Tuesday 5 December 2023

कोंदा भैरा के गोठ 10

कोंदा भैरा के गोठ 10

-जे मन कोनो विषय म पीएचडी कर लेथें, ते मनला वो विषय के संगे-संग सबोच विषय के विद्वान मान के उंकर लिखे अउ बोले गे वाक्य मनला ही पखरा के लकीर बरोबर मान लेथन जी भैरा.
  -हाँ ए बात तो सिरतो आय जी कोंदा.. तभे तो अइसने मनला अतिथि बना के फूल-माला पहिरावत रहिथन.
   -फेर कतकों बखत इहू देखे म आथे के वो पीएचडी धारी ह नकलचोट्टई कर के या पइसा के पंदोली दे के सेती उपाधि पाए रहिथे, एकरे सेती वोकर वक्तव्य म आरुग सत्य के दर्शन नइ हो पाय.
   -अच्छा.. अइसना घलो हे? 
   -हहो.. मैं अइसन कतकों उपाधि धारी मनला जानथौं, जे मन अपन विषय म घलो अधकचरा बरोबर जनाथें.
    -वोकर मन जगा विश्वविद्यालय के डिग्री होथे न जी संगी, लोगन के नजर म वोकरे तो मान-सम्मान हे.
   -अइसने नकलचोट्टई ले बाॅंचे खातिर अभी सरकार ह स्वास्थ्य विभाग म मेडिकल शोधगंगा प्लेटफार्म बनाय हे, जेकर ले अइसन लोगन मन के असलियत आगू आ सकय.. मोला लागथे के सरकार ल सबो विभाग के शोध कारज खातिर अइसने उदिम करना चाही.
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-राजभाषा छत्तीसगढ़ी दिवस के जोहार जी भैरा.
  -जोहार संगी कोंदा.. फेर मोला जनाथे के ए जनम म हमन राजभाखा के नॉव म भइगे जोहरईच भर करत रहि जाबो तइसे लागथे.
   -अइसे काबर जनाथे संगी? 
   -देखना.. राजभाषा घोषित तो कर डारे हें, फेर कोनो च सरकार के बुता ह एला सही अरथ म राजभाषा माने बरोबर नइ जनावय. आज ले न तो ए ह पढ़ई के माध्यम बन पाए हे, न राजकाज के.
   -ए बात तो सिरतोन आय संगी केंद्र अउ राज दूनों जगा के लंबरदार मन हमरे मन असन कोंदा भैरा गढ़न के होगे हें. कतकों चिचिया हुंत करा फेर हूँ हाॅं करे कस घलो नइ जनावय.
   -सबले अचरज के बात तो ए आय संगी.. जे मन लोकसभा अउ राज्यसभा म छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची म संघारे खातिर गोहराए रिहिन हें, उहू मन अपन-अपन पार्टी के सरकार जगा एकर खातिर कुछू नइ करवा पाईन.
   -हाँ ए तो हे.. तभे तो सब कहिथें के ए राजनीति वाले मन सत्ता के बइठत भर ले भावनात्मक विषय ऊपर कूद फांद करथें, अउ सत्ता म आए के बाद कोंदा लेड़गा बन जाथें.
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-विधानसभा चुनाव के परिणाम अवइया हे जी भैरा.. हमर पार्टी वाले मन वोकर पहिली अच्छा तगड़ा गढ़न के हुमन जग करवाबो काहत हें.
    -अच्छा.. चुनाव म जीत के सरकार बनाए खातिर का जी कोंदा? 
   -हहो संगी.. अभी विश्व कप क्रिकेट म भारतीय टीम ह जीत जावय कहिके हुमन जग करवाए रिहिन हें ना.. उंकरे मन जगा इहू हुमन जग ल करवाबो काहत हें.
   -त तोला कइसे जनाथे संगी.. हुमन जग करवाए ले मतदाता मन जेन छापा म वोटिंग मशीन म बटन दबाए हें, ते ह तुंहर डहार लहुट जाही? 
   -अब पार्टी के लंबरदार मन तो अइसने काहत हें गा.
