Sunday, 2 February 2025

कोंदा भैरा के गोठ-30

कोंदा भैरा के गोठ-30

-ठलहाचंद मनला सरकार ह फोकट म एला- वोला बाँटत हे जी भैरा अउ जे मन पूरा ईमानदारी के साथ अपन काम-बुता ल करत हें तेकर मन के पगार दे बर सरकारी खजाना म पइसा नइए कहिके ठेंगा देखाय असन गोठिया देथें.
   -हव जी कोंदा.. सत्ता पाय के नियम बड़ा बिचित्तर हे.. फोकट म ए.. फोकट वो.. सबो पार्टी अउ सरकार के प्राथमिकता बनगे हवय जेकर सेती सरकारी खज़ाना मन जुच्छा परे असन होवत हे.. रिजर्व बैंक ह जम्मो राज सरकार मनला चेताय घलो रिहिसे के फोकट वाले चलागन ल अब थिरवावौ कहिके तभो ले देखत तो हावस.
   -हव जी.. अभी सुप्रीम कोर्ट ह घलो एकर ऊपर चिंता जताए हे मंगलवार के जस्टिस बी आर गवई अउ जस्टिस ए जी मसीह के खंडपीठ ह कहिस- राज सरकार जगा वो लोगन बर खूब पइसा हे, जे मन कुछू काम-बुता नइ करयँ अउ हमन वित्तीय बाधा के बात कहिथन त हमला पगार अउ पेंशन आदि खातिर वित्तीय संकट के गोठ सुने ले मिलथे.
   -करलई हे भगवान..!

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-हमर छत्तीसगढ़ म अभी धरम परिवर्तन ले जुड़े गजबे खबर आवत हे जी भैरा.
   -पूरा देश अउ दुनिया ले अइसन सोर आवत रहिथे जी कोंदा.
   -तोला अइसे का जनाथे जेमा लोगन अपन पुरखौती परंपरा अउ पूजा प्रतीक ल छोड़ के आने के चलागन ल धर लेथें? 
   -एकर संबंध म स्वामी विवेकानंद जी के विचार ह पोठ अउ वाजिब जनाथे संगी.. वोकर मन के पत्रावली नॉव के किताब म एकर संबंध म उँकर विचार ल समोए गे हवय.. "आइए, देखिए तो सही, त्रिवांकुर में जहाँ पुरोहितों के अत्याचार भारतवर्ष में सब से अधिक है, जहाँ एक एक अंगुल जमीन के मालिक ब्राह्मण हैं, वहाँ लगभग चौथाई जनसंख्या ईसाई हो गयी है! (पत्रावली भाग 1. पृ. 385)  .. अइसने पत्रावली भाग 3, पृ. 330, नया भारत गढ़ो, पृ. 18 म लिखाय हे- भारत के गरीबों में इतने मुसलमान क्यों हैं? यह सब मिथ्या बकवाद है कि तलवार की नोंक पर उन्होंने धर्म बदला। जमीदारों और पुरोहितों से अपना पिंड छुड़ाने के लिए ही उन्होंने ऐसा किया और फलतः आप देखो कि बंगाल में जहाँ जमींदार अधिक हैं, वहाँ हिंदुओं से अधिक मुसलमान हैं.
   -महूँ ल ए सब वाजिब जनाथे संगी.. लोगन पइसा या सेवा के लालच म नहीं, भलुक समानता के सम्मान पाए के आस म चले जाथें.

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-कोनो कोनो पत्रकार मन पुचपुचहा किसम के होथे जी भैरा बिन जाँचे-परखे कुछू भी जिनिस ल नकली या अंधविश्वास घलो कहि देथें.
   -हाँ ए बात तो हे जी कोंदा.. महूँ आकब करे हौं कतकों देवी देवता अउ सिद्ध पुरुष मन के संबंध म घलो उन उजबक किसम के गोठियाय परथें.
   -हव जी.. अभी अइसने एक झन पत्रकार ह प्रयागराज म चलत महाकुंभ म झुँझकुर काँटा म आसन लगा के बइठे बाबा जी ल ए काँटा ह असली आय ते नकली कहिके पूछ परीस.
   -तहाँ ले? 
   -तहाँ ले का.. बाबा जी ह रोसिया के पत्रकार ल धर के अपन डहार तिरिस अउ वोकर कान के खाल्हे म एक थपरा हकनिस.
   -बने करीस.. संत तपस्वी मन बेलबेली करे के जिनिस नइ होय.
   -हव.. बाबा जी के अपन डहार तीरे म पत्रकार ल काँटा गड़िस होही संग म थपरा म कान के खाल्हे ह झन्नइस होही त वो पत्रकार ह काँटा ह असली हे कहे लागिस.
   -असली च काँटा म बइठथें गा.. हमन राजिम, रायपुर अउ शिवरीनारायण के मेला म घलो अइसन साधक तपस्वी मन ल देखे हावन.

