Tuesday, 11 March 2025

कोंदा भैरा के गोठ-31

कोंदा भैरा के गोठ-31
1.
-अपन भाखा खातिर कतका मया अउ निष्ठा होथे तेला देखना हे त महाराष्ट्र म देखे जा सकथे जी भैरा.
   -उहाँ अइसे का होगे जी कोंदा तेमा आने जगा अइसन देखे म नइ आवय?
   -अभी उहाँ के सरकार ह एक आदेश निकाले हे, जेकर मुताबिक अब उहाँ के जम्मो सरकारी दफ्तर मन म मराठी म ही जम्मो कामकाज होही.
   -अच्छा.. अइसे?
   -हव.. अतके च नहीं संगी.. उहाँ के जम्मो कार्यालय मन म लगे कंप्यूटर मन म की पैड अउ प्रिंटर मराठी देवनागरी म टेस्ट लिखना जरूरी होगे हे.. जे मन उहाँ के दफ्तर मन म कुछू काम बुता खातिर जाहीं उहू मन ल जम्मो गोठबात अउ कागजात के लिखा पढ़ी मराठी म ही करे बर लागही.
   -ए तो स्थानीय भाखा मन के बढ़वार खातिर ठउका बुता आय संगी.
   -हव जी.. फेर मैं ए गुनथौं के हमर इहाँ के सत्ताधारी मन के चेत ह महतारी भाखा खातिर कब जागही?

2.
-राजधानी रायपुर के नवा महापौर अउ जम्मो पार्षद मन महाकुंभ म असनाँदे खातिर प्रयागराज गे हवयँ कहिथें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा बने सुने हावस..   महाकुंभ म असनाँद के आए के पाछू फेर वोकर मन के शपथग्रहण होही.
   -अच्छा.. अइसे.. फेर मैं ए गुनत रेहेंव संगी- हमर छत्तीसगढ़ के राजिम कुंभ कल्प के राहत ले वो मन ल प्रयागराज काबर जाय बर परगे.. अइसने इहाँ के जम्मो मंत्री अउ विधायक मन घलो गे रिहिन हें.
   -असली कुंभ अउ नकली कुंभ म फरक तो होथे संगी.. भई हमर इहाँ के ह असल म माघी पुन्नी मेला आय अउ प्रयागराज के ह पौराणिक महत्व के असली कुंभ, तभे तो जे मन खुद इहाँ ल कुंभ कुंभ कहिके चिहुर पारत रहिथें तेही च मन दलबल के साथ राजिम म असनाँदे बर नइ गिन.
   -हव जी तभे तो ए बछर राजिम के मेला ठउर ह हेल्ला हेल्ला दिखथे.. आने बछर बरोबर बने चिरो-बोरो करत नइ जनावत हे.

3.
-महतारी मन के जतका गुन-जस गा सब कमती च हे जी भैरा.
   -ए बात तो ठउका कहे जी कोंदा, तभे तो उनला हमर साक्षात देवी-देवता कहे जाथे.
   -सिरतोन आय संगी.. अइसने महतारी के देवी कस रूप के आरो करावत अभी दिल्ली रेलवे स्टेशन म ड्यूटी बजालत महिला पुलिस वाली के विडीयो ह गजब वायरल होवत हे, जेमा वो ह अपन नान्हे लइका ल बेल्ट म फँसा के अपन छाती म ओरमाए हे अउ एक हाथ म पुलिसिया लाठी धरे मुँह ले सुसरी बजावत भीड़ ल सावचेत करत हे.
   -हव जी संगी.. वोकर विडीयो ल महूँ देखे हौं.. वो ह महतारी अउ पुलिस के ड्यूटी ल सँघरा करत हे.
   -हाँ अइसन कतकों जगा देखे बर मिल जाथे.. कतकों रेजा के बुता करइया मन अपन लइका ल पीठ म ओरमाए मुड़ म ईंटा-पखरा डोहारत रहिथे.. मोला वो पइत के जबर सुरता हे संगी.. जब बस्तर के जंगल म नक्सली मन संग हिमानी मानवरे नॉव के महिला पुलिस ह अपन नान्हे लइका ल धरे मुबाकला करत रिहिसे.
   -अइसन महतारी मन ले गरब हे संगी.. जोहार हे उनला.

4.
-महाशिवरात्रि के लकठाते भाँग के माँग बाढ़गे हे काहत हें जी भैरा.
   -भोलेनाथ के भक्त मन भोग-परसाद चढ़ाए बर अगुवा के बिसा के रख लेथें न जी कोंदा.
   -हव जी.. रायपुर म ए बछर हरियर भाँग ल तीन हजार रुपिया किलो त वोकर पावडर ल चार हजार किलो बेचावत हे बताथें.. वइसे तैं ह बिसाथस नहीं जी?
   -हव भगवान म चढ़ाए खातिर तो बिसाथौं.
   -भइगे भगवान म चढ़ाए खातिर ते खुदो के चढ़ाए बर?
   -अरे नहीं संगी.. हमन अइसन नइ करन.
   -कतकों लोगन तो भगवान म चढ़ाथन त हमूँ म चढ़ा लेथन कहिथें.
   -ए ह सही नोहय संगी.. भगवान ल चढ़ाए के मतलब होथे- गाँजा भाँग जइसन जम्मो किसम के नशा के जिनिस मनला   उनला अर्पित कर के खुद वोकर ले मुक्त रहना होथे.
   -फेर कतकों लोगन तो भगवान ह पीथे तेकर सेती हमू मन पीथन कहिथें.
   -उँकर सोच अउ समझ दूनों गलत हे.. भगवान ह तो समुद्र मंथन ले निखले जहर ल घलो पीए रिहिसे, त वोकर नकल करत हन कहइया मन जहर काबर नइ पीययँ?

5.-मोला एक चीज ह भारी अचरज बानी के लागथे जी भैरा.
   -का जिनिस ह जी कोंदा..?
   -मैं जेन कोनो ल वोट देथौं ना.. वो बुजा मन हारिच जाथें का पाय के ते..!
   -सिरतोन काहत हस जी संगी..?
   -ले.. त तोर जगा बेलबेली करिहौं गा.. एदे अभी के पंचइती चुनाव म घलो मैं जे-जे मन ल वोट देंव सब ढलंग गिन.. वोकर पहिली विधानसभा अउ लोकसभा म घलो जेन-जेन छापा के गुदाम ल मसके रेहेंव.. सबोच बैरी मन पटिया गिन.
   -वाह भई बड़ा ताज्जुब गढ़न के जनाथे तोर पसंद के मनखे ल वोट देवई ह.. तैं ह पार्टी के आधार म वोट नइ देवस का?
   -मैं तो कभू च पार्टी उर्टी के झमेला म नइ परेंव..जेन कोनो मनखे ह बने सादा-सरबदा कस जनाथे, तेकरे छापा के गुदाम ल टमड़ परथौं गा.
   -अब सादा-सरबदा के बेरा पहागे जी संगी.. अब तो साम-दाम अउ पार्टीबंदी वाले मन के बेरा आए हे, जे मन ए रंग म रंग के चुनावी मैदान म आथें, तेही च मन चुनावी बैतरनी ल नहाक पाथें.

6.

-बेरा-बेरा म दक्षिण भारत म हिंदी भाखा के विरोध के सुर उठत देखे म आवत रहिथे जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. अभी फेर अइसने होवत हे.
   -तोला का लागथे  छत्तीसगढ़ म घलो इहाँ के महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल शासन-प्रशासन अउ शिक्षा के माध्यम बनाए खातिर हिंदी के विरोध करे जाना चाही?
   -पहिली बात तो ए हे संगी.. मैं ए देश के कोनो भी भाखा या संस्कृति के विरोध नइ करवँ..  हाँ हम इहाँ छत्तीसगढ़ी भाखा अउ संस्कृति के बात करथन त एला इहाँ के स्वतंत्र चिन्हारी खातिर करथन.. जइसे भारत भूमि म रहि के घलो एक अलग राज्य के रूप म छत्तीसगढ़ के अपन स्वतंत्र चिन्हारी हावय वइसने.. हमन जब छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म सँघरे रेहेन तभो कतकों लोगन हमन ल भरमाए अउ भटकाए के उदिम रचयँ.. उन काहयँ- तुमन अलग छत्तीसगढ़ राष्ट्र के माँग करथौ का..? त हमन काहन- नहीं संगी हम अलग देश के नहीं, भलुक अलग प्रदेश के माँग करथन भारतीय संविधान के अंतर्गत, ठउका अइसनेच इहाँ के भाखा संस्कृति के अलग चिन्हारी चाहथन, त उहू ल भारतीय संविधान के अंतर्गत ही.

7.
-कैलाश पर्वत म आज घलो भगवान भोलेनाथ अउ देवी पार्वती के बसेरा हे कहिथें जी भैरा.
   -हव जी कोंदा अइसने गढ़न तो महूँ सुने हौं तभे तो एमा चढ़े खातिर रोक लगा दिए गे हवय काबर ते एला पवित्र ठउर माने जाथे.. वइसे घलो आज तक वोमा कोनोच मनखे नइ चढ़ पाए हें कहिथें.
   -अच्छा..?
   -हव जी.. जबकि कैलाश ह एवरेस्ट ले दू हजार मीटर छोटे हे.. बताथें बछर 2001 म एक पर्वतारोही दल ह चघे के उदिम करे रिहिसे, फेर चढ़ाई पूरे करे बिन लहुट आए रिहिसे.
   -कतकों लोगन बताथें के कैलाश पर्वत ह रेडियोएक्टिव क्षेत्र आय कहिके?
   -हव भई अगसने तो महूँ सुने हौं.. बताथें के वोमा चढ़े के उदिम करइया मन दिशा भ्रम के स्थिति म पर जाथें उन समझे नइ पावयँ के कोन मुड़ा जाना हे अउ कोन मुड़ा नहीं? एक पइत एक पर्वतारोही वोमा चढ़े के उदिम करत रिहिसे त वोकर देंह के चूंदी, नख अउ रूआँ मन उत्ताधुर्रा बाढ़े लागिन तहाँ ले उहू ह डर के मारे उतरगे.
   - माने कुल मिला के आज तक कैलाश पर्वत ह रहस्यमय जगा बने हुए हे कहि दे.

8.
-हमर गाँव के जकला ह आजकाल धरम-संस्कृति के बड़का जानकार लहुट गे हे जी भैरा.
   -कोन जकला ल कहिथस जी कोंदा?
   -अरे .. उही का चँदोर-फँदोर कहिथे तेने ह जी.. काली महाशिवरात्रि परब के बेरा म वो काहत रिहिसे- 'शिव सम्प्रदाय के महापर्व आय महाशिवरात्रि ह'.
   -अच्छा..!
   -हव.. त एक बड़का साहित्यकार ह वोकर जगा पूछिस के हमन कोन आन? शैव ते वैष्णव? त वो कहिस दूनों म के कोनो एक होबे.
   -तैं ए संबंध म का कहिथस संगी?
   -देख भई.. हमर छत्तीसगढ़ के संस्कृति म माघी पुन्नी के भगवान राजीव लोचन के जयंती परब मनाथन अउ फेर महाशिवरात्रि के कुलेश्वर महादेव के महापरब अउ ए दूनों ल  सँघरा.
   -हव जी.. हमर राजिम के जग प्रसिद्ध  मेला ल माघी पुन्नी ले शिवरात्रि तक एक साथ मनाथन त फेर वो मन हमर बर दू अलग-अलग कइसे होइस?
   -सिरतोन आय संगी.. तभे तो मैं कहिथौं हमन सिरिफ छत्तीसगढ़िया सम्प्रदाय के आन.. आने-ताने अउ कुछू नहीं.
   -हव जी सिरतोन आय.. पुरखौती बेरा ले हमन भगवान राजीव लोचन अउ कुलेश्वर महादेव के परब अउ मेला ल सँघरा मनावत आए हवन अउ आगू.घलो सँघरच मनाबो..  त फेर हमन आने-आने सम्प्रदाय के काबर? दूनों के एकमई काबर नहीं?

