Thursday, 3 July 2025

कोंदा भैरा के गोठ-34

कोंदा भैरा के गोठ-34

-कोरोना वायरस के फेर बगरे के सोर सुनावत हे जी भैरा.
   -हव.. सुनावत तो हे जी कोंदा, फेर जादा चिंता करे के बात नइए.. वैज्ञानिक मन के कहना हे के सावचेत रहना भर जरूरी हे.
   -वैज्ञानिक मन के बरजे बात ल  धरम के लंबरदार मन थोरहे पतियाथें संगी.. वो मन तो अपन उपाय म ही भरोसा करथें.. देख ले अभी इही बुधवार के ओडिसा के कटक जिला के गाँव बंधहुडा म उहाँ के माँ ब्राम्हणी देवी मंदिर के पुजारी संसारी ओझा ह कोरोना वायरस ल चुकता सिरवाय के नॉव म नरबलि दे दिस.
   -कइसे उजबक बानी के गोठियाथस संगी.. नरबलि दे म कोरोना वायरस सिरा जाही?
   -पुलिस ह वो पुजारी ल गिरफ्तार करे हे, जेकर जगा वो कबूल करे हे के रतिहा सपना म भगवान ह मोला कहे रिहिसे के नरबलि दे म कोरोना सिरा जाही, येकरे सेती मैं मंदिर म बलि दे हावौं.. वो मनखे के मुड़ी ल काट के चढ़ाए रेहेंव.
   -करलई हे संगी.. मोला तो ए ह अंधविश्वास के पराकाष्ठा बरोबर जनावत हे.
   -अंधविश्वास ही आय.. कोनो भी देवी देवता ह जीवहत्या के रद्दा नइ बतावय.. अइसन लोगन अपन नासमझी ल धर्म अउ देवी देवता के आड़ म तोपे के उदिम करथें.
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-जेल म हत्या जइसन कतकों अपराध म धँधाय कैदी मन अपन सजा ल पूरा भोगे के बाद जब बाहिर आहीं न जी भैरा तहाँ ले आयुर्वेद अउ ज्योतिष विद्या के संग कर्मकांडी पुरोहित के बुता करहीं.
   -वाह जी कोंदा.. फेर अइसन गरकट्टा जेलयात्री मनला अपन घर पुरोहित के रूप म कोन बलाही?
   -अब ए तो लोगन के सोच अउ समझ ऊपर हे.. वइसे जम्मो लोगन ल सुधरे अउ सम्मानजनक बुता करे के अवसर मिलना चाही.. महर्षि वाल्मीकि के किस्सा ल तैं जानत हावस ते नहीं?
   -जानत हँव संगी.. पहिली उहू मन डाकू अउ गरकट्टा रिहिन हें कहिथें.
   -हाँ सही कहे.. अउ जब उनला  असली ज्ञान के जानबा होइस त फेर कतका बड़का महात्मा अउ आदर्श मनखे बनगे.
   -हव जी सही आय.
   -हाँ.. हो सकथे अइसने इहाँ जेल म सजा भोग के निकले के बाद इहों के कैदी मन सुग्घर रद्दा अपना लेवँय एकरे सेती अइसन 44 बंदी मनला वेदपाठ संग ज्योतिष पद्धति ले आयुर्वेद उपचार, पुरोहित ज्ञान आदि के शिक्षा दिए जावत हे.. जेल अधीक्षक योगेश सिंह के मुताबिक जेल म बंदी मन बर अइसन अउ कतकों किसम के पाठ्यक्रम चलाए जावत हे जेमा कुल 291 बंदी पढ़ई करत हें.
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-भाखा खातिर मया अउ निष्ठा ह जतका आने राज म देखे ले मिलथे तेन ह हमर राज म काबर नइ देखे बर मिलय तेने ह थोकन अलकरहा बानी के जनाथे जी भैरा.
   -हमर इहाँ भाखा, संस्कृति, अस्मिता कुछू खातिर वो भाव देखे ले नइ मिलय जी कोंदा जेन अंते देखे ले मिलथे.
   -हव भई.. एदे अभीच्चे देख ले अभिनेता कमल हासन ह अपन एक बयान म बस अतके कहि दिस के कन्नड़ भाखा के जनम ह तमिल भाखा ले होय हे.. जम्मो कन्नड़ प्रेमी मन वोकर ऊपर चघे लेवत हें.. उनला माफी माँगे बर हुदरत कोचकत हें.
   -ए ह कन्नड़ भासी लोगन के अपन भाखा खातिर मया अउ निष्ठा के चिन्हारी आय संगी.. उन ए नइ देखत हें के कमल हासन के बात ह सही आय ते नोहय.. उन सिरिफ ए देखत हें के उँकर भाखा ल आने भाखा के पेट ले उद्गरे बतावत हे, जे ह असहनीय हे.
   -हमर भाखा संस्कृति के संबंध म कभू अइसन देखे ले मिले हे?
   -अरे.. हमर इहाँ तो अतलंगी हे संगी.. पद पदवी म बइठे लोगन ही अंते तंते गोठियावत रहिथें.. तभे तो आज घलो इहाँ सिरिफ 6 प्रतिशत लोगन के महतारी भाखा ह राजभाषा के आसन म बिराजे हे अउ 66 प्रतिशत लोगन के महतारी भाखा ह नेवरिया बहू बरोबर मुड़ढक्की करे अपन ओसरी के अगोरा करत हे.
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-किन्नर मनला न तो पुरुष माने जावय अउ न ही स्त्री अइसन म कहूँ ए मन एकाद लइका बिया डारहीं त वो लइका के दाई अउ ददा के नॉव म काकर नॉव ल लिखे जाही जी भैरा.. सुप्रीम कोर्ट ह तो वो मनला 15 अप्रैल 2014 के तृतीय लिंग के चिन्हारी दे डारे हे.
   -बड़ा अलकरहा बात पूछे जी कोंदा!
   -अलकरहा नहीं जी संगी.. अभी केरल के कोझिकोड म अइसने एक मामला आए रिहिसे, जेमा हाईकोर्ट ह ऐतिहासिक निर्णय दिए हे.. वो ह लइका के जन्मप्रमाण पत्र म दाई अउ ददा के नॉव के कॉलम म लिंग-तथस्थ लिखे बर कहे हे.
   -अच्छा..!
   -हव.. असल म 8 फरवरी 2023 के कोझिकोड के एक सरकारी अस्पताल म ट्रांस पुरुष जहाद अउ ट्रांस महिला जिया पावल के लइका होय रिहिसे, तेकर सेती अस्पताल के अधिकारी मन जाहद ल पिता अउ जिया ल माता बतावत जन्मप्रमाण पत्र दिए रिहिन हें, जेला हाईकोर्ट म अरजी दे के दाई ददा के नॉव ल अलग अलग लिखे के बलदा दूनों झनला संयुक्त रूप ले दाई ददा लिखे बर गोहराय गे रिहिसे.. हाईकोर्ट ह ट्रांस जोड़ी ल अलग से कोनो भी लिंग के रूप म चिन्हारी नइ करे के बात कहे हे, तेकर सेती प्रमाण पत्र म अब ककरो लिंग के उल्लेख नइए.. अब वो मन समिलहा दाई घलो यें अउ ददा घलो.
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-महादेव घाट के खारून खँड़ म गंगा आरती के नॉव म पाखंड रचइया वीरेंद्र तोमर अउ वोकर भाई ह अभी पुलिस के डर म भागे भागे फिरत हे कहिथें जी भैरा.
   -बाहिर ले जतका गुरुघंटाल मन गुरु के चोला अउ गरकट्टा चंडाल मन सनातनी के सँवागा खापे इहाँ गुलछर्रा उड़ावत किंजरत हें ना.. एक दिन सबो के इही हाल होवइया हे जी कोंदा.. काबर ते ए मन धरम के रक्षक नहीं भलुक धरम के नॉव म अपन करिया चरित्तर ल लुका के किंजरइया.. लोगन ल भरम जाल म अरझइया आयँ.
   -हव जी महूँ ल अइसने जनाथे,  फेर एक चीज अचरज लागथे संगी.. हमर इहाँ के लोगन अपन तीर-तखार के सिद्ध पुरुष मनला जोगड़ा के नजर ले देखत काबर उँकर उपेक्षा करथें अउ बाहिर ले आए जोगड़ा मनला सिद्ध पुरुष समझ के मुड़ी म बइठार के किंजरथें?
   -छत्तीसगढ़ ह आज राजनीति के संगे-संग धार्मिक अउ सांस्कृतिक गुलामी भोगत हे तेकर असल कारण तो इही आय जी.. जबकि हमर छत्तीसगढ़ आध्यात्मिक रूप ले अतका समृद्ध हे ते हमला बाहिर के न कोनो संत के जरूरत हे न ग्रंथ के अउ न ही कोनो भगवान के.
   -सिरतोन कहे संगी.. लोगन इहाँ के पुरखौती परंपरा, जीवन पद्धति अउ उपासना विधि ल फेर  उजरा के आत्मसात कर लेवय तहाँ काकरो मुँह देखे के जरूरत हे, न काकरो पाछू किंजरे के.
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-खुद के घर ह भले अज्ञान के अँधरौटी म कुलुप तोपाय राहय फेर लोगन दूसर जगा ज्ञान के अँजोर बगराय म कमी नइ करय जी भैरा.
   -सही कहे जी कोंदा.. फोकटइहा छाप अक्कल बाँटे म लोगन ल विशेषता मिले हे.. अब ए मुसलमान मन के कुर्बानी वाले परब बकरीद ल ही देख लेना.. ए परब ह जिहाँ लकठाथे तहाँ ले आने धरम-पंथ के पशुप्रेमी मन के बयान ह सोशलमीडिया के संगे-संग टीवी पेपर सबो म दिखे लगथे.
   -सही आय जी.. जबकि इँकर मन के खुद के देव-ठिकाना मन म पूजवन अउ बलि के पुरखौती परंपरा के नॉव म सैकड़ों जीव ल भेंट कर दिए जाथे.
   -अतकेच नहीं संगी.. कभू पहिलाँवत लइका के नॉव म त कभू जेठ बेटा के बरात निकाले के नॉव म.. कुछू भी ओढ़र कर के पूजवन के परंपरा ल पोंसत पोटारे बइठे हें, फेर ए सब बर उँकर मुँह ले बक्का नइ फूटय.. बस आने के परंपरा म ही खोट दिखथे.
   -तोर कहना वाजिब हे संगी.. चाहे कोनो भी धरम-पंथ या समाज के बात होय फेर मोला ए पूजवन के परंपरा ह एको नइ सुहाय न तर्क संगत जनावय.
    -कहाँ ले जनाही जी.. कोनो भी देवी देवता ह जीवहत्या के रद्दा ल न तो स्वीकार करय न प्रोत्साहित करय.
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-गुरु पुन्नी जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.
   -तैं ए बात ल तो गाँठ बाँध के धर ले जी संगी के परमात्मा के छोड़े अउ कोनो दूसर ह न तो हमर सग लागमानी ए अउ न हितवा संगवारी.
   -बात तो तोर सोला आना सच आय जी फेर हमन उही हमर सग लागमानी जेला परमात्मा कहिथन तेने ल छोड़ के बाकी सब माया-मोह के दुनिया म उनडइया खेलत रहिथन.
    -पूरा दुनिया के इही चलागन हे  संगी.. भले हमन अपन आप ल कतकों बड़े ज्ञानी अउ चतुरा समझत राहन फेर माया के फाँदा म अरझी जाथन.
    -अरे ददा.. बड़े बड़े ज्ञानी ध्यानी अउ तपस्वी मन वोकर लपेटा म अरहझ जाथें त हमर असन मन के का गिनती हे.
    -तभो ले जी संगी.. सद्गुरु के देखाए चातर रद्दा ल धर के परमात्मा के किरपा पाए के उदिम करे म माया के फाँदा ले मुक्ति के रद्दा जरूर निकलथे.
   -हाँ ए बात तो हे.. फेर असल सद्गुरु ह घलो बिन परमात्मा के किरपा के नइ मिलय.. देखत तो हावस आजकाल गुरुघंटाल मन कइसन कइसन सँवागा खापे एती-वोती मटमटावत रहिथें.
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-पहलगाम म होय आतंकी घटना के बाद हमर सेना के जवान मन आपरेशन सिंदूर के अंतर्गत पाकिस्तान म खुसर के उहाँ के आतंकवादी ठीहा मन के जब ले छर्री-दर्री करे हे तब ले देश भर म सिंदूर के गजब गोठ होवत हे जी भैरा.
   -सिरतोन कहे जी कोंदा.. कतकों सामाजिक संस्था मन किसम किसम के कार्यक्रम कर के देश के सेना ल सलाम करे हें.
   -हव जी.. ए बछर पर्यावरण दिवस के दिन प्रधानमंत्री के संगे-संग अउ कतकों लोगन सिंदूर के पौधा लगाए हें.
   -वो सब तो बने बात आय संगी, फेर तैं जानथस हमर छत्तीसगढ़ म जे किसान मन सिंदूर के खेती करथें, ते मन जबर शोषण अउ उपेक्षा के शिकार हें.
   -अरे.. ददा रे.. ए तो करलई कस बात बतावत हावस संगी.. का सिरतोन म अइसन होवत हे?
   -हव.. बस्तर म सिंदूर ल स्थानीय भाखा म 'जापरा' कहिथें. जापरा के खेती करइया मनला एक किलो सिंदूर के बलदा परोसी राज ओडिशा के व्यापारी मन सिरिफ 90 रुपिया देथें.
   -अचरज के बात आय संगी!
   -हव.. असल म का हे ना.. सरकार ह 50 किसम के वनोपज मन के खरीदी खातिर जेन सरकारी दर तय करे हे, तेमा जापरा या कहिन सिंदूर के नॉव शामिल नइए, एकरे सेती व्यापारी मन औने पौने म किसान मन ल ठगत रहिथें.
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-कइसे आँखी ल फरका के निटोर दिए रे बादर
मोर धनहा-डोली के आसा ल टोर दिए रे बादर
अब्बड़ सोर सुनावत रिहिसे तोर सनसनावत आए के
फेर कोन मेर तैं लरघिया के धपोर दिए रे बादर
   -का बात हे जी संगी कोंदा.. आज तो तोर बोली ह कवि कस बोली जनावत हे.
   -अंतस के पीरा ह सबो गढ़न जनाथे जी भैरा.. देखना ए बछर पंदरही आगू मानसून आगे कहिके मौसम विज्ञानी मन संग जम्मो लोगन नाचत रिहिन हें, फेर ए बुजा ल अठोरिया होगे कोन मेर अरहज गे हावय ते.
   -दंतेवाड़ा म रद्दा भूलागे हे कहिथें गा.. हो सकथे माई दंतेसरी के पूजा आरती म मगन होगे होही मानसून ह.
   -फेर मौसम विभाग वाले मन तो हवा के दिशा बलदगे हावय तेकर सेती लरघिया गे हे कहिथें जी.
   -कुछू होवय संगी हमर छत्तीसगढ़ के ए चातर मुड़ा म 15 जून तक ही अभरथे मानसून ह एकरे सेती इहाँ पेड़ पौधा रोपई  ल 15 जून ले 20 जुलाई के बीच करना चाही कहिथें.
   -त अभी 5 जून के पर्यावरण दिवस के दिन जेन लाखों पौधा लगाए गिस तेकर मन के का होही?
   -आने बछर असन इहू बछर लोगन के फोटू खिंचवाए के माध्यम भर बनही.. तहाँ ले भइगे.. छेरी पठरू मन के चगलन बनही या फेर सूखा के.
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-महिला सशक्तिकरण के तैं कतकों गोठ कर ले जी भैरा फेर खुद माईलोगिन मन ही नइ मानँय के आदमी के पँदोली के बिना वो मन कुछूच नइ कर सकँय.
   -पँदोली तो आदमी मनला घलो लागथे जी कोंदा तभे तो कहिथें ना के हर सफल पुरुष के पाछू वोकर सुवारी, महतारी या बहिनी के हाथ होथे.. माने सफलता म नारी शक्ति के पँदोली जरूर होथे.
   -तोर कहना तो वाजिब हे, फेर कोनो आदमी ह अपन आफिस के बइठका म अपन सुवारी ल घलो सँघार कहि के तो जिद नइ करय न जइसे काली मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत के महिला सदस्य मन अपन आदमी मनला बइठक म सँघारे बर अँड़ दिन.. बइठका ल आदमी मन बिन होने च नइ दिन.
   -अइसन बइठका म तो जेन सदस्य होथे उही ल सँघरना चाही जी.
   -हव सही आय.. फेर उहाँ के महिला सदस्य मन कहि दिन के उँकर जम्मो काम मनला तो उँकर पति मन ही करथें.. अउ ते अउ हमन चुनाव ल घलो उँकरे च मन के फोटो ल देखा के जीते हावन.. लोगन हमला फलाना के सुवारी आय कहि के वोट देइन हें.. त अइसन म हमन उँकर बिना बइठका म कइसे सँघर सकथन?
   -करलई हे संगी.. कुछ दिन पहिली कबीरधाम जिला ले सरपंच पति मन के शपथ ले के घलो खबर आए रिहिसे.. जय हो लोकतंत्र.. अइसने म तैं कइसे छाहित होबे ददा?
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-ददा दिवस के जोहार जी भैरा.
   -यहा का नवा चरित्तर ए जी कोंदा.. दिन न बादर अउ ददा ल जोहार.. हमन पितर पाख म दाई ददा मनला जोहारथन गा.
   -अरे बइहा.. ए ह जीयत ददा अउ ददा जइसन आने नता जे मन हमर जिनगी म पालक के भूमिका निभाए रहिथें, ते मनला जोहारे के माने आभार व्यक्त करे के दिवस आय.. हर बछर जून महीना के तीसरइया इतवार के जोहारे जाथे.. अउ एला पूरा दुनिया भर मनाए जाथे.
   -अच्छा.. अइसे..  माने जइसे महतारी मनला उँकर सेवा त्याग के आभार व्यक्त करे बर मदर्स डे मनाए जाथे तइसने.
   -अब ठउका समझे भई.. ठीक हे हमन अपन छत्तीसगढ़ के परंपरा ल मानथन अउ जीथन, तभो दुनिया संग घलो जेन वाजिब जनाथे तइसन परंपरा म खाँध जोर के रेंगबो तभे तो बनही जी.
   -सही कहे.. जम्मो च जगा कुँआ के मेचका बन के रेहे म नइ बनय.. फेर हमर इहाँ तो वसुधैव कुटुम्बकम माने पूरा दुनिया एक परिवार आय के अवधारणा प्रचलित हे, त वोमा सँघरबे तभे तो ए अवधारणा ह सिध परही.
   -सिरतोन कहे संगी.. तहूँ ल हैप्पी फादर्स डे.
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-बादर तो एकदमेच नटेर दिए हे जी भैरा.. बरखारानी ल हब ले बलाए बर हमर एती काँही ठुआँ-टोटका नइ करे जाय का?
   -कइसे गढ़न के केहे जी कोंदा?
   -अरे.. जइसे मध्यप्रदेश अउ महाराष्ट्र के कुछ भाग म मेचका मेचकी के बिहाव करे जाथे.. तहाँ ले वो बिहाव वाले मेचका जोड़ा के मुँह ल अगास कोती कर के बरखा के देवता ले हब ले पानी गिराए बर अरजी करे जाथे.
   -अच्छा.. अइसने जुन्ना इलाहाबाद जेला आजकाल प्रयागराज कहे जाथे उहाँ के जवनहा छोकरा मन चिखला म नँगत के घोंनडइया मारथें तहाँ ले वइसने चिखला म छबड़ाय ही खड़ा होके दूनों हाथ ल जोर के बरखा के देवता ले अरजी करथें. कर्नाटक म पाछू बछर पुतरा पुतरी के बिहाव कर के अरजी करे रिहिन हें.
   -हमर छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल म भीमादेव अउ भीमिन के बिहाव करे जाथे जी.. भीमादेव ल बरखा के देवता तो माने ही जाथे संग म उनला कुल देवता घलो मानथें.
   -त चलव भीमा-भीमिन के ही बिहाव करवाए जाय.
   -अरे.. फेर ए बिहाव के परंपरा ल तो वोती सावन महीना म संपन्न करे जाथे संगी.. अभी  लगती असाढ़ म अनफभिक  हो जाही.
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-रथयात्रा के दिन जब तक भगवान जगन्नाथ अउ वोकर भाई बलराम बहिनी सुभद्रा के रथ ल नइ तीरबे.. वोमा नइ चढ़बे तब तक रथयात्रा परब ल मनाए अस नइ लागय जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. हमन तो मिडिल स्कूल म पढ़त रेहेन तब ले पुरानी बस्ती वाले रथ ल तीरत अउ चघत आए हन.. कभू कभू गजामूँग ल घलो हमीं मन हेर के बाँट देवत रेहेन.
   -फेर ए बछर पुरी के श्रद्धालु मन अइसन नइ कर सकँय संगी.. उहाँ के सरकार ह लोगन ल अइसन करे ले चेताय हे.. नवा नियम बनाय हे.
   -बड़ा अचरज हे भई.. भगवान के दर्शन अउ सेवा टहल बर घलो सरकार के बरजना!
   -हव.. ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ह घोषणा करे हे- ए बछर सिरिफ सेवादार मन ही रथ म चघ पाहीं उहू म वो मन जेकर मन के नॉव ह उँकर सूची म रइही.. कहूँ कोनो आने मनखे जादा भक्ति भाव देखावत रथ म चढ़ जाही त वोला तुरते गिरफ्तार कर लिए जाही.
   -मरना हे गा.
   -उँकरे कहना हे- सुरक्षा के लिहाज ले अइसन नियम बनाय ले परे हे.. वो मन बताइन के रथ म चढ़इया सेवादार मनला मोबाइल धरे के परमिशन घलो नइ राहय.
   -कतकों उदिम करिन फेर वीआईपी कल्चर के सेती रथयात्र के भगल म 3 लोगन मर गिन अउ कतकों घायल होगें.
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-हमर इहाँ कतकों अइसन परब होथे जी भैरा जेला कोनो क्षेत्र विशेष म ही देखे ले मिलथे.. आने डहार के लोगन वोकर मुड़ी पूछी ल घलो बने गढ़न के नइ जानँय. 
   -हाँ.. ए बात तो हे जी कोंदा.. जइसे हमर इहाँ भाखा के संबंध म कहे जाथे ना.. कोस कोस म पानी बदलय अउ चार कोस म बानी.. ठउका अइसनेच परंपरा के संबंध म घलो हे.