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-प्रयागराज महाकुंभ म अभी साधु‌ संत मन ले घलो जादा एक झन माला बेचइया नोनी मोनालिसा ह वायरल होवत जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. महूँ आकब करे हौं.. सोशलमीडिया के जेन मंच ल देखे तेनेच म वो नोनी के मुस्कीढारत विडियो दिखीच जाथे.
   -लोगन वोकर आँखी के सुघरई के घात चर्चा करत हें, काहत हें के वोकर आँखी ह दुनिया के सब ले मयारुक आँखी हे.
   -हव जी.. अउ एक जिनिस आकब करे हावस? 
   -का..? 
   -वो नोनी के सुघरई अउ रहन-सहन बोली-बचन म कोनो च मेर ले बनावटी पन के आरो नइ मिलय.. एकदम निरमल फरी झिरिया ले ओगरत पानी कस आरुग.
   -हव जी.
   -आजकाल जे नोनी मन रील बना के फेमस होय के चक्कर म चिरहा-फटहा अउ उघरा-उघरा कपड़ा लत्ता देंह म ओरमाए नाचत रहिथें, ते मन ल एकर ले सीख लेना चाही, के लोगन के खूबसूरती अंते-तंते कूदे-फाँदे या देंह-दरस करवाए ले नहीं, भलुक शांत सरल अउ संस्कारी बने रेहे ले बाढ़थे.. लोगन वो मन ल जादा सँहराथें अउ दुलारथें.

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-अब के गुरुजी मन कहूँ लइका मन ल रोसहा असन मार परथें त वोकर दाई-ददा मन गुरुजी संग झगरा करे बर चल देथें जी भैरा अउ हमर पाहरो म..? 
   -अरे ददा रे.. हमर पाहरो म जी कोंदा.. दाई-ददा मन गुरुजी मन ल अउ चेतावँय बने हकने कर गुरुजी पढ़ई लिखई नइ करय त कहिके.
   -हव भई.. अउ कक्षा ले बाहिर चरचरावत घाम कुकरा बनावय ते ह अउ जउँहर लागय.
   -हमर गुरुजी ह तो आधा घंटा ले कुकरा बने राह काहय तेकर आजो ले सुरता हे, फेर तैं एक बात जानथस संगी? 
   -का जी..? 
   -कुकरा बनई ह आसनात्मक क्रिया के एक अंग आय. 
   -अच्छा.. दूनों गोड़ के खाल्हे ले हाथ ल बुलका के कान ल धरन तेन ह? 
   -हव.. कुकरा बने ले बहुत अकन लाभ होथे.. गुनिक मन के कहना हे- एकर ले वायु के निष्कासन बने होथे, चेहरा म रक्तसंचार बाढ़े के सेती  चेहरा के ओज म बढ़ोत्तरी होथे अउ झुर्री मन समाप्त होथे.. स्मरण शक्ति घलो बाढ़थे.. आँखी खातिर घलो फायदा के होथे.. सरलग अभ्यास करे ले माइग्रेन म लाभ होथे.. नितंब, जाँघ अउ मेरूदंड के मांसपेशी म खिचाव होय ले रक्तसंचार बाढ़थे अउ उँकर विकार दूर होथे.
   -वाह भई.. कुकरा बने ले अतेक लाभ होथे.. पहिली ए सब गुन ल जाने रहितेन त गुरुजी मन जतका काहयँ तेकरो ले उपराहा कुकरा बने रहितेन.