9.
-ए बछर के कुंभ नहवइया मन ल तैं आकब करत रेहे जी भैरा.. वोमा के कतकों झन ह नाकर चिरई बरोबर नाक ल चपक के टुप ले बूड़य अउ धरारपटा निकल जावत रिहिसे.
   - हव जी.. अइसन मन घर म डोलची भर पानी ल लोटा म झलकइया आयँ जी कोंदा हमर असन चिभोरा मार के नहवइया नोहयँ बपरा मन.
   -फेर जब तक तरिया नदिया म चिभोरा मार के नइ नहाए त मजच नइ आवय न.. हमन तो खँड़ भर नरवा ल एके साँस म नहाक देवत रेहेन अउ तरिया ल तो कई पइत ए पार ले वो पार  तउँर देवन.
   -हव जी अउ तोला सुरता हे.. अइसने गरमी के दिन-बादर आवय तहाँ ले भइँसा के पीठ म चढ़े मझनिया भर तरियच म बूड़े राहन न.
   -हव जी भइँसा के पीठ म चघे रहना अउ बीच-बीच म पानी म कूद के मछरी टमड़ना कतेक मजा आवय न?
   -तइहा के बात ल बइहा लेगे संगी.. अब तो तरिया नदिया म छाती कटार तक पानी नइ बाँच पावय त कहाँ के भइँसा चघे के मजा अउ कहाँ के मछरी टमड़े के सुख.

10.
-मोला एक बात समझ म नइ आवय जी भैरा के हमन जब काकरो नाहवन म जाथन त तरिया ले नहा के आए के बाद फेर वो मनखे के घर म मढ़ाए पानी म पाँव धोथन.. अरे भई जब तरिया म चिभोरा मार के नहाए रहिथन त फेर पाँव धोए के काबर जरूरत?
   -ए ह हमर पहुनई परंपरा के निर्वहन आय जी कोंदा.. जइसे हमर घर कोनो सगा-पहुना आथे त उनला पाँव धोए बर लोटा म पानी दिए जाथे न.. बस वइसने.
   -अच्छा.. फेर सगा तो बिचारा तालाबेली घाम म पसीना म बोथाय धुर्रा-माटी म सनाय आए रहिथे तेकर सेती वोला लोटा भर पानी दिए जाथे, फेर तरिया ले नहाए-धोए आए मनखे मनला फेर गोड़ धोए बर पानी देवई ह मोला थोकिन अनफभिक जनाथे.
   -अरे भई.. तरिया ले घर तक आवत ले वोकर मन के पाँव ह फेर धुर्रा माटी म सना नइ जाए रहिथे जी?
   -हाँ.. वो तो हे.
   -त धुर्रा म सनाय पहुना मनला वइसने बिन गोड़ धोए अपन घर ले जावन दे जाही जी?

11.
-ए बछर के बजट म पेट्रोल के भाव कमतियागे हे काहत हें जी भैरा.. अब तैं ह फटफटी म बने बोंय-बोंय किंजरबे अपन डोकरी ल पाछू म बइठार के.
   -हमर मन के दिन-बादर पहागे हे जी कोंदा.. हमन किसान घर के लइका अन त हमन ल खेती-किसानी ले जुड़े बात मन ऊपर जादा चेत करना चाही.
   -सही आय संगी.. मोला ए पइत के बजट म सबले बने ए बात ह जनाइस के महानदी इंद्रावती अउ सिकासार कोडार बाँध मनला जोड़े के उदिम करे जाही.
   -सिरतोन आय संगी .. हमर छत्तीसगढ़ म अतेक नदिया नरवा हावय ते ए सब ल जोड़ के अच बरखा  के पानी के रोक-छेंक के सदुपयोग करे जा सकथे.
   -हव जी बरखा के जम्मो पानी ह छेंका के अभाव म बोहा के समुंदर म चल देथे, कहूँ वो जम्मो पानी ल इहें के भुइया म रूँधे-छेके के बनौका बन जाय त बारों महीना हमन ल पानी के कमी नइ जनाही.

12.-बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन ह दुबई म हमर देश खातिर चैम्पियन ट्रॉफी क्रिकेट खेलत मोहम्मद शमी ल मैदान म जूस पीयत देख के ए ह इस्लाम म गुनाह आय काहत हे जी भैरा.
   -वाह भई.. मैदान म खेलत बेरा जूस पीना ह गुनाह कइसे हो सकथे जी कोंदा?
   -वोकर कहना हे- अभी रमजान चलत हे, अइसन म मो. शमी ल रोजा रखना रिहिसे.. रोजा के बेरा म कुछू भी खाना पीना ह गुनाह होथे, जबकि शमी ह भरे मैदान म जूस पीयत हे, जेला लाईव टीवी प्रसारण के माध्यम ले पूरा दुनिया देखिस हे.
   -देख संगी मैं दूसर मन के धरम संस्कृति के बारे म तो नइ जानवँ,  फेर मोला लागथे के कोनो भी धरम म कोनो बीमारी मनखे, सफर म निकले या फेर खेल-कूद के प्रतियोगिता म जूझत मनखे मन बर अइसन बिना कुछू खाए पीए रहे वाला नियम लागू नइ होवत होही तइसे लागथे.
   -हव जी.. मोहम्मद शमी के समर्थन म कुछ मौलाना मन घलो अगसने काहत हें.. फेर मोला ताज्जुब लागथे संगी कोनो भी धरम-पंथ के लोगन अइसन अनफभिक बानी के गोठ ल कइसे बड़ा सहजता के साथ कहि देथें!

13.

-एक दुखद अउ चिंताजनक खबर आए हे जी भैरा.
   -कइसे ढंग के खबर जी कोंदा?
    -खबर मिले हे के हमर छत्तीसगढ़ के 41 कलाकार नोनी मनला सांस्कृतिक कार्यक्रम म डांस करवाए के नॉव म बिहार लेगे रिहिन हें अउ उहाँ लेग के वोकर मन ले देंह व्यापार करवावत रिहिन हें!
   -बाप रे...!
   -हव भई डांस करे के सेती हर महीना 15 ले 20 हजार रुपिया देबो केहे रिहिन हें अउ पाछू दू बछर ले उँकर मन जगा देंह व्यापार करवाए जावत रिहिसे.. अउ जाने ए जम्मो नोनी मन नाबालिग हावयँ.
   -बहुतेच संसो के बात आय संगी, फेर मैं ए गुनथौं के इहाँ के लइका मनला डांस के नॉव म अइसन अंते-तंते जाए के का जरूरत हे?
   -कलाकार मन के मंच म प्रस्तुति के आकर्षण ह जीवलेवा होथे संगी तभे तो अइसन अलहन म वो मन छँदा जाथें.. नवा नवा कलाकारी के सउँख उपजे लोगन के परिवार वाले मनला चेत करे के जरूरत हावय के वोकर लइका मन डांस आदि के नॉव म सही लोगन मन के संगति म जावत हें ते कोनो धंधाबाज षडयंत्रकारी मन के?

14.
-चलना भैरा होले डाँड़ डहार नइ जावस जी? 
   -जाहूँ संगी कोंदा अगोर.. एदे पँचलकड़िया खातिर पाँच ठी छेना हेर लेथौं
   -अरे बइहा दू-चार ठी किन्नी, पिस्सू अउ ढेकना मनला घलो एको ठन शीशी उशी म धर ले रहिबे.
   -वोला काबर जी? 
   -वाह.. एकर ले गाँव म खुरहा-चपका जइसन कोनो किसम के महामारी या रोग नइ संचरय ना.
   -अच्छा! 
   -हव.. तभे तो हमर पुरखौती बेरा ले अइसन रोग-राई महामारी मन ले बाँचे खातिर अइसने खून चूसक जीव मनला घलो होले म डारे के परंपरा हे जी.
   -अच्छा अइसे.. तब तो जरूर धरहूँ जी.. हमर गंज अकन परंपरा ह आने-आने राज ले आके इहाँ बसे शहरिया लोगन मन ले अलगेच जनाथे न..?
  -अलगे हईच हे.. होली म हमन होलाष्टक कहाँ मनाथन? वइसने हमर इहाँ माईलोगिन मन होली के पूजा करे बर घलो नइ जावयँ.
   -पूजा करे बर नइ जावयँ कहिथस.. वोकर तीर म तक नइ ओधयँ.. काबर ते हमर इहाँ होलिका के नहीं, भलुक कामदहन के परब मनाए जाथे.

Friday, 21 February 2025

छत्तीसगढ़ी भाखा के जबर खासियत..।

** हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी के जबर खासियत **
शब्द ल एक बार उचारे म आने अरथ अउ दू पइत सँघरा उचारे म उहिच शब्द के  आनेच अरथ... 
   हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी के ए जबर खासियत आय, के एमा कुछ अइसनो शब्द हे, जेला एक पइत उचारे म वोकर अरथ आने जनाथे, त उचिह शब्द ल सरलग दू पइत उचारे म वोकर अरथ बदल जाथे. आवौ देखथन अइसने एकाद शब्द मनला-
   हमर इहाँ एक शब्द हे- गाड़ा. गाड़ा ल सबो जानथें, एकर छोटे रूप ल गाड़ी कहिथन, जे बइला फाँद के कहूँ आए-जाए या कुछ समान डोहारे के काम आथे. हमन लइका राहन त भॅंइसा गाड़ा अउ बइला गाड़ी दूनों च म बरात जावन. कभू-कभू धान लुवई के सीजन म सीला बीने बर घलो वो खार म जवइया गाड़ा या गाड़ी म बइठ के चल देवत राहन.
   
गाड़ा शब्द के दूसर अरथ इहाँ धान नापे के एक इकाई के रूप म घलो होथे. सियान मन धान मिंजाई के सीजन म पूछ परथें- ए बछर तुँहर घर के गाड़ा धान लुएव गा?. ए जगा इही गाड़ा शब्द ह कतका बोरा या कतका क्विंटल धान होइस एकर रूप म बउरे जावत हे. तब इहाँ नापे खातिर बड़े काठा अउ छोटे काठा के उपयोग करे जावय. बड़े काठा म लगभग तीन किलो असन धान आवय त छोटे काठा म दू किलो के पुरती. इही काठा ल जब बीस बार नापे जावय, त वो एक खॉंड़ी कहावय अउ फेर बीस खॉंड़ी हो जावय त वोला एक गाड़ा कहे जावय.
   अब देखौ इही गाड़ा शब्द के दू पइत सँघरा उचरई ल. गाड़ा-गाड़ा बधाई कहे म एकर अरथ ह एकदम बदल जाथे. अब एकर अरथ ह सैकड़ों अउ हजारों गुना बधाई देवई हो जाथे. अनंत अउ अनगिनत बधाई देना हो जाथे.

