*** पोरा या पोला ***
काली जुवर पोरा परब के दिन अबड़ झन लोगन 'पोला' के बधाई देवत रिहिन हें.
आजकाल ए देखे म जादा आवत हे, के हमर इहाँ के लोगन अपन परंपरा-संस्कृति ल जाने-समझे ल छोड़ के पर के पाछू भेड़िया धसान बरोबर किंजरई ल जादा गरब के मान डरथें.
छत्तीसगढ़ म मनाए जाने वाला परब ह 'पोरा' आय.
छत्तीसगढ़ी भाखा म पोला शब्द छेदा, भोंगरा या पोलपोला खातिर उपयोग करे जाथे. जबकि हमर इहाँ पोरा के परब मनाए जाथे, वो ह धान म पोर फूटना, पोटरी या पोठरी पान धरे के अवस्था, जेला गर्भधारण के अवस्था कहे जाथे, तेकर सेती मनाए जाथे. एकरे सेती ए दिन किसान मन अपन अपन खेत म पोरा म रोटी पीठा चढ़ाथें, जे ह धान के फसल ल गर्भधारण करे के सेती सधौरी खवाए के प्रतीक स्वरूप होथे. जइसे हम अपन बेटी-माई मनला पहिली बेर गर्भधारण करे म सधौरी खवाथन.
अब बतावौ ए परब ह असल म पोरा आय या पोला?
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