   -सही आय जी.. अइसने अभी मोला परोसी राज ओडिशा ले लगे फुलझर अंचल के एक तिहार 'रजस्थला' के संबंध म नवा जानबा होइस हे.. उहाँ असाढ़ महीना के संक्रांति के दिन जब सुरूज नरायण ह मिथुन राशि म निंगथे, रजस्थला तिहार मनाए जाथे. ए दिन धरती दाई ल कोनो किसम के कोड़े या खाने नइ जाय.. रापा, कुदारी, नाँगर आदि सबो के उपयोग के मनाही होथे.
   -अच्छा..
   -हव.. अइसे मान्यता हावय के ए दिन धरती दाई ह महीना बइठथे, जइसे माईलोगिन मन के हर महीना माहवारी आथे .. वइसने बछर म एक दिन धरती दाई के घलो आथे, तेकर सेती उँकर सम्मान म ए दिन धरती ल कोनो किसम के कोड़े खने के मनाही रहिथे.. एकर संबंध म मान्यता इहू हवय के जेन शेषनाग ह धरती ल अपन मुड़ी म या कहिन फन म बोहे हे वो ह ए दिन अपन गुड़री ल बलदथे.
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-ए बछर जनगणना होही काहत हें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. केंद्र सरकार ह अधिसूचना ढील डारे हे.
   -तोला कइसे जनाथे.. ए जाति के जनगणना ले कोन ल जादा नफा या नुकसान होही?
   -जाति-पाती के सरेखा ल अभी छोड़ संगी.. हमला छत्तीसगढ़िया अउ छत्तीसगढ़ी के संख्या ऊपर चेत करना हे. हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी के बोलइया ए राज म 66 प्रतिशत लोगन हें, तभो इहाँ लेद-बरेद 6 प्रतिशत लोगन के महतारी भाखा हिंदी ल राजभाषा घोषित करे गे हवय.. ए ह षडयंत्र आय. अभी होवइया जनगणना ह ठउका अवसर ए छत्तीसगढ़ी महतारी भाखा वाले मन के संख्या म निश्चित रूप ले अउ बढ़ोत्तरी होही.
   -हव बने काहत हावस.
   -तैं तो जानते हावस 28 नवंबर बछर 2007 म छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के दर्जा मिलगे हावय, फेर अभी तक ए ह सिरिफ खानापूर्ति म ही दिखथे.. शिक्षा अउ राजकाज के ठीहा म मौसीदाई बरोबर तिरिया दिए जाथे.
   -सोला आना गोठ कहे.. ए बखत हमेरी झड़इया मनला घलो महतारी भाखा के खँड़ म छत्तीसगढ़ी लिखवाय खातिर कोचकबो.
   -जरूरी हे.. हर वर्ग अउ समाज के लोगन ल अपन भाखा खातिर कोनो भी कारण ले भरे गे हीनता ले निकले बर लागही.. पूरा गरब अउ आत्मविश्वास के संग महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी लिखवाय बर परही.
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-तोर सुझाव के छत्तीसगढ़ सरकार ऊपर जबर प्रभाव परे हे जी भैरा.. अब इहाँ के पुलिस विभाग के लिखा-पढ़ी म उर्दू अउ फारसी शब्द मन के जगा हिंदी शब्द बउरे जाही.
   -मैं तो पहिलीच ले गोठियावत रेहे हौं जी कोंदा.. जेन शब्द मन के मतलब ल लोगन समझय बूझय नहीं, ते मनला परंपरा के रूप म लादे रखना बने थोरहे आय तेमा.
   -हव भई नोहय.. तभे तो इहाँ के गृह मंत्री ह वइसन शब्द मन के बलदा हिंदी शब्द बउरे बर केहे हे.
   -मोर तो इहू कहना हे संगी.. हिंदी के घलो आम बोलचाल के शब्द मन के ही उपयोग करे जावय, कहूँ एकरो उर्दू अउ फारसी जइसन भारी-भरकम टॉंठ असन शब्द मनला लिखा-पढ़ी म खुसेरहीं, त उहू ह अलकर हो जाही.. जादा अच्छा तो ए हे के छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी अउ सरगुजिया जइसन स्थानीय भाखा के शब्द मनला लिखा-पढ़ी म जादा बउरे जाय, तेमा गाँव-गंवई के आम लोगन घलो वो लिखे गे शब्द अउ वोकर अरथ ल समझ सकय.
   -सही कहे संगी.. जे मनखे के संबंध म तैं लिखा-पढ़ी करत हावस कहूँ उहिच ह तोर लिखा ल समझ नइ पाइस त फेर वोकर मतलब ही का होइस?
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-बाहिर ले आए अपराधी किसम के लोगन धरम के सँवाँगा  खापे पहिली सरकारी जमीन म ही अवैध रूप ले कब्जा करत रिहिन हें जी भैरा फेर अब तो ए मन लोगन के निजी जमीन म घलो बरपेली कब्जा करे लगे हें.
   -अइसे का जी कोंदा?
   -अरे हव भई.. अभी हमर रायपुर के सड्ढू ले खबर आय हे.. उहाँ के किसान हरीश पांडे के महतारी शांतिदेवी के नॉव म 3.249 हेक्टेयर जमीन हे, एकर बाजू म एक आने मनखे के जमीन हे.. उही बाजू जमीन वाले मन मंगलवार के मँझनिया पहुँचिन जेमा के कुछ लोगन साधु मन बरोबर सँवाँगा खापे रिहिन हें. वो मन हरीश के जमीन म आश्रम बनाबो कहिके उहाँ लगे सिरमिट के खंभा अउ फेसिंग तार मनला टोरे लागिन.
   -ताज्जुब हे संगी!
   -हव.. हरीश ल जब ए बात के जानबा होइस, त वो ह थाना म शिकायत करिस.. पुलिस ह मामला ल राजस्व संबंधी बता के तहसील कार्यालय म आरो करे हे.. अब देखौ जमीन के नापजोख के बाद का होथे ते?
   -नापजोख म चाहे कुछू होवय संगी, फेर सिरमिट के खंभा अउ फेसिंग तार मनला टोर के वोमा कब्जा कर के उदिम ही ह अपराध आय.. धरम के नॉव म अभी जेन देखे सुने ले मिलत हे ना.. ए सब अनफभिक अउ अधरम ए.
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-मानसून के मयारुक बरखा संग जब प्रकृति नाचे अउ हरियाए लगथे तब एक विशेष किसम के मेचका मन घलो चटकदार पिंवरा रंग म दिखे लगथे जी भैरा.. अइसे जनाथे जस ए मन कोनो सुग्घर खेलौना आयँ.
   -हव जी कोंदा.. तरिया, नँदिया, झील झरना, ढोंड़गी नरवा मन तीर महूँ अइसने आकब करे हावौं.. आम बोलचाल के भाखा म हमन ए मनला घिंधोल कहि देथन ना?
   -हव.. हर बछर ए मन दिखथें..  वैज्ञानिक मन के भाखा म ए मनला 'इंडियन बुल फ्रॉग' कहे जाथे.. जीव विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. शैल जोशी जी बताइन के ए मन नर मेचका होथें, जे मन मादा मेचकी मनला आकर्षित करे बर बछर म एक पइत रंग बलदथें अउ खास किसम के आवाज निकालथें.
   -गजब हे संगी.!
   -हव.. मादा मेचकी मन म अइसन रंग बलदे के गुण नइ राहय.. बरखा के दिन ह एकर मन के प्रजनन काल के बेरा होथे, तेकर सेती प्राकृतिक रूप ले ए मन अइसन करथें.. ए ह जेनेटिक बदलाव होथे.
   -प्रकृति ह अपन सरलग संचालन खातिर जम्मो जीव जगत ल कुछू न कुछू खास गुण अउ समझ दिए हावय न.
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-बरखा के मौसम आइस तहाँ ले भिंभोरा या खेत के मेड़ आदि म पिहरी फूटे के चालू हो जाथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. गजब सुहाथे ना.. ए हमर प्राकृतिक मशरूम ह.. एला कोनो पुटू त कोनो फुटू त कोनो अउ कुछू आने नॉव ले जानथें, फेर हमर ए चातर मुड़ा पिहरी कहिथन.
   -हव.. ए तो बने बात आय फेर इहू म सबोच फुटू मन खाए के लाइक नइ होय.. कतकों मन जहरीला होथे, तेकर सेती देख समझ के ही उँनला राँधना चाही.
   -अच्छा.. अइसे?
   -हव.. हमर छत्तीसगढ़ म पाए जाने वाला फुटू मन ऊपर शोध करे बॉयोटेक वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शर्मा बताथें के 40 किसम के प्राकृतिक मशरूम मन के प्रयोगशाला म जाँच करे गे हवय, जेमा पाए गिस के चिरको, सुगा, छेरकी, भैसा, बाँस, भुडू, जाम, दुधिया, चरचरी, कठवा, करीया, तीतावर, पिवरा, झरिया, कुम्हा अउ झरकेनी जइसन प्रजाति मन खाए के लइक होथे.. उहें बिलाई खुखड़ी, गंजिया खुखड़ी, लकड़ी खुखड़ी, लाल बादर अउ बनपिवरी जइसन फुटू मन बहुत हानिकारक होथे.
   -तभे तो कतकों जगा ले फुटू खाय के सेती बीमार परे के खबर आवत रहिथे.
   -हव.. उँकर कहना हे के चटक रंग जइसे लाल, नीला, पीला, हरा, बैगनी अउ नारंगी रंग के फुटू मन के सेवन नइ करना चाही.
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-लोकतंत्र सेनानी के नॉव म अभी एक नवा पेंशन योजना चालू करे गे हवय जी भैरा जेकर अंतर्गत वो मनला पेंशन दिए जाथे जे मन आंतरिक सुरक्षा कानून अधिनियम (मीसा) के अंतर्गत जेल म धँधाय रिहिन हें.
   -हव जी कोंदा.. आपातकाल के नॉव ले जाने जाने वाला वो बेरा ल लोगन लोकतंत्र के करिया दिवस के रूप म आजो सुरता करथें.
   -अभी अवइया 25 जून के वो करिया दिवस ल पचास बछर पूरा हो जाही.
    -अच्छा..!
   -हव.. 25 जून 1975 के लागू होय रिहिसे आपातकाल ह जब लोगन ल बरपेली जेल म धाँध दिए जावत रिहिसे या फेर उँकर नसबंदी कर दिए जावत रिहिसे.
   -वो पइत इहू सुने ल मिलय संगी के नसबंदी के कोटा ल पूरा करे खातिर कतकों कुवाँरा लइका मन के घलो नसबंदी कर दिए जावय.
   -कतकों झन तो अपन नौकरी ल बचाय राखे के डर म ही नसबंदी करवावत रिहिन हें.
   -सही आय जी.. कुल 21 महीना चले वो अतलंगी बेरा ल ए देश कभू भुला नइ पावय.
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-कतकों टीवी चैनल मन म ज्योतिष ले समस्या के समाधान वाले कार्यक्रम देखाथें नहीं जी भैरा.. अब अइसनो मन ले बाँच के रहे के जरूरत हे.
   -कइसे जी कोंदा.. वो मन अंते-तंते बता देथें का?
  -अंते-तंते तो बताथेंच संग म डर-भय देखा के ठगी घलो करथें.
   -वाह भई.. आजकाल तो सबोच टीवी चैनल मन म कोनो न कोनो ज्योतिष ल समस्या के समाधान बतावत देखाबे करथें.
   -हव.. कांकेर के मीरा साहू नॉव के एक माईलोगिन ह अभी डीडी फ्री डिश चैनल म प्रसारित जय माँ कामाख्या संस्थान के राघवेंद्र आचार्य धीरज रावत ले 28 लाख रुपिया के ठगी के शिकार होगे.
   -मरना हे गा.. अइसन प्रतिष्ठित  संस्थान के नॉव म घलो ठगी.!
   -हव.. मीरा साहू ह वो कार्यक्रम के बेरा फोन लगा के गोठबात करे रिहिसे उही नंबर म फेर वो ज्योतिष ह घेरीभेरी फोन कर कर के मीरा के घर म अकाल मृत्यु के डर देखा देखा के 28 लाख रुपिया अपन खाता म मँगवा डारे रिहिसे.. कई पइत के इही चरित्तर म हलाकान होके मीरा ह पुलिस म ए बात के रिपोर्ट करिस त कांकेर पुलिस ह वो ज्योतिष ल दिल्ली ले गिरफ्तार कर के लाने हे.
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-आदमी जब एको अपराध म धँधाय अस हो जाथे त वोमा ले बोचके बर कुछू भी बहाना बनाय के उदिम करथे जी भैरा भले वो ह अनफभिक राहय.
   -हव जी कोंदा ए बात तो हे.. अभीच्चे देख ले अमृतसर के अदालत ले राष्ट्रीय राइफल्स म ब्लैक कैट कमांडो बलविंदर सिंह ल अपन सुवारी ल दहेज म फटफटी नइ दे के सेती वोकर टोटा ल मसक के मार डारे के सेती दोषी ठहराए गिस त वो ह सुप्रीम कोर्ट म ए दलील देवत अरजी लगाय रिहिसे के वो ह 'आपरेशन सिंदूर' म भाग ले हावय तेकर वोला आत्मसमर्पण करे के छूट दिए जाय.
   -अच्छा.. मतलब आत्मसमर्पण करे के मापदंड म वोला कमती सजा मिलय.
   -हव.. फेर शीर्ष अदालत ह वोकर सजा ल जस के तस राखत कहे हे- आपरेशन सिंदूर म भाग ले के सेती तोला अपन घर म अत्याचार करे के छूट नइ मिल जाय.
   -बने कहे हे.. शीर्ष अदालत ह.. कानून के नजर म सब बरोबर होथे.. चाहे वो आमलोगन होवय ते देश के सेना म सेवा देवत कोनो सिपाही.
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-गोवर्धन पूजा के जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. तुमन गरुवा मनला लोंदी खवा डारेव गा?
   -हव जी.. हमन तो बिहनियच ले ए बुता ले उरक जाथन.
   -बने आय संगी गौवंश संरक्षण संवर्द्धन के ए बुता ल जतका जल्दी सिध पारबे वतके बने हे.. त अब चलना भाँठा डहार जाबो गोवर्धन खूँदाय के तइयारी देखे बर.
   -हव चलना.. अच्छा तैं जानथस भगवान कृष्ण ह इंद्रदेव के पूजा ल बंद करवा के गोवर्धन पहाड़ के पूजा करवाए के परंपरा काबर चालू करवाए रिहिसे?
   -वाह.. नइ जानबो गा.. भगवान कृष्ण ह गोवर्धन पूजा के माध्यम ले ए संदेश दिए रिहिन हें के हमला दुरिहा ले चकाचक दिखत जिनिस के आकर्षण म परे के बलदा अपन तीर-तखार के उपयोगी जिनिस या मनखे मन के महत्व ल समझना चाही.
   -ठउका कहे.. दूर के ढोल सिरिफ सुहावन होथे.. एकरे सेती तो महूँ कहिथौं- हमला बाहिर ले दुनिया भर के सँवाँगा खाप के आवत गुरुघंटाल किसम के लोगन मन के झाँसा म नइ आके अपन पुरखौती परंपरा, जीवन पद्धति, उपासना विधि अउ लोक देवता मन के ही पूजा उपासना म मगन रहना चाही.
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अभी धरम-करम के नॉव म हमर छत्तीसगढ़ म जइसन-जइसन खबर देखे सुने ले मिलत हे ते ह उजबक बानी के जादा जनावत हे जी भैरा.
   -सही म जी कोंदा.. अउ तैं आकब करे हावस ए मन म बाहिर ले अवइया गुरुघंटाल किसम के लोगन ही जादा हें.
   -गुरुघंटाल मन ही तो अतलंग करथें संगी बने मनखे मन आगू-पाछू, तरी-उप्पर जम्मो ल टमड़ के कुछू भी कारज करथें.. अब देख लेना दाई बमलेश्वरी के धाम डोंगरगढ़ ले जेन खबर आय हे तेला.. योग के नॉव म भोग के आश्रम चलाए जावत रिहिसे.
   -हव भई.. कांती अग्रवाल नॉव के तथाकथित बाबा ह प्रज्ञागिरी पहाड़ी जगा कुल 42 एकड़ भुइयाँ बिसाय रिहिसे तेमा के पाँच एकड़ म योग आश्रम बनवावत रिहिसे अउ वोकर आड़ म चुकता भोग के धंधा चलावत रिहिसे.. उहाँ जेन बोर्ड टँगाय रिहिसे तेमा 'कांति योग' लिखाय रिहिसे बताथें.
   -हव भई पहिली बेर कांति योग के नॉव सुने हन.. बीस बछर ले गोवा म घलो अइसने करत रिहिसे कहिथें.. गोवा म विदेशी पर्यटक मन जादा आथें उही मन ले वोकर विदेशी चेला मन के संख्या बाढ़े लागिस, जे ह वोकर धन-दौलत अउ चेला-चपाटी सबो के संख्या म बढ़ोत्तरी करे लागिस.
   -हमन ल अइसन जम्मो किसम के बाबा उबा मन ले बाँच के रेहे के जरूरत हे.
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-उत्तर प्रदेश के इटावा जिला के गाँव दाँदरपुर म 22-23 जून के रतिहा म कथावाचक मुकुटमणि यादव अउ वोकर संगी संत सिंह यादव के मुड़ ल मुड़वा के एक माईलोगिन के पाँव म नाक रगड़वाए अउ वोकर पिशाब ल उँकर मूड़ी ऊपर छींचे के जेन घटना होय रिहिसे न जी भैरा एकर संबंध म काशी विद्वत परिषद ह कहे हे के भागवत कथा कहे के अधिकार जम्मो हिंदू मनला हे.. एमा कोनो किसम के ऊँच-नीच या छोटे-बड़े के भेदभाव नइ करे जा सकय.
   -सही आय जी कोंदा.. जब भगवान के कथा सुने के सबला अधिकार हे.. अपन घर म उँकर पूजा ठउर बना के राखे अउ पूजा करे के सबो ल अधिकार हे त वोकर कथा कहे के अधिकार कइसे नइ हो सकही?
   -सही आय.. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति बिहारी लाल शर्मा अउ काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी ह सबो ल कथा करे के अधिकार हे कहे हे. उँकर कहना हे- हमर परंपरा म अइसन कतकों गैर ब्राह्मण होय हें, जिंकर गिनती ऋषि के रूप म होथे, चाहे वो महर्षि वाल्मीकि हो, वेदव्यास हो या रविदास सबो  ल बरोबर के सम्मान अउ आदर मिले हे अउ आगू घलो मिलत रइही.
   -हमर छत्तीसगढ़ म स्वामी आत्मानंद ह एकर बड़का उदाहरण हे.
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-देंहदानी मनला अब 'गार्ड ऑफ ऑनर' दे के आखिरी बिदागरी दिए जाही जी भैरा.
   -ए तो बहुते सँहराय के लाइक बात आय जी कोंदा.
   -फेर ए परंपरा ह अभी सिरिफ परोसी राज मध्यप्रदेश भर म रइही.. उहाँ के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ह घोषणा करे हवय के जे मन अपन देंह के या कोनो अंग विशेष के दान करहीं वो मनखे के आखिरी बिदागरी ल 'गार्ड ऑफ ऑनर' दे के करे जाही संगे-संग उँकर परिवार के सदस्य मनला स्वतंत्रता दिवस अउ गणतंत्र दिवस म आयोजित होवइया सार्वजनिक कार्यक्रम म सम्मानित घलो करे जाही.
   -देंह दान के अगोरा करत कतकों अस्पताल अउ लोगन मनला एकर ले निश्चित रूप ले लाभ मिलही संगी.. संग म देंह दान जइसन पुन्न कारज के रद्दा म लोगन प्रोत्साहन होके आगू आहीं.
   -हव जी मैं तो कहिथँव के मध्यप्रदेश सरकार के ए निर्णय के अनुसरण हमर छत्तीसगढ़ के संगे-संग पूरा देश के सरकार मनला करना चाही.
   -सही कहे संगी.. देंह दान ह हमर धार्मिक आध्यात्मिक संस्कृति म घलो जबर महत्व राखथे.. महर्षि दधीचि ल तो सिरिफ एही बात के सेती ही सुरता करे जाथे.
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-नाग-नागिन के मया अउ एक-दूसर खातिर समर्पण के गोठ ल अभी तक हमन सिरिफ किस्सा कहानी म ही सुनत रेहे हावन जी भैरा फेर परोसी राज मध्यप्रदेश के मुरैना जिला के गाँव घूरकूड़ा कालोनी विकासखंड पहाड़गंज के लोगन ल अइसन साक्षात देखे ले मिले हे.
   -वाह भई.. ए तो वाजिब म अद्भुत हे जी कोंदा.
   -खबर आय हे के वो गाँव के सड़क ल नाहकत बेरा एक नाग ह मोटर के खाल्हे म आके चपकागे.. वो नाग ल गाँव वाले मन देखिन त वोला एक तीर म लान के मढ़ा देइन.
   -गाँव वाले मन जस के कारज करिन कहिदे.
   -हव.. थोरके पाछू देखिन वो जगा एक नागिन ह आके बइठगे.. लगातार चोबीस घंटा तक वो नागिन ह उहिच जगा बइठे रिहिस.. न हालिस न डोलिस अउ उहिच जगा उहू ह अपन परान ल तियाग दिस.
   -वाह भई.. सुने म ही अद्भुत जनावत हे! हमर संस्कृति म वइसे भी नाग नागिन मनला देवता बरोबर मानत उँकर पूजा करे जाथे.
   -हव.. गाँव वाले मन बाद म वो दूनों नाग नागिन के विधिवत रूप ले अंतिम संस्कार करिन.. गाँव वाले मन निर्णय लिए हें के जेन जगा वो नाग नागिन मन अपन जीव छोड़े हें, वो जगा उँकर अमर प्रेम के प्रतीक स्थली के रूप म चबूतरा बनवाहीं।
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Saturday, 28 June 2025

