Tuesday, 31 March 2015
Monday, 30 March 2015
महर्षि महेश योगी आश्रम, पांडुका..
छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव पांडुका, जिला-गरियाबंद से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले महर्षि महेश योगी की जन्मभूमि पर स्थित महर्षि आश्रम भारतीय वैदिक ज्ञान को संरक्षित करने के अपने मिशन में आज भी लगा हुआ है।
यहां प्रतिवर्ष 100 बटुकों को वैदिक कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है। इनके रहने, खाने-पीने और छात्रवृत्ति प्रदान करने की व्यवस्था भी आश्रम की ओर से की जाती है। कुछ बटुकों से चर्चा करने पर ज्ञात हुआ कि उन्हें दो वर्षों में यह पाठ्यक्रम पूरा करना होता है।
एक विशाल भू-भाग में फैले इस आश्रम को देखकर हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति का स्मरण हो उठता है। गुरुकुल की वह परंपरा कितना संयमित और सांस्कारिक था, इसका अहसास यहां के बटुकों को देखकर होता है।
आज की भौतिकवादी शिक्षा पद्धति और इस गुरुकुल की परंपरा वाली शिक्षा पद्धति में कितना अंतर है यह स्पष्ट दिखाई देता है।
सुशील भोले
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
यहां प्रतिवर्ष 100 बटुकों को वैदिक कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है। इनके रहने, खाने-पीने और छात्रवृत्ति प्रदान करने की व्यवस्था भी आश्रम की ओर से की जाती है। कुछ बटुकों से चर्चा करने पर ज्ञात हुआ कि उन्हें दो वर्षों में यह पाठ्यक्रम पूरा करना होता है।
एक विशाल भू-भाग में फैले इस आश्रम को देखकर हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति का स्मरण हो उठता है। गुरुकुल की वह परंपरा कितना संयमित और सांस्कारिक था, इसका अहसास यहां के बटुकों को देखकर होता है।
आज की भौतिकवादी शिक्षा पद्धति और इस गुरुकुल की परंपरा वाली शिक्षा पद्धति में कितना अंतर है यह स्पष्ट दिखाई देता है।
सुशील भोले
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
Saturday, 28 March 2015
दूध म दनगारा परगे...
(पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी
की हिन्दी कविता *दूध में दरार पड़ गई* का
छत्तीसगढ़ी भावानुवाद : सुशील भोले)
लहू कइसे सादा होगे
भेद म अभेद खो गे
बंटगें शहीद, गीत कटगे
करेजा म कटार धंसगे
दूध म दनगारा परगे...
बंटगें शहीद, गीत कटगे
करेजा म कटार धंसगे
दूध म दनगारा परगे...
खेत म बारूद गंध
टूटगे नानक के छंद
सतलुज सहमगे
पीरा म भरगे
बसंत ले बहार झरगे
दूध म दनगारा परगे...
टूटगे नानक के छंद
सतलुज सहमगे
पीरा म भरगे
बसंत ले बहार झरगे
दूध म दनगारा परगे...
अपनेच छांव संग बैर
अउ पर मनावंय खैर
झन धर मरे के रस्ता
तुंहला देश के वास्ता
बात ल बनावौ ये बिगडग़े
दूध म दनगारा परगे...
अउ पर मनावंय खैर
झन धर मरे के रस्ता
तुंहला देश के वास्ता
बात ल बनावौ ये बिगडग़े
दूध म दनगारा परगे...
Friday, 27 March 2015
Thursday, 26 March 2015
सिरकट्टी आश्रम...
ग्राम-पांडुका, जिला गरियाबंद से लगभग 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित सिरकट्टी आश्रम अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए स्मरण किया जाता है। इसके नामकरण के संबंध में बताया जाता है कि यहां पर जिन मूर्तियों को स्थापित किया गया है, उनके सिर कटे हुए हैं। इसीलिए इस आश्रम का नाम लोकभाषा में अपभ्रंश होकर *सिरकट्टी* हो गया। बताया जाता है कि ये सिर कटी मूर्तियां यहीं पैरी नदी के तट पर बिखरी हुई मिली थीं, जिन्हें एकत्रित कर एक विशाल वृक्ष के नीचे स्थापित कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी की सहायक नदी पैरी के तट पर स्थित यह स्थल प्राकृतिक रूप से अत्यंत मनोरम है। अब इस आश्रम में इन मूर्तियों के अलावा विभिन्न समाज के द्वारा अलग-अलग कई अन्य मंदिरों का भी निर्माण करा दिया गया है। जिसके कारण यह जनआस्था का एक प्रमुख केन्द्र बन गया है।
पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि यहां पर स्थित पैरी नदी के तट पर पहले बंदरगाह हुआ करता था। तब जल मार्ग से व्यापार होता था। इसीलिए नावों को सुरक्षित स्थन पर खड़ा करने के लिए नदी के तट पर पत्थरों को काटकर गोदीनुमा आकार बनाया गया है। यह स्थान अभी भी स्पष्ट दिखाई देता है। सिरकट्टी आश्रम से मगरलोड की ओर जाने वाले मार्ग पर जो पुल बना हुआ है, उसके किनारे पुराने बंदरगाह का अवशेष स्पष्ट दिखाई देता है।
सुशील भोले sushil bhole
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी की सहायक नदी पैरी के तट पर स्थित यह स्थल प्राकृतिक रूप से अत्यंत मनोरम है। अब इस आश्रम में इन मूर्तियों के अलावा विभिन्न समाज के द्वारा अलग-अलग कई अन्य मंदिरों का भी निर्माण करा दिया गया है। जिसके कारण यह जनआस्था का एक प्रमुख केन्द्र बन गया है।
पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि यहां पर स्थित पैरी नदी के तट पर पहले बंदरगाह हुआ करता था। तब जल मार्ग से व्यापार होता था। इसीलिए नावों को सुरक्षित स्थन पर खड़ा करने के लिए नदी के तट पर पत्थरों को काटकर गोदीनुमा आकार बनाया गया है। यह स्थान अभी भी स्पष्ट दिखाई देता है। सिरकट्टी आश्रम से मगरलोड की ओर जाने वाले मार्ग पर जो पुल बना हुआ है, उसके किनारे पुराने बंदरगाह का अवशेष स्पष्ट दिखाई देता है।
सुशील भोले sushil bhole
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
Wednesday, 25 March 2015
छत्तीसगढ़ी के मानकीकरन खातिर बइठका होइस...
