कोंदा भैरा के गोठ-37
1-
-चार ठन पोथी-पतरा मनला पढ़ के चटर-पटर गोठियइया मन के अभी छत्तीसगढ़ म भारी आवक होवत हे जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. अउ तैं आकब करे हावस.. जे मनला खुद धरम संस्कृति ल समझे के जरूरत हे, ते मन धरमगुरु के मुखौटा खापे चारों मुड़ा किंजरत बुलत हें.
-हव जी.. अभी तखतपुर क्षेत्र ले जेन खबर आए हे तेन ह तो आशुतोष चैतन्य कहिथें तेन कथावाचक के मूर्खता के संग धूर्तता ल घलो उजागर करत हे.
-हव.. वोकर वायरल विडीयो ल महूँ सुनत रेहेंव.. हमन आपस म गोठिया नइ सकन तइसन गोठ मनला वो ह भरे मंच म तनिया तनिया के गोठियावत रिहिसे.
-सही आय जी.. जेन सतनामी समाज के वो ह भरे मंच म चारी करत रिहिसे ते समाज वाले मन रैली निकाल के थाना म एफआईआर करे हें.
-हव.. पुलिस ह वोला कथास्थल ले गिरफ्तार घलो कर ले हे, फेर मोला लागथे संगी के अइसन चटरहा मन के खिलाफ एकर ले आगू बढ़ के घलो अउ कुछू करे जाना चाही.. काबर ते सरलग अइसन देखे म आवत हे के ए मन जम्मो मूल निवासी समाज मन ऊपर कतकों किसम के आपत्तिजनक गोठ करत रहिथें, जेला कोनो भी सभ्य समाज ह सहे नइ सकय.
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2--विधानसभा के बइठका अब ले नवा रायपुर वाले भवन म होही जी भैरा.. काली बरौदा जीरो प्वॉइंट वाले भवन म आखिरी बइठका एक दिन के विशेष सत्र के रूप म होइस.
-हव जी कोंदा.. जवनहा होवत छत्तीसगढ़ के शुरुआती इतिहास ल इही भवन ह कबिया के राखे हे.. इही भवन के भंडार मुड़ा म दू कोस के दुरिहा म हमर गाँव नगरगाँव हे कोल्हान नरवा के खँड़ म.. हमन ल जब कभू राजधानी जाना होवय त इही जुन्ना होवत विधानसभा भवन ल ही नहाक के जावत रेहेन.
-सही कहे संगी.. अउ तोला सुरता हे.. जब हमन मिडिल स्कूल म पढ़त रेहेन त ए जुन्ना होवत विधानसभा भवन जगा ह पूरा इहाँ उहाँ ले पटपर भाँठा रिहिसे.
-सुरता हे.. हमर मन के ब्लॉक स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता ह इही भाँठा म होय रिहिसे तेकरो सुरता हे.. हमन अपन गाँव ले रेंगत-रेंगत सबो प्रतिभागी इहाँ आए रेहेन.
-हव.. वो बछर के चैंपियन शील्ड ल हमीं मन जीत के अपन गाँव लेगे रेहेन ना.
-सही आय.. 21 फरवरी बछर 2001 ले ए भवन म विधानसभा के दूसरा सत्र चालू होय रिहिसे.. वोकर पहिली पहला सत्र ल 14 ले 19 नवंबर 2000 के बीच राजकुमार कॉलेज के जशपुर हाल म तंबू गड़िया के आयोजित करे गे रिहिसे.
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3--छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस अवइया हे जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. 28 नवंबर के हर बछर मनाथन.. इही दिन बछर 2007 म छत्तीसगढ़ विधानसभा म छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के रूप म मान्यता देवइया विधेयक ह सर्वसम्मति ले पास होए रिहिसे, तेकरे सेती जम्मो भाखा प्रेमी मन ए दिन ल छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के रूप म मनाथन.
-हव बने कहे.. फेर तैं जानत हावस.. हमर सरकार ह आजतक छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के रूप म मनाए खातिर विधिवत शासकीय परिपत्र जारी नइ करे हे.