सुशील भोले साक्षात्कार -केके अजनबी

साक्षात्कार कर्ता :- कृष्ण कुमार अजनबी
साक्षात्कार  :- श्रीमान सुशील भोले जी 

सवाल:1.आपका शुभनाम और तखल्लुस, जन्म कब, कहाँ, शिक्षा-दीक्षा, पिता-माता व पारिवारिक पृष्ठ-भूमि पर विस्तार से जानकारी दीजिएगा  ?

जवाब:1 शासकीय अभिलेख में मेरा नाम है- सुशील कुमार वर्मा
सार्वजनिक जीवन में प्रचलित नाम- सुशील भोले है , लेकिन यह साहित्य वाला या कहें तखल्लुस नहीं है. दरअसल यह आध्यात्मिक दीक्षा के पश्चात गुरु के द्वारा दिया गया नाम है।
मेरा जन्म भाठापारा शहर में 2 जुलाई सन् 1961 को हुआ था. माता जी का नाम श्रीमती उर्मिला देवी और पिताजी का नाम श्री रामचंद्र वर्मा है.
प्रारंभिक शिक्षा भाठापारा शहर में ही हुई, फिर मेरे पैतृक गाँव नगरगाँव थाना-धरसींवा, जिला-रायपुर में और फिर उसके पश्चात छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में. पिताजी शिक्षक थे साथ व्याकरण के अच्छे जानकार भी थे. उनकी लिखी हुई किताब प्राथमिक हिंदी व्याकरण एवं रचना उस समय संयुक्त मध्यप्रदेश के पाठ्यपुस्तक में कक्षा तीसरी, चौथी और पाँचवीं में पढ़ाई जाती थी. 
उनके इसी लेखकीय गुण से प्रभावित होकर ही मैं भी लेखन के क्षेत्र में आया.
   हमारी माताजी गृहिणी थीं, किंतु उन्हें छत्तीसगढ़ी लोककथाओं एवं गीतों का अद्भुत ज्ञान था. अगहन बिरस्पत, कमरछठ जैसे पर्व पर उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रम स्थलों पर आमंत्रित कर उनसे कहानी सुनी जाती थी. हमारे घर पर मोहल्ले की महिलाएँ उन्हें हमेशा घेरे रहती थीं. मोहल्ले की महिला मंडली की अध्यक्ष भी रहीं.

सवाल 2. लेखन की ओर कब कैसे आकृष्ट हुए और पहली रचना कब कैसे रची गई ? क्या किसीने प्रोत्साहित किया अथवा स्वतः आत्म प्रेरित हुए  ?

जवाब 2 पिताजी को घर पर लिखते-पढ़ते देखकर लेखन की ओर मैं भी आकर्षित हुआ.
प्रारंभिक रचनाएँ तुकबंदी के रूप में हुईं जो मिडिल और हाईस्कूल के समय से ही लिखी जाने लगी थीं.

सवाल:3. आपकी पहली रचना कब, कहाँ से प्रकाशित हुई  ? प्रसन्नता तो हुई होगी ? पहली अनुभूति  कैसी रही ? 

जवाब:3 मैं सन् 1982 के अंतिम दिनों में ही दैनिक अग्रदूत प्रेस के साथ जुड़ गया था, इसलिए 1983 से ही मेरी कविता और कहानी अग्रदूत के साहित्यिक परिशिष्ट पर प्रकाशित होने लगी थी.
   उस समय अग्रदूत प्रेस में छत्तीसगढ़ के तीन बड़े पत्रकार और साहित्यकार सर्वश्री स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जी, विनोद शंकर शुक्ल जी और टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी कार्यरत थे, मुझे उन तीनों का ही सानिध्य, मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त हुआ.
   सन् 1984 से आकाशवाणी रायपुर से मेरी कविताओं का प्रसारण प्रारंभ हो गया था.

सवाल:4. कौन- कौन सी पत्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं छ्प चुकी हैं ? इस पर पाठकों की प्रतिक्रियाएं कैसी रही ?

जवाब:4 छत्तीसगढ़ के प्रायः अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।

सवाल:5. साहित्य के क्षेत्र में आप कबसे जाने-पहचाने जाने लगे ? अर्थात आपको एक नई पहचान मिली ?

जवाब:5. अखबारों में छपना तो 1983 से प्रारंभ हो गया था, लेकिन मुझे विशेष पहचान तब मिली जब मैं सन् 1987 में छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' का प्रकाशन संपादन करने लगा.

सवाल:6. किन किन विधाओं में आपकी रचनाएं उपलब्ध हैं ? वास्तव में किस विधा में आपको सफलता अधिक मिली  है ? 

जवाब:6. कविता, कहानी, व्यंग्य, संस्मरण आदि सभी विधाओं में लेखन हुआ. अब गद्य लिखना ज्यादा अच्छा लगता है. अभी सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रथम धारावाहिक 'कोंदा भैरा के गोठ' का लेखन नियमित रूप से चल रहा है.

सवाल:7. कभी साहित्य में या साहित्य से आत्मसंतोष मिला है ? अथवा  कोई गहरा अफसोस  ?

जवाब:7 मेरा साहित्य लेखन आत्मसंतुष्टि के लिए नहीं अपितु मिशन के लिए है. 
हम लोग छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन से जुड़े रहे हैं, तभी से मन में यह संकल्प लिए लेखन कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ी अस्मिता के लिए निरंतर लिखना है.

सवाल:8. किसे आप अपना आदर्श मानते हैं ? और किन किन साहित्यकारों का आपको सान्निध्य मिला ? किसी से मिलने की खास तमन्ना है ?

जवाब:8 मेरा आदर्श तो कोई नहीं है. चूंकि मैं पत्रकारिता से जुड़ा रहा हूँ, इसलिए साहित्यकारों का सान्निध्य स्वतः ही प्राप्त होता रहा. छायावाद के प्रवर्तक कवि पं. मुकुटधर पाण्डेय जी का सानिध्य प्राप्त होना मेरे लिए अविस्मरणीय है.
मेरे प्रथम काव्य संग्रह 'छितका कुरिया' के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखकर अपना आशीर्वचन दिया था, और मुझसे यह कहा भी था कि सुशील तुम पहले व्यक्ति हो जिसके लिए मैं छत्तीसगढ़ी भाषा में संदेश लिखा हूँ. मैंने भी उनके लेटरपैड पर लिखे उस संदेश का  ब्लॉक बनवाकर अपने संकलन में प्रकाशित किया था.

सवाल:9. किन किन साहित्यिक संस्थान अथवा मंच से आप सम्बद्ध रहे हैं ?

जवाब:9 छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के साथ ही रायपुर की प्रायः सभी समितियों के साथ जुड़ाव रहा.

सवाल:10. अब तक कोई विशेष उपलब्धि मिली है ? ऐसा आप मानते हैं ?

जवाब:10 मेरी छत्तीसगढ़ी कहानी 'ढेंकी' को पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में एमए छत्तीसगढ़ी के द्वितीय सेमेस्टर में पढ़ाया जाता है. चूंकि मैं छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' का संपादक रहा हूँ, इसलिए छत्तीसगढ़ राज्य में आयोजित होने वाली व्यावसायिक परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. 

 सवाल:11.क्या आप पुरस्कार अथवा सम्मान में विश्वास रखते हैं ? कौन कौन से पुरस्कार या सम्मान से आप नवाजे जा चुके हैं ? कोई विशेष आकांक्षा हो तो बताइए ?

जवाब:11. पुरस्कार तो अनेक मिले हैं, लेकिन इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है, क्योंकि मेरा लेखन एक मिशन के लिए है.

सवाल:12.. अगले जनम में आप क्या बनना पसंद करेंगे और क्यों ?
इस जनम से आप संतुष्ट हैं या नहीं ?

जवाब:12 मैं पूरी तरह से आध्यात्मिक व्यक्ति हूँ, इसलिए अगले जनम के बजाय मोक्ष की आकांक्षा रखता हूँ.

सवाल:13. अब तक आपकी कितनी किताबें छ्प चुकी हैं और कौन- कौन सी व कहाँ कहाँ से ? आगामी योजना आपकी क्या है ?

जवाब:13. 1. छितका कुरिया (काव्य संग्रह 1989), 2. दरस के साध (लंबी कविता 1990), 3. जिनगी के रंग (गीत एवं भजन संग्रह 1995), 4. ढेंकी (कहानी संकलन 2006, दूसरा संस्करण 2022), 5. आखर अँजोर (छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति पर आधारित आलेखों का संकलन 2006, दूसरा संस्करण 2017), 6. भोले के गोले (व्यंग्य एवं लेख संकलन 2015), 7. सब वोकरे संतान ए संगी (चार डाँड़ के संकलन 2017), 8. सुरता के संसार (संस्मरण संग्रह 2022), 9. बिहनिया के जोहार (चार डाँड़ के चित्रमय संकलन 2022), 10. कोंदा भैरा के गोठ (सोशल मीडिया का पहला धारावाहिक 2024)

सवाल:14. प्रकाशन को लेकर  कोई सुखद अनुभूति अथवा कटु अनुभव है तो बताइएगा ?

जवाब:14. छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' का प्रकाशन संपादन मेरे जीवन का अविस्मरणीय अनुभव है.

सवाल:15. साहित्य मनुष्य के लिए क्या आवश्यक है अथवा एक व्यसन  मात्र ?

जवाब:15. समाज को दिशानिर्देश देते रहना ही साहित्य का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए.

सवाल:16. आपकी रूचि और किन किन में है ? समय कैसे निकाल पाते हैं ?

जवाब:16 छत्तीसगढ़ी अस्मिता से संबंधित सभी विधाओं में रुचि है. सभी के लिए थोड़ा बहुत समय तो निकल ही जाता है. 

सवाल:17. जीवन यापन हेतु आप करते क्या हैं ? नौकरी,व्यापार, कृषि या फिर अन्य कोई कर्म  ?

जवाब:17. पत्रकारिता.

सवाल:18. क्या आप अपने बच्चों को भी अपने जैसे (कवि, लेखक, शायर या साहित्यकार ) बनाना चाहेंगे ? हां तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं ?

जवाब:18. ऐसा कुछ भी नहीं है, लोगों को अपनी रुचि के अनुरूप कार्य करना चाहिए.

सवाल:19. क्या आप अपने आपको सफल मानते हैं ?  हाँ तो इसका श्रेय किसे देंगे ? यदि सफल नहीं हैं तो वजह क्या है ?

जवाब:19. मैं आध्यात्मिक रूप से पूर्ण सफल हूँ. इसके लिए मेरे मार्गदर्शक की अनुकम्पा ही मुख्य वजह है.

सवाल:20. आपको नहीं लगता कि आज की पीढ़ी किताब से दूर भाग रही है ? अर्थात पढ़ने में रूचि कम हो गई है ? इसका कारण क्या हो सकता है ?

जवाब :20. अब ज्ञान और मनोरंजन के लिए अनेक साधन आ गए हैं, इसलिए स्वभाविक तौर पर लोग किताबों से दूर हो रहे हैं. 

सवाल:21. मनोरंजन के साधनों (टीवी, फेसबुक, इन्टरनेट व मोबाइल ) को आप साहित्य का सहायक मानते हैं या वाधक और कैसे ?