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-निकाय चुनाव खातिर पार्टी मन के घोषणा पत्र आए के शुरू होवत हे जी भैरा.
   -बढ़िया खबर सुनाए हस जी कोंदा मैं तो ए घोषणा पत्र मन के जबर अगोरा करथौं.
   -वाह भई..अइसे काबर.. अब महीना भर बर चेपटी अउ कुकरा के जुगाड़ होगे कहिके गदकथस का? 
   -वो तो हइच हे संगी.. मैं ह सबो पार्टी के घोषणा पत्र मन ल बने सकेल-सकेल राखथौं घलो.
  -अच्छा.. सबो पार्टी के घोषणा पत्र मन ल.. वो काबर संगी? 
   -जड़हा मौसम म भुर्री तापे के बने काम आथे ना.
   -अच्छा.. घोषणा पत्र मन के भुर्री तापथस! 
   -हव जी.. भुर्री तापे बर एकर ले बढ़ के अउ कोनो साफ सुथरा कचरा नइ मिलय.
   -वाह भई.. त सबो पार्टी के घोषणा पत्र मन के भुर्री के आँच आने-आने जनावत होही? 
   -आँच ह तो ककरो कमती त ककरो ह थोकिन रोसहा जनाथे, फेर वोमा ले निकलइया धुँगिया मन जरूर अलग अलग किसम के जनाथे.
   -अच्छा.. धुँगिया मन अलग अलग किसम के जनाथे? 
   -हव जी.. कोनो पार्टी के घोषणा पत्र के धुँगिया ह खरखराथे त ककरो ह भखरइन असन जनाथे.
   -वाह भई.. माने चुनाव के हर उदिम के तैं ह जबर सेवाद लेथस.

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-ए बछर देश के राजधानी दिल्ली म गणतंत्र दिवस के अवसर म होवइया भारत पर्व 2025 म हमर छत्तीसगढ़ के झाँकी म रामनामी समाज ल देखाय जाही जी भैरा.
   -ए तो बढ़िया खबर आय जी कोंदा.. झाँकी म इहाँ रामनामी समाज के उदय काबर अउ कइसे होइस तेनो ल देखाय जाही का जी? 
   -नहीं जी वो इतिहास अउ कारण ल तो नइ देखाय जाय बस एक रामनामी माईलोगिन अउ एक आदमी ल अपन देंह भर राम राम गोदवाय अउ मुड़ म मयूर पाँखी के मुकुट पहने रामायण पढ़त देखाय जाही.
   -वाह.. इतिहास ल देखाय जातीस त जादा निक जनातीस संगी के कइसे परसुराम नॉव के मनखे ह जब वोला गाँव के मंदिर भीतर नइ खुसरन देइन त वो ह रोसिया के अपन देंह भर राम राम गोदवा लिस अउ एकरे माध्यम ले निराकार ब्रह्म के उपासना चालू कर दिस जेन ह आज एक आध्यात्मिक समाज के रूप धारण कर लिए हे.. अउ सबले बड़े बात तो ए आय के रामनामी मन अयोध्या वाले राजा दशरथ के बेटा राम के नहीं, भलुक निराकार ब्रह्म के उपासक आयँ.

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-छेरछेरा परब म झोंके धान ले हमर गाँव नगरगाँव के मिडिल स्कूल भवन ल बनवाय रेहेन जी भैरा अउ हर बछर छेरछेरा माँग के स्कूल खातिर खेलकूद के सामान घलो लेवन.. हमर गुरुजी मन बढ़िया बैंड बाजा संग हमन ल छेरछेरा मंगवाय बर लेगय संग म उहू मन गाँव भर किंजरयँ.
   -सबो जगा छेरछेरा के सकलाय धान ल लोकहित के कारज म लगाय जाथे जी कोंदा.
   -हव जी.. कतकों गाँव म रामकोठी बढ़ाए के परंपरा घलो हे, फेर अभी कांँकेर जिला के दुर्गूकोंदल ब्लॉक ले खबर आए हे के उहाँ के प्राथमिक शाला पलाचुर के गुरुजी रामकुमार कोमरा ह छेरछेरा म लइका मन जेन धान सकेले रिहिन हें, तेला बेच के दारू पी दिस.
   -वाह भई.. अइसनो होथे गुरुजी मन गा..! 
   -हव जी.. ताज्जुब लागथे संगी.. उहाँ के जिला शिक्षा अधिकारी ह जाँच खातिर टीम भेजे रिहिसे, जेकर प्रतिवेदन मिले के बाद नशेड़ी गुरुजी ल निलंबित कर दिए गे हवय.