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ह 25 मार्च दिन बुधवार के मंझनिया 12 बजे ले छत्तीसगढ़ी भाखा के मानकीकरन खातिर बइठका रखिस, जेमा प्रदेश के चारोंमुड़ा ले आये छत्तीसगढ़ी के करीब 50 झन चुने हुए गुनिक मन उपस्थित रहिन।
रजबंधा मैदान, रायपुर के शहीद स्मारक भवन म राजभाषा आयोग के कार्यालय म ए बइठका म अवइया बेरा म एक सप्ताह तक लगातार कार्यशाला आयोजित कर के एकर मानकीकरण के कारज ल पूरा करे के निर्णय लिए गिस। बइठका म पवन दीवान, दानेश्वर शर्मा, विनय पाठक, परदेशी राम वर्मा, सुशील भोले, सुधीर शर्मा, डा. व्यास नारायण दुबे, डा. बिहारी लाल साहू, डा. सुखदेव राम साहू, बलदाऊ राम साहू, सुधा वर्मा, सरला शर्मा, निरूपमा शर्मा, शकुंतला शर्मा, ज्योति ठाकुर, तिलक लांगे, मुकुंद कौशल, डा. नरेश वर्मा, दादू लाल जोशी, पीसी लाल यादव, नंदकिशोर तिवारी, अशोक चंद्राकर, भगत सिंह सोनी सहित करीब पचास झन छत्तीसगढ़ी के गुनिक मन उपस्थत रहिन। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डा. सुरेन्द्र दुबे कार्यक्रम के संचालन करीन।
रजबंधा मैदान, रायपुर के शहीद स्मारक भवन म राजभाषा आयोग के कार्यालय म ए बइठका म अवइया बेरा म एक सप्ताह तक लगातार कार्यशाला आयोजित कर के एकर मानकीकरण के कारज ल पूरा करे के निर्णय लिए गिस। बइठका म पवन दीवान, दानेश्वर शर्मा, विनय पाठक, परदेशी राम वर्मा, सुशील भोले, सुधीर शर्मा, डा. व्यास नारायण दुबे, डा. बिहारी लाल साहू, डा. सुखदेव राम साहू, बलदाऊ राम साहू, सुधा वर्मा, सरला शर्मा, निरूपमा शर्मा, शकुंतला शर्मा, ज्योति ठाकुर, तिलक लांगे, मुकुंद कौशल, डा. नरेश वर्मा, दादू लाल जोशी, पीसी लाल यादव, नंदकिशोर तिवारी, अशोक चंद्राकर, भगत सिंह सोनी सहित करीब पचास झन छत्तीसगढ़ी के गुनिक मन उपस्थत रहिन। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डा. सुरेन्द्र दुबे कार्यक्रम के संचालन करीन।
Tuesday, 24 March 2015
Monday, 23 March 2015
सुशील भोले को काव्यदूत सम्मान...
महर्षि महेश योगी की जन्मभूमि स्थित आश्रम में रविवार 22 मार्च 2015 को प्रदेश स्तरीय काव्यपाठ का आयोजन किया गया। मंथन साहित्य परिषद ग्राम पांडुका, जिला-गरियाबंद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यिक कृति पैरी प्रवाह, मन भ्रमर एवं राजिम टाईम्स का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर डा. सुखदेव राम साहू सरस, सुशील भोले, बीरेन्द्र सरल, तुकाराम कंसारी, संतोष सोनकर मंडल, दिनेश चौहान, लोकगायिका रजनी रजक, पुनूराम साहू राज, जितेन्द्र सुकुमार आदि को काव्यदूत सम्मान से सम्मानित किया गया। संत कवि पवन दीवान के मुख्यआतिथ्य में आयोजित इस गरिमामय कार्यक्रम में प्रदेश के दूरस्थ अंचलों से आये कवियों ने काव्यपाठ किया।
Saturday, 21 March 2015
Wednesday, 18 March 2015
कोन देश तैं जाबे.....
आवत-जावत रहिबे संगी ले ले जय-जोहार
गाँव के डोली-धनहा कहिथे तोला धरे पोटार
हीरा उगलत धरती छोड़ कोन देश तैं जाबे
करबे चाकरी पर के अउ बोझा लेबे डोहार
*सुशील भोले*
इस चार डाड़ी पर मेरे फेसबुकवाल पर मित्रों की टिप्पणी...
- आप, Ramkishore Upadhyay, Anand Dewangan, Rakesh Singh Bais और 79 और को यह पसंद है.
- Jitendra Banjare ममा जी बड़ सुघर लिखे हव
@
,एक ठन जुन्ना गीत के सुरता आगे झन जा झन जा संगा रे,मोर गंवई गंगा हे - Narayan Muduli पता नहीं आप रिस्ते में क्या लगते हैं ।मगर जो भी हो आप अच्छे लगते हैं
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