जवाब: मेरे लिए ये सभी आविष्कार वरदान से कम नहीं हैं. चूंकि मैं 24 अक्टूबर 2018 से लकवा ग्रस्त हूँ, ऐसे में यही आविष्कार मेरे लिए जीने, लिखने पढ़ने और मित्रों के संपर्क में रहने का मुख्य साधन है. 

सवाल:22. पाठकों और श्रोताओं
 की संख्या बढ़ाने हेतु क्या किया जा सकता है ?

जवाब: 22. श्रेष्ठ लेखन ही 
पाठकों को आकर्षित करने का एकमात्र उपाय है.

सवाल:23. साहित्य का भविष्य उज्जवल  है या अंधकार  ? क्या किया जाना  चाहिए  ?

जवाब:23. उज्जवल था है और भविष्य में भी रहेगा.

सवाल:24.अगर आप बुरा न मानें साहब तो एक निजी सवाल पूछूं ... आपको पहले  प्यार का पहला अहसास कब और कैसे हुआ ? क्या आप उस अहसास को अब भी अपने दिल में महसूस कर पा रहे हैं ? इस से कोई कालजयी रचना हो तो बताइए ?

जवाब:24. मेरे जीवन में ऐसा कुछ हुआ ही नहीं. चूंकि हम लोग गाँव के रहने वाले हैं, जहाँ कम उम्र में शादी कर दी जाती है, ऐसे में मन के भटकाव का रास्ता ही बंद हो जाता है.

सवाल:25. आगामी पीढ़ी के लिए कोई संदेश, प्रेरणा या मार्गदर्शन देना चाहेंगे ? कुछ और कहना बाकी रह गया हो तो भी कह सकते हैं ?

जवाब:25. चूंकि मैं छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन के साथ जुड़ा रहा हूँ तथा जीवन भर छत्तीसगढ़ी अस्मिता के लिए कार्य करता रहा हूँ, इसलिए चाहता हूँ कि लोग भी मेरे इस मिशन में सहभागी बनें. छत्तीसगढ़ की मूल आध्यात्मिक संस्कृति, जीवन पद्धति और उपासना विधि को पुनर्जीवित करने का भगीरथ प्रयास करें.

फोटो सहित आप अपना बायोडाटा व पता संलग्न कर मेल कर दीजिएगा ...👏

प्रस्तुति :- कृष्ण कुमार अजनबी.
मोबाइल:- 9691194953
Email ajnabikrishna@gmail.com

Wednesday, 28 May 2025

कोंदा भैरा के गोठ-33

कोंदा भैरा के गोठ-33

-अब कइसन-कइसन खबर सुने ले मिलत हे जी भैरा.. काकरो जगा गोठियाबे तेनो ह फदित्ता बरोबर जनाथे!
   -कइसे का होगे जी कोंदा..?
   -अरे.. बड़ा लजलजावन कस गोठ हे संगी.. हमरे रायपुर उरला के ई रिक्शा चलइया पवन देवांगन ए.. बुजा ह कुकुर बिसाय बर अपन महतारी जगा दू सौ रुपिया माँगिस.. बपरी जगा नइ रिहिस होही त नइ दिस.. भइगे अतके म अपन महतारी के मुड़ ल हथौड़ी म हकन के मार डरिस.
   -वाजिब म अनफभिक कस गोठ हे संगी.. कुकुर बिसाय बर पइसा नइ दिस ततके म अपन महतारी ल मार डरिस!
  -हव.. वो ह जर्मन शैफर्ड बिसाना चाहत रिहिसे.. वोकर जगा छै सौ रुपिया रिहिस घलो हे, फेर दू सौ खँगत रिहिसे तेने ल अपन दाई जगा माँगिस.. वो ह नइ दिस त खटिया म सूते दाई के मुड़ ल हथौड़ी म हकन दिस.. वोकर सुवारी हल्ला गुल्ला सुन के वो तीर आइस तेकरो ऊपर हमला कर दिस.. उहू बपरी घायल होगे हे.. वोकर 15 बछर के बेटा ह भाग के परोसी मनला बताइस त जाके मामला म पुलिस कार्रवाई होइस.
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-सड़क म एक्सीडेंट होए के सेती खोरावत कल्हरत गरुवा मनला देख के राम देवांगन के मन म उँकर सेवा चाकरी करे के भाव का जागिस.. अब ए गौ सेवा ह मिशन के रूप धर ले हवय जी भैरा जेमा आसपास के जवनहा लइका मन सरलग जुड़त हें.
   -अच्छा.. ए कहाँ के बात आय जी कोंदा?
  -अरे हमरे रायपुर के नवा बस स्टैंड वाला भाँठागाँव के.. ए मन हर हफ्ता अपन जेब खर्चा के पइसा बचा के चार हजार रुपिया सकेलथें अउ हरियर साग भाजी बिसाथें.. कभू कुशालपुर, रायपुरा, महादेव घाट अउ लाखेनगर तक के गाय मनला चारा जेवा आथें.. अउ कहूँ कोनो गरुवा ह बीमार असन दिखथे तेला जरवाय जगा के लीलावती गौशाला म अमरा के उहाँ के डाक्टर ले इलाज करवाथें.
   -वाह भई.. ए तो लइका मन के सुग्घर उदिम ए.. आज जब ए उमर के लइका मन दारू चित्ती.. लँदर-फँदर म बिपतियाय रहिथें अइसन म गौवंश खातिर अइसन सेना भाव ह सँहराए के लाइक हे.
   -हव जी छै बछर होगे ए लइका मनला गौमाता मन के सेवा करत एमा राम देवांगन के संग विजय साहू, कृष्णा साहू, किशन देवांगन, मनीष देवांगन, हरीश वर्मा, अजय शर्मा, विवेक पंडित अउ उमेश साहू घलो हे.. अब एकर मन संग आने लइका मन घलो जुड़त हें.
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-मोला ए समझ म नइ आवय जी भैरा के मुख्यमंत्री साय ल घेरी-बेरी ए कहे के काबर जरूरत पर जाथे के आदिवासी मन सबले बड़े हिंदू आयँ?
   -आजकाल आदिवासी मनला एती-तेती भरमाए भटकाए के जबर उदिम चलत हे न जी कोंदा तेकर सेती होही.
   -कहूँ अइसे तो नहीं के वोला इहिच बुता खातिर मुखियई के पागा पहिनाए गे होही?
   -कोन जनी संगी.. मैं राजनीति के अंते तंते ल जादा नइ समझँव.. वो ह रायपुर म आर्य समाज के स्थापना दिवस वाले कार्यक्रम म काहत रिहिन हें- हमन सरना पूजा म भरोसा राखथन.. वो मन स्पष्ट करत कहिन के हमर डहार शिव पार्वती के प्रतीक मढ़ाए जाथे .. कतकों जगा गौरा गौरी मढ़ाए जाथे.. आखिर दूनों एकेच तो आय.
   -एक पइत मैं ह जशपुर जिला के बगीचा क्षेत्र के गाँव राजपुरी गे रेहेंव.. उहाँ के मुखिया ह मोला सरना तरिया अउ पूजा स्थल संग एक रिंगनी पेड़ के खाल्हे म स्थापित देवी ल देखावत बताए रिहिसे के ए ह पार्वती आय.. हमन एकरे पूजा करथन.
   -फेर हमर ए चातर राज के कतकों झन तो आने बताथें जी.. का आने आने मुड़ा के आदिवासी मन के आने आने देव प्रतीक अउ परंपरा होथे?
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-पहलगाम म होय आतंकी हमला के बाद केंद्र सरकार ह हमर देश म राहत जम्मो पाकिस्तानी मनला तुरते भारत ल छोड़ के जाए के आदेश जारी करे हे जी भैरा तब इहाँ आगू च ले राहत पाकिस्तानी नागरिक मनला काबर नइ खेदारे जावत हे तेने ह मोला थोकिन अनफभिक जनावत हे.
   -हमरो इहाँ पहिलीच ले पाकिस्तानी नागरिक मन हें जी कोंदा?
   -वाह.. रायपुरे जिला म 18 सौ पाक नागरिक हें.. एमा के कतकों झन हमर देश के नागरिकता माँगत हें, फेर अभी उनला मिल नइ पाए हे.
   -वाह भई.. हमला तो एकर गमे नइ रिहिसे?
   -गजब दिन होगे संगी ए मनला इहाँ आके राहत, फेर अभी तक ए मन इहाँ के भाखा संस्कृति ल आत्मसात नइ करे हें.. मोला लागथे के जे मन संबंधित क्षेत्र के भाखा संस्कृति ल आत्मसात नइ करयँ उनला वो क्षेत्र म रहे बसे के अनुमति नइ देना चाही.. हमर छत्तीसगढ़ ल तो धरमशाला बना डारे हें.. बंगलादेशी अउ तिब्बती मनला इहें लान के खुसेरिन अउ अब पाकिस्तानी मन बर घलो अइसने करे जावत हे.. कूड़ादान बना डारे हें ए पबरित भुइया ल.. कहूँ के कचरा होवय इहें लान के कूढ़ो देथें.
   -केंद्र सरकार ल संबंधित क्षेत्र के लोगन के उँकर भावना के घलो चेत राखना चाही तब कोनो किसम के अनुमति देना चाही.
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-अंते-अंते ले आके इहाँ बसुंद्रा बरोबर बसे कतकों अपराधी किसम के लोगन धर्म के मुखौटा खापे इहाँ के धार्मिक सांस्कृतिक ठउर मन म अवैध कब्जा करत हें कहिथें जी भैरा.
   -ठउका सुने हावस जी कोंदा.. इहाँ के कतकों मंदिर देवाला मन म जा उहाँ वो मन कब्जा कर के बइठगे हावयँ जिंकर न तो इहाँ के पुरखौती परंपरा ले कोनो संबंध हे न धार्मिक पूजा या जीवन पद्धति ले.
   -हव जी.. अभी लइका मन बतावत रिहिन हें- हमर रायपुर के महादेव घाट म घलो अइसने अवैध धार्मिक कब्जा होगे हे, जिहाँ अंते ले आए लोगन हमर पारंपरिक पूजा परंपरा के सत्यानाश करत रहिथे कहिथें.
   -हव जी.. हमर दाई-माई मन के नहाए-धोए के ठउर मन म सीसीटीवी लगा डारे हें बताथें..  सिरतोन संगी इहाँ धरम के आड़ म जेन नँगरा नाच करे जावत हे वो ह अनफभिक अउ अभियावन हे.
   -मैं तो कब के अइसन अलहन खातिर चेतावत हावौं.. राष्ट्रीयता के नॉव म क्षेत्रीय संस्कृति अउ परंपरा के जेन किसम ले हत्या करे जावत हे, तेकर खातिर इहाँ के जम्मो लोगन ल एक फेंट होए बर लागही तभे हमर पुरखौती परंपरा अउ संस्कृति के रक्षा हो पाही.
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-अक्ती के बजार सजगे हे काहत हें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. अब के लइका मनला अतके भर के तो चेत रहिथे.. हमर असली परब परंपरा के उन कहाँ आरो लेथें?
   -कइसे गढ़न के कहे संगी?
   -अक्ती ह सिरिफ पुतरा-पुतरी के बिहाव के परब नोहय संगी तेमा बजार म कइसन-कइसन समान सजे हे तेकर गोठ करन.
  -त जी संगी?
   -या तहूँ ह नेवरिया लइका मन बरोबर चेंधे असन करथस जी! अरे बइहा ए ह हमर किसानी संस्कृति के नवा बछर नोहय जी?
   -अरे हौ जी संगी.. मोरो चेत ह कती अभर गे रिहिसे ते.. हमर किसानी के शुरुआत करबो.. बइगा बबा ह सिद्ध कर के जे धान ल दिही तेला अपन खेत म ओनारबो.. मूठ धरबो.
   -हव जी अउ संझा बेरा जम्मो पौनी-पसारी मन संग कमइया-बनिहार मन के नवा बछर खातिर नियुक्ति करबोन.
   -सही आय संगी.. हमर मन के असली नवा बछर तो इही ह आय.. वइसे देश के जादातर क्षेत्र अउ राज मन म हमरे इहाँ असन खेती किसानी ले जुड़े परब ल ही नवा बछर के रूप म मनाथें.
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-डॉक्टर मन जेन माईलोगिन ल रेंगे-बुले म असमर्थ बता के बैसाखी धरा दिए रिहिन हें, तेही ह अभी दुबई म होय 11 वाँ अंतरराष्ट्रीय खेल समारोह म 3 सोनहा अउ एक चाँदी के पदक जीत के न सिरिफ छत्तीसगढ़ के भलुक भारत के गौरव ल बढ़ा दिए हे जी भैरा.
   -अच्छा.. डॉक्टर मन जेला बैसाखी धरा दिए रिहिन ते ह जी कोंदा?
   -हव जी संगी.. मनेंद्रगढ़ के 67 बछर के कमला देवी मंगतानी के गोठ आय.. पाछू 30 बछर ले डायबिटीज ले जूझत कमला देवी ह जब डॉक्टर मन वोला बैसाखी धर के रेंगे अउ अपन माड़ी ल बदलवाए के सुझाव दिन त वो ह बैसाखी ल लात मार के  एक एक पाँव उचावत जिम जाए लागिस अउ उहाँ पछीना गारिस तेकर सेती वेटलिफ्टिंग म अब तक 100 ले जादा पदक बटोर डारे हे, एमा अभी हालेच म संपन्न अंतरराष्ट्रीय खेल समारोह ह सबले जादा गरब करे के लाइक हे.
   -सही आय जी.. जेन उमर म लोगन खटिया ल पोटारे चाय के चुस्की म दिन पहावत रहिथें तेन उमर म अंतरराष्ट्रीय स्तर म गोल्ड जीतना ह अद्भुत अउ प्रेरणादायी हे.
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-हमर गाँव-गँवई के बैद अउ बइगा-गुनिया मन के पारंपरिक ज्ञान ल सकेले-जोरे अउ उजरा के जनोपयोगी बनाय के उदिम अब फेर चलही तइसे जनावत हे जी भैरा.
   -ए तो बने बात आय जी कोंदा.. हमन आधुनिकता के नॉव म अपन पारंपरिक ज्ञान ल बिसरावत जावत हावन तेकर सेती कतकों किसम के खर्चीला अउ फोकटइया चिभिक म बूड़त हावन.
   -सही आय जी.. काली मुख्यमंत्री ह छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा अउ औषधि पादप बोर्ड के नवा अध्यक्ष के पदभार ग्रहण समारोह म काहत रिहिसे के हमन अपन जम्मो किसम के पारंपरिक ज्ञान स्रोत के संरक्षण संवर्धन करत रहिबोन त स्वास्थ्य जीवन के संगे-संग आर्थिक रूप ले घलो जादा लाभ कमाबोन.
   -सही तो काहत हें जी महूँ ह ए बात के समर्थक हौं.. जतका इहाँ के पारंपरिक औषधि मन के महत्व हे वतकेच माँत्रिक परंपरा मन के घलो हे.
   -हव वो मन काहत रिहिन हें- अभी हमन धान के खेती म जतका कमा लेथन कहूँ वोकर बलदा औषधि पौधा के खेती करबो त कतकों गुना जादा लाभ पा सकथन.
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-सबो धरम के अपन मान्यता होथे जी भैरा फेर कभू-कभू वो ह एक-दूसर के मान्यता संग विरोधाभास जनाथे.
   -हाँ.. ए बात तो हे जी कोंदा तभे तो कोनो मन ईश्वर ल साकार कहिथें त कोनो निराकार त कोनो-कोनो अइसनो होथें जे मन साकार निराकार के झंझट म परे के बलदा सबोच रूप ल मानथें.
   -हव जी.. अभी इंदौर म एक तीन बछर के नान्हे नोनी ल जैन धर्म के संथारा परंपरा के अंतर्गत देंह त्याग के प्रक्रिया पूरा करवाए गिस जेला गिनिज बुक ऑफ विश्व रिकार्ड ह सबले कम उमर म संथारा के माध्यम ले देंह त्याग करइया नोनी के रूप म प्रमाणपत्र दिए हे.. जैन धर्म म कोनो तपस्वी या आम लोगन जेन कोनो किसम के लाइलाज़ बीमारी या अउ कोनो कारण ले मुक्ति खातिर अन्न जल आदि सब त्याग कर के अपन देंह के त्याग करथे वोला संथारा करना कहे जाथे.
   -वाह भई.. त वो तीन बछर के नोनी ह ए सब कारण अउ महत्व ल समझे के लायक होगे रिहिस होही जी?
   -असल म वो नोनी ह एक पीरादायी बीमारी ले ग्रसित रिहिसे तेकर सेती उँकर सियान मन एक संत के मार्गदर्शन म संथारा करवाए रिहिन हें.
   -आश्चर्य हे संगी.. हमर धरम परंपरा म तो अइसन बीमारी ल प्रारब्ध भोग मान के वोला भोगत ही जिनगी जीथन.
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-धरम के नॉव म कट्टरता अउ आपसी जलन ह लोगन ल मूर्खता के दलदल म कतेक ढकेल देथे तेकर ठउका उदाहरण अभी बंगलादेश ले आए हे जी भैरा.
   -बंगलादेश म तो वइसे भी अभी धार्मिक उन्माद ह भारी अतलंगी करत हे जी कोंदा.
   -सही कहे संगी, फेर ए खबर ह अउ उजबक बानी के हे..उहाँ के मदारीपुर जिला के आलम मीर कंडी गाँव के बर पेंड़ ल कट्टरपंथी  मन सिरिफ ए सेती काट डरिन काबर ते हिंदू मन वो बर पेंड़ के खाल्ले ह दीया बार के पूजा करँय.
   -वाह भई.. हमर धरम परंपरा म तो तरिया नँदिया, रूख राई, डोंगरी पहार सबोच के पूजा करे जाथे.. ए बात ल धार्मिक आस्था ल छोड़ देबे तभो प्रकृति के संरक्षण के रूप म तो सम्मान दिए ही जा सकथे.
   -हव जी, फेर उहाँ के कट्टरपंथी मौलवी मन वोला 'शिर्क' माने इस्लाम म अल्लाह के संग कोनो अउ ल जोड़े के हराम हरकत बतावत फतवा जारी करे रिहिसे.
   -ए ह तो धार्मिक अंधियारी के जबर उदाहरण आय संगी.
   -सही कहे.. वो बर पेंड़ ह 200 बछर जुन्ना प्राकृतिक विरासत रिहिसे संगी जेकर पूजा अउ दरस बर दुरिहा दुरिहा ले लोगन आवयँ.
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-अपन बेटा ल सरकारी नौकरी म अनुकंपा नियुक्ति देवाय बर वोकर महतारी ह अपने जाँवरजोड़ी ल मरवा डरिस जी भैरा.
   -बड़ा उजबक बानी के खबर बताथस जी कोंदा.
   -हव जी संगी, फेर ए ह हमरे परोस के खबर आय..तिल्दा जगा के बेमता गाँव के राजू भट्ट ह रायपुर मंत्रालय म चपरासी रिहिसे, तेला वोकरे सुवारी रौशनी शर्मा ह अपन मइके के उमाशंकर शर्मा अउ मुकेश शर्मा ल इहाँ बलवा के मरवा डारिस.
   -मोला तो सुने म ही अनफभिक जनावत हे संगी.
   -हव..तिल्दा पुलिस ह ए मामला म मृतक के गोसइन, वोकर बेटा, सास अउ वो दूनों मरइया मनला गिरफ्तार करे हे.
   -ले इही ल दूध गय ते गय संग म दुहना घलो गय कहिथें तइसे कस होगे कहिदे.
   -अउ का.. नौकरिहा आदमी तो मरिच गे.. अनुकंपा के आस लगाय बेटा घलो जेल के भीतर हमागे.. एक किसम ले वो ह राँड़ी के संगे-संग ठगड़ी बरोबर घलो होगे.
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-बैसाख पुन्नी जोहार जी भैरा..
   -जोहार संगी कोंदा.
   -अध्यात्म के रद्दा अबड़ अलकर हे जी संगी.. एक डहार तो तुँहर असन मन देवी-देवता के पूजा-उपासना के गोठ करथव त ए रद्दा म अइसनो लोगन हें, जे मन कोनो देवी-देवता या ईश्वर के कोनो अस्तित्व नइए कहिथें.
   -अपन-अपन ज्ञान अउ अनुभव के बात आय जी संगी.. अब तहीं बता मोला- अतेक विशाल ब्रम्हांड ल कोनो शक्ति तो संचालित करत होही, ते ए सब ह अपने अपन व्यवस्थित रूप म अपन बुता ल करत होहीं? 
   -अपने अपन रेंगतीन.. मनमर्जी ले बुता करतीन तब तो सब छदर-बदर हो जातीस जी संगी.
   -हव.. ठउका कहेस- सब अंते-तंते अउ छदर-बदर हो जातीस, अउ अइसन नइ होवते त एकर मतलब तो ए हे ना के कोनो न कोनो तो सुपर पॉवर हे, जे ह ए सबला  संचालित करत हे.
    -तोर बात तो वाजिब जनाथे संगी.
   -बस.. इही वाजिब ह वो सुपर पॉवर आय, जेला कोनो भगवान कहि देथे त कोनो ईश्वर या गॉड त कोनो रब अउ खुदा या फेर प्रकृति शक्ति.. बस नॉव ल कुछू भी गढ़ लेथें, फेर मानथें सब उही ल.. उही सुपर पॉवर ल.
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-ए बछर छत्तीसगढ़ी व्याकरण ल लिखाय पूरा 140 बछर होगे जी भैरा.
   -एक सौ चालीस बछर जी कोंदा?
   -हव.. बछर 1880 ले बछर 1885 तक वोकर लिखई कारज ल काव्योपाध्याय हीरालाल चंद्रनाहू ह पूरा करे रिहिसे.. माने 1885 म छत्तीसगढ़ी व्याकरण के लेखन कारज ह सिध परगे रिहिसे.
   -अच्छा..
   -हव.. फेर वोकर छपई ह बछर 1890 म छत्तीसगढ़ी अउ अंगरेजी म समिलहा होय रिहिसे.
   -अंगरेजी संग समिलहा?
   -हव जी.. सर जार्ज ग्रियर्सन ह छत्तीसगढ़ी व्याकरण ल अंगरेजी म अनुवाद कर के बछर 1890 म दूनों भाखा म समिलहा छपवाए रिहिसे.. अउ तैं जानथस संगी.. जब छत्तीसगढ़ी व्याकरण छप के आइस वो बखत तक हिंदी के व्याकरण बन नइ पाए रिहिसे.
   -ताज्जुब हे संगी.. हमन तो हिंदी ल जम्मो बुता म अगुवा होही समझत रेहेन.
   -हिंदी के व्याकरण ह बछर 1920 म कामता प्रसाद गुरु के माध्यम ले आइस.
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-घुड़ुर घाड़र के दिन के लकठियाते करा पानी संग गाज गिरे के घलो खबर आए लगे हे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. चम्मास म कतका जुवर कती मुड़ा ले गरजत बादर ह आके दमोर देही तेकर ठिकाना नइ राहय.
   -बिजुरी लउका के संग गाज गिरे के घटना तो घलो बाढ़ जाथे.. एदे अभीच्चे धमतरी जिला के भाँठागाँव ले खबर आय हे उहाँ रोहित सिन्हा नॉव के तीस बछर के छोकरा के गाज के अभेरा म आए के सेती मौत होगे.
   -अइसन बेरा म मौसम विभाग ह जेन सावधानी के गोठ बताए रहिथे, तेकर खँच्चित चेत राखना चाही संगी.
   -हहो.. फेर आजकाल तो मोबाइल नॉव के एक नवा चरित्तर आगे हे.. जेन ल देख तेकरे खीसा म अमाय रहिथे.
   -हव जी.. अभी रोहित सिन्हा के जेन मौत होय हे वोकरो कारण मोबाइल ल ही बताए गे हावय.. बताथें के गरज चमक के बेरा म वो अपन घर बारी म सेप्टिक बनाय के बुता चलत रिहिसे तेने ल देखत मोबाइल म काकरो संग गोठियावत रिहिसे.
   -अइसने ह तो जउँहर आय.
   -हव.. डॉक्टर के कहना हे के वो बेरा म रोहित के मोबाइल के डाटा माने इंटरनेट चालू रिहिस होही तेकर सेती गाज माने आकाशीय बिजली ह वो डहार आकर्षित होइस होही.
   -अच्छा.. त गरज चमक के बेरा म मोबाइल डाटा ल बंद रखना ह सही होही कहिदे.
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-कतकों झन मोला पूछ देथें जी भैरा के छत्तीसगढ़ी म धन्यवाद कइसे कहिथें?
   -जे मन छत्तीसगढ़ी के परंपरा ल नइ जानँय जी कोंदा ते मन अइसन पूछ देथें.. कोनो कोनो ल इहू भरम होथे के छत्तीसगढ़ी भाखा के शब्दभंडार ह कमती होही तेकर सेती ए भाखा म धन्यवाद शब्द ही नइए.
   -हव जी.. फेर का हे ना..हर भाखा के अपन मौलिक परंपरा होथे, तेकर सेती वोला कोनो आने भाखा संग एकमई कर के नइ देखना चाही.. अउ हो सकय त वो भाखा अउ शब्द ले जुड़े परंपरा ल समझना चाही.. अब हमरे इहाँ देख ले धन्यवाद के सीधा सीधा रूपांतरित शब्द नइए, फेर धन्यवाद दे के परंपरा तो हे..अउ सिरिफ जुच्छा धन्यवाद भर नहीं भलुक संग म शुभकामना घलो दिए जाथे.
   -अच्छा.. अइसे.?
   -हव.. जब कोनो हमर खातिर बने सँहराय के लाइक बुता करथे त कहिथन ना- बने करे बाबू.. भगवान तोर भला करय या तोर जस बाढ़य.. अइसने अउ कतकों  अकन शुभकामना या आशीष घलो संग म देथन.. त अब तहीं बता.. जुच्छा धन्यवाद भर कहे ले हमर परंपरा जेमा आभार व्यक्त करे के संग शुभकामना घलो देथन ए ह जादा मयारुक हवय ते नहीं?
   -सही म संगी.. हमर परंपरा ह जादा निक जनावत हे.
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-पानी-बादर के दिन आइस तहाँ ले साँप-डेड़ू मन के घलो दिन आ जाथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. तहाँ ले चारों मुड़ा ले साँप चाबे के खबर आए लगथे.
   -सही आय.. हमर छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला के तो  ए मामला म नागलोक के रूप म प्रसिद्ध हे.
   -पहिली इहाँ अइसन बिखहर जीव मन ले बाँचे खातिर 'नगमत' के परंपरा रिहिसे.. नागपंचमी, हरेली या फेर कोनो कोनो गाँव म पोरा परब म मनाए जाय 'नगमत'  ल.. एमा माँत्रिक शक्ति के माध्यम ले साँप मन के जहर उतारे के विधि म लोगन ल पारंगत तो करे ही जावय संग म साँप आदि बिखहर जीव मनले पूजा सुमरनी कर बाँचे के अरजी  बिनती करे जावय.
   -सही आय संगी.. अभी घलो कतकों गाँव मन म 'नगमत' के परंपरा देखे म आथे.. अच्छा तैं जानथस के सबो किसम के साँप मन जहरीला नइ होय.
   -अच्छा.. अइसे?
   -हव.. हमर देश म 550 किसम के साँप पाए जाथे तेमा के सिरिफ 10 प्रजाति भर मन जहरीला होथें.
   -वाह भई..!
   -हव.. जानकार मन के कहना हे के जादातर मनखे साँप के जहर ले नहीं भलुक वोकर झझक के सेती मरथें.. तेकर सेती साँप के चाबे म फोकटइहा डर्राय के बलदा वोकर उपचार के उदिम करना चाही.
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-लोगन कोनो किसम के भावना म बोहा के साधु बैरागी के भेस तो खाप लेथें जी भैरा फेर अइसे जनाथे के वो मन घर-परिवार के माया लोक ले उबर नइ पावँय.
   -कतकों लोगन तो सिरिफ देखाय के खातिर ही सँवागा करे जनाथें जी कोंदा.. जबकि सही म जेकर भीतर साधुता या कहिन अध्यात्म के लगन लग जाथे वोला कोनो किसम के सँवागा खापे के जरूरत नइ परय.. वो आम आदमी के पहनावा म ही मुक्ति के रद्दा पा जाथे.
   -सही आय जी.. अंतस म अध्यात्म के भाव रहना चाही.. कपड़ा-लत्ता या साज-सँवागा म नहीं.
   -हव.. अभी खरोरा ले खबर आए हे.. उहाँ के 74 बछर के बिसरू धीवर ह जेन पाछू बीस बछर ले साधु के चोला खापे अयोध्या म राहत रिहिसे.. उहाँ ले  लहुट के वापिस आइस अउ अपन 71 बछर के सुवारी के टोटा ल मसक के मार डरिस.
   -वाह भई.. माने वो ह अपन डोकरी ल मारेच के नॉव म अयोध्या ले लहुटे रिहिसे कहिदे.
   -कोन जनी संगी.. 74 बछर के  साधु चोला खापे बुढ़वा ल अपन 71 बछर के डोकरी म का जिनिस नइ सुहाइस ते.?
   -बताथें के वो ह अपन सुवारी के जुन्ना बेरा के चाल-चलन के सेती झगरा करय.
   -टार बुजा ल.. साधु चोला खापे मनखे ल जुन्ना दिन के का सरेखा?
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-ए बछर नवतपा के शुरुआत ह  अँकरस के जबर बरसा संग होय हे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. जेठ म झड़ी -झखर बरोबर.. फेर मौसम ह जिहाँ घुरूर घारर करथे यहाँ ले शरीर ह घलो खुसुर खासर करे लागथे.
   - बिहनिया रगरग ले घाम त सँझौती के होवत ले रदरद रदरद पानी.. अइसन म हमर सियाना देंह कतेक ले थेबही.. बपरा एती-तेती हो जाथे.
   -नान्हे लइका मन के देंह-पाँव ल जान ते सियनहा मन के दूनों च ल अइसन बेरा म सावचेत राखे ल परथे.
   -हव जी.. डॉक्टर मन के कहना हे- ए बेरा म इम्युनिटी पॉवर बढ़ाय बर पोषण तत्व लेवत रहना चाही.. नान्हे लइका मनला हर दू घंटा म पोषण तत्व देना चाही त सियनहा मनला गिलोय, करिया मरीच, दालचीनी, अदरक अउ गुड़ ले बनाय काढ़ा के सेवन करना चाही.
   -सही आय जी.. हीमोग्लोबिन के स्तर ल अइसन बेरा म बढ़ाय खातिर गहूँ के रोटी के बलदा मोटहा अनाज जेला मिलेट कहिथन न.. तेकर रोटी दे म पाचुक बने होए संग म इम्युनिटी घलो ल बढ़ाथे.
   -इम्युनिटी पॉवर बढ़ाय बर मौसमी फल अउ साग-भाजी घलो बनेच खाना चाही.
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-अभी दूअर्थी गीत गवइया मन के खिलाफ लइका मन बने जोम मढ़ाए हें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा महूँ ल खबर मिले हे.. थाना म उँकर नॉव सुद्धा रिपोर्ट करे हे काहत रिहिन हें.
   -ए दूअर्थी चरित्तर ह बैतलराम साहू, पंचराम मिर्झा, शिवकुमार तिवारी, दिलीप लहरिया आदि मन ले होवत अभी के नेवरिया गायक मन तक हबरे हे.
   -बीच म जब विडीयो फिलिम के दौर चलत रिहिसे तभो तो समधिन के झटका, मोर डौकी के बिहाव जइसन टाइटल देखे सुने ले मिलत रिहिसे संगी.
   -मोला ए समझ नइ आवय संगी के लोगन अलकर-सलकर गा बजा के कइसे लोकप्रिय हो जाबो गुन लेथें?
   -सही कहे.. जबकि आज घलो चंदैनी गोंदा, नवा बिहान, सोनहा बिहान जइसन सांस्कृतिक मंच के गीत मन अजर अमर बरोबर सबके मया अउ दुलार पावत हे, तब लोगन अइसन मयारुक गीत-संगीत डहार काबर चेत नइ करँय?
   -लोगन के कहना हे के ए मनला व्यावसायिक कंपनी वाले मन लंदर-फंदर गाए बजाए बर सोरियाथें.
    -असल म जइसे केंद्र म फिल्म प्रमाणन बोर्ड हावय न वइसने इहाँ घलो ए सब के देख-रेख बर एको बोर्ड या निगम के गठन करे जाना चाही, जेमा मंच म प्रस्तुत होवइया हर विधा के सरेखा होवय.
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-हमन गँवई गाँव म डोकरी ढाकरी मनला कतकों किसम के टोटका करत देखे रेहेन जी भैरा फेर शहर म घलो देव-धरम के नॉव म टोटका करत देखेन त ताज्जुब लागीस!
   -कइसे का होगे जी कोंदा?
   -बीते अमावस के शनि महराज के जयंती रिहिसे न त रायपुर के जम्मो शनि मंदिर मन म ए दिन भक्त मन के जबर भीड़ रिहिसे.
   -रहिबे करही जी.. जे मनला शनि ग्रह के कोनो किसम के दोष लगे रहिथे ते मन तो ए दिन जरूर जाथें.
   -हव जी.. लोगन तेल अउ तिली संग शनि महराज के अभिषेक करीन.. कतकों विधि ले पूजा अर्चना करीन.. दान पुन्न करीन.. इहाँ तक तो बने जनाइस, फेर मंदिर ले लहुटती बेर कतकों लोगन अपन पनही अउ चप्पल ल उहें छोड़ दिन तेने ह मोला थोकिन अलकर जनाइस.
   -अच्छा.. मंदिरे म पनही चप्पल ल छोड़ दिन जी?
   -हव जी.. चूरी लाईन वाले जुन्ना शनिदेव मंदिर के पुजारी ह बतावत रिहिसे के हजार दू हजार के पुरती पनही चप्पल उहाँ परे हे जेला कोनो मेर के घुरुवा म फेंकवाय के व्यवस्था अब उही ल करे बर लागही.. पुजारी बतावत रिहिसे के लोगन पनही चप्पल ल मंदिर म छोड़े के टोटका ल ए सेती करथें के एकर ले उनला लगे शनि के दोष ह उहें छूट जाही अउ वो मन वो दोष ले मुक्त हो जाहीं.
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Monday, 5 May 2025