    ठउका अइसने एक अउ शब्द देखन- झारा. झारा शब्द ल सुनते मन म बरा-सोंहारी बनाए के बेरा तेलहा कराही ले चुरे-पके बरा-सोंहारी ल निकाले के काम आने वाला एक औजार के सुरता आ जथे. 

   अब इहीच झारा शब्द ल दू पइत सँघरा कर के देखन, त ए ह राँधे-चुरोए के अपन औजार वाले रूप ल छोड़ के जेवन-पानी खातिर नेवता देवइया शब्द बन जाथे- आज फलाना मंडल घर कुल देवता पूजा के नेवता हे गा, तुमन ल उॅंहचे जेवन खातिर झारा-झारा नेवता हे. अब ए नेवता खातिर इही झारा शब्द ह दू पइत सँघरा उचारे म जम्मो परिवार ल सँघरा या समिलहा नेवता देवइया शब्द बनगे हे.
   अइसने एक अउ शब्द देखव- गोंदा.. गोंदा ह छत्तीसगढ़ के मयारुक फूल आय.. इहाँ कतकों किसम के गोंदा फूल होथे. चंदैनी गोंदा तो गजबे प्रसिद्ध हे.. अब ए  गोंदा शब्द ल सँघार के देखव- गोंदा-गोंदा .. अब ए टुकड़ा टुकड़ा माने कूटा कूटा होगे.. तोला गोंदा गोंदा पउल देहूँ रे.

   ए आय हमर छत्तीसगढ़ी भाखा के महानता अउ मौलिकता. जय हो छत्तीसगढ़.. जय हो छत्तीसगढ़ी.

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Sunday, 2 February 2025

कोंदा भैरा के गोठ-30

कोंदा भैरा के गोठ-30

-ठलहाचंद मनला सरकार ह फोकट म एला- वोला बाँटत हे जी भैरा अउ जे मन पूरा ईमानदारी के साथ अपन काम-बुता ल करत हें तेकर मन के पगार दे बर सरकारी खजाना म पइसा नइए कहिके ठेंगा देखाय असन गोठिया देथें.
   -हव जी कोंदा.. सत्ता पाय के नियम बड़ा बिचित्तर हे.. फोकट म ए.. फोकट वो.. सबो पार्टी अउ सरकार के प्राथमिकता बनगे हवय जेकर सेती सरकारी खज़ाना मन जुच्छा परे असन होवत हे.. रिजर्व बैंक ह जम्मो राज सरकार मनला चेताय घलो रिहिसे के फोकट वाले चलागन ल अब थिरवावौ कहिके तभो ले देखत तो हावस.
   -हव जी.. अभी सुप्रीम कोर्ट ह घलो एकर ऊपर चिंता जताए हे मंगलवार के जस्टिस बी आर गवई अउ जस्टिस ए जी मसीह के खंडपीठ ह कहिस- राज सरकार जगा वो लोगन बर खूब पइसा हे, जे मन कुछू काम-बुता नइ करयँ अउ हमन वित्तीय बाधा के बात कहिथन त हमला पगार अउ पेंशन आदि खातिर वित्तीय संकट के गोठ सुने ले मिलथे.
   -करलई हे भगवान..!

🌹

-हमर छत्तीसगढ़ म अभी धरम परिवर्तन ले जुड़े गजबे खबर आवत हे जी भैरा.
   -पूरा देश अउ दुनिया ले अइसन सोर आवत रहिथे जी कोंदा.
   -तोला अइसे का जनाथे जेमा लोगन अपन पुरखौती परंपरा अउ पूजा प्रतीक ल छोड़ के आने के चलागन ल धर लेथें? 
   -एकर संबंध म स्वामी विवेकानंद जी के विचार ह पोठ अउ वाजिब जनाथे संगी.. वोकर मन के पत्रावली नॉव के किताब म एकर संबंध म उँकर विचार ल समोए गे हवय.. "आइए, देखिए तो सही, त्रिवांकुर में जहाँ पुरोहितों के अत्याचार भारतवर्ष में सब से अधिक है, जहाँ एक एक अंगुल जमीन के मालिक ब्राह्मण हैं, वहाँ लगभग चौथाई जनसंख्या ईसाई हो गयी है! (पत्रावली भाग 1. पृ. 385)  .. अइसने पत्रावली भाग 3, पृ. 330, नया भारत गढ़ो, पृ. 18 म लिखाय हे- भारत के गरीबों में इतने मुसलमान क्यों हैं? यह सब मिथ्या बकवाद है कि तलवार की नोंक पर उन्होंने धर्म बदला। जमीदारों और पुरोहितों से अपना पिंड छुड़ाने के लिए ही उन्होंने ऐसा किया और फलतः आप देखो कि बंगाल में जहाँ जमींदार अधिक हैं, वहाँ हिंदुओं से अधिक मुसलमान हैं.
   -महूँ ल ए सब वाजिब जनाथे संगी.. लोगन पइसा या सेवा के लालच म नहीं, भलुक समानता के सम्मान पाए के आस म चले जाथें.

🌹
-कोनो कोनो पत्रकार मन पुचपुचहा किसम के होथे जी भैरा बिन जाँचे-परखे कुछू भी जिनिस ल नकली या अंधविश्वास घलो कहि देथें.
   -हाँ ए बात तो हे जी कोंदा.. महूँ आकब करे हौं कतकों देवी देवता अउ सिद्ध पुरुष मन के संबंध म घलो उन उजबक किसम के गोठियाय परथें.
   -हव जी.. अभी अइसने एक झन पत्रकार ह प्रयागराज म चलत महाकुंभ म झुँझकुर काँटा म आसन लगा के बइठे बाबा जी ल ए काँटा ह असली आय ते नकली कहिके पूछ परीस.
   -तहाँ ले? 
   -तहाँ ले का.. बाबा जी ह रोसिया के पत्रकार ल धर के अपन डहार तिरिस अउ वोकर कान के खाल्हे म एक थपरा हकनिस.
   -बने करीस.. संत तपस्वी मन बेलबेली करे के जिनिस नइ होय.
   -हव.. बाबा जी के अपन डहार तीरे म पत्रकार ल काँटा गड़िस होही संग म थपरा म कान के खाल्हे ह झन्नइस होही त वो पत्रकार ह काँटा ह असली हे कहे लागिस.
   -असली च काँटा म बइठथें गा.. हमन राजिम, रायपुर अउ शिवरीनारायण के मेला म घलो अइसन साधक तपस्वी मन ल देखे हावन.

🌹
-प्रयागराज महाकुंभ म अभी साधु‌ संत मन ले घलो जादा एक झन माला बेचइया नोनी मोनालिसा ह वायरल होवत जी भैरा.
   -हव जी कोंदा.. महूँ आकब करे हौं.. सोशलमीडिया के जेन मंच ल देखे तेनेच म वो नोनी के मुस्कीढारत विडियो दिखीच जाथे.
   -लोगन वोकर आँखी के सुघरई के घात चर्चा करत हें, काहत हें के वोकर आँखी ह दुनिया के सब ले मयारुक आँखी हे.
   -हव जी.. अउ एक जिनिस आकब करे हावस? 
   -का..? 
   -वो नोनी के सुघरई अउ रहन-सहन बोली-बचन म कोनो च मेर ले बनावटी पन के आरो नइ मिलय.. एकदम निरमल फरी झिरिया ले ओगरत पानी कस आरुग.
   -हव जी.
   -आजकाल जे नोनी मन रील बना के फेमस होय के चक्कर म चिरहा-फटहा अउ उघरा-उघरा कपड़ा लत्ता देंह म ओरमाए नाचत रहिथें, ते मन ल एकर ले सीख लेना चाही, के लोगन के खूबसूरती अंते-तंते कूदे-फाँदे या देंह-दरस करवाए ले नहीं, भलुक शांत सरल अउ संस्कारी बने रेहे ले बाढ़थे.. लोगन वो मन ल जादा सँहराथें अउ दुलारथें.

🌹
-अब के गुरुजी मन कहूँ लइका मन ल रोसहा असन मार परथें त वोकर दाई-ददा मन गुरुजी संग झगरा करे बर चल देथें जी भैरा अउ हमर पाहरो म..? 
   -अरे ददा रे.. हमर पाहरो म जी कोंदा.. दाई-ददा मन गुरुजी मन ल अउ चेतावँय बने हकने कर गुरुजी पढ़ई लिखई नइ करय त कहिके.
   -हव भई.. अउ कक्षा ले बाहिर चरचरावत घाम कुकरा बनावय ते ह अउ जउँहर लागय.
   -हमर गुरुजी ह तो आधा घंटा ले कुकरा बने राह काहय तेकर आजो ले सुरता हे, फेर तैं एक बात जानथस संगी? 
   -का जी..? 
   -कुकरा बनई ह आसनात्मक क्रिया के एक अंग आय. 
   -अच्छा.. दूनों गोड़ के खाल्हे ले हाथ ल बुलका के कान ल धरन तेन ह? 
   -हव.. कुकरा बने ले बहुत अकन लाभ होथे.. गुनिक मन के कहना हे- एकर ले वायु के निष्कासन बने होथे, चेहरा म रक्तसंचार बाढ़े के सेती  चेहरा के ओज म बढ़ोत्तरी होथे अउ झुर्री मन समाप्त होथे.. स्मरण शक्ति घलो बाढ़थे.. आँखी खातिर घलो फायदा के होथे.. सरलग अभ्यास करे ले माइग्रेन म लाभ होथे.. नितंब, जाँघ अउ मेरूदंड के मांसपेशी म खिचाव होय ले रक्तसंचार बाढ़थे अउ उँकर विकार दूर होथे.
   -वाह भई.. कुकरा बने ले अतेक लाभ होथे.. पहिली ए सब गुन ल जाने रहितेन त गुरुजी मन जतका काहयँ तेकरो ले उपराहा कुकरा बने रहितेन.

🌹
-निकाय चुनाव खातिर पार्टी मन के घोषणा पत्र आए के शुरू होवत हे जी भैरा.
   -बढ़िया खबर सुनाए हस जी कोंदा मैं तो ए घोषणा पत्र मन के जबर अगोरा करथौं.
   -वाह भई..अइसे काबर.. अब महीना भर बर चेपटी अउ कुकरा के जुगाड़ होगे कहिके गदकथस का? 
   -वो तो हइच हे संगी.. मैं ह सबो पार्टी के घोषणा पत्र मन ल बने सकेल-सकेल राखथौं घलो.
  -अच्छा.. सबो पार्टी के घोषणा पत्र मन ल.. वो काबर संगी? 
   -जड़हा मौसम म भुर्री तापे के बने काम आथे ना.
   -अच्छा.. घोषणा पत्र मन के भुर्री तापथस! 
   -हव जी.. भुर्री तापे बर एकर ले बढ़ के अउ कोनो साफ सुथरा कचरा नइ मिलय.
   -वाह भई.. त सबो पार्टी के घोषणा पत्र मन के भुर्री के आँच आने-आने जनावत होही? 
   -आँच ह तो ककरो कमती त ककरो ह थोकिन रोसहा जनाथे, फेर वोमा ले निकलइया धुँगिया मन जरूर अलग अलग किसम के जनाथे.
   -अच्छा.. धुँगिया मन अलग अलग किसम के जनाथे? 
   -हव जी.. कोनो पार्टी के घोषणा पत्र के धुँगिया ह खरखराथे त ककरो ह भखरइन असन जनाथे.
   -वाह भई.. माने चुनाव के हर उदिम के तैं ह जबर सेवाद लेथस.

