सिलयारी तक जावंय.
    हमन जब कक्षा पांचवीं म रेहेन, तेने बछर छठवीं कक्षा चालू होइस, उहू म शर्त रिहिसे, के वोकर खातिर कमरा गाँव वाले मन ल बनाए बर लागही. शासन सिरिफ गुरुजी भर मन के व्यवस्था करही. वो बखत नगरगाँव के सरपंच बुद्धूराम वर्मा जी रिहिन, उन छठवीं कक्षा खातिर अपन डहार ले कमरा बनवाए बर तैयार होगें. अउ बाकी दू कमरा ल पाछू देख लेबो कहिके छठवीं के पढ़ई ल चालू करवाईन.
     मोला सुरता हे, हमन वो मिडिल स्कूल खातिर कमरा बनई म भारी श्रमदान करन. मुरमी खदान ले मुरमी लानन, वोला कुरिया म पटक के पथरा म कुचर के बरोबर करन. अउ सबले मजेदार बात गुरुजी मन उंकर खातिर पइसा (धन) सकेले खातिर हमन ल हर बछर  छेरछेरा परब म गाँव भर बेंडबाजा बजावत किंजारंय. अइसे तइसे म मिडिल स्कूल के सपना पूरा होइस.
    मैं सिरिफ सातवीं तक ही गाँव म पढेंव वोकर बाद आठवीं ले रायपुर आगेंव. रायपुर आए के बाद गाँव जवई घलो कमतियागे. वो बखत रायपुर आए जाए खातिर मांढर ले रेल म चढ़ के आना जाना परय. तब टिकिट 30 पइसा लागय. घेरी भेरी टिकिट खातिर घर ले पइसा मांगे ले बांचे खातिर तब मैं साइकिल चलाए बर सीखेंव. अउ साइकिल के सीखते हर हफ्ता के छुट्टी म गाँव जवई हो जावय. हाईस्कूल के पढ़त ले अइसन चलिस.
    हमन जब गाँव जावन त बस्ती भीतर कभू नइ राहन. हमर गाँव के उत्ती मुड़ा म कोल्हान नरवा हे, अउ वोकरे खंड़ म बोहरही दाई के मंदिर देवाला हे. एक किसम के दर्शनीय स्थल हे. अब तो ए ह एक पर्यटन स्थल के रूप म विकसित होवत हे, जिहां लोगन के आना जाना हमेशा लगे रहिथे. फेर जब हमन लइका रेहेन त वो अतेक विकसित नइ होए रिहिसे. तभो हमर मन के किंजरई फिरई नरवा के आसपास ही जादा होवय. तब वोमा बारों महीना पानी राहय. हमर मन के गरमी के छुट्टी ह उहेंच पहावय.
   वो बखत कोल्हान के दूनों मुड़ा भारी जाम बगीचा राहय. बारी मन म कांदा, कुसियार, मूंगफली, चना सब बोवावय. वइसे बस्ती घलो गद बोलय, बड़े बस्ती आय, संग म शिक्षित लोगन के बसेरा हे, फेर हमन खोरकिंजरा होगे राहन.
   हमर गाँव शिक्षित बस्ती होए के सेती इहाँ साहित्य, कला अउ संस्कृति खातिर लोगन के रुझान घलो अच्छा देखे बर मिलय. हमन हर बछर शरद पूर्णिमा म इहाँ कवि सम्मेलन के मजा लेवन.  डॉ. ध्रुव कुमार वर्मा के एमा बड़का योगदान हे. वोकर संग उहाँ एक सूरदास कवि घलो रिहिन, रंगू प्रसाद नामदेव जी. नामदेव जी कुंडली लेखन के जबरदस्त हस्ताक्षर रिहिन. उंकर कुंडली मन के एक संकलन ल रायपुर के छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति डहर ले 'हपट परे तो हर गंगे' नांव ले छपवाए गे हे. डॉ. ध्रुव कुमार वर्मा अउ रंगू प्रसाद नामदेव ले चले साहित्यिक परंपरा ल मोर संग  म भाई विजेंद्र वर्मा अउ उंकर सुवारी संगीता वर्मा आगू बढ़ावत हवंय.
   हमर गाँव के लीला मंडली के घलो अबड़ सोर रिहिसे. आसपास के गाँव के मन हमर गाँव लीला देखे बर आवंय. हमर इहाँ नवधा रामायण के घलो हर बछर आयोजन होवय. ए आयोजन के आखिरी दिन भिंभौरी वाले सुप्रसिद्ध शब्दभेदी बाण संधानकर्ता कोदूराम वर्मा जी के शब्दभेदी बाण के प्रदर्शन होवय.
     फेर अब ये सब बात तइहा ल बइहा लेगे, तइसन किसम के होगे हे. एकर सबले बड़े कारण गाँव म होवत अंध शहरीकरण के असर. एकर एक बड़का कारण रायपुर के औद्योगिक क्षेत्र के अंधाधुंध फैलाव घलो आय. रायपुर औद्योगिक क्षेत्र जेन सिलतरा ले होवत धीरे धीरे चारों खुंट बगरत हे, एकर दुष्प्रभाव हमर गाँव तक पहुँचगे हे.
      औद्योगिक क्षेत्र के प्रदूषण अउ धुंगिया ह हमरो गाँव म पट्टाए ले धर लिए हे. एकर सेती गाँव के तरिया मन के पानी म राख के पपड़ी जम जाथे. कुंआ बावली के पानी पीए के खातिर उपयोगी नइ रहिगे. अउ एकरो ले बड़े खराबी, सांस्कृतिक पतन के रूप म देखे ले मिलत हे.
    ए क्षेत्र के जम्मो फेक्टरी मन म आने आने क्षेत्र ले काम करइया लाने जाथे, जे मन ठकठक ले अकेल्ला आथें, तहांले आसपास के गाँव मन म किराया के घर  खोजथें, वोकर बाद गाँव के बेटी बहू मन खातिर उंकर नीयत म गंदगी अमा जाथे.
   ए औद्योगिक क्षेत्र के बने ले जुआ, शराब अउ गुंडागर्दी घलो अबड़ बाढ़गे हे. एकर सेती अब ए तीर के गाँव मन म खेतिहर मजदूर घलो नइ मिल पावय, तेकर सेती किसानी के काम ह भारी तकलीफ दायक होगे हे. जे मन अपन जांगर भरोसा थोर बहुत खेती कर सकथें, ते मन तो अलवा जलवा खेती कर लेथें, फेर जे मन बनिहार भरोसा होथें तेकर मन के मरे बिहान हे.
      अब तो गाँव डहर जाए बर पांव घलो उसले ले नइ धरय. वइसे मोर साहित्यिक अउ सामाजिक गतिविधि म जादा सक्रिय होए के बाद गाँव जवई कमतियागे रिहिसे, जेन ह औद्योगिक प्रदूषण के सेती नहीं के बराबर होगे हे. भगवान शासन प्रशासन म बइठे लोगन ल सद्बुद्धि देवय, तेमा हमर गाँव जइसन कतकों गाँव के अस्तित्व अपन संस्कार ल जीवित रखे के लायक बांच सकय.
-सुशील वर्मा 'भोले'
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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