मटपरई शिल्प कला अउ अभिषेक सपन

मटपरई शिल्प कला अउ अभिषेक सपन..
    मटपरई शिल्प कला ह सुने म थोकिन कुछू नेवरिया उदिम कस जनाही, फेर ए ह जुन्ना परंपरा आय. मोला सुरता हे- हमर महतारी ह गरमी के छुट्टी म बछर भर के सकेले जुन्ना कागज मनला पानी म बोर देवय तहाँ ले वोला कुछू जिनिस म गदगद ले कुचर के लुद्दी बना लेवय. फेर ए कागज के लुद्दी म खेत ले लाने करिया माटी, जेला हमन मुड़मिंजनी माटी घलो कहिथन ल बने कुचर के मिला देवय अउ फेर रोटी पोए बर पिसान ल बने मसल मसल के सानथन तइसने सानय. जब वो माटी अउ कागज के मिश्रण ह बने गुँथा जावय, तब कोनो करसी या मरकी ल उल्टा खपल के वोमा टोपली के आकार म थाप देवय.
   अइसने कभू-कभू बिन माटी मिलाए आरुग कागज के टोपली घलो बनावय. कागज के बने टोपली ह बनेच हरू होथे, तेकर सेती एकर उपयोग करई ह सोहलियत जनावय. हमन तो करा बाँटी (कंचा) धरे बर घलो एकर उपयोग कर लेवत रेहेन. बोइर खोइला ल घलो लुका के धरे बर वोकर बने उपयोग होवय. 
   आज वैज्ञानिक आविष्कार के चलत टोपली जइसन जिनिस के विकल्प के रूप म कतकों जिनिस आगे हवय, तेकर सेती अब माटी अउ कागज के मिश्रण ले बनाय जाने वाला टोपली कहूँ देखब म नइ आवय.
   अभी गाँव डुमरडीह (उतई) जिला दुर्ग के युवा कलाकार अभिषेक सपन ल मैं कागज के टोपली बनाय के बुता म नवाचार करत देखेंव त गजब निक लागिस. हमर दाई महतारी मन तो कागज अउ माटी ले टोपली भर बनावत रिहिन हें, फेर अभिषेक ह एक ले बढ़ के एक पुतरा पुतरी अउ खेलौना संग कतकों किसम के मयारुक जिनिस बनाथे. अभिषेक ह अपन ए नवाचार के प्रदर्शन ल कतकों जगा करत रहिथे. छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के बेरा म होवइया राज्योत्सव म घलो कर डारे हे. कतकों स्कूल अउ कॉलेज मन म अपन ए नवाचार के प्रशिक्षण दे के बुता घलो अभिषेक ह करत रहिथे.
   अभिषेक बताथे के वो ह ए नवाचार जेला 'मटपरई' शिल्प कला कहे जाथे, एला बनाय म माटी अउ कागज के संगे-संग अरसी के खरी (घानी म तेल पेरे के बाद निकले अरसी के शेष भाग) के उपयोग करथे. वोकर कहना हे के अरसी के खरी मिलाय ले मटपरई शिल्प म कीरा-मकोरा के हमला जादा नइ होवय.
   अभिषेक ए मटपरई शिल्प कला के क्षेत्र म आए के संबंध म बताथे के वोकर महतारी के मइके जेन रायपुर के कोटा म हे उहाँ वोकर ममादाई भगइया बाई ह मटपरई कला के अंतर्गत सुग्घर सुग्घर पुतरा पुतरी अउ आने खेलौना बनावय, जेला ए मन सबो भाई बहिनी मिल के पिड़उरी छूही, गेरू, चूरी रंग जइसन मयारुक रंग म रंगयँ किसम किसम के कलाकारी करँय अउ फेर बने बने कपड़ा लत्ता पहिरावँय अउ अपन महतारी संग धर के महादेव घाट के मेला म बेचे बर जावयँ. अभिषेक के ममियारो म चना, मुर्रा, लाई आदि फोर के पसरा लगावँय. 
   बछर 1979 म वोकर महतारी लीलादेवी के बिहाव उतई डुमरडीह जिला दुर्ग म होइस. इहाँ वोकर सास माने अभिषेक के बूढ़ीदाई राजिम बाई घलो मटपरई कला ले टुकना आदि बनावँय. ए किसम अभिषेक ल अपन महतारी के संगे-संग ममादाई अउ बूढ़ीदाई सबोच के कला विरासत अउ मार्गदर्शन मिलिस. 
   अभिषेक सपन ह आज मटपरई कला शिल्प ल एक मिशन अउ अभियान के रूप म आगू बढ़ावत हे. खुद घलो नवा नवा कलाकृति मन के सिरजन करत हे अउ नवा सिखइया लइका मनला घलो प्रेरित अउ प्रोत्साहित करत हे. वोकर ए नवाचार खातिर शुभकामना हे.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर

