फूल अउ कांटा संगे-संग रहिथे, ये प्रकृति के नियम आय। भरोसा नइए त हमर इहां के मंत्री मंडल ल देख लेवव। मुखिया बपरा फूल बरोबर कोंवर हें, त दू-चार झन मंत्री मन कांटा बरोबर हें। रोज लोगन ल हुदरत रहिथें, कोचकत रहिथें, तुतारी करत रहिथें। पंचइती वाला ह तो जादा च पंचइती करत हे। कभू कोनो अधिकारी ल झर्रा देथे, त कभू कोनो ल अपन मंच ले खेदार देथे। अउ जब लोगन वोकर करनी ऊपर अंगरी उठाथें, चांव-चांव करथें, त मंत्री जी सिंहस्थ म जाके कुंभ स्नान कर आथें।
सुशील भोले
मो. 98269-92811, 80853-05931
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