-डॉ. रमन सिंह जी मुख्यमंत्री रिहिन हें तब तो हर बछर छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए के घोषणा करे रिहिन हें ना?
-हव करे रिहिन हें ना, फेर वो ह आजतक सिरिफ घोषणा ही बन के रहिगे हे.. एकर संबंध म शासन द्वारा विधिवत परिपत्र जारी नइ करे गे हे, एकरे सेती हमर इहाँ के जम्मो शासकीय संस्थान मन म छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए नइ जाय.
-वाह भई.. सरकार ल ए डहार चेत करना चाही अउ "हमन बनाए हावन त हमींच मन सँवारबो" के नारा ल सच साबित करत तुरते परिपत्र जारी कर के जम्मो शासकीय संस्थान मन म #छत्तीसगढ़ी_राजभाषा_दिवस मनाए के ठोसहा बुता करना चाही.
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4--जनम-मरन के संस्कार अउ मान्यता ल अलग-अलग समाज म अलग-अलग रूप देखे म आथे जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. तभे तो हमर देश ल सांस्कृतिक विविधता के देश कहे जाथे.. इहाँ हर राज्य के अपन अलग संस्कृति हे.. अउ ते अउ हर क्षेत्र अउ गाँव के अलग देखबे.. अउ एकरो ले बढ़ के इहू देखब म आथे के एकेच गाँव म अलग अलग संस्कृति अउ मान्यता घलो दिख जाथे.
-सही कहे संगी.. अब राजस्थान के ए 'सातिया समुदाय' के परंपरा ल ही देख ले.. ए मन कोनो मर जथे त ढोल नंगाड़ा बजाथें.. नवा कपड़ा पहिनथें.. मिठई बाँटथें जश्न मनाथें अउ कहूँ काकरो घर लइका के जनम होगे त मातम मनाथें.. बने गढ़न के राँधय खावँय घलो नहीं.
-वाजिब म एकदम अलगेच परंपरा हे जी वोकर मन के.
-हव.. उँकर मान्यता हे के जब कोनो मनखे ह मर जथे त वोला ए नश्वर शरीर के दुख-पीरा अउ झमेला ले मुक्ति मिलगे.
-अच्छा.. जइसे के हमन मोक्ष के गति ल सर्वोत्तम मानथन.
-हव.. अउ लइका के जनम होय ल वो ह फेर नवा शरीर धर के भुगते बर आगे हे.. दुख अउ बंधन के दुनिया म लहुट आए हे कहिके शोक मनाथें.. वोमन ए दिन बने गढ़न के राँधय खावँय घलो नहीं.
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5--जनजातीय गौरव दिवस के बेरा म अंबिकापुर म आयोजित सभा म राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ह आदिवासी संस्कृति ल बचाना जरूरी हे काहत रिहिसे जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. महूँ उँकर उद्बोधन ल सुनत रेहेंव अउ ए गुनत घलो रेहेंव के काकर मन ले आदिवासी संस्कृति ल बचाना जरूरी हे?
-जे मन आने-आने धरम-संस्कृति अउ परंपरा के नॉव म इहाँ अंते ले लाने पोथी-पतरा अउ पूजा प्रतीक मनला खपलत हें तेकर मन ले जी.
-एक महुरा बरोबर सच ल बतावौं संगी.. हमन जतका विदेशी धरम-संस्कृति अउ पूजा प्रतीक वाले मनला आदिवासी संस्कृति खातिर खतरा अउ दोषी बताथन ना.. वतकेच देसी वाले मन ले घलो बचाना जरूरी हे.
-अइसे का?
-हव.. ईसाई मिशनरी वाले मन जतका इहाँ के मूल संस्कृति ऊपर अपन पूजा प्रतीक अउ परंपरा ल खपलत हें, वतकेच सनातन के नॉव म घलो खपले जावत हे.
-चाहे कान ल एती ले धर ले चाहे वोती ले धर ले कहिदे?
-हव.. दूनोंच डहार ले आदिवासी संस्कृति अउ पूजा प्रतीक मनला तोपे-ढाँके जावत हे.. हमन कहूँ सिरतोन म आदिवासी संस्कृति ल बचाना चाहथन त उँकर मूल परंपरा अउ जीवन पद्धति ऊपर कोनोच किसम के संस्कृति ल झन लादन.. न राष्ट्रीयता के नॉव म न अउ कुछू के नॉव म.