🌹
-ए बछर देश के राजधानी दिल्ली म गणतंत्र दिवस के अवसर म होवइया भारत पर्व 2025 म हमर छत्तीसगढ़ के झाँकी म रामनामी समाज ल देखाय जाही जी भैरा.
   -ए तो बढ़िया खबर आय जी कोंदा.. झाँकी म इहाँ रामनामी समाज के उदय काबर अउ कइसे होइस तेनो ल देखाय जाही का जी? 
   -नहीं जी वो इतिहास अउ कारण ल तो नइ देखाय जाय बस एक रामनामी माईलोगिन अउ एक आदमी ल अपन देंह भर राम राम गोदवाय अउ मुड़ म मयूर पाँखी के मुकुट पहने रामायण पढ़त देखाय जाही.
   -वाह.. इतिहास ल देखाय जातीस त जादा निक जनातीस संगी के कइसे परसुराम नॉव के मनखे ह जब वोला गाँव के मंदिर भीतर नइ खुसरन देइन त वो ह रोसिया के अपन देंह भर राम राम गोदवा लिस अउ एकरे माध्यम ले निराकार ब्रह्म के उपासना चालू कर दिस जेन ह आज एक आध्यात्मिक समाज के रूप धारण कर लिए हे.. अउ सबले बड़े बात तो ए आय के रामनामी मन अयोध्या वाले राजा दशरथ के बेटा राम के नहीं, भलुक निराकार ब्रह्म के उपासक आयँ.

🌹
-छेरछेरा परब म झोंके धान ले हमर गाँव नगरगाँव के मिडिल स्कूल भवन ल बनवाय रेहेन जी भैरा अउ हर बछर छेरछेरा माँग के स्कूल खातिर खेलकूद के सामान घलो लेवन.. हमर गुरुजी मन बढ़िया बैंड बाजा संग हमन ल छेरछेरा मंगवाय बर लेगय संग म उहू मन गाँव भर किंजरयँ.
   -सबो जगा छेरछेरा के सकलाय धान ल लोकहित के कारज म लगाय जाथे जी कोंदा.
   -हव जी.. कतकों गाँव म रामकोठी बढ़ाए के परंपरा घलो हे, फेर अभी कांँकेर जिला के दुर्गूकोंदल ब्लॉक ले खबर आए हे के उहाँ के प्राथमिक शाला पलाचुर के गुरुजी रामकुमार कोमरा ह छेरछेरा म लइका मन जेन धान सकेले रिहिन हें, तेला बेच के दारू पी दिस.
   -वाह भई.. अइसनो होथे गुरुजी मन गा..! 
   -हव जी.. ताज्जुब लागथे संगी.. उहाँ के जिला शिक्षा अधिकारी ह जाँच खातिर टीम भेजे रिहिसे, जेकर प्रतिवेदन मिले के बाद नशेड़ी गुरुजी ल निलंबित कर दिए गे हवय.

🌹
-बाॅलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ह केरल साहित्य महोत्सव के कार्यक्रम म कहे हवय जी भैरा के आज ले सौ बछर बाद के भारत ल जाने बर कहूँ बॉलीवुड सिनेमा ल देखे जाही त ए ह एक त्रासदी बरोबर जनाही.
   -अच्छा.. अइसे काबर जी कोंदा? 
   -वोकर कहना हे के सिनेमा ल सत्य ऊपर आधारित ईमानदारी के साथ बनाए जाना चाही, फेर एकर दर्शन तो होवय नहीं, त सौ बछर बाद एला त्रासदी के छोड़ अउ का माने जाही? 
   -छत्तीसगढ़ के संदर्भ म घलो अइसन स्थिति बन सकथे संगी.. आज इहाँ जेन किसम के छत्तीसगढ़ी फिलिम बनत हे का ए मन ल सौ बछर बाद छत्तीसगढ़ के इतिहास, संस्कृति अउ धरोहर के मानक माने जा सकही? 
   -कोन जनी संगी.. मैं तो एक दू ठ छत्तीसगढ़ी सिनेमा देखे रेहेंव तहाँ ले अब कोनो डहार जाए के मन नइ होवय.
   -अइसे काबर? 
   -बस चारों मुड़ा ले नकल चोट्टई ही देखे ले मिलथे.. हाथ-गोड़ कोनो कोती के त मुड़ी-पूछी अउ कोनो कोती के.. थर खाए असन लागथे.. लोगन के मौलिक सोच, समझ अउ विषय कब उद्गरही तेने ल गुनथौं.

🌹
-तैं एक चीज आकब करे हस जी भैरा.. जेला लोगन जकला, बइहा अउ ना जाने का-का कहिके हिनमान करे अस गोठियाथें उहि च मनखे ह ऐतिहासिक बुता कर डारथे.
   -ए तो दुनिया के चलागन आय जी कोंदा.. जे मनखे ह भीड़ ले अलग हट के कुछू नवा उदिम करथे, लोगन वोला जकला भकला सबो च कहिथें.
   -हव जी.. भेड़िया धसान म रेंगत लोगन बर वो ह अजूबा होथे, काबर ते वो कुछू नवा रद्दा ल धरे रहिथे, उहू म परिया टोरे कस एकपइयाँ जेमा काकरो रेंगे के चिनहा नइ दिखत राहय, तेकर सेती चिक्कन चातर रद्दा म रेंगइया मन बर वो ह अजूबा ही होथे, एकरे सेती वो अजूबा के डगर धरइय्या ल लोगन जकला भकला सब कहि देथें.. फेर कुछू होवय संगी ऐतिहासिक बुता ल अइसने च मन सिध पारथें.. अइसने मन के नॉव इतिहास म शोभा बढ़ाथे.
   -हव‌ जी.. अउ फेर तब जे मन वोला जकला भकला काहत रहिथें, उही मन तरुवा धर के पछताथें.

🌹
-निकाय अउ पंचायत के चुनाव ल देखत बइगा गुनिया मन के खोज खबर ह बाढ़ गे हे जी भैरा.
   -अंधविश्वास के सवारी करइया मन तो अइसन करबे करथें जी कोंदा.
   -हव भई.. अभी मोर संगी ह बतावत रिहिसे- कुकरा अउ बोकरा के बिक्री घलो बाढ़ गे हवय कहिके.
   -मतदाता मनला खुश करे के उदिम खातिर होही जी चेपटी के संगी होथे कुकरा अउ बोकरा ह? 
    -अभी मतदाता मन ले जादा बइगा गुनिया मन के देवता मनला खुश करना ह जादा जरूरी हे बताथें.. बिन पूजवन के उँकर देवता मन कोनो बुतच नइ करयँ कहिथें.. बताथें के जब बइगा मन सुमर-जाप के पूजवन देथें तब उँकर देवता मन मतदाता मन के मति ल पूजवन देवइया प्रत्याशी डहार लेगथे.
   -टार बुजा ल मोला ए सब ह पतियासी असन नइ जनावय.. अरे अइसन होतीस त पूजवन दे दे के सबो झन नइ जीत जातीन? सिरिफ एके झन भर ह काबर जीतथे.. उहू म बिन पूजवन दे प्रत्याशी ह जीतथे, जेकर करम-कमई अउ चाल-चरित्तर बने मयारुक रहिथे.

🌹
-इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के महासचिव पीएमए सलीम के कहना हे जी भैरा के महिला अउ पुरुष एक बरोबर नइ होय.. वोकर कहना हे- हमन लैंगिक न्याय के समर्थक तो हावन, फेर लैंगिक समानता के नहीं.
   -वाह भई.. शारीरिक बनावट म भले आदमी अउ औरत म थोर बहुत अंतर हे, फेर ज्ञान, प्रतिभा अउ शक्ति के मामला म दूनों बरोबर होथें कहिके हमन तो दूनों ल आज तक बरोबर ही समझन जी कोंदा.
   -हव जी सही आय.. वोकर कहना हे- ओलंपिक म महिला पुरुष दूनों के अलग-अलग श्रेणी होथे, तेकर कारण इही आय के दूनों अलग होथे.. वो इहू कहिस- दूनों ल एक बरोबर मानना हकीकत ले आँखी मूंदे बरोबर आय. 
   -वोकर सोच अउ समझ ले अइसन हो सकथे जी संगी, फेर हमन तो हर जीव ल शिव के रूप म देखत आज तक सबो ल एक बरोबर मानत आए हावन अउ आगू घलो मानत रहिबोन.

🌹
-बॉलीवुड अभिनेत्री रहे ममता कुलकर्णी ल जब ले किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर बना दिए रिहिन हें, तेने दिन ले मोर मन उभुक-चुभुक करत रिहिसे जी भैरा अब एदे किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ह ममता के संगे-संग वोला महामंडलेश्वर के उपाधि देवइया लक्ष्मी नारायण ल घलो महामंडलेश्वर के पद ले निष्काषित करिस हे त थोकन बने जनाइस हे.
   -सिरतोन आय जी कोंदा.. महूँ ल बड़ा अकबकासी असन लागत रिहिसे के एक माईलोगिन ल किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर कइसे बनाए जा सकथे? 
   -हव भई.. हमर देश म तो किन्नर मन ल तीसरा लिंग के स्वतंत्र चिन्हारी मिले हे, त फेर वोमा कोनो भी आने लिंग के सदस्य ल कइसे संँघारे जा सकथे? 
   -ए बात तो हइच हे संगी.. मोला एकरो ले जादा ताज्जुब तो ए बात ह लागे रिहिसे के का कोनो भी मनखे ल महामंडलेश्वर के पद ल चना-मुर्रा बरोबर बाँटे जा सकथे? का ए महत्वपूर्ण पद खातिर कोनो किसम के योग्यता निर्धारित नइ राहय?
   -धरम के ठीहा म अइसन विचित्तर गोठ कभू नइ सुने रेहेन भई.. तभे तो सबो डहार ले संत महात्मा मन एकर विरोध अउ निंदा करत रिहिन हें.