   -देख रे भई..  देश भर म होय हुमन जग अउ दुआ मॉंगे के बाद घलो जइसे हमर क्रिकेट टीम वाले मनला तीन धार के रोए बर लाग गे रिहिसे ना.. तइसने तुंहरो लंबरदार मन संग झन हो जावय गा.
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-जेठौनी जोहार जी भैरा.
   -जोहार जी कोंदा.. यहा काला-काला धर के जावत हस जी संगी? 
   -या.. ए सब टूटहा चरिहा, झेंझरी, सूपा-उपा मन ताय गा.. आज ले हमन इही सब जुन्ना जिनिस मनला बार के भुर्री तापे के नेंग करथन नहीं गा.. ओकरे जोखा तो आय. 
   -अच्छा.. जेठौनी के रतिहा तुलसी महारानी के पूजा पाठ करे के पाछू कुसियार चुहकत  भुर्री तापथन तेकरे नेंग खातिर? 
   -हहो संगी.. पुरखा मन के चलाय नेंग ताय गा.. रतिहा बेरा अब जुड़ जनाय के चालू तो होइच गे हे, आज भुर्री तापे के शुरुआत करबो तहाँ ले गोरसी अउ भुर्रीच ह तो हमर असन सियनहा मन के चार महीना के संगवारी बन जाथे.
   -सही आय संगी.. पहिली असन अब गहिर जाड़ तो नइ जनावय, तभो ले पुरखा मन के चलाय परंपरा ल निभा लेथन.
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-ए बछर कतेक धान-पान बनाएव जी भैरा? 
   -कोन जनी जी कोंदा.. अब तो का हार्वेस्टर कहिथें तइसने मशीन आथे अउ भकभक-भकभक धुंगिया उड़ियावत खेतेच म सबो ल काट-निमार के बोरा-बोरा करत मढ़ा देथे, तहाँ ले उहिच डहार ले वोला मंडी घलो अमरा डारथें. कतका गाड़ा होइस.. का खंगती जादा होइस तेकरो गम नइ जनावय.
   -भइगे सबोच घर के एके हाल हे संगी.. हमन तभोच ले खाए-पीए अउ पौनी-पसारी मन के पुरती ल हाथेच म लू-मिंज डारथन, फेर पहिली असन न तो रास मढ़ा के नापन अउ न वोकर ओसरती म खीर-तसमई के भोग चढ़ावन.
   -भइगे काला कहिबे.. ए मशीनीकरण ह हमर तइहा के परंपरा मनला घलो सिरवावत जावत हे जी.. अब अन्नपूर्णा महतारी ह घर अउ कोठी म पधारे के पहिलीच ले बेचरउहा बन के मंडी म अमा जाथे.
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-हमर छत्तीसगढ़ी भाखा म आने-आने भाखा मन के गजब अकन शब्द मन संघरत जावत हे जी भैरा.
   -हाँ.. बात तो सिरतोन आय जी कोंदा. एकर दू कारन  हे.. पहला ए आय के हमर मन के उठई-बइठई अउ दिनचर्या म जे लोगन मन संग मेल-भेंट होवत रहिथे, उंकर मन के भाखा के शब्द ह घलो हमर संग संघरत जाथे.
   -अच्छा.. अउ दूसर? 
   -हमर शिक्षा के माध्यम होथे. अब देखना हमन आन छत्तीसगढ़ी भाषी फेर पढ़े हावन हिंदी माध्यम ले, तेकर सेती हमन हिंदी के कतकों शब्द मनला बरपेली छत्तीसगढ़ी के बोलचाल अउ लिखई-पढ़ई म खुसेर डारथन, जबकि हमर जगा छत्तीसगढ़ी के अपन पोगरी शब्द रहिथे तभोच ले.
   -जइसे के? 
   -अब हमर 'भाखा' शब्द ल ही देख लेवव ना.. 'भाख' माने 'बोलना' शब्द ले बने 'भाखा' शब्द हमर पोगरी शब्द आय, तभो ले हमन हिंदी ले पढ़े-लिखे रहे के सेती ओकरे ले प्रभावित रहि के 'भाषा' शब्द के उच्चारण करथन. अइसने अउ बहुत अकन शब्द हे, जे मनला हम जाने-अनजाने बउरत रहिथन.
