Sunday 25 February 2018

होलिका दहन या काम दहन...?


छत्तीसगढ में मनाया जाने वाला होली का पर्व वास्तव में "काम दहन" का पर्व है, न कि "होलिका दहन" का। ज्ञात रहे, यहां की मूल संस्कृति शिव की संस्कृति है, इसलिए यहां हर पर्व और संस्कृति का संबंध शिव एवं उसके परिवार से ही संबंधित होता है।

आप लोगों को एक प्रसंग ज्ञात होगा। आततायी ताड़कासुर के वध के लिए देवताओं को शिव पुत्र की आवश्यकता थी। ताड़कासुर केवल शिव पुत्र के हाथों मरने का वरदान ब्रम्हा जी से प्राप्त कर चुका था। और शिव जी सती आत्मदाह के पश्चात घोर तपस्या में लीन हो गये थे। ऐसे में शिव पुत्र कैसे आता और ताड़कासुर कैसे मरता? अतः वह अपने आप को "अमर" समझ कर अत्याचार कर रहा था। तब देवताओं ने विचार कर "कामदेव" को शिव तपस्या भंग करने की जिम्मेदारी दी। जिससे उनके अंदर काम-भाव का उदय हो और वे पार्वती के साथ पुनर्विवाह करें, जिससे उन्हें शिव पुत्र की प्राप्ति हो।

देवताओं के अनुरोध पर कामदेव वसंत के मादकता भरे मौसम का चयन कर अपनी पत्नी रति के साथ शिव तपस्या भंग करने पहुंचता है, और उनके समक्ष वासनात्मक शब्दों, दृश्यों और नृत्यों का प्रदर्शन करता है। शिव जी उनकी माया में फंसने के बजाय उल्टा क्रोधित हो जाते हैं, और अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर देते हैं।

मित्रों, छत्तीसगढ में होली का पर्व वसंत पंचमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा तक लगभग चालीस दिनों का मनाया जाता है, उसका यही कारण है। कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ मिलकर इतने दिनों तक शिव तपस्या भंग करने का उपक्रम कर रहे थे। इसीलिए इस पूरे प्रसंग को हम मदनोत्सव या वसंतोत्सव के नाम पर भी जानते हैं।

आप स्वयं विचार करें, होलिका तो केवल एक ही दिन में चिता रचवाती है, और स्वयं ही उसमें जलकर भस्म हो जाती है। तब उसके लिए चालीस दिनों का पर्व मनाने का क्या औचित्य रह जाता है? फिर इस अवसर पर यहां जो वासनात्मक शब्दों, दृश्यों और नृत्यों का प्रदर्शन होता है, उसका उससे होलिका का क्या संबंध है?

पहले यहां होली के अवसर पर "किसबीन" नाच आयोजित कर ने का भी चलन था, जो अब लगभग बंद सा हो गया है। यह "किसबीन" नाच वास्तव में "रति" नृत्य के प्रतीक स्वरूप ही होता था।

मित्रों, छत्तीसगढ की गौरवशाली मूल संस्कृति को उसके वास्तविक रूप में पुनर्प्रचारित कर उसे जमीनी रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है। आइए हमारे इस प्रयास में आप भी सहभागी बनें।

-सुशील भोले
संयोजक, आदि धर्म जागृति संस्थान
डाॅ. बघेल गली, संजय नगर
(टिकरापारा) रायपुर (छत्तीसगढ)
मो. 9826992811, 7974725684

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