🌹
-काली वक्ता मंच के कवि गोष्ठी म एक बात गजब निक जनाइस जी भैरा.. उहाँ गैर छत्तीसगढ़ी भाषी कवि अउ कवयित्री मन घलो छत्तीसगढ़ी भाखा म रचना सुनाए के उदिम करीन.
   -वाह.. ए तो गजब सुग्घर बात आय जी कोंदा.. लोगन जिहाँ के अन्न-जल खा-पी के जीयत हें उहाँ के भाखा संस्कृति के सम्मान करत वोला आत्मसात करे के कोशिश तो करना ही चाही.
   -हव जी फेर मोला कोनो कोनो छत्तीसगढ़ी कवि मन के सारी-भाँटो वाला रचना मन एको नइ सुहाइस.
   -तोला का कोनो च ल अइसन रचना मन नइ सुहावय.. अरे भई मंच के रचना मन ल भले मनोरंजन के दृष्टि ले अइसन किसम के सुने या सुनाए जा सकथे फेर गोष्ठी म तो गंभीर रचना आना चाही.
   -हव जी सही आय.. एक डहार हमन छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची म सँघारे के बात करत हावन.. प्राथमिक ले लेके उच्च शिक्षा के माध्यम बनाए के गोठ करत हावन अउ दूसर डहार सारी-भाँटो तक ही अपन सोच ल सकेले बइठे रहिबोन त हमर अपन महतारी भाखा ल शिक्षा के माध्यम बनाए के बात ह कइसे सिध पर सकही?

🌹

Tuesday, 7 January 2025

कोंदा भैरा के गोठ-29

कोंदा भैरा के गोठ-29

-धान कटोरा के नॉव ले दुनिया भर म प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ के मनखे मनला कहूँ ससन भर भात खाए बर बरजहीं तब तो मरे बिहान हे जी भैरा.
  -सही आय जी कोंदा, फेर कोन उजबक ह अइसन काहत हे.. हमन भात खाबो, बासी खाबो अउ चीला, फरा, अँगाकर सबोच खाबो.. ए सब तो हमर पुरखौती परंपरा आय. 
   -हव जी, फेर अभी रायपुर म देश भर के डायबिटीज चिकित्सक मन के संगोष्ठी चलत हे, तेमा दुरुग ले आए डॉ. प्रभात पाण्डेय ह कहिस हे के डायबिटीज के रोगी मनला चावल खाए बर कमतिया देना चाही.
   -जउँहर हे संगी.. महूँ ल ए डायबिटीज के तकलीफ हावय, फेर मैं तो भात, बासी, चीला, फरा सबो ल नँगत के दंदोरथौं.
   -सिरतोन म जी? 
   -हव भई.. मोला खुद एकझन हमर छत्तीसगढ़िया डॉक्टर ह केहे रिहिसे.. वोकर कहना रिहिसे के पसाए वाले भात ल खाए म तकलीफ नइए.. कुकर म या चोवा राँध के खाए वाला भात म रहिथे.
   -अच्छा.. माने चोवा भात या कुकर म राँधे वाला भात ल शुगर के रोगी ल नइ खाना चाही.. पसाए वाला ल खा सकथें.
   -हव.. भात ल पसाए म वोकर मीठहा तत्व ह पसिया संग निथर जाथे.
🌹

-कहूँ के दान पेटी म हाथ लमा के डारे जिनिस अउ धोखा म वो दान पेटी म कुछू जिनिस के गिर जाए म अंतर होथे नहीं जी भैरा? 
   -इहू पूछे के बात आय जी कोंदा.. दूनों अलग अलग बात आय.. हाथ लमा के देवई ह दान आय अउ भोरहा म कुछू जिनिस के गिर जाय ह अलहन आय.
   -ठउका कहे संगी, फेर अभी तमिलनाडु के थिरुपोरुर म अरुलमिगु कंडास्वामी मंदिर ले खबर आए हे, तेन‌ ह मोला अकबकासी असन लागत हे! 
   -कइसे गढ़न के जी? 
   -उहाँ के दान पेटी म दिनेश नॉव के मनखे के मोबाइल ह धोखा म गिर गे, त उहाँ के प्रबंध समिति वाले मन दान पेटी म गिरे जिनिस भगवान के होगे कहिके वो बपरा के मोबाइल ल लहुटाबे नइ करिन.. हाँ वोकर सिम ल जरूर लहुटाय हें.
   -ए ह तो मोला उजबक बानी के जनाथे संगी.. धोखा म बिछल के दान पेटी म गिरे जिनिस ह भगवान के कइसे हो जाही.. अउ मान ले मोबाइल ह जब भगवान के होगे त वोमा लगे सिम ह घलो तो भगवान के होइस ना? 
   -कोन जनी भई.. मोला तो ए ह कोनो जगा ले फभे अस नइ जनावत हे!
🌹

-अनपढ़ मनखे मन घलो अब स्नातकोत्तर के लइका मनला पढ़ा सकहीं काहत हें जी भैरा.
   -कइसे उजबक बानी के गोठियाथस जी कोंदा.. अरे भई जे मनखे ह एको आखर ल पढ़े लिखे नइए ते ह स्नातकोत्तर कहिथस तइसन पढ़त लइका मनला कइसे पढ़ा सकही जी? 
   -रविशंकर विश्वविद्यालय ह प्रोफेसर आॅन प्रैक्टिस के नॉव ले एक नवा योजना शुरू करे हे, जेमा वो क्षेत्र म ठोसलग बुता करे मनखे ल व्याख्यान दे खातिर बलाए जाही एकर बर कोनो किसम के शैक्षणिक योग्यता या उपाधि नइ देखे जावय, भलुक वो मनखे ह वो क्षेत्र विशेष म कतका ठोसलग बुता करे हे तेला देखे जाही.
   -अच्छा.. जइसे कुछ दिन पहिली बिरहोर जनजाति मन के सेवा म अपन पूरा जिनगी लगइया पद्मश्री जागेश्वर यादव के व्याख्यान विश्वविद्यालय म होय रिहिसे तइसने? 
   -हव ठउका समझे.. अइसन मनखे मनला पूरा सत्र म चार पइत व्याख्यान दे खातिर बलाए जा सकथे.. एमा अलग ले कोनो थ्योरी पाठ्यक्रम नइ राहय वो ह लइका मनला अपन अनुभव के व्यावहारिक ज्ञान देही.
🌹

-परोसी राज मध्यप्रदेश के खजुराहो म प्रधानमंत्री ह काली केन अउ बेतवा नदिया मनला जोड़े के जेन उदिम शुरू करिन हें, तेन ह मोला घातेच सुग्घर लागिस हे जी भैरा.
   -सही आय जी कोंदा महूँ ह ए बुता के शुरू च ले समर्थक अउ प्रशंसक रेहेंव काबर ते हमर देश म कोनो मुड़ा भारी बरखा त कहूँ खड़खड़ ले सुक्खा देखे ले मिलत रहिथे अइसन म उड़ेरा पूरा म बइहा बरोबर बकबकावत नदिया के पानी ल पसर भर पानी बर तरसत नदिया मन म लेगे के उदिम हो जाय त एकर ले बने बात अउ कुछू नइ हो सकय. 
   -सही आय जी.. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ह बछर 2002 म ए मुड़ा म बुता करे के शुरुआत करे रिहिन हें, फेर पाछू जाके वो ह अटक गे रिहिसे..अभी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के पहल ले 22 मार्च 2021 के मध्यप्रदेश अउ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मन ए समझौता म दस्तखत करे रिहिन हें, तेन ह अब शुरू होइस हे.
   -देर आए दुरुस्त आए कहिथें तइसने आय संगी.. हमर शुभकामना हे ए बुता ह जल्दी सिध परय अउ देश के आने भाग के नदिया मनला घलो अइसने जोड़े के कारज होवय.
🌹

-कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ह अभी रायपुर के सेजबहार म चलत शिव महापुराण कथा पंडाल काहत रिहिसे जी भैरा के लोगन अवइया 31 दिसंबर के थर्टी फर्स्ट भले मना लेवँय फेर नवा बछर ल अपन परिवार संग चैत महीना म ही मनावँय.
   -अइसे काबर जी कोंदा? 1 जनवरी ल तो अब पूरा दुनिया भर म नवा बछर के रूप म मनाए जाथे.. हमर देश के संसद अउ जम्मो शासन प्रशासन के कारज घलो तो इही अंगरेजी कैलेंडर के मुताबिक चलथे.
   -उँकर कहना रिहिसे के सनातन संस्कृति म चैत अँजोरी एकम ले ही नवा बछर के शुरुआत होथे.. ए दिन शिवालय म परिवार संग जा के खुशी मनाना चाही.
   -मोला लागथे संगी के कथा वाचक जी ल छत्तीसगढ़ी संस्कृति के समझ थोकिन कमती हे.. हमर इहाँ के मूल संस्कृति म अक्ती परब ल नवा बछर के रूप म मनाए जाथे एकरे सेती ए दिन हमर खेती किसानी म मूठ धरई ले लेके पौनी पसारी, कमइया सौंजिया के नवा बछर खातिर नवा नियुक्ति होथे.. बहुत अकन सीजनउहा जिनिस मन के खाए पीए अउ बउरे के शुरुआत घलो हमन इही दिन करथन.
   -तोरो कहना वाजिब हे.. छत्तीसगढ़ म कथा होवत हे त छत्तीसगढ़ी संस्कृति के मुताबिक गोठ होना चाही.. आखिर छत्तीसगढ़ के संस्कृति घलो तो सनातन के ही अंग आय न.
🌹

-मोला जब मयारुक साग खाये के साध लागय जी भैरा त हमर इहाँ के सियानीन ल पनीर राँधे बर काहँव फेर जब ले हमर बीरगाँव‌ ले अढ़ई हजार किलो नकली पनीर पकड़ाए के खबर आए हे तब ले वो डहार मने नइ जाय.
   -सही कहे जी कोंदा.. ए नकली जिनिस बनइया व्यापारी मन तो अतिच करत हें.. सम्मार के बीरगाँव‌ म अढ़ई हजार किलो नकली पनीर धराइस हे त वोकर बिहान भर मंगल के निमोरा के फैक्ट्री म चार हजार किलो नकली पनीर धरागे.
   -ददा रे.. दुएच दिन म छै हजार किलो ले जादा के नकली पनीर हमर रायपुरे भर म.. माने इहाँ के चारों मुड़ा के पनीर बेचरउहा ठउर मन म नकली च नकली के खेल चलत हे कहि दे! 
   -हव भई महूँ ल अइसने जनाथे.. तभे तो जतका दूध के उत्पादन नइ होवय तेकर ले जादा दूध दही अउ वोकर ले बने जिनिस मन मिल जाथें.
   -अइसन म तो मरे बिहान हे संगी.. काला खाईन अउ काला नहीं तइसे कहउल होगे हे.
   -हव भई.. एक झन डेयरी वाले ह बतावत रिहिसे- पनीर के नान्हे कुटका ल मसल के देखना चाही.. कहूँ वो ह भुरभुरहा हो जाय त जान लेवौ के वो नकली आय.
🌹

-अब इंद्रावती ह छत्तीसगढ़ महतारी के पइयाँ नइ पखार पाही तइसे जनावत हे जी भैरा.
   -कइसे उजबक बानी के गोठियाथस जी कोंदा.. बारों महीना कलकल बोहावत इंद्रावती के जलधारा ल ही देख के हमर राजगीत म वोला 'इंद्रावती ह पखारय तोर पइयाँ.. जय हो छत्तीसगढ़ मइया' कहिके ठउर दिए गे हवय. 
   -हव गा.. तब ए इंद्रावती ह बारों मासी पानी म लबालब राहय.. एकरे सेती एला बस्तर के जीवन दायिनी घलो कहे जाथे, फेर अब एक तो खातुगुडा डेम ले बस्तर के हक के पानी ह पूरा नइ मिल पावत हे अउ एती जोरानाला विवाद के सेती इंद्रावती खड़खड़ ले सुखावत जावत हे.. अब तो इंद्रावती म जलरंग पानी के बलदा जगा जगा रेती के टीला दिखे लगे हे.. बस्तर के रहइया मन एकर खातिर कतकों उदिम कर डारे हें, फेर अभी तक ए मुड़ा काकरो चेत नइ आवत हे.
   -ओहो.. जिम्मेदार लोगन ल बेरा राहत एती चेत करना चाही गा.. इंद्रावती म सिरिफ पानी भर नहीं, भलुक हमर गौरवशाली इतिहास घलो कलकल करत बोहावत रहिथे.
🌹

