अच्छा दिन के आस म, किसान बदलगे लास म
खेत-खार सब झरगे जम्मो, नइ बांचीस कुछू पास म..
जाने कइसे नीति बनत हे, अन्नदाता भूखन मरत हे
इंकर उपजाए खेती ल, हरहा गोल्लर रोज चरत हे
लटपट होगे जिनगी इंकर, भूखन अउ पियास म....
हरियर धनहा उजार परत हे जिहां-जिहां उद्योग खुलत हे
उंकर चिमनी के धुंगिया म, इंकर जिनगी राख बनत हे
तभो ले इन लबरा सरकार के, कइसे बइठे हावंय आस म....
आंखी खोलव रार मचावव, अब तो गदर के बेरा हे
शोषण ले मुक्ति बर लड़िहव, तभेच तुंहर बसेरा हे
नइ ते उजर जाही रे सरबस, तुंहर फोकट के बिसवास म...
सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 98269-92811
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