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6-
-सुरक्षा बल संग मुठभेड़ म मारे गे क्रूर नक्सली हिड़मा के संबंध म सोशलमीडिया म अभी जइसन ढंग के पोस्ट देखे सुने ले मिलत हे, ते ह थोरिक गुनउ कस होगे हे जी भैरा.
-सिरिफ गुनउ नहीं जी कोंदा.. चिंता के बात अस जनावत हे के एक क्रूर नक्सली हत्यारा जेन ह सैकड़ों निरपराध लोगन के हत्या म कोनो न कोनो किसम ले शामिल रहे हे, तेला कइसे महिमामंडित करे जावत हे.. आखिर लोगन के सोच अउ समझ ल का होगे हे?
-हव जी.. कोनो-कोनो वोला 'लाल सलाम' कहिके जोहारत हे, त काकरो पोस्ट म मैं वोकर खातिर 'शहीद' जइसन शब्द के संबोधन घलो देखे हौं.
-पूरा मीडिया हिड़मा मय होगे हे.. सब अपन अपन ले कमेंट अउ पोस्ट करत हें.. वोकर गाँव के अंतिम यात्रा के दृश्य अउ महतारी के रोवई ल कोनो महापुरुष के बिदागरी होगे तइसन गढ़न के देखाए अउ बताए जावत हे.
-कोनो-कोनो बस्तर के विकास के बात ल वोकर माध्यम ले प्रश्न चिन्ह अंकित करत हे.. जबकि सब जानथें के बस्तर के विकास के रद्दा म इही नक्सली मन सबले बड़े बाधा रहे हें.. ए मन अँजोर के दुश्मन अउ अँधियार के संगवारी रहे हें अउ अभी घलो हावँय.
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7-
-हमर पारंपरिक रोटी-पीठा मन के बाते अलगे रिहिसे जी भैरा.. बिहनिया ले तरिया ले नहा के आवन तहाँ ले हथेली कटार अँगाकर पान रोटी दमोरन तेन अब तइहा के बात असन होगे हे.
-हव जी कोंदा.. फेर अभी आरंग क्षेत्र के गाँव चरोदा के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला ले जेन खबर आय हे तेन ह गजब मयारुक लागत हे.
-अइसे का खबर हे भई?
-उहाँ स्कूल के पढ़इया लइका मनला चौदा अलग-अलग समूह म बाँट के उँकर मन ले अँगाकर पान रोटी बनाए के प्रतियोगिता आयोजित करे गिस.
-गजब हे संगवारी.. प्रतियोगिता म भाग ले ले जादा मजा तो अँगाकर पान रोटी खाए म आइस होही.. अउ तोला सुरता हे नहीं.. हमर डोकरी दाई ह सइघो सइघो छेना के अँगरा मन ल फोरिया के कभू परसा पान त कभू कसही, सरई या अंडी पान म सेंकय अँगाकर पान रोटी ल.
-हव जी.. अउ तैं जानत हावस.. ए जम्मो किसम के पान मन म औषधीय गुण होथे जे मन ले सेंकाय अँगाकर म वोकर औषधीय गुण अमा जथे, जे ह रोटी के सुवाद ल बढ़ाए के संग वोकर पौष्टिकता ल घलो बढ़ा देथे.. हमर नवा पीढ़ी ल अइसन पारंपरिक रोटी-पीठा खई-खवई संग खँच्चित जोड़े जाना संगी.. अँगाकर पान रोटी के प्रतियोगिता ह महूँ ल गजब निक अउ प्रेरणादायी लागत हे.
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8-
-वैज्ञानिक मन के कहना हे जी भैरा के हमर बस्तर म जेन हरदी के उत्पादन होथे ना.. वोमा देश के आने भाग म होवइया हरदी मन ले कैंसर ले निपटे के ताकत जादा होथे.
-वाह जी संगी कोंदा.. तभे पूरा देश भर म बस्तर के हरदी के माँग जादा होथे का?