-जइसे जइसे सियानी उमर बाढ़थे वइसे वइसे लोगन के देंह गरू होवत जाथें कहिथें जी भैरा.
   -सियनहा मन जी कोंदा? 
   -हव.. एक रिपोर्ट म बताए गे हवय- 50 बछर ले उपराहा होइस तहाँ ले हर बछर आधा ले एक किलो तक वजन बाढ़त जाथे, तेकर सेती लोगन ल चेतलग रहना चाही.
   -अच्छा..! 
   -हव.. वजन बाढ़े खातिर उमर के संग जीवनशैली म आए बहुत अकन नान-नान बदलाव अउ उमर ले संबंधित जैविक परिवर्तन ह असल कारण होथे.
   -हव भई ए उमर म हमर शारीरिक गतिविधि कमतिया जाथे, निष्क्रियता घलो बाढ़थे व्यायाम कसरत घलो कमितच हो पाथे.
   -सही कहे.. एकरे सेती हमन कैलोरी ल कमती मात्रा म बर्न कर पाथन.. वजन बाढ़े के संबंध नींद ले घलो बताथें.. लंदर-फंदर बजरहा जिनिस के खवई ले घलो होथे.
   -सिरतोन कहे संगी.. अब हर किसम ले चेतलग रेहे बर लागही.. जतका जादा हो सकय अपन ल सक्रिय रखना परही अउ खवई-पीयई म घलो जीभ के सेवाद ल छोड़ाए बर लागही.
🌹

-जे मन ल कला अउ संस्कृति के अंतर नइ समझँय ते मन छत्तीसगढ़ी संस्कृति के बढ़वार के गोठ करथें त बड़ा उजबक बानी के लागथे जी भैरा.
   -तोर कहना महूँ ल वाजिब जनाथे जी कोंदा.. अब देखना.. अभी एक झन लइका ह अपन आप ल पहला पुरुष भरथरी गायक बतावत काहत हे के वो ह छत्तीसगढ़ी संस्कृति ल बढ़ावा दे खातिर ए रद्दा म आए हे.
   -पहिली बात तो ए हे के भरथरी अउ पंडवानी जइसन गाथा गायन विधा ह छत्तीसगढ़ ले बाहिर के प्रसंग आय, जेकर छत्तीसगढ़ के इतिहास अउ संस्कृति ले कोनो संबंध नइए.. भरथरी ह बंगाल के जोगी मन ले आए विधा आय, जे मन बंगाल ले उज्जैन जावत बेरा छत्तीसगढ़ ले नाहकत रिहिन हें, उही बेरा म इहाँ के लोगन के संपर्क म आगे अउ गाथा गायन के एक विधा बनगे.
   -हव भई छत्तीसगढ़ के गाथा अउ परंपरा के बढ़वार करना हे त आरंग के राजा मोरध्वज जइसन मन के गाथा ल गावयँ, जे ह अपन बेटा ताम्रध्वज ल सउहें आरा म दू फाँकी चीर के परीक्षा लेवत भगवान के आगू म मढ़ा दिए रिहिसे.
   -सही आय जी.. पूरा दुनिया म एकर ले बढ़ के कहूँ उदाहरण अउ प्रसंग नइए, फेर इहाँ के लोगन मनला सिरिफ दूसर के पिछलग्गू बने रहे म ही आनंद आथे.. उही ल ए मन अपन गौरव समझथें.
🌹

-सच ल सुने के क्षमता शासन के तंत्र म बइठे लोगन म रहिबे नइ करय जी भैरा.
   -ए तो तइहा ले चले आवत चलागन आय जी कोंदा, तभे तो राजा रजवाड़ा म चारणभाट मन मौज करँय अउ सच के संगवारी मन बनवास भोगयँ या फेर उनला जान ले हाथ धोना परय. 
   -जान ले हाथ धोय के घटना तो आजो देखे म आवत हे संगी, काली बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर के जेन किसम ले निर्मम हत्या के खबर आए हे, तेन ह जबर चिंता के हे.
   -हव भई.. शासन के तंत्र म बइठे लोगन ठेकादार मन संग साँझर-मिंझर कर के प्राकृतिक जंगल झाड़ी ल उजार के कांक्रीट के जंगल जगाय म मगन हें, अउ जे मन कहूँ एकर मन के चरित्तर ल उजागर करत हें त उंँकर कलम के आवाज ल ही चुप करवा दिए जावत हे.
   -हव भई.. कई ठन सरकार इहाँ बन गे अउ बिगड़ गे फेर आज तक इहाँ पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नइ हो पाइस.. मुकेश चंद्राकर संग अभी जेन घटना घटे हे तेन ह अइसने के परिणाम आय. 
   -सही आय जी.. अभी खबर मिले हे के रायपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष संदीप शुक्ला ल घलो सीता नदी वन क्षेत्र के रेंजर ले जान ले मारे के धमकी मिले हे.
🌹

-काकरो घर जब लइका अवतरथे त दाई ददा मन बने सोच विचार के ग्रह दशा के लेखा सरेखा कर के वोकर नॉव धरथें जी भैरा.
   -हाँ ए बात तो वाजिब आय जी कोंदा.. भई जिनगी भर बर एके पइत नॉव धरे जाथे तेकर सेती सबो ल जाँच टमड़ के नॉव धरथें गा.
   -हव, फेर हमर देश के मेघालय राज्य म एक अइसन गाँव घलो हे, जिहाँ लइका अवतरथे त वोकर महतारी ह एक अलगेच धुन बना के सुनाथे.
   -अच्छा.. धुन बना के? 
   -हव.. अउ आगू चल के फेर इही धुन ह वो लइका के नॉव हो जाथे, लोगन ल जब वोला हुँत कराना होथे त उही धुन ल मुंह ले सुसरी बजा के वोला हुँत कराथें.
   -भारी बिचिरत बात हे गा..! 
   -कांगथान नॉव के ए गाँव पहाड़ी म बसे हे.. सुसरी बजा के सबो झनला बलाए के परंपरा के सेती ए गाँव ल 'व्हिसलिंग विलेज' घलो कहे जाथे.. बताथें के उहाँ महतारी ह अपन लइका बर जेन धुन बनाथे वो ह चिरई के चहचहाट ले प्रभावित होथे. ए धुन ल 'जिंग्रवाई लॉबेर्ड' कहे जाथे.
🌹

-डॉक्टर, बैद जइसन सबोच झन लोगन ल रोज नहाना चाही काहत एला देंह खातिर बड़ फायदा के जिनिस बताथें जी भैरा.
   -नहाना-धोना, साफ-सफई ले रहना ए तो शरीर बर फायदा के बातेच आय जी कोंदा.. एकर ले मन घलो शांत अउ प्रसन्न रहिथे.
   -हव जी.. हमूँ मन तइहा ले अइसने सुनत आवत हावन, फेर अभी प्रयागराज महाकुंभ म छोटू बाबा नॉव के एक संत आए हे, तेन ह पाछू बत्तीस बछर ले नहाएच नइए कहिथें.
   -ददा रे.. बत्तीस बछर ले बिन नहाए हे गा..! 
   -हव भई.. उँकर असली नॉव गंगापुरी महराज बताथें जे ह सिरिफ साढ़े तीन माने अउठ फीट के हे, एकरे सेती सब उनला छोटू बाबा कहिथें.. वो मन असम के कामाख्या पीठ ले जुड़े हें.. वोकर मन के कहना हे के उन अपन गुप्त संकल्प ल उजागर नइ करना चाहँय, जे दिन उँकर संकल्प पूरा हो जाही, ते दिन सबले पहिली क्षिप्रा नदिया म डुबकइय्या मारहीं.. उँकर इहू कहना हे के शरीर के बाहरी शुद्धि ले जादा भितरी शुद्धि महत्वपूर्ण होथे.
   -सब के अलग अलग साधना अउ संकल्प होथे गा.. वइसे साधना तो हमूँ मन करे हावन, फेर हमर गुरु ह मुंदरहा ब्रह्म मुहुर्त म रोजे नहाए बर चेताय रिहिन हें, तेन टकर ह आजो ले बनेच हे.
🌹

Monday, 16 December 2024

कोंदा भैरा के गोठ-28

कोंदा भैरा के गोठ-28

-ए बछर कुंभ नहाय बर जाबो नहीं जी भैरा.
   -टार बुजा ल.. मोला कुंभ के नॉव सुनते झझकासी चकचकासी असन लागथे जी कोंदा.
   -अइसे काबर जी संगी.. 12 बछर म एक पइत भराथे तेकर अबड़ महात्तम होथे.
   -अच्छा.. तैं ह अभी प्रयागराज म 13 जनवरी ले महाशिवरात्रि 26 फरवरी तक महाकुंभ भराही तेमा असनाँदे बर जाए खातिर काहत रेहे का जी? 
   -हव.. त तैं ह अउ का समझत रेहे? 
   -अरे.. मैं ह एदे हमर परोस म पुन्नी मेला ल बलद के नकली कुंभ के चोचला चलत हे तेमा जाए बर काहत हे का हावस सोचत रेहेंव.
   -टार बइहा.. तहूं ह कहाँ ले अंते-तंते ल टमड़ डारथस.. हमर देश म सिरिफ चारे जगा- प्रयागराज, नासिक, उज्जैन अउ हरिद्वार म ही कुंभ लगथे.. उहू म अभी प्रयागराज म जेन महाकुंभ होही ना.. तेकर महात्तम ल गुनिक मन सबले जादा बताथें.
   -हाँ.. प्रयागराज म तो पक्का जाबो संगी.. उहाँ खातिर तो हमर मन म जबर श्रद्धा अउ भरोसा हे.
🌹

-अभी तो शिक्षा के नॉव म भइगे तोता रटंत भर चलत हे जी भैरा.
   -सिरतोन कहे जी कोंदा.. हमर घर के लइका मनला देखथौं त अपन ले जादा गरु के बस्ता बोह के जाथे अउ तहाँ ले उहिच मनला रटत रहिथे.
   -सबो घर के एके हाल हे.. फेर मोला लागथे संगी कागजी शिक्षा के संगे-संग तर्क शक्ति घलो होना चाही.
   -बिलकुल होना चाही.. हमन तो बड़का बड़का डिग्री धर के किंजरइया मनला पाँचवीं फेल ढोंगी पाखंडी मन के पाँव तरी घोनडइया मारत देखे हावन.
   -हव जी सिरतोन आय.. जहाँ धरम-करम के गोठ होइस, तहाँ ले तोर सब पढ़ई लिखई मन एक कोंटा म तिरिया जथे.
   -हव भई.. ‌एकरे सेती तो मोला सियान मन के वो बात ह बने सुहाथे .. उन काहँय- ' तेकर ले तो पढ़े ले कढ़े बने'.
   -पढ़े ले कढ़े बने होबेच करथे.. एमा मनखे अपन आत्मज्ञान अउ अनुभव के अनुसार ही कोनो ल पतियाथें अउ आज एकरे सबले जादा जरूरत हे.
🌹