Thursday, 17 April 2025

कोंदा भैरा के गोठ-32

कोंदा भैरा के गोठ-32

1.
-होली परब ल लेके लोगन के मान्यता अउ आस्था घलो आने-आने देखे ले मिलथे जी भैरा.
   -ए तो सिरतोन आय जी कोंदा.. अब गरियाबंद जिला के गाँव गोहरापदर (मैनपुर) के ही बात ल देख लेवौ.. इहाँ होले जलाए के बाद वोकर धधकत आगी म उखरा पाँव रेंगे के परंपरा हे.
   -वाह भई.. आगी म उखरा पाँव?
   -हव.. गाँव के पुजारी देवीसिंह नेताम, मेघराम बघेल, नरसिंह यादव अउ गुरुनारायण तिवारी के कहना हे- ए परंपरा ल हमन पुरखौती बेरा ले इहाँ देखत आवत हवन.. एकर संदर्भ म मान्यता हे के एकर ले गाँव म कोनो किसम के आपदा नइ आवय.
   -अच्छा.. अइसे..?
   -हव.. वो मन बताइन के लइका ले लेके बुढ़वा अउ जवान सब होले के आगी म हर बछर रेंगथें, फेर काकरो पाँव ह न तो जरय या वोमा फोरा परय..गाँव के जम्मो देवी-देवता मन के पूजा-पैलगी करे के बाद देवी दाई के जयकारा लगावत ए परंपरा ल निभाए जाथे.. इहू बछर ए परंपरा ल पूरा उत्साह के साथ मनाए गिस.
   -वाह भई.. जय हो देवी दाई.
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2.
-होली मान के अँगना म सूते के  चालू हो जावय जी भैरा.. फेर जब ले गाँव के भाँठा म रकसा बरोबर करिया धुँगिया उगलत फैक्टरी आय हे तब ले अकबकावत कुरियच म खुसरे राह कस होगे हे.
   -हव जी कोंदा.. हमरो मन के इही हाल हे.. ए धुँगिया उगलत फैक्टरी मन के मारे तो गाँव के कुआँ अउ तरिया ह घलो आरुग नइ बाँचे हे.. देखबे ते पानी के उप्पर म पपड़ी बरोबर जमे असन दिखथे राख ह, बने ससन भर न नहाए सकस न गुरतुर पानी आय कहिके अँखमुंदा पीए सकस.
   -हव भई.. अउ तोला सुरता हे.. पढ़त राहन त गरमी के छुट्टी भर रतिहा के सूतई ल तरिया पार के मंदिर के छत ऊपर करन.
   -हव जी अड़बड़ नींद परय.. मार फुरुर-फुरुर हवा.. एक चद्दर के जाड़ वोमा पूरा सीजन भर जनावय, फेर अब तो फैक्टरी के धुँगिया ह उहों पट्टाय रहिथे.. मार करियच करिया.. उहाँ सूतई तो दुरिहा जाय बइठे म घलो अलकर अस जनाथे.
   -सही आय संगी.. हमन अपन पीरा ल कतकों गोहरावत हवन.. लोगन ल जनवावत हावन, फेर प्रदूषण विभाग ल ए सब ले कोनो  लेना देना नइए न हमर ए तीर के कोनो जनप्रतिनिधि मनला.
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3.
-बने गतर के गरमी अभी आए नइए अउ बिजली रानी ह दँतनिपोरई चालू कर डारे हे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. जेन किसम ले बिजली के माँग बाढ़त हे, तेकर मुकाबला वोकर उत्पादन म कमी आवत जावत हे, इही पाय के पंखा उंखा मन घलो ढेरियाय असन करे लगे हें.. बतावत हें- कभू हमर सरप्लस बिजली वाले राज म ए बछर आने राज ले बिजली बिसाय बर परत हे.
   -करलई हे संगी.. एक डहार हमन बिजली के नॉव म जंगल के विनाश झन होवय कहि के गुनत रहिथन अउ दूसर डहार बिन पंखा कूलर अउ एसी-फेसी के बिना दिन ल नइ पहवा पावन त कइसे होही?
   -मोला लागथे संगी हमन ल वैकल्पिक ऊर्जा डहार चेत करे बर लागही.. पीएम सूर्य घर मुफ्त योजना जइसन योजना मनला गंभीरता के साथ हमन ल अपनाना चाही.
   -हाँ.. अपन घर के छत के ऊपर सौर ऊर्जा के माध्यम ले अतिरिक्त बिजली के जुगाड़ जमाना चाही.
   -बहुत अकन अइसन माध्यम हो सकथे जेकर ले बिजली पाए जा सकथे, हमन ल वो जम्मो साधन के सदुपयोग करना चाही, एकर ले हम अपन कोयला, जंगल जइसन प्राकृतिक संसाधन के बचाव घलो कर सकथन अउ जरूरी जिनिस मन खातिर बिजली घलो पा सकथन.
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4.
-जे लइका मन अपन सियान मनला अपन संपत्ति अउ वसीयत ल उँकर नॉव म करे के बाद उनला सरकारी अस्पताल म छोड़ के चल देथें वोकर मन के वसीयत अउ जम्मो संपत्ति के लेखा-जोखा ल रद्द कर देना चाही काहत हे जी भैरा.
   -हव ए बात ले तो महूँ सहमत हावौं जी कोंदा.. वृद्धाश्रम म धँधाय सियान मन के लइका मन संग घलो अइसने होना चाही.. कतकों उजबक किसम के लइका मन जम्मो चीज-बस ल अपन नॉव म चढ़वाए के बाद दाई-ददा मन संग अतलंगी करथें.
   -हव जी अभी कर्नाटक के मंत्री  शरण प्रकाश पाटिल ह ए विषय ल गंभीरता के साथ ले खातिर जम्मो लोगन अउ सरकार ल गोहराय हे, उँकर कहना हे के वो मन अइसन कई ठन मामला देखे हें, जेमा लइका मन अपन सियान मन के संपत्ति अउ वसीयत ल अपन नॉव म चढ़वाय के बाद दाई-ददा ल कोनो सरकारी ठीहा म छोड़ देथें.. अइसन कोनो भी मामला आगू आवत हे त वो लइका मन के नॉव म चघे संपत्ति अउ वसीयत ल कानूनी रूप ले रद्द कर दिए जाना चाही.
   -रद्द करे जाना चाही, संग म वइसन लइका मनला कोनो किसम के सरकारी सुविधा मिलत होही तेनो ल रोके-छेके जाना चाही.
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5.
-हमर देश के सांस्कृतिक विविधता म एके असन जनइया कतकों अइसे परब हे जी भैरा जेला देखे गुने म अलगेच लागथे फेर उनला समझे म निक घलो जनाथे.
   -हाँ ए बात तो हे जी कोंदा.
   -अभी देख राजधानी रायपुर म   राजस्थान म धूमधाम ले मनाए जाने वाला गणगौर परब मनाए जावत हे.. ए ह ईसर-गौरा के बिहाव के रूप म भगवान शिव अउ माता पार्वती के बिहाव के परब आय, जेला सोला दिन तक विविध आयोजन के रूप म मनाए जाही.
   -अच्छा.. हमर छत्तीसगढ़ म जइसे कातिक अमावस के गौरी-गौरा पूजा के रूप म गौरा-ईसरदेव के बिहाव के परब मनाथन तइसने?
   -गौरा-ईसरदेव शब्द ल सुन के एके असन जनावत हे ना, फेर एमा बनेच अंतर बताए जाथे.. रायपुर म चलत ए गणगौर उत्सव म काली जुवर गौरा, ईसरदेव, सूरजमल, रोवा अउ मालन के प्रतिमा के स्थापना करे गिस.. जानकार मन बताइन के इही पाँचों के पूजा ए परब के अंतर्गत करे जाथे.. वो मन बताइन के कुँवारी नोनी मन भगवान शिव असन वर पाए खातिर उँकर आशीष माँगिन.. ए बेरा म उँकर मन के द्वारा अउ कतकों किसम के सांस्कृतिक कार्यक्रम घलो करे गिस अउ आगू घलो करे जाही.
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6.
-बॉलीवुड के मयारुक कलाकार रेहे हेमामालिनी जगा अभी धरम संकट के स्थिति पैदा होगे हे कहिथें जी भैरा.
   -अइसे काबर जी कोंदा.. वो तो हिंदू धरम के सम्मानित सदस्य आय तब धरम संकट काबर?
   -भगवान जगन्नाथ के दरस खातिर जब वो गे रिहिसे त उहाँ के श्री जगन्नाथ सेना संगठन ह ए ह मुसलमान आय एकर मंदिर म अमाय ले धार्मिक भावना आहत होय हे कहिके एफआईआर लिखवा दिए हे.
   -वाह भई ताज्जुब हे..!
   -हव.. असल म 21 अगस्त 1979 के जब हेमामालिनी ह धर्मेंद्र संग बिहाव करे रिहिसे त धरम परिवर्तन कर डारे रिहिसे.
   -वाह भई..!
   -तब धर्मेंद्र ह तो पहिलीच ले लोग-लइका वाले रिहिसे, तेकर सेती वो हिंदू धर्म के मुताबिक दुसरइया बिहाव नइ कर सकतीस.. इही समस्या ल देखत मुंबई के काजी अब्दुल्ला फैजाबादी जगा जाके इस्लाम कबूल करे रिहिन हें अउ इस्लामी पद्धति ले ही बिहाव घलो करे रिहिन हें.
   -ददा रे.. बिहाव करे बर अतका चरित्तर रचे रिहिन हें कहि दे?
   -हव.. काबर ते इस्लाम म चार बिहाव तक के छूट हे ना.
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7.
-सिरपुर के नॉव लेते मन म गरब के भाव जाग जाथे जी भैरा,  फेर अभी तक एला विश्व धरोहर के सूची म सँघारे नइ जा सके हे.
   -वाह भई.. दक्षिण कौशल के जुन्ना राजधानी के रूप म अपन चिन्हारी रखइया धरोहर घलो ल गा..?
   -बताथें के एकर निर्धारण खातिर जेन टीम इहाँ देखे बर आए रिहिसे तेन ह एला वो योग्य नइ पाइस.. विश्व धरोहर के सूची म सँघरे खातिर बहुत अकन मानक ल पूरा करे बर लागथे, फेर प्रशासनिक उपेक्षा के सेती वो मन पूरा नइ हो पाइन..अब देखव अवइया बेरा म सँघर पाथे के नहीं ते.. वइसे अभी लोकसभा म महासमुंद सांसद ह एकर बारे म आवाज उठाए हे, फेर लोकसभा म बात उठाए ले का होथे.. असल बात तो ए हे, के जब तक विश्व धरोहर के रूप म सँघरे के जेन मानक होथे वोला पूरा नइ करे जाही तब तक अइसन संभव नइए.
   -मोला बड़ा ताज्जुब लागत हे संगी.. वइसे विश्व धरोहर सूची म सँघरे ले का फायदा होतीस?
   -सबले बड़े फायदा तो ए होतीस के सिरपुर के मेंटेनेंस खातिर यूनए ले फंड मिलतीस वो  फंड ले उहाँ के लोगन के रोजगार विकसित होतीस.. उहाँ देश-विदेश ले लोगन पर्यटन अउ परीक्षण खातिर आतीन धीरे-धीरे उँकरो मन के सुविधा विकसित होतीस.
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8.
-आजकाल जेने ल देखबे तेने ह अपन आप ल इहाँ के मूल निवासी घोषित करे के नॉव म माटी पुत्र के संबोधन लगावत रहिथे जी भैरा.
   -असली म का हे ना.. जे मन माटी के पुतला बरोबर होथें, तेही मन माटी पुत्र कहाए बर जादा सधाए रहिथें अउ तैं आकब करे हावस जी कोंदा..अइसन रोग ह राजनीति वाले मनला जादा लगे हे, आम लोगन ल ए सब ले का लेना देना हे.
   -सही आय जी.. आम लोगन ल अपन चिन्हारी न बताए के जरूरत हे अउ न लुकाए के.. उन  जइसन हें तइसन जगजाहिर हे.
   -फेर मोला अइसे लागथे संगी के जेकर मन के इहाँ के भाखा, संस्कृति अउ अस्मिता क्षेत्र म कोनो किसम के पोठहा योगदान नइए वो मनला माटी पुत्र के संबोधन ले चिन्हारी नइ करे जाना चाही.
   -बिल्कुल नइ करे जाना चाही..  तोर ए बात ले महूँ सहमत हौं .. सिरिफ ए माटी म जनम धरे भर ले ही कोनो कइसे माटी पुत्र हो सकथे?
   -सहीआय.. अब ले तो एक मनखे ह इहाँ छठ पूजा म सार्वजनिक छुट्टी के परंपरा चालू करवा दिस त दूसर ह इहाँ बिहार तिहार के नेंव रच दिस.. अब तहीं बता अइसन मनला माटी पुत्र कहे जाना चाही या माटी के पुतला?
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9.
-अइसन नजारा कभू कभार देखे म आथे जी भैरा के कोनो राज के मुखिया ह कोनो साहित्यकार के घर जाके वोकर सम्मान करथे.
   -हव जी कोंदा सही आय.. एकर कारण मोला अइसे जनाथे के आज साहित्य अउ साहित्यकार मन खातिर समाज के नजरिया म पहिली असन सम्मान के भाव कम देखे म आवत हे, तेकरे सेती अइसन कम देखे जाथे.
   -मोला एकर एक कारण तो इहू जनाथे संगी के आज साहित्य के नॉव म मंच ले जेन किसम के जोक्कड़ई अउ राजनीतिक चापलूसी परोसे जावत हे उहू ह लोगन के मन म एकर गरिमा अउ सम्मान के भाव ल कम करत हे.
   -खैर.. अभी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ह ज्ञानपीठ पुरस्कार ले सम्मान होय के घोषणा के बाद सियान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल जी के घर जाके प्रदेश के जनता के डहार ले उँकर सम्मान करिस ते ह मोला गजबे सुग्घर अउ मयारुक लागिस.
   -सुग्घर लागे के बाते आय संगी.. जे मन समाज खातिर ठोस अउ प्रेरणादायी साहित्य के सिरजन करत हें, राजसत्ता के द्वारा उँकर सम्मान तो होना ही चाही.
   -सही आय जी.. कोनो राज के मुखिया ह वोकर घर जाके सम्मान करथे, त वो सम्मान के गरिमा ह अउ बाढ़ जाथे.. हमरो डहार ले शुक्ल जी ल बधाई अउ जोहार.
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10.
-आजकाल कतकों धन्नासेठ मन म अपन कुकुर के जनमदिन मनाए के नवा रिवाज देखे म आवत हे जी भैरा.. फेर बीते इतवार के धमतरी के सोरिद वार्ड म रहइया बाबूलाल सिन्हा अउ वोकर सुवारी ह अपन घर जमने बछिया के जनमदिन मना के गउमाता मन खातिर मया के अच्छा संदेश दिस हे.
   -अच्छा जी कोंदा.. बछिया के जनमदिन..!
   -हव पूरा विधिविधान ले.. दू सौ नेवता कारड छपवा के लोगन ल नेवता पठोए रिहिसे, जे मनला केक काटे के बाद बढ़िया जेवन करवाइस.. अउ अतके भर नहीं संगी.. बिहनिया कार्यक्रम के शुरुआत भगवान सत्यनारायण के पूजा ले होइस तहाँ ले बछिया के नॉव धरे गिस 'राधिका' फेर गँड़वा बाजा संग पारंपरिक छत्तीसगढ़ी गीत चलिस.. रतिहा म रामायण होइस तेकर पाछू बछिया अउ गउमाता के नवा कपड़ा ओढ़ा के आरती करे गिस ..फटाका फोरे गिस केक काटे गिस यहाँ ले उहाँ जुरियाए सबो लोगन ससन भर नाचिन-कूदिन.
   -वाह भई.. सुन के ही निक जनागे.. गौवंश के संरक्षण खातिर ए बड़ा सुग्घर संदेश बनगे.
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11.
-मुख्यमंत्री साय ह अभी इन्वेस्टर कनेक्ट मीट म भाग ले बर बेंगलुरु गे रिहिसे जी भैरा जिहाँ छत्तीसगढ़ म निवेश करे खातिर अबड़ अकन टेक कंपनी मन लिखा-पढ़ी करे हें काहत रिहिन हें.
   -हव जी कोंदा महूँ ए खबर ल सुने हौं अउ एमा सबले निक मोला पैरा ले कंप्रेस्ड बायो गैस (हरित इंधन) बनाए जाही काहत हें तेन ह लागिस.
   -सही आय जी.. अब तो पैरा मन खेत म परे रहि जाथें न तो वोला किसान मन लेगयँ न गरुवा मन चगलँय.
   -कहाँ ले चगलहीं.. हार्वेस्टर म कटाय के सेती मार ठाढ़े-ठाढ़ काँटा अस जनाथें .. एकरे सेती कतकों लोगन वोमा आगी ढील देथें.
   -हव जी एकर ले चारों मुड़ा प्रदूषण भर बाढ़त हे.. लोगन गाय गरुवा पोसई ल घलो कमतिया डारें हें, तेकरो सेती एकर कोनो पुछइया नइ मिलय.. अइसन म कहूँ वो पैरा मन ले बायोगैस बन जाही त ए ह किसान बर घलो उपराहा लाभ के रद्दा बन जाही संग म प्रदूषण ले घलो बँचई हो जाही.
   -हव जी.. एक जमाना अइसन रिहिसे जब घरों घर गरुवा दिख जावय.. एकक डारा पैरा मन अनमोल राहय.. हमन तो सिला बीन के धान सकेले राहन उहू ल पाँव म रमँज के वोकर पैरा ल गरुवा कोठा म डार देवत रेहेन.