-हव.. कृषि वैज्ञानिक एल.एस.वर्मा के कहना हे- हरदी के खेती खातिर बस्तर के भुइयाँ जबरेच उपयुक्त हे.. वो मन बताइन- बस्तर के हरदी म कैंसररोधी तत्व करकुमिन के मात्रा 0.73 प्रतिशत हे, जबकि देश के आने राज्य मन म जेन हरदी के उत्पादन होथे वोमा करकुमिन के मात्रा सिरिफ 0.32 प्रतिशत ही होथे, एकरे सेती बस्तरिया हरदी के माँग दिनों दिन बाढ़ते जावत हे.
-हमर इहाँ के भुइयाँ के संगे-संग इहाँ के जलवायु घलो उपयुक्त हे.
-हव सही कहे.. अभी इहाँ करीब 3 सौ परिवार के लोगन हरदी के खेती करत हें.. कृषि वैज्ञानिक के कहना हे- बस्तर के एक किलो कच्चा हरदी ह प्रोसेसिंग के बाद 350 ले 400 ग्राम तक पावडर देथे, जबकि दूसर राज्य म सिरिफ 250 ग्राम ही पावडर मिलथे.
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9-
-धार्मिक कट्टरता अउ अंधविश्वास के झाँसा म उही मन जादा फँदाथें जी भैरा जे मन शिक्षा के अँजोर ले दुरिहा रहिथें.
-ए तो सोला आना गोठ आय जी कोंदा.. अभी दिल्ली म होय बम धमाका के बाद मध्यप्रदेश के चर्चित आईएएस अधिकारी रहे नियाज खान के ए वक्तव्य सँहराए के लाइक हे.. उन कहिथें- जेन मुस्लिम मन शिक्षा पाए हें वो मन न्यूयॉर्क म मेयर त अमेरिका म गवर्नर अउ लेफ्टिनेंट गवर्नर बनीन अउ जे मुस्लिम मन कट्टरता अउ अंधविश्वास के शिक्षा लेइन ते मन मैकेनिक, माईलोगिन मन ऊपर अत्याचार करइया अउ पंक्चर बनइया बनीन.. शिक्षा मुस्लिम समाज बर रामबाण औषधि आय.. एला समझव.
-एक बात मैं कहँव संगी.. नियाज खान के ए गोठ ह ना.. सिरिफ मुस्लिम समाज भर म लागू नइ होय भलुक दुनिया म जतका भी धरम-पंथ अउ समाज हे.. सबो बर लागू होथे.
-हव जी सही आय.. वो मन इहू कहे हें- मुस्लिम समाज म उही मन दुनिया के मंच म पहिचान बनाए हें, जे मन शिक्षा ल अपनाइन अउ प्रगतिशील सोच रखिन.. कट्टरता म फँदइया मन खुदे अपन संभावना ल समेट डारथें.
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-नोनी मन अभी खेल के मैदान म जइसन किसम के अपन प्रतिभा के जौहर देखावत हें ते ह गजबे सँहराय के लाइक हे जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. एके महीना के भीतर तीन ठन विश्व कप जीत के वो मन वो जम्मो जुन्ना धारणा ल टोर डारिन, जेमा अतके कहे जावय के ए मनला पढ़ई-लिखई अउ खेलई-कूदई ले दुरिहा रख के सिरिफ रँधनी खोली म खुसेरे राखे के उदिम करत राहव.
-सिरतोन आय जी.. पहिली लगभग हर घर के सियान मन के अइसने कहना रिहिसे.. फेर जइसे-जइसे शिक्षा के अँजोर ह चारोँ खुँट बगरे लागिस लोगन के सोच म बदलाव आए लगिस.. आज देख ले वोकर सुपरिणाम ह कतका सुग्घर अउ मयारुक दिखत हे.
-सिरतोन आय जी.. नोनी मन पहिली दक्षिण अफ्रीका ल हरवा के विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता ल जीतीन तेकर पाछू फेर ब्लाइंड महिला टी-20 वर्ड कप क्रिकेट ल अउ अब एदे कबड्डी म घलो चीनी ताइपे ल हरवा के विश्व कप जीतीन हें.