-मोला अइसे जनाथे जी भैरा के कोनो मनखे के एको अंग ह कहूँ दिव्यांग गढ़न के रहिथे तेला उप्पर वाले ह कोनो अलग ले विशेष गुण अउ प्रतिभा दे देथे, जेकर ले वो सफलता के सिढ़िया चढ़ सकय. 
   -ए बात ल तो महूँ आकब करे हौं जी कोंदा.. बिलासपुर के रहइया आशीष सिंह ठाकुर ह जेन रायपुर म घलो पदस्थ रिहिसे अभी कर्नाटक के मैसूर जिला म डाक निदेशक के पद म आसीन हे, अउ तैं जानथस संगी आशीष ह दृष्टिहीन हे तभो ले हमर देश के सबले कठिन माने जाने वाला यूपीएससी के परीक्षा पास करे हे.
   -सही म ए ह उप्पर वाला के देन ही आय जी.. अइसने हमर इहाँ के छत्तीसगढ़ी कवि मेहतरू मधुकर अउ बोधनराम निषादराज ल तैं जानथस नहीं? 
   -जानबे कइसे नहीं जी.. शारीरिक रूप ले भले वो मन ह दिव्यांग हे फेर वोकर रचना मन अगास ल अमरे कस ऊँचहा भाव लिए रहिथे.
   -सही कहे संगी.. अउ ए सब ह उप्पर वाले के विशेष कृपा के बिना नइ हो सकय.
🌹

-मोला सिख समाज के ए प्रायश्चित वाले परंपरा ह गजबेच निक लागथे जी भैरा.
  -कइसन प्रायश्चित के परंपरा ह जी कोंदा? 
   -सिख समाज के जेन कोनो भी सदस्य ल धार्मिक सदाचार के दोषी पाए जाथे वोला तनखैया घोषित करे जाथे.
   -अच्छा.. काली उहाँ के जुन्ना मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल अउ वोकर मंत्रीमंडल के सदस्य रेहे विक्रम सिंह मजीठिया मन अपन टोटा म दोषी होय के तख्ती ओरमाए सेवादार के नीला डरेस पहिने हाथ म भाला धरे स्वर्णमंदिर परिसर के दरवाजा म घंटा भर सेवा बजाइन तेला कहिथस का? 
   -हव जी वो मन ल राम रहीम वाले मामला म धार्मिक रूप ले दोषी पाए गे रिहिसे तेकर सेती सिख धर्मगुरु मन तनखैया घोषित करे रिहिन हें.
   -सही म उँकर मन के ए न्याय व्यवस्था महूँ ल गजब सुहाथे संगी काबर ते एमा कोनो किसम के ऊँच नीच छोटे बड़े के भेदभाव नइ करे जाय सबो ल एक बरोबर माने जाथे अउ वोकरे मुताबिक व्यवहार या कहिन न्याय करे जाथे.
   -कभू कभू मैं गुनथौं संगी.. का हमरो समाज म बिना भेदभाव वाला अइसन न्याय परंपरा या व्यवहार देखे बर मिल पाही?
🌹

-गीता जयंती के जोहार जी भैरा.
   जोहार संगी कोंदा.. आज मोर मन म एक बात ह गजब उठत हे जी संगी- मैं देखथौं ते कतकों झन अइसन साधू, संत अउ तपस्वी हें, जे मन कोनो न कोनो किसम के शारीरिक दुख-पीरा.. रोग-राई म बूड़ेच असन दिखथें. भई हमर असन लंदर-फंदर मनखे के अइसन तकलीफ ह तो फभ जथे, फेर तपस्वी मन घलोक अइसनेच म अभरे रहिथें! 
   -हाँ.. अइसन तो होथेच जी भैरा.. एला अध्यात्म म प्रारब्ध भोग कहे जाथे.
   -अच्छा.. प्रारब्ध भोग? 
   -हहो.. अउ एला पूरा करे बिना कोनो ल मोक्ष या कहिन सद्गति नइ मिलय.
   -अच्छा... ताज्जुब हे भई! 
   -ए ह वो तपस्वी मन के पाछू जनम मन म कोनो भी कारन ले होय गुण-दोस मनला बराबर करे के एक प्रक्रिया होथे, जेला अध्यात्म के भाखा म प्रारब्ध भोग कहे जाथे. मान ले वो तपस्वी ह ए जनम म ए प्रारब्ध भोग ल पूरा नइ करही, त वोला फेर दूसर जनम ले बर लागही, फेर वोला पूरा करेच बर लागही.
   -अच्छा..! 
   -हव.. बिन प्रारब्ध पूरा करे कोनो ल सद्गति नइ मिलय.
🌹

-रामायण महाभारत काल के जबर युद्ध के घाव मनला तुरते भर दे के कमाल करइया औषधि जेला शल्यकर्णी के नॉव ले जाने जावय तेकर अति दुर्लभ पौधा ह अभी अमरकंटक के जंगल म मिले हे कहिथें जी भैरा.
   -अच्छा.. जेकर ले बड़का बड़का घाव ह रात भर म भर जावय कहिथें तेने ह जी कोंदा? 
   -हव जी वो शल्यकर्णी के पौधा ल रीवा के वन संरक्षक अनुसंधान केंद्र म बो के बढ़वार करत हें.. अभी पौधा मन पाँच ले दस फीट तक ऊँचहा होए हे कहिथें.
   -वाह भई.. ए तो बहुते सुग्घर बात आय.. वइसे भी हमर इहाँ के जड़ीबूटी मन म अबड़ गुन हे, बस जरूरी हे त इँकर संरक्षण अउ बढ़वार के.
   -सही आय.. मोला तो इही आयुर्वेद के परंपरा ऊपर जादा भरोसा जनाथे.. मोर खुद के बीमारी ह एकरे ले थोरिक राहत बरोबर जनाय हे.
   -अभी पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ह प्रेस कांफ्रेंस म बताय रिहिसे के वोकर सुवारी के केंसर के बीमारी ह जड़ीबूटी अउ संतुलित खान पान ले ठीक होइस हे कहिके, फेर दुर्भाग्य हे संगी हम अपन ए ज्ञान के संगे-संग जड़ीबूटी के विविध रूप अउ उपयोग ल बिसरावत जावत हन.. उहू म जानबूझ के.
🌹

-भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व ल अब दुनिया ह जाने समझे अउ माने ले धर लिए हे जी भैरा.
   -हाँ ए बात तो हे जी कोंदा.. अभी हमर इहाँ के जेन ध्यान के परंपरा हे, तेला अवइया 21 दिसंबर ले हर बछर 'विश्व ध्यान दिवस' के रूप म मनाए जाही.
   -अच्छा.. जइसे इहाँ के योग के महत्व ल समझ के विश्व योग दिवस मनाए के चलन शुरू होइस हे तइसने? 
   -हव.. संयुक्त राष्ट्र महासभा ह 21 दिसंबर ल विश्व ध्यान दिवस के रूप म घोषित कर दिए हे. ए प्रस्ताव ल पारित करवाए म भारत के संगे-संग लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको अउ अंडोरा घलो ह बड़का भूमिका निभाए हे.
   -ए तो बढ़िया बात आय जी.. ध्यान ल कोनो धर्म विशेष संग जोड़ के नइ देखना चाही, जइसे योग ल आज शारीरिक अउ मानसिक समृद्धि खातिर दुनिया के हर देश ह अपनावत हे, वइसने ध्यान ल घलो सबो ल सहजता ले स्वीकार करना चाही.
   सही आय जी.. ध्यान ले लोगन ल नवा नजरिया प्राप्त होथे.. सोचे-समझे के अउ कोनो बात ल फोरिया के गोठियाय बताय म सोहलियत होथे अउ सबले बड़का बात.. ध्यान ह हमर तीर-तखार के नकारात्मकता ल दुरिहा के सकारात्मक स्थिति बनाथे.
🌹

-अब हमर इहाँ के महापुरुष मन के जीवनी ल घलो गाथा के रूप म गाये के परंपरा चलही तइसे जनावत हे जी भैरा.
   -ए तो बढ़िया बात आय जी कोंदा.. कब तक आने आने देश राज के लोगन ल हमन अपन गायन-वादन के हिस्सा बनावत रहिबोन? 
   -सही आय जी.. आज 10 दिसंबर के हमर छत्तीसगढ़ के अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी के जीवनी ल पंडवानी शैली म प्रसिद्ध गायक चेतन देवांगन जी गाहीं.
   -ए तो बढ़िया शुरुआत आय जी.. इहाँ के सबो गायक कलाकार मनला अइसन करना चाही.. हमर इहाँ एक ले बढ़ के एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व होए हें, जेकर मन के जीवनी ल गाथा गायन के रूप म लोगन तक अमराना चाही.
   -हव जी.. आज वीर नारायण सिंह जी के शहादत दिवस घलो आय न तेकर सेती उँकर शहादत ठउर रायपुर के जय स्तंभ चौक म पंडवानी शैली म गायन करे जाही संग म उनला अपन अपन श्रद्धा के मुताबिक लोगन श्रद्धांजलि घलो देहीं.
   -बहुत बढ़िया संगी.. हमरो डहर ले अमर शहीद ल जोहार.. पैलगी.. शहीद वीर नारायण सिंह जी अमर रहँय.
🌹

-विश्व ध्यान दिवस के जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. हमर संत महात्मा मन के ज्ञान, सकारात्मक ऊर्जा अउ अध्यात्म संग जुड़े के ए ध्यान के परंपरा ह कतेक सुग्घर अउ सरल हे ना.. उन एकांत गुफा-कुँदरा म रहि के घलो देश दुनिया अउ अपन आराध्य संग जुड़ जावत रिहिन हें.
   -हव जी सही आय.. ध्यान के परंपरा ह तभो गजब मयारुक रिहिसे अउ आजो हे.
   -अइसे ना? 
    -हव जी.. मैं खुद एकर बड़का उदाहरण हावौं.. छै बछर ले आगर होगे हे मोला खटिया धरे.. अब न कहूँ मंदिर देवाला जा सकौं न घरे के पूजा ठउर ल अमरे सकौं, तभो इही ध्यान के भरोसा वो जम्मो आवश्यक ऊर्जा अउ ज्ञान स्रोत ल अमर डारथौं, जेकर मोला आवश्यकता होथे.
   -अइसे ना? 
   -मोर खटिया ही ह अब जप-तप अउ साधना के ठउर बनगे हे ए ध्यान परंपरा के भरोसा.. अब मोला अपन कोनो किसम के दिनचर्या म कोनोच किसम के कमी महसूस नइ होवय.
   -चलौ बनेच हे.. अब दुनिया के लोगन घलो हमर ध्यान परंपरा के महात्तम ल जानहीं, परखहीं अउ अपनाहीं.
   -जरूर अपनाहीं, तभे तो संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आज के दिन ल विश्व ध्यान दिवस घोषित करे के निर्णय ह सुफल होही.
🌹

