Friday 22 September 2023

आस्था संग प्राकृतिक दरस बोहरही धाम

आस्था संग प्राकृतिक दरस के ठउर बोहरही धाम
    हमर छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर के विधानसभा भवन ले उत्तर दिशा म दू कोस के दुरिहा म एक सुघ्घर अउ मयारुक देव ठउर हे बोहरही धाम. रायपुर ले बिलासपुर जवइया रेलवाही म मांढर अउ सिलयारी रेवले स्टेशन के बीच कोल्हान नरवा के खंड़ म बसे हे ए बोहरही धाम ह.
    बोहरही धाम ल लोगन बोहरही दाई के नॉव ले जादा चिन्हारी पाथें. फेर जइसे हमन ईश्वर ल 'त्वमेव माता च पिता त्वमेव' के रूप म महतारी अउ ददा दूनोच मानथन, ठउका अइसनेच बोहरही दाई ल घलो महतारी अउ ददा दूनोच रूप म सुमरन करे जाथे, एकरे सेती एला 'जय ठाकुर देव.. जय बोहरही दाई' समिलहा रूप म  कहे जाथे.
    कोल्हान नरवा के खंड़ म बसे बोहरही धाम ह वइसे तो पटवारी हल्का के मुताबिक गाँव पथरी म हावय, फेर ए ठउर ले गाँव पथरी ह जतका दुरिहा म हावय, वतकेच दुरिहा म गाँव नगरगाँव, गाँव टोर अउ गाँव तरेसर घलो हावय, एकरे सेती ए तीर के जम्मो च गाँव वाले मन बोहरही धाम ल अपनेच मानथें अउ वतकेच मान-गौन अउ आस्था घलो राखथें.
   बोहरही दाई के ए ठउर म आए अउ स्थापित होय के संबंध म बड़ गुरतुर अउ मयारुक किस्सा हे. हमर सियान मन बतावंय- बोहरही दाई ह कोनो दूसर गाँव ले रिसा के कोल्हान नरवा म बोहावत ए जगा आए रिहिसे. अउ ए जगा आए के पाछू गाँव पथरी के एक पोठहा किसान ल सपना दे के कहिस के मैं ए ठउर म हावौं, तुमन कहूँ चाहथौ के मैं इहिच मेर आसन पावौं, त तुमन मोर रहे खातिर एको ठन मंदिर उवे बनवा देवौ.
   पथरी वाले वो किसान ह अपन सपना म आए बात ल गाँव वाले मन जगा बताइस, त गाँव वाले मन चलव तो जी सपना म बताए जगा के आरो लेथन कहिके कोल्हान नरवा के खंड़ म गिन. उहाँ गाँव वाले मन देखिन ते सपना म बताए जगा सिरतोन म एक ठन मूर्ति माढ़े पाइन. तहाँ ले वो मूर्ति ल सब गाँव वाले मन के कहे म कोल्हान नरवा के खंड़ ले उचा के थोरिक दुरिहा म लान के एक ठन चौंरा असन जगा बना के स्थापित करिन. आज उही जगा ल हम सब बोहरही दाई या बोहरही धाम के रूप म जानथन.
    बोहरही दाई के नामकरण के संबंध म सियान मन बतावंय, के वो देवी दाई ह नदिया म बोहा के आए रिहिसे, तेकर सेती वोला बोहरही दाई कहे जाथे.
   पहिली ए ठउर म बोहरही दाई के नॉव य सिरिफ एक ठन चौंरा असन मंदिर भर रिहिसे, वोकर पाछू फेर एक ठन छोटकन शिव जी के मंदिर रेलवे विभाग ह बनवाइस.
   रेलवे वाले मन के द्वारा ए जगा मंदिर बनवाए के संबंध म सियान मन बतावंय के अंगरेज शासन काल म जब मुंबई-हावड़ा रेलवाही बनीस तेन पइत इही बोहरही धाम तीर के एक ठन नान्हे बानी के नरवा म बनत पुलिया ल घेरी-भेरी भरभरा के भोसक जावय. तेकर सेती रेलवाही बनाए के बुता ह अटके असन हो जावय.
    सियान मन बतावंय के वो पुलिया ल एक बंगाली इंजीनियर के देखरेख म बनाए जावत रिहिसे. एक रतिहा उही बंगाली इंजीनियर के सपना म आइस के बोहरही दाई के मंदिर के तीर म रेल विभाग ह एक अउ मंदिर बनवा देही, त ए पुलिया ल बनाए के कारज ह बने-बने सिध पर जाही.
   सपना के बात ऊपर भरोसा करत फेर वो बंगाली इंजीनियर ह बोहरही दाई के जेवनी मुड़ा म एक शिव जी के मंदिर बनवाइस, तब जा के वो नरवा म पुलिया बनाए के कारज ह सिध परिस. वो पुलिया ल आज घलो लोगन वो बंगाली इंजीनियर के सुरता म बंगाली पुलिया ही कहिथें.
   बोहरही धाम ह आज पूर्ण रूप ले विकसित एक धार्मिक अउ पर्यटन ठउर बनगे हावय. इहाँ कतकों अलग-अलग समाज के लोगन अपन-अपन श्रद्धा अउ आस्था के मुताबिक अलग-अलग मंदिर अउ देव ठउर बनवा डारे हें. अब बोहरही धाम म पर्यटन के एक मयारुक ठउर बनगे हावय जिहां लोगन के रोज दिन आना-जाना लगे रहिथे. महाशिवरात्रि के बेरा म इहाँ तीन दिन के जबर मेला भराथे, जेमा दुरिहा-दुरिहा के लोगन गंज संख्या म जुरियाथें.
   बोहरही धाम म अब दूनों नवरात म मनोकामना जोत घलो जलाए जाथे. कतकों श्रद्धालु मन अपन मनोकामना पूरा होय म बोकरा आदि के पूजवन घलो देथें. इहाँ के पूजवन प्रथा म रोक लगाए खातिर तीर-तखार के कतकों समाजसेवी मन रैली आदि निकाल के जनजागरण के कारज करत रिहिन हें, फेर जनआस्था के सेती ए पूजवन परंपरा ह अभी घलो चलतेच हे.
    बोहरही धाम जाए बर आजकाल राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन ले रोज सिटी बस जाए लगे हे. रेलवे के रद्दा ले जवइया मन मांढर या सिलयारी रेवले स्टेशन ले उतर के जा सकथें. जे मन अपन साधन ले उहाँ जाना चाहथें, वो मन विधानसभा भवन ले बोहरही धाम होवत सिलयारी रेवले स्टेशन तक सड़क गे हवय, तेमा आसानी के साथ जा सकथें.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा 9826992811

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