-आनंद आगे संगी.. अउ तैं जानत हावस.. कबड्डी म विश्व कप जीतइया टीम म हमर कोरबा जिला के विकासखंड पाली के गाँव केराकछार के संजू देवी घलो रिहिसे, जेन अतेक बढ़िया खेल के प्रदर्शन करे हे, ते वोला 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' माने पूरा खेल के सर्वश्रेष्ठ खेलइया के ट्राफी मिले हे.
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-ले देख ले जी भैरा.. हमर इहाँ के पत्तो ह तितरा बाबू बियाय हे अउ वोकर ददा ह मैं अइसन गोठ ल नइ पतियावौं के तीन नोनी मन के पाछू चौथा नंबर म होय बाबू ह घर-परिवार बर अमंगलकारी हो सकथे!
-आजकाल के लइक मन के अइसने तो आय जी कोंदा.. सियान मन अपन अनुभव के आधार म जेन परंपरा बनाय हें, तेला मुड़पेलवा बरोबर मानबेच नइ करन कहिथें.. नइते हमर पाहरो म काकरो घर तितरा बाबू या तितती नोनी होवय त वोकर खातिर शांति कराबेच करँय.. अरे अउ नहीं ते अमली पेड़ जगा जाके टोटका करँय.
-हव जी सिरतो आय.. हमरो ससुरार पारा म तीन बाबू मन के पाछू चौथइया नंबर ह नोनी होय रिहिसे त तितरी होय हे कहिके वोकर ददा ह अमली पेंड़ ल लोहा म तीन पइत मार के 'मोर तितरी नोनी' ह बने फरय-फुलय कहे रिहिसे अउ सात घर अमली घलो बाँटे रिहिसे अउ जब लोगन पूछे रिहीन हें के ए अमली ल कोन देहे कहिके त तितरी नोनी ह दे हे कहे रिहिसे.
-हव जी.. इही ह हमर परंपरा आय अइसने करे म परिवार ऊपर अवइया बीपत ह टर जाथे.. फेर हमर घर के अप्पत टूरा ल कोन समझावय?
-अब तो तितरी तितरा घलो कम होवत दिखथे.. काबर ते लोगन एक ले दुए लइका राखथें चाहे दूनों नोनी होवय चाहे बाबू.
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-बस्तर के लायचा चाउँर ल घलो कैंसर भगइया आय बताथें जी भैरा.
-हव जी कोंदा सिरतोन आय.. शबरी नँदिया के तीर म बसे गाँव बुड़दी के आयतु नाग बताथे के उहाँ गर्भवती माईलोगिन मनला लायचा चाउँर ही खवाए के पुरखौती परंपरा हे.. एकर ले जनम लेवइया लइका ह बने मोठ-डाँठ रहिथे.
-सही आय संगी.. एकरे सेती इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ह अभी लायचा धान उपजइया जम्मो किसान मन के सम्मान करे के योजना बनाए हे.. काबर ते ए धान के चाउँर म सर्दी खाँसी ले लेके कैंसर जइसन बीमारी मनला रोके म कारगर पाए गे हवय.
-तोर कहना हे संगी.. इहाँ के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा बताथें के लायचा धान ल परिष्कृत कर के नवा वैरायटी बनाए गे हे जेमा कतकों किसम के औषधीय गुण हे.. बछर 2015 ले ए धान ऊपर टाटा मेमोरियल संस्थान म टेस्टिंग चलत हे.
-हमर छत्तीसगढ़ ल अइसनहे 'धान के कटोरा' नइ कहे जाय गा.. डॉ. आर.एस. रिछारिया के प्रयास ले इहाँ के संग्रहालय म 23 हजार 500 धान के प्रजाति संग्रहित हे, जेमा कतकों किसम के औषधीय खजाना भरे हवय.
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-अभी एक मनखे के लिखे किताब के विमोचन होइस हे जी भैरा.. वोकर परिचय म लिखाय हे के वो ह छत्तीसगढ़ी संस्कृति अउ ऐतिहासिक विरासत खातिर जबर कारज करे हे.. अउ तैं जानत हावस?
-बताना जी कोंदा.