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-राजनीति वाले मन घलो कहाँ-कहाँ ले नवा-नवा शब्द खोज-ढूंढ के लावत रहिथें जी कोंदा.. कभू-कभू ताज्जुब घलो लागथे.
   -कइसे का खोज डारे हें जी भैरा? 
   -अरे काला कहिबे संगी.. अभी वो दिन वो बपरा ह मोर शहर म क्रिकेट मैच होवत हे, त चल बुजा ल महूं देखे लेथौं कहिके गिस, त वो क्रिकेट वाले बाबू मन उहिच दिन हार गें गा! 
   -ले.. रोज-रोज जीतइया मनला उहिच दिन हारे बर रिहिसे कहिदे! 
   -हव भई.. तब ले वो बपरा ल आने दल वाले मन 'पनौती' काहत हें.
   -अच्छा.. ए पनौती ह हमर डहार के शब्द नोहय तइसे जनावत हे जी संगी.
   -हहो.. भंडार मुड़ा के भाखा आय.. हमर एती इही ल 'गिरहा' कहिथन. 
   -अच्छा.. गिरहा.. एला कोनो-कोनो अशुभहा घलो कहि देथें का? 
   -बेरा-बखत देख के खर छॉंव वाले, दोखहा, नछत्तर जइसन कतकों शब्द बउरे जा सकत हे जी.
   -अच्छा ठीक हे.. हमर भाखा समृद्ध हे, एमा कतकों वैकल्पिक शब्द हे, फेर मोला संसो ए बात के होवथे के वो खेल के असर ह इहाँ के चुनई परिणाम म तो नइ अभर जाही.
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-ए एक्जिट पोल वाले मन कइसे अलकरहा बानी के बताथें जी भैरा.. मोला तो माथा धरे बरोबर होगे हे.
   -कइसे का काहत हें जी कोंदा? 
   -अरे काला बताबे.. एको ठन पार्टी के आरो ल स्पष्ट नइ बतावत हें, मोला थथमरई असन लागत हे.
   -त तोला का बात के थथमरई होगे भई.. कोनो पार्टी वाले मन जीतंय हमला का करे बर. 
   -वाह.. स्पष्ट होना चाही ना के फलाना पार्टी के सरकार बनत हे कहिके, तब तो उंकरे मन के रंग के कपड़ा खिलवा के उंकर जीते विधायक के परघनी करे बर जातेंव जी.
   -सबले बढ़िया तो ए हे संगी.. तैं ह सबो पार्टी वाले मन असन डरेस सिलवा डार, जे पार्टी के मन सरकार बनावत दिखहीं, उही पार्टी के डरेस ल पहिर के फूल-माला धर के निकल जाबे जी.
    -तोर कहना तो वाजिब जनावत हे संगी.. आजकाल के चलन तो अइसनेच हे.. जेती बम तेती हम.
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-तोला वो बेरा के सुरता हे जी भैरा.. जब पेट्रो तेल के विकल्प के रूप म इहाँ रतनजोत नॉव के पेड़ लगाए के भारी नारा चलत रिहिसे.
   -हाँ सुरता कइसे नइ रइही जी कोंदा.. तब जगा-जगा लिखाय राहय- अब तेल नहीं आएगा खाड़ी से, हमको मिलेगा अपने घर की बाड़ी से.
    -हाँ उही रतनजोत जेला हमन इहाँ के देशी किस्म ल बगरंडा/बगरंडी कहिथन. एकर बीजा ले तेल निकाले के एको ठन फैक्टरी अभी तक नइ खुल पाए हे का? 
    -कोन जनी संगी आरो तो नइ पाए हौं.. हाँ भई फेर एकर बीजा ल खा के अबड़ झन लइका मन के बीमार परे के खबर जरूर सुने हावंव.
    -कतकों जगा ले तो मरे के खबर घलो आ धमकथे, फेर एकर बीजा ले तेल निकाले के फैक्टरी के सोर हमर एती तो नइ सुनाए हे.
    -वइसे ए अच्छा उदिम रिहिसे, फेर कोन जनी कइसे अरझे असन होगे ते? 
    -सरकार के बहुत अकन उदिम मन लोक हितकारी होथे, फेर कोन जनी काबर वो ह बेरा ले पहिली अल्लर पर जाथे?
