Wednesday 11 December 2013

धान मिंजाई के पारंपरिक तरीके...

छत्तीसगढ़ में धान मिंजाई के लिए पहले कुछ बैलों को एक साथ जोतकर दंउरी पद्धति का उपयोग करते थे। इसी तरह लकड़ी से बने बेलन (एक बड़े पेड़ के तने से बना) का भी प्रयोग किया जाता था, जिसे दो बैल या भैंस के द्वारा खींचा जाता था। धान की मिंजाई के लिए उन बैलों को हांकने वाले के बैठने के लिए भी उसमें स्थान होता था। हम लोग जब प्रायमरी में पढ़ते थे तब गांव जाना होता था... तब बेलन चढ़ने का खूब आनंद लेते थे... अब तो जब से हार्वेस्टर (मशीन के द्वारा धान कटाई और मिजाई का उपकरण) आया है, पारंपरिक तरीके से धान मिंजाई का दृश्य देखना दुर्लभ हो गया है।

3 comments:

  1. बढिया लिखे ग सुशील भाई मज़ा आ गईस । दौंरी के फोटो घलाव हर सुन्दर दिखत हे । बधाई !

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  2. धन्यवाद दीदी...

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  3. नंदा जही का गा ...नदा जही का...;-)

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