Monday 30 November 2015

सतयुग आयेगा कैसे ...?


जब कभी हम कलियुग की भयावहता से निजात पाना चाहते हैं, तो केवल सतयुग की ही याद करते हैं। हम सोचते हैं कि आखिर वह सतयुग आयेगा कब, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह सत्यवादियों का, सदाचारियों का युग था। सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का युग था। हमें बताया गया है कि समय का चक्र निरंतर चलता है। सतयुग के पश्चात त्रेता, उसके पश्चात द्वपर फिर कलियुग और कलियुग के पश्चात पुन: सतयुग आता है।

तो फिर आज का यह उन्मादीभरा समय, युद्ध की विभिषिका, हिंसा और प्रतिहिंसा, हत्या, लूट, बलात्कार जैसी अपराधों की निरंतर श्रृंखला कब रुकेगी। मन उकता सा गया है। आखिर सत्यम्... शिवम्... शिवम्... आयेगा कैसे... कब... प्रश्न वाचक चिन्हों का काफिला तैयार होने लगता है। क्या हम लोगों के उस दिशा में सोच लेने मात्र से या उसके लिए प्रयास भी करने से?

मित्रों, मैं छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति की बात हमेशा करता हूं। हमेशा कहता हूं कि यहां की संस्कृति पर किसी अन्य संस्कृति को थोपा जा रहा है। इसके मूल स्वरूप को बिगाड़ कर उस पर किसी अन्य संदर्भ को जोड़ा जा रहा है। ये छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति आखिर है क्या? वास्तव में यह सतयुग की ही संस्कृति है, जिसके ऊपर द्वापर और त्रेता की कथानकों को जोड़कर उसे छिपाया और भुलाया जा रहा है। मुझे कई बार ऐसा लगता है कि कहीं सतयुग की उस संस्कृति को छिपाने या उसे भुलाने के कारण ही तो हम कलियुग की इस भयावहता को आज भोग रहे हैं?

क्या सतयुग की वापसी के लिए हमें उस सतयुग की संस्कृति को पुनस्र्थापित करना होगा? उसे उसके मूल रूप में लाकर पुन: सतयुग के देवताओं की आराधना प्रारंभ करनी होगी? शायद हां... हम सतयुग की वापसी चाहते हैं, तो सतयुग के देवता और उसकी संस्कृति को पुन: अपने जीवन और उपासना में आत्मसात करना होगा।
तो आईये .. उस सतयुग की ओर... आज से ही... अभी से ही... उसकी संस्कृति की ओर... अपने मूल की ओर... सत्यम्... शिवम्... सुन्दरम् की ओर...

सुशील भोले 
54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811

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