Wednesday 25 February 2015

एसो के होरी म....















चिटिक मया के रंग लगागे तैं एसो के होरी म
जिनगी माला बन जुर जाही तोर पिरित के डोरी म
का बात के किरिया खाये तैं दुरिहा म बइठे हस
सिरतोन संगी कर भरोसा फागुन के गंठ-जोरी म
*सुशील भोले*

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