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-बाॅलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ह केरल साहित्य महोत्सव के कार्यक्रम म कहे हवय जी भैरा के आज ले सौ बछर बाद के भारत ल जाने बर कहूँ बॉलीवुड सिनेमा ल देखे जाही त ए ह एक त्रासदी बरोबर जनाही.
   -अच्छा.. अइसे काबर जी कोंदा? 
   -वोकर कहना हे के सिनेमा ल सत्य ऊपर आधारित ईमानदारी के साथ बनाए जाना चाही, फेर एकर दर्शन तो होवय नहीं, त सौ बछर बाद एला त्रासदी के छोड़ अउ का माने जाही? 
   -छत्तीसगढ़ के संदर्भ म घलो अइसन स्थिति बन सकथे संगी.. आज इहाँ जेन किसम के छत्तीसगढ़ी फिलिम बनत हे का ए मन ल सौ बछर बाद छत्तीसगढ़ के इतिहास, संस्कृति अउ धरोहर के मानक माने जा सकही? 
   -कोन जनी संगी.. मैं तो एक दू ठ छत्तीसगढ़ी सिनेमा देखे रेहेंव तहाँ ले अब कोनो डहार जाए के मन नइ होवय.
   -अइसे काबर? 
   -बस चारों मुड़ा ले नकल चोट्टई ही देखे ले मिलथे.. हाथ-गोड़ कोनो कोती के त मुड़ी-पूछी अउ कोनो कोती के.. थर खाए असन लागथे.. लोगन के मौलिक सोच, समझ अउ विषय कब उद्गरही तेने ल गुनथौं.

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-तैं एक चीज आकब करे हस जी भैरा.. जेला लोगन जकला, बइहा अउ ना जाने का-का कहिके हिनमान करे अस गोठियाथें उहि च मनखे ह ऐतिहासिक बुता कर डारथे.
   -ए तो दुनिया के चलागन आय जी कोंदा.. जे मनखे ह भीड़ ले अलग हट के कुछू नवा उदिम करथे, लोगन वोला जकला भकला सबो च कहिथें.
   -हव जी.. भेड़िया धसान म रेंगत लोगन बर वो ह अजूबा होथे, काबर ते वो कुछू नवा रद्दा ल धरे रहिथे, उहू म परिया टोरे कस एकपइयाँ जेमा काकरो रेंगे के चिनहा नइ दिखत राहय, तेकर सेती चिक्कन चातर रद्दा म रेंगइया मन बर वो ह अजूबा ही होथे, एकरे सेती वो अजूबा के डगर धरइय्या ल लोगन जकला भकला सब कहि देथें.. फेर कुछू होवय संगी ऐतिहासिक बुता ल अइसने च मन सिध पारथें.. अइसने मन के नॉव इतिहास म शोभा बढ़ाथे.
   -हव‌ जी.. अउ फेर तब जे मन वोला जकला भकला काहत रहिथें, उही मन तरुवा धर के पछताथें.

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-निकाय अउ पंचायत के चुनाव ल देखत बइगा गुनिया मन के खोज खबर ह बाढ़ गे हे जी भैरा.
   -अंधविश्वास के सवारी करइया मन तो अइसन करबे करथें जी कोंदा.
   -हव भई.. अभी मोर संगी ह बतावत रिहिसे- कुकरा अउ बोकरा के बिक्री घलो बाढ़ गे हवय कहिके.
   -मतदाता मनला खुश करे के उदिम खातिर होही जी चेपटी के संगी होथे कुकरा अउ बोकरा ह? 
    -अभी मतदाता मन ले जादा बइगा गुनिया मन के देवता मनला खुश करना ह जादा जरूरी हे बताथें.. बिन पूजवन के उँकर देवता मन कोनो बुतच नइ करयँ कहिथें.. बताथें के जब बइगा मन सुमर-जाप के पूजवन देथें तब उँकर देवता मन मतदाता मन के मति ल पूजवन देवइया प्रत्याशी डहार लेगथे.
   -टार बुजा ल मोला ए सब ह पतियासी असन नइ जनावय.. अरे अइसन होतीस त पूजवन दे दे के सबो झन नइ जीत जातीन? सिरिफ एके झन भर ह काबर जीतथे.. उहू म बिन पूजवन दे प्रत्याशी ह जीतथे, जेकर करम-कमई अउ चाल-चरित्तर बने मयारुक रहिथे.