-राजनीतिक लाभ हानि के सेती स्कूल मन म लइका मन के पढ़ई घलो लट्टे-पट्टे हो पावत हे जी भैरा.
   -वाजिब कहे जी कोंदा.. फलाना समाज ल खुश करे बर वोकर कोनो परब म छुट्टी अउ तहाँ ले फेर कोनो समाज के लोगन ल खुश करे बर फेर छुट्टी.. भइगे छुट्टी उप्पर छुट्टी चलत हे.
   -भइगे.. काला कहिबे.. मोर नाती मनला जब देखथौं त घरेच म रहिथे आज फलाना के छुट्टी त आज ढेकाना के.. शिक्षा विभाग के नियमावली के मुताबिक बछर भर म 220 दिन स्कूल संचालित होना चाही, फेर थोक के भाव म छुट्टी देवई के सेती लट्टे-पट्टे 180 ले 185 दिन ही स्कूल संचालित हो पाथे.
   -ले तो भला अइसने म लइका मन के पढ़ई कइसे बने गतर के हो पाही? 
   -अरे.. उँकर कोर्स घलो पूरा नइ हो पावय.. एकरे सेती तो निजी स्कूल वाले मन चिथियागे हें.. उँकर कहना हे के पाँचवी अउ आठवीं बोर्ड के परीक्षा ल इहू बछर सामान्य ही लिए जाय.
   -सरकार ल एती खंँचित चेत करना चाही.. सार्वजनिक छुट्टी के संख्या मनला कम करना चाही, भले ऐच्छिक छुट्टी के संख्या ल बढ़ो देवय.. फेर जिहाँ तक पाँचवी अउ आठवीं के बोर्ड परीक्षा के बात हे त वोला तो लिए ही जाना चाही.. एमा कोनो ढील या छूट नहीं.
🌹

-कोनो भी नवा विचार या गोठ ल लोगन एकदमेच नइ पतियावयँ जी भैरा.
   -कहाँ ले पतियाहीं जी कोंदा.. जइसे पहिली ले बने बुनाए चातर रद्दा म ही लोगन ल रेंगन भाथे, नवा बने एकपइँया रद्दा ल लोगन कन्नेखी तक नइ देखय न.. ठउका नवा गोठ संग घलो अइसनेच होथे.
   -हव भई महूँ आकब करे हौं.. अभी हमन छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति अउ इतिहास के वाजिब बात ल करथन त लोगन हमन ल गुरेरे अस देखथें काबर ते हमर मन जगा वोकर जुन्ना बेरा के कोनो लिखे साहित्य नइए.. अउ वोकर मन के बात ल झट पतिया लेथें जेकर मन के पहिली ले लिखे साहित्य या किताब हे, भले वो साहित्य ल अन्ते के लोगन अपन डहार के चलागन म लिखे रहिथें, जेकर हमर परंपरा संग कोनो तालमेल नइ राहय तभो.
   -अइसन तो होथेच संगी.. सच ल पहिली लोगन के हिनमान सहे बर लागथे, तेकर पाछू विरोध घलो झेले बर लागथे अउ फेर तब कहूँ जाके आखिर म वोला लोगन के स्वीकृति मिलथे.. दम धरौ.. तुँहरो संग अइसने होही, आखिर म लोगन तुँहरे गोठ ल पतियाहीं.. अपन गरब के चिन्हारी मानहीं.
🌹

-मंदिर-देवाला मन म नरियर खुरहोरी या लइची-लाड़ू आदि के परसाद तो सबो जगा बाँटे जाथे जी भैरा फेर हमर रायपुर के माँ मरही माता मंदिर म संझा-बिहनिया दूनों जुवर बिहनिया 10 ले 12 बजे तक अउ संझौती 6 ले 8 बजे तक जेवन घलो बाँटे जाथे.
   -अच्छा.. डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के बाजू वाले मरही माता मंदिर म जी कोंदा? 
   -हव जी.. जब विश्वव्यापी महामारी कोरोना ह बछर 2020 म दंदोरे ले धरे रिहिसे ना तब अंबेडकर अस्पताल म इलाज कराए बर अवइया लोगन  के रिश्ता-नता मन खोंची भर जेवन बर तरस जावत रिहिन हें, इही सब ल देख के गणेश भट्टर नॉव के मनखे के करेजा पसीज जावत रिहिसे.
   -हव.. कतकों दयालु धरमी मन संग अइसन होथे.
   -सही कहे.. तब भट्टर जी ह मरही माता मंदिर‌ समिति वाले मन संग गोठबात कर के इहाँ जेवन बाँटे के शुरू करिस.. पहिली तो इहाँ जेन कोनो भी वो तीर म आवय सबो ल जेवन दे दिए जावय फेर अब जेकर मन जगा अंबेडकर अस्पताल के पास होथे तेही मनला जेवन दिए जाथे.
   -बने हे.. दया-धरम के पुन्न‌ परसाद ल योग्य पात्र मनला ही मिलना चाही.
🌹

-धरम के लंबरदार मन के भारी चरित्तर हे जी भैरा.
   -कइसे का होगे जी कोंदा? 
   -अभी मोर हाथ म एक ठ प्रमाण पत्र आय हे.. जानथस ए ह कारक प्रमाण पत्र आय? 
   -तैं बताबे तब तो जानहूँ संगी.
   -ए ह "पाप मुक्ति प्रमाण पत्र" आय. 
‌‌  -ददा रे.. पाप मुक्ति के प्रमाण पत्र? 
   -हव भई.. ए प्रमाण पत्र ल 16 जून 2023 के श्री गौतमेश्वर महादेव अमीनात कचहरी, गौतमेश्वर थाना अमनोद जिला प्रतापगढ़ राजस्थान के सिल मोहर ले जारी करे गे हवय, जेमा पुजारी क्षितिज अउ अमीन के हस्ताक्षर हे.
   -वाह भई.. 
   -जेन मनखे ल पाप मुक्ति के प्रमाण पत्र दिए गे हे वोकर नॉव राधाकृष्ण मीणा पिता रामसिंह मीणा गाँव कैमला जिला करौली राजस्थान लिखाय हे, जेला श्री गौतमेश्वर जी के मन्दाकिनी पाप मोचनी ‌गंगा कुंड म नहवा के प्रायश्चित करवाए गे हे लिखाय हे.
   -अच्छा..! 
   -हव.. अउ खाल्हे म वोकर जाति समाज म वापस ले के बात कहे हे.
   -अच्छा.. त हो सकथे उँकर जाति समाज म कोनो कारण से अइसे करवाए जावत होही.
🌹

-तंत्र-मंत्र अउ ठुआँ-टोटका के नॉव म अभी तक कुकरा बोकर के पुजवन देके बात सुने रेहेन जी भैरा फेर सरगुजा के छिंदकालो गाँव ले खबर आए हे के उहाँ के एक झन आनंद यादव नॉव के छोकरा ह जीयत चीयाँ ल ही खा डरिस.
  -अच्छा.. कुकरी पिला ल जी कोंदा? 
   -हव भई.. बताथें के 15 बछर होगे रिहिसे वोकर बिहाव होय, फेर लइका नइ होवत रिहिसे, लइका के आस म जीयत चीयाँ ल खा डरिस अउ मर घलो गे.
   -मरबे करही.. चीयाँ ह वोकर टोटा म फँस गिस होही.
   -हव.. समझ म नइ आवय भई लोगन अइसन कइसन उजबक किसम के सलाह दे देथें अउ लोगन वोला पतिया घलो लेथें! डॉक्टर मन बतावत रिहिन हें के चीयाँ के पाँव ह वोकर श्वांस नली म अउ मुड़ ह आहार नली म यू आकार म फंसे रिहिसे, जेला पोस्टमार्टम के बेरा निकाले गिस.
   -कलंक हे संगी.. बइगा गुनिया मन के विचित्र सलाह अउ लइका सुख पाए बर अलकरहा जीवलेवा उपाय!
🌹

-धरम-पंथ ह लोगन ल एक-दूसर संग जोड़थे जी भैरा.. मीत-मितानी सीखोथे अउ देश राज म सुख शांति के स्थापना करत विकास के रद्दा ल चातर करथे.. वोमा बढ़वार करथे.
   -सही आय जी कोंदा.. धरम-पंथ के इही कारज ह लोगन के हिरदे म वोला ऊँचहा आसन देवाथे.
  -फेर मोला एक बात ह अचरज बानी के जनाथे संगी- तब फेर लोगन धरम-पंथ, जाति समाज के नॉव म एक-दूसर संग पटकिक-पटका तिरिक-तीरा करत नफरत अउ भेदभाव काबर बगरावत रहिथें.. का अइसन करइया मनला सही मायने म धार्मिक कहे जा सकथे? 
   -बिल्कुल नहीं.. जाति, धरम, संप्रदाय अउ देवी देवता के नॉव म तनाव, भेदभाव अउ ऊँच-नीच के नार लमइया मन भला धार्मिक कइसे हो सकथे? अइसन मन धरम के कोचिया दलाल हो सकथें.. उँकर रखवार‌ या खेवनहार नहीं.

Sunday, 1 December 2024

मयारु माटी बछर 2 अंक 2 पीडीएफ

छत्तीसगढ़ी भाखा के पहला संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' ह वो बेरा म कइसन निकलत रिहिसे ए बात ल जाने खातिर कतकों संगी मन गोठियावत राहँय, उँकर जिज्ञासा शांत करे खातिर पहिली बछर 1988 के देवारी अंक के पीडीएफ ल पोस्ट करे गे रिहिसे.. अब 'मयारु माटी' के बछर 2 अंक 2 के पीडीएफ जे ह हमला रायगढ़ के साहित्यकार भाई बसंत राघव जी के माध्यम ले मिले पोस्ट करे जावत हे. देखव वो बखत हमर महतारी भाखा खातिर कइसन बुता होवत रिहिसे...

Saturday, 30 November 2024

मुख्यमंत्री ने कोंदा भैरा के गोठ का विमोचन किया

मुख्यमंत्री के हाथों "कोंदा भैरा के गोठ" विमोचित.. 
   रायपुर। साहित्यकार सुशील भोले द्वारा सोशलमीडिया के सभी मंच पर प्रतिदिन धारावाहिक के रूप में पोस्ट किए जा रहे छत्तीसगढ़ी धारावाहिक "कोंदा भैरा के गोठ" का छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्ण देव साय के हाथों विमोचन किया गया। रायपुर सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे एवं इतिहासकार डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र विशेष अतिथि के रूप में मंचस्थ थे.
   सिविल लाइन, रायपुर स्थित सर्किट हाउस के कम्यूनिटी हाल में आयोजित इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश भर से आए साहित्यकार उपस्थित थे। 
   छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित "कोंदा भैरा के गोठ" में प्रतिदिन लिखे जा रहे धारावाहिक के प्रारंभिक दिनों की 177 कड़ियों को समाहित किया गया है। कोंदा भैरा के गोठ की भूमिका पं. सुंदर लाल शर्मा राज्य अलंकरण से सम्मानित साहित्यकार डॉ. सत्यभामा आड़िल ने लिखी है, तथा शुभकामना के दो शब्द सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. परदेशी राम वर्मा ने प्रेषित किया है।