Sunday 18 December 2016

एक न एक दिन रार मचाहीं...



















धरे मशाल फेर जाग उठे हें, नारा ले स्वाभिमान के
एक न एक दिन रारा मचाहीं, अब बेटा सोनाखान के...

एक फिरंगी मार भगाएन, अब आगें रूप नवा धरे
हमरे सहीं बोली-भाखा, फेर चरित्तर हे अलग गढ़े
उन राष्ट्रीयता के माला जपथें, फेर नीयत हे शैतान के...

हमर भुइयां हमर जंगल तभो गुलामी हमीं भोगत हन
हटर-हटर जांगर ल पेरत उंकर पेट ल हमीं भरत हन
उन धरम-पंथ जाला बुनके, करथें खेल हिनमान के...

हमरे वोट अउ हमरे नोट तब राज उंकर कइसे होगे
गुनौ-चेतौ मूल निवासी, तुंहर आजादी कइसे खोगे
अब तो कनिहा कसना परही, ले परन नवा बिहान के...

* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811

2 comments:

  1. गुनौ-चेतौ मूल निवासी...
    वाह! गजब के पंक्ति हवय।

    ReplyDelete
  2. Ravindra chandekar durgapur.chandrapur

    ReplyDelete