Sunday 13 October 2019

कुलदेवी/कुलदेवता की पूजा पहले जरूरी क्यों....?

कुलदेवी/कुलदेवता का आशीर्वाद क्यों जरूरी है?

इस विषय को समझते वक़्त सभी साधना , कुण्डलिनी , श्रीविद्या , दसमहाविद्या जो भी कोई साधना आप कर रहे हो , सब एक बाजू रखें ।

क्योंकि कुलदेवी/कुलदेवता की कृपा का अर्थ है , सौ सुनार की एक लोहार की , बिना इसके कृपा से किसीके कुल का वंश ही क्या कोई नाम फेम कुछ भी आगे बढ नहीं सकता ।

लोग भावुक होकर अथवा आकर्षित होकर कई साधनाएं तो करते हैं , पर वो जानते नहीं कि जब आप अपनी कुलदेवी को पुकारे बिना किसी भी देवी देवता की साधना करते हो , वो साधना कभी यशस्वी नहीं होती; उलटा कुलदेवी का प्रकोप अथवा रुष्टता और ज्यादा बढ़ती हैं ।

कई जगहों पर आज भी कुछ परंपरा हैं , घर के पूजा घर में कुलदेवी के रूप में सुपारी अथवा प्रतिमा का पूजन करना , घर से बहार लंबी यात्रा हो तो कुलदेवी को पहले कहना , साल में दो बार कुलदेवी पर लघुरूद्र अथवा नवचंडी करना ...... यह सब आज भी हैं ।

हर घर की होती है एक कुलदेवी/कुलदेवता

आज भारत में 70% परिवार अपने कुलदेवी को नहीं जानता। कुछ परिवार बहुत पीढ़ियों से कुलदेवी का नाम तक नहीं जानते ।

इसके कारण , एक निगेटिव दबाव उस घर के कुल के ऊपर बन जाता है और अनुवांशिक प्रॉब्लम पैदा होती हैं ।

बहुत जगहों पर देखा जाता है--

(1) कुलदेवी की कृपा के बिना अनुवांशिक बीमारी पीढ़ी में आती है , एक ही बीमारी के लक्षण सभी लोगो को दिखते हैं

(2) मनासिक विकृतियाँ अथवा स्ट्रेस पूरे परिवार में आना

(3) कुछ परिवार एय्याशी की ओर इतने जाते है कि सबकुछ गवा देते हैं

(4):- बच्चे भी गलत मार्ग पर भटक जाते हैं

(5):- शिक्षा में अड़चनें आती है

(6):- किसी परिवार में सभी बच्चे अच्छे पढ़ते हैं फिरभी जॉब ठीक नहीं मिलती

(7):- कभी तो किसीके पास पैसा बहुत होता है पर मनासिक समाधान नहीं होता

(8):- यात्राओं में अपघात होते है अथवा अधूरी यात्रा होती हैं

(9):- बिजनेस में भी  ग्राहक पर प्रभाव नहीं बनता अथवा आवश्यक स्थिरता नहीं आती ।

(10):- विदेशों में बहुत भारतिय बसे है , उनके पास पैसा होकर भी एक असमाधानी वृत्ति अथवा कोई न कोई अड़चन आती है , इतने लंबा सफर से भारत में कुलदेवी के दर्शन के लिए नहीं आ सकते ।

यह सब परेशानी हम देख रहे हैं ।

मित्रों , यह सब परेशानी आप किसी हीलिंग अथवा किसी ध्यान अथवा किसी दसमहाविद्या के मंत्रो से दूर नहीं कर सकते ।

बल्कि , अगर और अंदर कहूँ तो कोई भी दसमहाविद्या की दीक्षा में सबसे पहले गुरु उस साधक की कुलदेवी का जागरण करवाने की दीक्षा अथवा साधन पहले देता हैं ।ऊ

आजकल ये महाविद्याओं की साधनाओ में कोई करता नहीं  सभी सीधा मंत्र देते है , बाद उसका फल यह मिलता है कि वो साधक ऐसे जगह पर फेक दिया जाता है , जहाँ से वो कभी उठ ही न पाए ।

आजकल बड़ी बड़ी शिविरों में हम यही माहौल देखते हैं ।

इसलिए , कोई भी महाविद्या के प्रति आकर्षित होने से पहले अपने कुलदेवी को पुकारो ।

अगर आज नहीं तो कल की पीढ़ी के लिए बहुत दिक्कतें होगी ।

कईयों को लगेगा वो श्रीनाथ जी जाते हैं , तिरुपती जाते हैं , चारधाम जाते हैं , शिर्डी जाते हैं,  या हर कहीं माथा रगड़ने जाते ... साल में एक दो बार दर्शन के लिए । इससे कुलदेवी प्रसन्न नहीं होती । बल्कि वो शक्तियाँ भी आपको यही कहेंगी की पहले अपने माँ बाप को याद करो फिर मेरे पास आओ।

कुलदेवी के रोष में कई संस्थान , राजवाड़े , महाराजे खत्म हुए । कई परिवार के वंश नष्ट हुए ।

इसलिए कुलदेवी/कुलदेवता का पूजन पहले करो।
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