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12.
-तोला वो पइत के सुरता हे जी भैरा जब हमन छोटे लाईन के रेलगाड़ी म रायपुर ले अभनपुर होवत राजिम जावन?
   -कइसे सुरता नइ रइही जी कोंदा कोनो-कोनो वोला धकपकहा गाड़ी काहय त कोनो भँइसा गाड़ा घलो कहि देवय ना, फेर अब तो वो ह इतिहास के बात होगे संगी.
   -सही आय जी.. हमन कतकों पइत तो वो गाड़ी म चघे के नॉव म ही राजिम चल देवत रेहेन.. मोला अइसने छोटे लाईन के गाड़ी म एक पइत गोंदिया ले जबलपुर जाय के घलो अनुभव हे.
   -वो मुड़ा के गाड़ी ह तो अउ लट्टे-पट्टे रेंगय बताथें.
   -हव सही आय.. चातर असन जगा म तो बने चलय, फेर जइसे पहाड़ी जगा आवय तहाँ ले घिलरे बरोबर हो जावय.. हमन तो गाड़ी ले उतर के रेंगत म ही वोकर ले अगुवा जावन.
   -हव.. फेर अब रायपुर ले अभनपुर जाय बर नवा जमाना के रेलगाड़ी आगे हावय.. कालेच प्रधानमंत्री ह एकर उद्घाटन करिन हें.. ए मेमू स्पेशल ह जबर आरामदायक हे बताथें.. नवा रायपुर जवइया मनला घात सोहलियत परही.
   -तब तो एको दिन एकरो सेवाद ले खातिर ही नवा रायपुर अउ अभनपुर ल किंजर के आबो जी.
   -हव जी जरूर.
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13.
-सरहुल जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. अच्छा आज चैत अंजोरी तीज आय न..  धरती महतारी अउ सुरुज देवता के बिहाव के परब.
   -हव संगी.. अउ अतकेच भर नहीं ए ह उराँव/कुडुख मन के नवा बछर के शुरुआत घलो आय.. उराँव/कुडुख साहित्य के जानकार डॉ. तेतरू उराँव कहिथें- ए ह प्रकृति के संवेदनशीलता अउ मनखे के रिश्ता के अद्भुत उदाहरण आय.. वो मन बताइन- ए परब ल वो मन अपन भाखा म- 'खे-खेल बेंज्जा' कहिथें, जेकर अरथ होथे-  धरती के बिहाव.
   -वाह भई.. अद्भुत हे.
   -हव जी.. हमर देश कतेक विविधता ले भरे हावय ना.. सबके अलग-अलग मान्यता अउ परब.
   -सही आय संगी.. तभे तो हमर देश ल बहुभाषी अउ बहु संस्कृति वाले देश कहे जाथे.. अउ हमर देश के ए  सांस्कृतिक विविधता के एकमई बढ़वार घलो जरूरी हे.
   -सही कहे.. सबो के बढ़वार अउ संरक्षण.
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14.
-हमन राजनीति ल आज तक जनसेवा के कारज मानत रेहेन जी भैरा.. फेर अभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ह एक पत्रकार संग करे मुँहाचाही म कहे हे के ए ह रोजगार आय.
   -हव जी कोंदा.. हमन जनसेवा के कारज ही समझन तभे तो एमा सँघरे नेता मनला जनसेवक कहे जाथे या माने जाथे.
   -सिरतोन आय संगी.. फेर मुख्यमंत्री योगी ल जब भविष्य के प्रधानमंत्री बने के बारे म पूछे गिस त वो कहिन- मैं तो असल म योगी हौं.. राजनीति मोर 'फुल टाइम जॉब' नोहय.. 'जॉब' शब्द के उपयोग तो हमन रोजी-रोजगार.. नौकरी या व्यवसाय ले जुड़े बुता खातिर ही करथन न?
   -हव जी सही आय.. अउ जब राजनीति ह वोकर फुल टाइम 'जॉब' नोहय त योगी बने हे तेन ह आय का?
  -बड़ा बिचित्र गढ़न के बात आय संगी.. मैं तो साधु बैरागी या योगी बनई ल आजतक भगवान पाए के रद्दा समझत रेहेंव.. मोक्ष या कहिन सद्गति पाए के रद्दा समझत रेहेंव, फेर आज जाने पाएँव के उहू ह 'जॉब' आय!
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15.
-राजशाही के अत्याचार ल भोगे लोगन के गोठ ल सुरता कर के हमन लोकतांत्रिक व्यवस्था ल मयारुक समझत रेहेन जी भैरा, फेर अभी परोसी देश नेपाल म राजशाही के वापसी खातिर चलत आन्दोलन ह एकरो ऊपर सोचे बर दँदोरत हे.
   -सही आय जी कोंदा.. 28 मई 2008 के उहाँ राजशाही ल घुँचा के लोकतंत्र के स्थापना करे गे रिहिसे.
   -हव जी महूँ ल सुरता हे, तब जनाय रिहिसे के उहाँ खुशहाली के दर्शन होही, फेर सिरिफ 16 बछर के लोकतांत्रिक व्यवस्था म अइसन का होगे के लोगन उहाँ राजशाही के वापसी खातिर सड़क म उतर गे हें?
   -महूँ ल अचरज लागत हे संगी, तेमा उहाँ के जुन्ना राजा ज्ञानेंद्र शाह ह राष्ट्रीय एकता के नॉव म ए आन्दोलन के आगी म घी डारे के उदिम करत हे.
   -वो तो करबेच करही संगी.. भला कोन मनखे ह अपन हाथ म  आवत सत्ता बर लार नइ चुचवाही?
   -मोला उहाँ के राजनीतिक अस्थिरता ह घलो एकर एक कारण जनाथे संगी.. अब देख लेना सिरिफ 16 बछर के लोकतांत्रिक व्यवस्था म उहाँ दर्जन भर के पुरती प्रधानमंत्री बनगे हें.. अब तहीं बता अइसन म लोगन जुन्ना स्थायी व्यवस्था डहार भागहीं ते नहीं?
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16.
-तैं ह एक बात ल आकब करे होबे जी भैरा.. इहाँ अइसन कतकों शहर हे जेकर नॉव के आखिर म 'पुर' शब्द लगे रहिथे.
   -हमर रायपुर के पाछू म ही पुर जुड़े हे जी कोंदा.. अइसने सिरपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर जइसन कतकों जगा हे जेकर नॉव संग पुर जुड़े हे.
   -ठउका कहे संगी.. एकर मतलब जानथस वोमन म पुर काबर जुड़े हे?
   -अब तहीं ह बतादे संगी.
   -'पुर' के मतलब शहर या किला होथे.. पुर शब्द ह अड़बड़ जुन्ना शब्द आय, एकर उल्लेख जुन्ना ग्रंथ ऋग्वेद म घलो मिलथे.. पुर शब्द के इस्तेमाल वो बखत उहि शहर मन म करे जावय, जेला कोनो राजा ह बसाय राहय.. जेकर तीर-तखार म किला घलो राहय.
   -वाह भई.. हमर रायपुर के इतिहास ल पढ़े म तो अइसने जानबा मिलथे.. राजा रायसिंह ह एला बसाए रिहिसे अउ बूढ़ा तरिया के उप्पर म किला रिहिसे जेकर चिनहा आजो ले दिखथे.
   -हव.. अब जान लेवौ के इहाँ जतका जुन्ना शहर मन के नॉव के  पाछू म पुर शब्द जुड़े हे सबो ल कोनो न कोनो राजा ह बसाय हे अउ उहाँ किला घलो रेहे हे.
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17.
-जेन किसम ले अभी तरिया, डबरी अउ कुआँ बावली मनला तोप-पाट के वो मन म बड़का बड़का बिल्डिंग अउ कॉलोनी बनाए जावत हे, ते ह चिंता के बात तो आय जी भैरा फेर ए बीच दुरुग जिला के धमधा ले उहाँ के तरिया मनला खोज-ढूँढ़ के वापिस जलरँग बनाए के सोर मिलत हे ते ह सँहराए के लाइक हे.
    -अच्छा.. छै आगर छै कोरी वाले धमधा ले जी कोंदा?
   -हव जी..अब कहावत भर म छै आगर छै कोरी रहिगे हे, फेर असलियत ल देखबे त दुख के मारे दूनों आँखी ह तरिया बरोबर हो जाथे.
   -चारों मुड़ा के एके हाल हे संगी.. हमर पुरखा मन तरिया नदिया के जतका महत्व ल जानिन समझिन ततके आज के पीढ़ी ह उनला उजारे अउ तोपे-ढाँके म भीड़े हे.. धमधा के तरिया मनला बचाए बर धर्मधाम गौरवगाथा के नॉव ले एक समिति बनाए गे हे तेकर संयोजक वीरेंद्र देवांगन बताथे- गाँव म अभी घलो 121 तरिया हे, जेमा के 70 तरिया जीवित हे जबकि 51 तरिया मन म अवैध कब्जा होगे हे, इही अवैध कब्जा मन ले हमन 7 तरिया ल बचा पाए हावन अउ बाँचे ल प्रशासन ले मुक्त कराए बर अरजी करे हावन.
   -वाजिब म सँहराए के लाइक बुता आय संगी.. सबो डहार के लोगन म अपन तरिया मन खातिर अइसन जागरूकता आ जावय त अभी जेन सरलग भूजलस्तर गिरे के खबर मिलत हे, तेमा निश्चित रूप ले सुधार आही.
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18.
-हमर पुरखा मन तरिया बावली, रूख राई जइसन जम्मोच के बिहाव के परंपरा बनाय रिहिन हें जी भैरा जेला वो मन पूरा निष्ठा अउ परंपरा के मुताबिक मनावयँ घलो.. फेर अब अइसन कभू कभार ही देखे म आथे.
   -सही आय जी कोंदा.. फेर एदे अभी गरियाबंद जिला के गाँव तेतलखुटी (धरनीबहाल) ले खबर आय हे के उहाँ के जयसिंह ठाकुर ह अपन बारी के आमा के बिहाव पूरा विधिविधान के साथ करिस हे, जेमा गाँव भर के लोगन सँघरे रिहिन हें, उन सबो ल पंगत घलो जेवाए गिस.
   -हमर ममादाई घलो अपन अँगना के आमा ह जब पहिली बेर फर धरीस त अइसने बिहाव करवाए रिहिसे जी कठवा के दुल्हा बनवा के.
   -हव अइसने करे जाथे आमा के बिहाव ल.. आमा के पेड़ म पहिली बेर फर आय म कठवा के  बने दुल्हा ल वोकर तीर म मढ़ा के तेल हरदी चूरी पटा भेंट करे अउ माँग भराय जइसन जम्मो नेंग ल करे जाथे.. पुरोहित ह मंत्रोच्चार घलो करिस .. माईलोगिन मन मंगल गीत गाईन..  सात भाँवर के रसम ल आमा पेड़ के मालिक जयसिंह अउ वोकर सुवारी निभाइस.. तहाँ ले प्रतीक स्वरूप घरतिया अउ बरतिया बने जम्मो लोगन ल माँदी खवाए गिस.
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19.
-मंदिर म बरपेली दान दक्षिणा खातिर जोजियाय के बुता म रोक लगाय के सलाह देवई ह सुप्रीम कोर्ट ल आ बइला मोला मार कहिथें तइसे बरोबर होगे हे जी भैरा.
   -कइसे का होगे जी कोंदा?
   -सुप्रीम कोर्ट ह मंदिर मन म दान दे खातिर बरपेली जोजियाना ह बने नोहय एमा रोक लगना चाही कहिके सलाह दे रिहिसे.. वोकर कहना रिहिसे के श्रद्धालु मन ल बिना रोकटोक के दर्शन करन देना चाही.
   -त बने तो आय.. मंदिर देवाला म लोगन अपन श्रद्धा ले जेन कुछू भी देथे चढ़ाथे तेकरे फल मिलथे कहिथें.
   -हव बने काहत हावस, फेर ओडिशा के पुरी के मंदिर के सेवादार नरसिंह पूजापांडा ल ए गोठ ह नइ सुहाइस.. वो ह सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ल पाती लिख के अपन जिनगी ले मुक्ति पाए के अरजी करे.
   -ए दई.. करलई हे.. दान म रोक के बात कहे म जिनगी ले मुक्ति माँगे के बात ह अनफभिक जनाथे संगी.
   -सेवादार नरसिंह पूजापांडा के कहना हे- वो मन के परिवार ह करीब हजार बछर ले लोगन ले भिक्षा माँग के ही जीवकोपार्जन करत हे, वोकर मन के एकर छोड़ जीए के अउ कुछू साधन नइए.. अउ जब इही ल बंद कर दिए जाही तब तो मर जाना ही सही हे.
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20.
-हमन तइहा बेरा म सरवन कुमार के नॉव सुनन के वो ह अपन महतारी बाप ल काँवर म बइठार के तीरथ-बरत करवाए रिहिसे, फेर आज घलो अइसन लोगन मिल जाथें जी भैरा जे मन अपन दाई-ददा के सेवा ल ही देवता के सेवा मान के उँकर चाकरी म लगे रहिथें.
   -बिरले होथे अइसन सपूत जी कोंदा नइते आज तो दाई-ददा ल वृद्धाश्रम के मुँहाटी म अमरइया जादा होथें.
   -सही कहे संगी.. फेर अभी कर्नाटक के मैसूर निवासी डॉ. कृष्णमूर्ति अपन बीस बछर जुन्ना स्कूटर म अपन महतारी चूडारलम्मा ल दुनिया घूमावत रायपुर आए हे.. वोकर कहना हे के वो इही स्कूटर म अपन महतारी ल पूरा दुनिया घूमा के रइही.
   -वाह भई.. अद्भुत हे..!
   -हव संगी.. 16 जनवरी 2018 के वो मन दुनिया किंजरे बर निकले हें.. नेपाल, भूटान, म्यांमार जइसन कतकों देश के संगे-संग केरल, गोवा जइसन कतकों राज्य ल किंजर डारे हें.. उन बतावत रिहिन के अभी तक 96 हजार 205 कि.मी. यात्रा कर डारे हे.. अब रायपुर ले ओडिशा जाहीं.
   -खाथे-पीथे अउ रहिथे कहाँ?
   -कोनो भी मंदिर देवाला म परसाद के रूप म जेवन मिल जाथे.. स्कूटर म कोनो किसम के गड़बड़ी आय म वो खुद बना डारथे.
   - महतारी ल दुनिया किजारे के उँकर संकल्प ल हमरो शुभकामना हे.
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21.
-सड़क म एक्सीडेंट होए के सेती खोरावत कल्हरत गरुवा मनला देख के राम देवांगन के मन म उँकर सेवा चाकरी करे के भाव का जागिस.. अब ए गौ सेवा ह मिशन के रूप धर ले हवय जी भैरा जेमा आसपास के जवनहा लइका मन सरलग जुड़त हें.
   -अच्छा.. ए कहाँ के बात आय जी कोंदा?
  -अरे हमरे रायपुर के नवा बस स्टैंड वाला भाँठागाँव के.. ए मन हर हफ्ता चार हजारों के हरियर साग भाजी बिसाथें अउ कभू कुशालपुर, रायपुरा, महादेव घाट अउ लाखेनगर तक के गाय मनला चारा जेवा आथें.. अउ कहूँ कोनो गरुवा ह बीमार असन दिखथे तेला जरवाय जगा के लीलावती गौशाला म अमरा के उहाँ के डाक्टर ले इलाज करवाथें.
   -वाह भई.. ए तो लइका मन के सुग्घर उदिम ए.. आज जब ए उमर के लइका मन दारू चित्ती.. लंदर-फंदर म बिपतियाय रहिथें अइसन म गौवंश खातिर अइसन सेना भाव ह सँहराए के लाइक हे.
   -हव जी छै बछर होगे ए लइका मनला गौमाता मन के सेवा करत एमा राम देवांगन के संग विजय साहू, कृष्णा साहू, किशन देवांगन, मनीष देवांगन, हरीश वर्मा, अजय शर्मा, विवेक पंडित अउ उमेश साहू घलो हे.. अब एकर मन संग आने लइका मन घलो जुड़त हें.
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Tuesday, 11 March 2025

कोंदा भैरा के गोठ-31

कोंदा भैरा के गोठ-31
1.
-अपन भाखा खातिर कतका मया अउ निष्ठा होथे तेला देखना हे त महाराष्ट्र म देखे जा सकथे जी भैरा.
   -उहाँ अइसे का होगे जी कोंदा तेमा आने जगा अइसन देखे म नइ आवय?
   -अभी उहाँ के सरकार ह एक आदेश निकाले हे, जेकर मुताबिक अब उहाँ के जम्मो सरकारी दफ्तर मन म मराठी म ही जम्मो कामकाज होही.
   -अच्छा.. अइसे?
   -हव.. अतके च नहीं संगी.. उहाँ के जम्मो कार्यालय मन म लगे कंप्यूटर मन म की पैड अउ प्रिंटर मराठी देवनागरी म टेस्ट लिखना जरूरी होगे हे.. जे मन उहाँ के दफ्तर मन म कुछू काम बुता खातिर जाहीं उहू मन ल जम्मो गोठबात अउ कागजात के लिखा पढ़ी मराठी म ही करे बर लागही.
   -ए तो स्थानीय भाखा मन के बढ़वार खातिर ठउका बुता आय संगी.
   -हव जी.. फेर मैं ए गुनथौं के हमर इहाँ के सत्ताधारी मन के चेत ह महतारी भाखा खातिर कब जागही?