-वो मनखे ह जिनगी भर एक गैर छत्तीसगढ़ी धर्म गुरु ल मुड़ म लाद के किंजरत रहे हे.. वो धर्मगुरु के नॉव म उही राज के उपासना विधि अउ संस्कृति ल बगरावत रेहे हे.. तब मैं ए पूछथौं संगी के वो ह छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आध्यात्मिक संस्कृति के कब अउ कतका अकन कारज कर डारिस?
-आजकाल अइसने नकली-चकली मन के दिन बादर भरदराय हे संगी जे मन कला अउ संस्कृति के अंतर ल घलो नइ जानँय.. महूँ ह अइसने मनखे ल जानथौं जे ह जिनगी भर एक बंगलाभाषी धर्मगुरु अउ वोकर दर्शन ल लाद के किंजरिस अउ उहीच ल इहाँ के लोगन के मुड़ी म खपले के चरित्तर घलो रचिस तभो ले अपनआप ल छत्तीसगढ़ी संस्कृति के जबर संरक्षक कहाय के ढोंग करत रहिथे.
-छत्तीसगढ़ी भाखा, संस्कृति, इतिहास अउ गौरव के नॉव म अभी अइसने चलत हे.. जे मन वाजिब म आस्तीन के साँप बरोबर उदिम करत हें, तेही मन एकर संरक्षक अउ उद्धारक होय के ढोंग करत हें.. हमला अइसन दूमुँहा बिखहर मन के लिखे साहित्य ले बाँचना हे.
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14-
-अब के लइका मन न तो करोनी खाए के मरम ल जानँय न बरवाही कब होवय अउ काबर होवय तेनो ल नइ जानँय जी भैरा.
-कहाँ ले जानहीं जी कोंदा.. अब न तो घरों घर चार पाँच लागत गाय गरुवा राहय न आने माल-मत्ता.
-हव भई.. अब तो गरुवा मन के पोंसई ह सिरिफ जे मन दूध दही के व्यवसाय करत हें तेकरे मन के निजी रोजगार बनके रहिगे हे.
-हव जी.. हमन लइकई म रोज संझा बिहनिया अपन भाई बहिनी मन संग करोनी खाए बर झगरा होवन.. अउ जे दिन बरवाही राहय ते दिन मुड़ी ल ओथारे बइठे राहन.
-हफ्ता म एके दिन होवय न बरवाही ह?
-हव.. बपरा पहाटिया मन हफ्ता भर किसान मन घर दूध दुहे बर आवय तेकर बनी के रूप म वो मनला एक दिन के जम्मो दूध ल लेगे के नियम राहय.. उही ल काहँय बरवाही.
-सिरतोन आय जी.. पहाटिया मनला पहाट चराय के तो निर्धारित धान-पान दिए जाय, फेर लागत गाय के दूध दुहे के अलग ले न तो धान-पान दिए जावत रिहिसे अउ न ही पइसा, तेकरे सेती हफ्ता म एक दिन के दूध ल उनला दिए जाय.. इही ह सबो गाँव के परंपरा रिहिसे.
-सही आय.. इही बरवाही ह उँकर मन के अतिरिक्त आय रिहिसे, जेला बेच भाँज के उन अपन निस्तारी के जिनिस बिसावँय.
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15-
-सरलग अइसन देखे म आथे जी भैरा के जब एक पार्टी के सरकार ह कोनो योजना के नॉव ल अपन कोनो महापुरुष या अउ कुछू के मापदंड म रख दिए रहिथे त दूसर पार्टी के सरकार ह वोला अपन अनुसार से बलद देथे.
-राजनीतिक इरखा अउ तिरिक-तीरा के चलागन ह अइसन करवाथे जी कोंदा.
-हव जी.. फेर मोर ए कहना हे संगी के महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी म धराय नॉव ल हिंदी या अउ कोनो आने भाखा म तो नइ उलटना चाही ना?
-बिल्कुल नइ करना चाही.. नॉव चाहे कुछू धर लेवय फेर भाखा संग अइसन चरित्तर ह नइ फभय.
-सही कहे.. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नॉव ले उँकर सचिव के दस्तखत ले एक अधिसूचना जारी होय रिहिसे तेमा योजना के नॉव के संग भाखा ल घलो बलद दिए गे हवय.
