Thursday 25 April 2013

माटी के पीरा...


(छत्तीसगढ़ में चुनावी डुगडुगी बजना प्रारंभ हो गया है। सभी पार्टी वाले अपनी ढपली अपना राग गाने लग गये हैं। इन सबके बीच मैं आप लोगों से लोगों से आव्हान करता हूं कि आप लोग सभी प्रकार की दलगत भावना से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की अवधारणा को पूर्ण करने के लिए कार्य करें। केवल ऐसे उम्मीदवारों को विजयी बनाने के लिए कार्य करें, जो वास्तव में यहां की अस्मिता के लिए निष्ठापूर्वक समर्पित हो, इसके लिए हमेशा कार्य करता रहा हो, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो। व्यक्ति के आधार पर अपना प्रतिनिधि बनायें, पार्टी के आधार पर नहीं। जय छत्तीसगढ़... छत्तीसगढिय़ा... सबले बढिय़ा... )

माटी के पीरा...
ए माटी के पीरा ल कतेक बतांव,
कोनो संगी-संगवारी ल खबर नइए।
धन-जोगानी चारों खुंट बगरे हे तभो,
एकर बेटा बर छइहां खदर नइए।।...

कोनो आथे कहूं ले लांघन मगर,
इहां खाथे ससन भर फेर सबर नइए।...

दुख-पीरा के चरचा तो होथे गजब,
फेर सुवारथ के आगू म वो जबर नइए।...

अइसन मनखे ल मुखिया चुनथन काबर,
जेला गरब-गुमान के बतर नइए।...

लहू तो बहुतेच उबलथे तभो ले,
फेर कहूं मेर कइसे गदर नइए।...

सुख-शांति के गोठ तो होथे गजब,
फेर पीरा के भोगइया ल असर नइए।...

सुशील भोले
डॉ. बघेल गली, संजय नगर (टिकरापारा)
रायपुर (छ.ग.) मोबा. नं. 098269 92811
ईमेल- sushilbhole2@gmail.com

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