2.
-राजधानी रायपुर के नवा महापौर अउ जम्मो पार्षद मन महाकुंभ म असनाँदे खातिर प्रयागराज गे हवयँ कहिथें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा बने सुने हावस..   महाकुंभ म असनाँद के आए के पाछू फेर वोकर मन के शपथग्रहण होही.
   -अच्छा.. अइसे.. फेर मैं ए गुनत रेहेंव संगी- हमर छत्तीसगढ़ के राजिम कुंभ कल्प के राहत ले वो मन ल प्रयागराज काबर जाय बर परगे.. अइसने इहाँ के जम्मो मंत्री अउ विधायक मन घलो गे रिहिन हें.
   -असली कुंभ अउ नकली कुंभ म फरक तो होथे संगी.. भई हमर इहाँ के ह असल म माघी पुन्नी मेला आय अउ प्रयागराज के ह पौराणिक महत्व के असली कुंभ, तभे तो जे मन खुद इहाँ ल कुंभ कुंभ कहिके चिहुर पारत रहिथें तेही च मन दलबल के साथ राजिम म असनाँदे बर नइ गिन.
   -हव जी तभे तो ए बछर राजिम के मेला ठउर ह हेल्ला हेल्ला दिखथे.. आने बछर बरोबर बने चिरो-बोरो करत नइ जनावत हे.

3.
-महतारी मन के जतका गुन-जस गा सब कमती च हे जी भैरा.
   -ए बात तो ठउका कहे जी कोंदा, तभे तो उनला हमर साक्षात देवी-देवता कहे जाथे.
   -सिरतोन आय संगी.. अइसने महतारी के देवी कस रूप के आरो करावत अभी दिल्ली रेलवे स्टेशन म ड्यूटी बजालत महिला पुलिस वाली के विडीयो ह गजब वायरल होवत हे, जेमा वो ह अपन नान्हे लइका ल बेल्ट म फँसा के अपन छाती म ओरमाए हे अउ एक हाथ म पुलिसिया लाठी धरे मुँह ले सुसरी बजावत भीड़ ल सावचेत करत हे.
   -हव जी संगी.. वोकर विडीयो ल महूँ देखे हौं.. वो ह महतारी अउ पुलिस के ड्यूटी ल सँघरा करत हे.
   -हाँ अइसन कतकों जगा देखे बर मिल जाथे.. कतकों रेजा के बुता करइया मन अपन लइका ल पीठ म ओरमाए मुड़ म ईंटा-पखरा डोहारत रहिथे.. मोला वो पइत के जबर सुरता हे संगी.. जब बस्तर के जंगल म नक्सली मन संग हिमानी मानवरे नॉव के महिला पुलिस ह अपन नान्हे लइका ल धरे मुबाकला करत रिहिसे.
   -अइसन महतारी मन ले गरब हे संगी.. जोहार हे उनला.

4.
-महाशिवरात्रि के लकठाते भाँग के माँग बाढ़गे हे काहत हें जी भैरा.
   -भोलेनाथ के भक्त मन भोग-परसाद चढ़ाए बर अगुवा के बिसा के रख लेथें न जी कोंदा.
   -हव जी.. रायपुर म ए बछर हरियर भाँग ल तीन हजार रुपिया किलो त वोकर पावडर ल चार हजार किलो बेचावत हे बताथें.. वइसे तैं ह बिसाथस नहीं जी?
   -हव भगवान म चढ़ाए खातिर तो बिसाथौं.
   -भइगे भगवान म चढ़ाए खातिर ते खुदो के चढ़ाए बर?
   -अरे नहीं संगी.. हमन अइसन नइ करन.
   -कतकों लोगन तो भगवान म चढ़ाथन त हमूँ म चढ़ा लेथन कहिथें.
   -ए ह सही नोहय संगी.. भगवान ल चढ़ाए के मतलब होथे- गाँजा भाँग जइसन जम्मो किसम के नशा के जिनिस मनला   उनला अर्पित कर के खुद वोकर ले मुक्त रहना होथे.
   -फेर कतकों लोगन तो भगवान ह पीथे तेकर सेती हमू मन पीथन कहिथें.
   -उँकर सोच अउ समझ दूनों गलत हे.. भगवान ह तो समुद्र मंथन ले निखले जहर ल घलो पीए रिहिसे, त वोकर नकल करत हन कहइया मन जहर काबर नइ पीययँ?

5.-मोला एक चीज ह भारी अचरज बानी के लागथे जी भैरा.
   -का जिनिस ह जी कोंदा..?
   -मैं जेन कोनो ल वोट देथौं ना.. वो बुजा मन हारिच जाथें का पाय के ते..!
   -सिरतोन काहत हस जी संगी..?
   -ले.. त तोर जगा बेलबेली करिहौं गा.. एदे अभी के पंचइती चुनाव म घलो मैं जे-जे मन ल वोट देंव सब ढलंग गिन.. वोकर पहिली विधानसभा अउ लोकसभा म घलो जेन-जेन छापा के गुदाम ल मसके रेहेंव.. सबोच बैरी मन पटिया गिन.
   -वाह भई बड़ा ताज्जुब गढ़न के जनाथे तोर पसंद के मनखे ल वोट देवई ह.. तैं ह पार्टी के आधार म वोट नइ देवस का?
   -मैं तो कभू च पार्टी उर्टी के झमेला म नइ परेंव..जेन कोनो मनखे ह बने सादा-सरबदा कस जनाथे, तेकरे छापा के गुदाम ल टमड़ परथौं गा.
   -अब सादा-सरबदा के बेरा पहागे जी संगी.. अब तो साम-दाम अउ पार्टीबंदी वाले मन के बेरा आए हे, जे मन ए रंग म रंग के चुनावी मैदान म आथें, तेही च मन चुनावी बैतरनी ल नहाक पाथें.

6.

-बेरा-बेरा म दक्षिण भारत म हिंदी भाखा के विरोध के सुर उठत देखे म आवत रहिथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. अभी फेर अइसने होवत हे.
   -तोला का लागथे  छत्तीसगढ़ म घलो इहाँ के महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल शासन-प्रशासन अउ शिक्षा के माध्यम बनाए खातिर हिंदी के विरोध करे जाना चाही?
   -पहिली बात तो ए हे संगी.. मैं ए देश के कोनो भी भाखा या संस्कृति के विरोध नइ करवँ..  हाँ हम इहाँ छत्तीसगढ़ी भाखा अउ संस्कृति के बात करथन त एला इहाँ के स्वतंत्र चिन्हारी खातिर करथन.. जइसे भारत भूमि म रहि के घलो एक अलग राज्य के रूप म छत्तीसगढ़ के अपन स्वतंत्र चिन्हारी हावय वइसने.. हमन जब छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म सँघरे रेहेन तभो कतकों लोगन हमन ल भरमाए अउ भटकाए के उदिम रचयँ.. उन काहयँ- तुमन अलग छत्तीसगढ़ राष्ट्र के माँग करथौ का..? त हमन काहन- नहीं संगी हम अलग देश के नहीं, भलुक अलग प्रदेश के माँग करथन भारतीय संविधान के अंतर्गत, ठउका अइसनेच इहाँ के भाखा संस्कृति के अलग चिन्हारी चाहथन, त उहू ल भारतीय संविधान के अंतर्गत ही.

7.
-कैलाश पर्वत म आज घलो भगवान भोलेनाथ अउ देवी पार्वती के बसेरा हे कहिथें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा अइसने गढ़न तो महूँ सुने हौं तभे तो एमा चढ़े खातिर रोक लगा दिए गे हवय काबर ते एला पवित्र ठउर माने जाथे.. वइसे घलो आज तक वोमा कोनोच मनखे नइ चढ़ पाए हें कहिथें.
   -अच्छा..?
   -हव जी.. जबकि कैलाश ह एवरेस्ट ले दू हजार मीटर छोटे हे.. बताथें बछर 2001 म एक पर्वतारोही दल ह चघे के उदिम करे रिहिसे, फेर चढ़ाई पूरे करे बिन लहुट आए रिहिसे.
   -कतकों लोगन बताथें के कैलाश पर्वत ह रेडियोएक्टिव क्षेत्र आय कहिके?
   -हव भई अगसने तो महूँ सुने हौं.. बताथें के वोमा चढ़े के उदिम करइया मन दिशा भ्रम के स्थिति म पर जाथें उन समझे नइ पावयँ के कोन मुड़ा जाना हे अउ कोन मुड़ा नहीं? एक पइत एक पर्वतारोही वोमा चढ़े के उदिम करत रिहिसे त वोकर देंह के चूंदी, नख अउ रूआँ मन उत्ताधुर्रा बाढ़े लागिन तहाँ ले उहू ह डर के मारे उतरगे.
   - माने कुल मिला के आज तक कैलाश पर्वत ह रहस्यमय जगा बने हुए हे कहि दे.

8.
-हमर गाँव के जकला ह आजकाल धरम-संस्कृति के बड़का जानकार लहुट गे हे जी भैरा.
   -कोन जकला ल कहिथस जी कोंदा?
   -अरे .. उही का चँदोर-फँदोर कहिथे तेने ह जी.. काली महाशिवरात्रि परब के बेरा म वो काहत रिहिसे- 'शिव सम्प्रदाय के महापर्व आय महाशिवरात्रि ह'.
   -अच्छा..!
   -हव.. त एक बड़का साहित्यकार ह वोकर जगा पूछिस के हमन कोन आन? शैव ते वैष्णव? त वो कहिस दूनों म के कोनो एक होबे.
   -तैं ए संबंध म का कहिथस संगी?
   -देख भई.. हमर छत्तीसगढ़ के संस्कृति म माघी पुन्नी के भगवान राजीव लोचन के जयंती परब मनाथन अउ फेर महाशिवरात्रि के कुलेश्वर महादेव के महापरब अउ ए दूनों ल  सँघरा.
   -हव जी.. हमर राजिम के जग प्रसिद्ध  मेला ल माघी पुन्नी ले शिवरात्रि तक एक साथ मनाथन त फेर वो मन हमर बर दू अलग-अलग कइसे होइस?
   -सिरतोन आय संगी.. तभे तो मैं कहिथौं हमन सिरिफ छत्तीसगढ़िया सम्प्रदाय के आन.. आने-ताने अउ कुछू नहीं.
   -हव जी सिरतोन आय.. पुरखौती बेरा ले हमन भगवान राजीव लोचन अउ कुलेश्वर महादेव के परब अउ मेला ल सँघरा मनावत आए हवन अउ आगू.घलो सँघरच मनाबो..  त फेर हमन आने-आने सम्प्रदाय के काबर? दूनों के एकमई काबर नहीं?

9.
-ए बछर के कुंभ नहवइया मन ल तैं आकब करत रेहे जी भैरा.. वोमा के कतकों झन ह नाकर चिरई बरोबर नाक ल चपक के टुप ले बूड़य अउ धरारपटा निकल जावत रिहिसे.
   - हव जी.. अइसन मन घर म डोलची भर पानी ल लोटा म झलकइया आयँ जी कोंदा हमर असन चिभोरा मार के नहवइया नोहयँ बपरा मन.
   -फेर जब तक तरिया नदिया म चिभोरा मार के नइ नहाए त मजच नइ आवय न.. हमन तो खँड़ भर नरवा ल एके साँस म नहाक देवत रेहेन अउ तरिया ल तो कई पइत ए पार ले वो पार  तउँर देवन.
   -हव जी अउ तोला सुरता हे.. अइसने गरमी के दिन-बादर आवय तहाँ ले भइँसा के पीठ म चढ़े मझनिया भर तरियच म बूड़े राहन न.
   -हव जी भइँसा के पीठ म चघे रहना अउ बीच-बीच म पानी म कूद के मछरी टमड़ना कतेक मजा आवय न?
   -तइहा के बात ल बइहा लेगे संगी.. अब तो तरिया नदिया म छाती कटार तक पानी नइ बाँच पावय त कहाँ के भइँसा चघे के मजा अउ कहाँ के मछरी टमड़े के सुख.

10.
-मोला एक बात समझ म नइ आवय जी भैरा के हमन जब काकरो नाहवन म जाथन त तरिया ले नहा के आए के बाद फेर वो मनखे के घर म मढ़ाए पानी म पाँव धोथन.. अरे भई जब तरिया म चिभोरा मार के नहाए रहिथन त फेर पाँव धोए के काबर जरूरत?
   -ए ह हमर पहुनई परंपरा के निर्वहन आय जी कोंदा.. जइसे हमर घर कोनो सगा-पहुना आथे त उनला पाँव धोए बर लोटा म पानी दिए जाथे न.. बस वइसने.
   -अच्छा.. फेर सगा तो बिचारा तालाबेली घाम म पसीना म बोथाय धुर्रा-माटी म सनाय आए रहिथे तेकर सेती वोला लोटा भर पानी दिए जाथे, फेर तरिया ले नहाए-धोए आए मनखे मनला फेर गोड़ धोए बर पानी देवई ह मोला थोकिन अनफभिक जनाथे.
   -अरे भई.. तरिया ले घर तक आवत ले वोकर मन के पाँव ह फेर धुर्रा माटी म सना नइ जाए रहिथे जी?
   -हाँ.. वो तो हे.
   -त धुर्रा म सनाय पहुना मनला वइसने बिन गोड़ धोए अपन घर ले जावन दे जाही जी?

11.
-ए बछर के बजट म पेट्रोल के भाव कमतियागे हे काहत हें जी भैरा.. अब तैं ह फटफटी म बने बोंय-बोंय किंजरबे अपन डोकरी ल पाछू म बइठार के.
   -हमर मन के दिन-बादर पहागे हे जी कोंदा.. हमन किसान घर के लइका अन त हमन ल खेती-किसानी ले जुड़े बात मन ऊपर जादा चेत करना चाही.
   -सही आय संगी.. मोला ए पइत के बजट म सबले बने ए बात ह जनाइस के महानदी इंद्रावती अउ सिकासार कोडार बाँध मनला जोड़े के उदिम करे जाही.
   -सिरतोन आय संगी .. हमर छत्तीसगढ़ म अतेक नदिया नरवा हावय ते ए सब ल जोड़ के अच बरखा  के पानी के रोक-छेंक के सदुपयोग करे जा सकथे.
   -हव जी बरखा के जम्मो पानी ह छेंका के अभाव म बोहा के समुंदर म चल देथे, कहूँ वो जम्मो पानी ल इहें के भुइया म रूँधे-छेके के बनौका बन जाय त बारों महीना हमन ल पानी के कमी नइ जनाही.

12.-बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन ह दुबई म हमर देश खातिर चैम्पियन ट्रॉफी क्रिकेट खेलत मोहम्मद शमी ल मैदान म जूस पीयत देख के ए ह इस्लाम म गुनाह आय काहत हे जी भैरा.
   -वाह भई.. मैदान म खेलत बेरा जूस पीना ह गुनाह कइसे हो सकथे जी कोंदा?
   -वोकर कहना हे- अभी रमजान चलत हे, अइसन म मो. शमी ल रोजा रखना रिहिसे.. रोजा के बेरा म कुछू भी खाना पीना ह गुनाह होथे, जबकि शमी ह भरे मैदान म जूस पीयत हे, जेला लाईव टीवी प्रसारण के माध्यम ले पूरा दुनिया देखिस हे.
   -देख संगी मैं दूसर मन के धरम संस्कृति के बारे म तो नइ जानवँ,  फेर मोला लागथे के कोनो भी धरम म कोनो बीमारी मनखे, सफर म निकले या फेर खेल-कूद के प्रतियोगिता म जूझत मनखे मन बर अइसन बिना कुछू खाए पीए रहे वाला नियम लागू नइ होवत होही तइसे लागथे.
   -हव जी.. मोहम्मद शमी के समर्थन म कुछ मौलाना मन घलो अगसने काहत हें.. फेर मोला ताज्जुब लागथे संगी कोनो भी धरम-पंथ के लोगन अइसन अनफभिक बानी के गोठ ल कइसे बड़ा सहजता के साथ कहि देथें!

13.

-एक दुखद अउ चिंताजनक खबर आए हे जी भैरा.
   -कइसे ढंग के खबर जी कोंदा?
    -खबर मिले हे के हमर छत्तीसगढ़ के 41 कलाकार नोनी मनला सांस्कृतिक कार्यक्रम म डांस करवाए के नॉव म बिहार लेगे रिहिन हें अउ उहाँ लेग के वोकर मन ले देंह व्यापार करवावत रिहिन हें!
   -बाप रे...!
   -हव भई डांस करे के सेती हर महीना 15 ले 20 हजार रुपिया देबो केहे रिहिन हें अउ पाछू दू बछर ले उँकर मन जगा देंह व्यापार करवाए जावत रिहिसे.. अउ जाने ए जम्मो नोनी मन नाबालिग हावयँ.
   -बहुतेच संसो के बात आय संगी, फेर मैं ए गुनथौं के इहाँ के लइका मनला डांस के नॉव म अइसन अंते-तंते जाए के का जरूरत हे?
   -कलाकार मन के मंच म प्रस्तुति के आकर्षण ह जीवलेवा होथे संगी तभे तो अइसन अलहन म वो मन छँदा जाथें.. नवा नवा कलाकारी के सउँख उपजे लोगन के परिवार वाले मनला चेत करे के जरूरत हावय के वोकर लइका मन डांस आदि के नॉव म सही लोगन मन के संगति म जावत हें ते कोनो धंधाबाज षडयंत्रकारी मन के?

14.
-चलना भैरा होले डाँड़ डहार नइ जावस जी? 
   -जाहूँ संगी कोंदा अगोर.. एदे पँचलकड़िया खातिर पाँच ठी छेना हेर लेथौं
   -अरे बइहा दू-चार ठी किन्नी, पिस्सू अउ ढेकना मनला घलो एको ठन शीशी उशी म धर ले रहिबे.
   -वोला काबर जी? 
   -वाह.. एकर ले गाँव म खुरहा-चपका जइसन कोनो किसम के महामारी या रोग नइ संचरय ना.
   -अच्छा! 
   -हव.. तभे तो हमर पुरखौती बेरा ले अइसन रोग-राई महामारी मन ले बाँचे खातिर अइसने खून चूसक जीव मनला घलो होले म डारे के परंपरा हे जी.
   -अच्छा अइसे.. तब तो जरूर धरहूँ जी.. हमर गंज अकन परंपरा ह आने-आने राज ले आके इहाँ बसे शहरिया लोगन मन ले अलगेच जनाथे न..?
  -अलगे हईच हे.. होली म हमन होलाष्टक कहाँ मनाथन? वइसने हमर इहाँ माईलोगिन मन होली के पूजा करे बर घलो नइ जावयँ.
   -पूजा करे बर नइ जावयँ कहिथस.. वोकर तीर म तक नइ ओधयँ.. काबर ते हमर इहाँ होलिका के नहीं, भलुक कामदहन के परब मनाए जाथे.