-ए तो सरासर बदमाशी आय.. भई राजनीतिक इरखा भाव के सेती योजना के नॉव ल भले बलदे जाय फेर भाखा ल बिल्कुल नहीं.
-हव.. पहिली इहाँ सियनहा मनला तीरथ बरत दर्शन कराए खातिर 'तीरथ बरत योजना' चलय ना.. अब वोला 'मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना' कर दिए हे.. अरे भई मुख्यमंत्री शब्द ल एमा उपराहा जोड़ना रिहिसे त 'मुख्यमंत्री तीरथ बरत योजना' कर दिए रहितीस.. छत्तीसगढ़ी के शब्द ल हिंदी म काबर करे गिस?
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16-
-हाथ ठुनठुनागे.. देंह घुरघुरागे.. कँपकँसासी लागे जाड़ दमोरगे.. जउँहर भइगे जी भैरा..
-हव जी कोंदा.. बुढ़वा-ठुढ़वा मनखे मन बर ए अग्घन पूस ह दुब्बर बर दू असाढ़ असन जनाथे.
-सही कहे संगी.. अइसे म कोनो अइसन जगा जाए के मन करथे जिहाँ जाड़ ह अभरय झन.. दँदोरय झन.
-त जाना अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह या लक्षद्वीप आदि.
-सिरतोन म संगी.. वोती जाड़ नइ जनावय.
-हव जी.. जइसे गरमी के दिन म लोगन कश्मीर आदि जुड़हा जगा जाथें ना.. ठउका अइसने जुड़हा मौसम म लोगन ए सब जगा जाथें.. इहाँ सेटर फेटर पहनई तो दुरिहा जाय उल्टा पंखा चला के रतिहा बेरा सूते-बसे बर लागथे.
-वाह भई.. हमला एकर गमे नइ रिहिसे.
-हमर देश म चार पाँच अइसन ठउर हे जिहाँ लोगन जाड़ के मौसम म पर्यटन के बहाना जाथें अउ बने दँदक के आथें.. तहूँ जा सकत हावस.. ए ठउर मन म अंडमान निकोबार द्वीपसमूह अउ लक्षद्वीप के संगे-संग गुजरात के रण ऑफ कच्छ अउ गोवा जइसन जगा घलो जा सकत हावस.
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17-
-दामाखेड़ा कबीर धाम के हाजिर हुजूर प्रकाशमुनि नाम साहब जी के एक विडीयो अभी सोशलमीडिया ह गजब किंजरत हे जी भैरा.
-गुरु मन के सद्विचार ले भरे विडीयो मन तो चारों मुड़ा किंजरबे करथे जी कोंदा एमा नवा का हे?
-अरे.. ए विडीयो ह सद्विचार वाले नोहय संगी.. एमा गुरुजी ह इहाँ के सरकार ऊपर जउँहर खिसियावत हें.. वो मन काहत हें के हमर राज म नकली कुंभ के नॉव म हर बछर 50 करोड़ रुपिया फूँक दिए जाथे.. पूरा शासन प्रशासन ल वोकर सरेखा करे खातिर झोंक दिए जाथे, फेर हमर पंथ के कबीर मेला खातिर 50 लाख रुपिया घलो नइ दिए जाय.
-अच्छा.. त उँकर खिसियई ह अपन पंथ के आयोजन खातिर घलो बड़का बजट के व्यवस्था खातिर आय.
-हव.
-फेर मोला लागथे संगी के इहाँ जतका भी धरम पंथ हें.. कहूँ वो सबो के धार्मिक आयोजन खातिर सरकारी खजाना ल उरकावत जाहीं त फेर विकास के आने बुता मन बर आवश्यक धन कहाँ ले आही?
-फेर वोकरो कहना गलत कहाँ हे.. एक ल माई अउ एक ल मौसी कहई घलो तो बने नोहय.. फेर ए बात ल तो सबो जानत हवँय के ए तथाकथित कुंभ ह असल म माघीपुन्नी मेला आय, जेला आडंबर करे बरोबर कुंभ नॉव कर के भरमाए भर जावत हे.
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