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-इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के महासचिव पीएमए सलीम के कहना हे जी भैरा के महिला अउ पुरुष एक बरोबर नइ होय.. वोकर कहना हे- हमन लैंगिक न्याय के समर्थक तो हावन, फेर लैंगिक समानता के नहीं.
   -वाह भई.. शारीरिक बनावट म भले आदमी अउ औरत म थोर बहुत अंतर हे, फेर ज्ञान, प्रतिभा अउ शक्ति के मामला म दूनों बरोबर होथें कहिके हमन तो दूनों ल आज तक बरोबर ही समझन जी कोंदा.
   -हव जी सही आय.. वोकर कहना हे- ओलंपिक म महिला पुरुष दूनों के अलग-अलग श्रेणी होथे, तेकर कारण इही आय के दूनों अलग होथे.. वो इहू कहिस- दूनों ल एक बरोबर मानना हकीकत ले आँखी मूंदे बरोबर आय. 
   -वोकर सोच अउ समझ ले अइसन हो सकथे जी संगी, फेर हमन तो हर जीव ल शिव के रूप म देखत आज तक सबो ल एक बरोबर मानत आए हावन अउ आगू घलो मानत रहिबोन.

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-बॉलीवुड अभिनेत्री रहे ममता कुलकर्णी ल जब ले किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर बना दिए रिहिन हें, तेने दिन ले मोर मन उभुक-चुभुक करत रिहिसे जी भैरा अब एदे किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ह ममता के संगे-संग वोला महामंडलेश्वर के उपाधि देवइया लक्ष्मी नारायण ल घलो महामंडलेश्वर के पद ले निष्काषित करिस हे त थोकन बने जनाइस हे.
   -सिरतोन आय जी कोंदा.. महूँ ल बड़ा अकबकासी असन लागत रिहिसे के एक माईलोगिन ल किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर कइसे बनाए जा सकथे? 
   -हव भई.. हमर देश म तो किन्नर मन ल तीसरा लिंग के स्वतंत्र चिन्हारी मिले हे, त फेर वोमा कोनो भी आने लिंग के सदस्य ल कइसे संँघारे जा सकथे? 
   -ए बात तो हइच हे संगी.. मोला एकरो ले जादा ताज्जुब तो ए बात ह लागे रिहिसे के का कोनो भी मनखे ल महामंडलेश्वर के पद ल चना-मुर्रा बरोबर बाँटे जा सकथे? का ए महत्वपूर्ण पद खातिर कोनो किसम के योग्यता निर्धारित नइ राहय?
   -धरम के ठीहा म अइसन विचित्तर गोठ कभू नइ सुने रेहेन भई.. तभे तो सबो डहार ले संत महात्मा मन एकर विरोध अउ निंदा करत रिहिन हें.

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-काली वक्ता मंच के कवि गोष्ठी म एक बात गजब निक जनाइस जी भैरा.. उहाँ गैर छत्तीसगढ़ी भाषी कवि अउ कवयित्री मन घलो छत्तीसगढ़ी भाखा म रचना सुनाए के उदिम करीन.
   -वाह.. ए तो गजब सुग्घर बात आय जी कोंदा.. लोगन जिहाँ के अन्न-जल खा-पी के जीयत हें उहाँ के भाखा संस्कृति के सम्मान करत वोला आत्मसात करे के कोशिश तो करना ही चाही.
   -हव जी फेर मोला कोनो कोनो छत्तीसगढ़ी कवि मन के सारी-भाँटो वाला रचना मन एको नइ सुहाइस.
   -तोला का कोनो च ल अइसन रचना मन नइ सुहावय.. अरे भई मंच के रचना मन ल भले मनोरंजन के दृष्टि ले अइसन किसम के सुने या सुनाए जा सकथे फेर गोष्ठी म तो गंभीर रचना आना चाही.
   -हव जी सही आय.. एक डहार हमन छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची म सँघारे के बात करत हावन.. प्राथमिक ले लेके उच्च शिक्षा के माध्यम बनाए के गोठ करत हावन अउ दूसर डहार सारी-भाँटो तक ही अपन सोच ल सकेले बइठे रहिबोन त हमर अपन महतारी भाखा ल शिक्षा के माध्यम बनाए के बात ह कइसे सिध पर सकही?

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