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-मनखे-मनखे एक बरोबर के उद्घोष करइया गुरु बाबा घासीदास जी के आज जयंती आय जी भैरा.
   -हाँ जी कोंदा.. सही म सब जीव-जंत परमात्मा के नजर म एक बरोबर ही होथे.. तभे ते हर जीव म शिव के वास हे कहिथें.
   -सही आय संगी.. बस हमी मन ह आज तक उंकर ए समरसता के संदेश ल समझ नइ पाए हन, अउ फोकटे-फोकट म छोटे-बड़े ऊँच-नीच के अंधरौटी ल आॉंखी म आॅंजे रहिथन.
   -हमन तो जेला अपन जात-समाज कहिथन तेनो म गरीबहा-बड़हर के नॉव म खंचका खन डारथन.. अउ जब अपनेच समाज म छोटे-बड़े के भेद कर डारेन, तब आने वाले मन संग तो पूछबेच झन कर. 
   -हव जी एकेच समाज के पंगत म बड़का खातिर आने जगा आसन अउ छोटे खातिर आने जगा देखे बर मिल जाथे.
    -गुरु-ग्रंथ मन के जतका संदेश हे सब किताब म पढ़े अउ भाषण म गोठियाए भर के होगे हे.. चरित्तर म सब अन्ते-तन्ते जनाथे.
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-बधाई हो जी भैरा तुंहर सरकार फेर लहुट आइस. 
   -तहूं ल बधाई संगी कोंदा.. अब लागथे फेर इहाँ के भाखा साहित्य के दिन बहुरही.
   -महूं ल अइसने जनावत हे संगी.. छत्तीसगढ़िया के नारा लगाने वाले मन छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पॉंच बछर म घलो गठन नइ करे पाईन न शिक्षा के माध्यम बनाइन.. अउ बाकी अपेक्षा मन के तो बाते ल छोड़ दे, तब लोगन उंकर मन ऊपर अउ कतका भरोसा करतीन.
   -सही आय जी.. सिरिफ सोंटा मरवाए अउ गेंड़ी चघे भर म छत्तीसगढ़ी अस्मिता के बढ़वार नइ हो जाय, जेन भाखा संस्कृति के नेंव के ठोस कारज होथे, तेन ल तो ए मन छुईन तक नहीं, तब जनता अउ कतका अगोरा करतीन.. चलव.. कोनो राजा बनय, हमला का नफा ते का नुकसान हे.. बस लोगन के मनसुभा फलित होवत राहय.. उंकर सपना अउ कारज पूरा होवत राहय ए जरूरी हे.
    -सही आय संगी.. अब तो बस न्याय, विकास अउ अस्मिता के बढ़वार के  बुलडोजर चले के अगोरा हे.
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-अब राजा-महाराजा मन के मोहजाल ले लोगन सिरतोन म निकले ले धर लिए हें जी भैरा.
   -कइसे का होगे जी कोंदा? 
    -अभी हमर इहाँ जेन विधानसभा के चुनई होय हे ना, एमा राजपरिवार के एको सदस्य मन जीत नइ पाए हें.
   -अच्छा.. मतलब अब सिरतोन म लोकतंत्र माने आम जनता के राज आवत हे का? 
   -हव जी.. पहिली ए देश म कहे बर तो लोकतंत्र आगे रिहिसे, फेर संसद अउ विधानसभा मन म इहिच खानदान के मन दिखत राहंय. लोगन घलो आॅंखी-कान मूंद के उहिच मनला वोट दे देवत रिहिन हें, फेर अभी पहिली बार हमर छत्तीसगढ़ विधानसभा म एको राजपरिवार के सदस्य नइ दिखंय. अलग-अलग पार्टी ले राजपरिवार के सात झन चुनई म खड़े रिहिन हें, फेर सातों के सातों अभी के चुनई म हार गे हें. एमा कांग्रेस ह तीन, भाजपा ह तीन अउ आम आदमी पार्टी ह एक झन ल प्रत्याशी बनाए रिहिसे.
   -माने अब सिरतोन म राजशाही ले मुक्ति मिलत हे.. बढ़िया हे संगी.. लोकतंत्र के जय हो.
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