सुरता//
मयारु माटी के चित्रकार भाई मोहन गोस्वामी
छत्तीसगढ़ी भाखा के पहला संपूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' संग चित्रकार के रूप म जुड़े रहे मोहन गोस्वामी के चिन्हारी चित्रकार के रूप म ही जादा रिहिसे. वइसे मोहन भाई जतका मयारुक चित्रकार रिहिन हें, वतकेच सुंदर फोटोग्राफर, डिजाइनर अउ गुरतुर आवाज के गायक घलो रिहिसे, जेन खुद हारमोनियम बजा के गावय.
मोहन गोस्वामी संग मोर चिन्हारी अखबार जगत म बुता करे के सेती होय रिहिसे, तब वो ह दैनिक 'नव भास्कर' म प्रेस फोटोग्राफर रिहिसे अउ मैं दैनिक तरुण छत्तीसगढ़ म सहायक संपादक. हम दूनों के कार्यालय आसपास रिहिसे, तेकर सेती चिन्हारी रिहिसे गोठबात घलो होवत राहय.
एक दिन मैं छत्तीसगढ़ी के लोकप्रिय कवि अउ गायक लक्ष्मण मस्तुरिया जी के ब्रम्हपुरी वाले घर म बइठे रेहेंव उही बेरा मोहन गोस्वामी घलो उहाँ आइस. तब हमर मन के उहाँ होय गोठबात म जानबा होइस के लक्ष्मण मस्तुरिया जी अउ मोहन गोस्वामी सग भाई आयँ. बातेबात म मोहन बताइस के भइया महूं तो इही जगा रहिथौं. तब मस्तुरिया जी बिरंची मंदिर के चाल म राहत रिहिन हें, अउ ठीक वोकर पाछू म वर्मा परिवार के घर म मोहन. तब मोहन मोला चलना भइया मोर घर कहिके अपन घर लेगे रिहिसे. आगू जब हमर मन के घनिष्ठता बाढ़त गिस त फेर संगे म घूमना फिरना, उठना बइठना सब होए लागिस.
बछर 1961 के 8 अक्टूबर के गाँव मस्तूरी म जनमे मोहन गोस्वामी गजब मयारुक मनखे रिहिसे हमन वोकरे घर म बइठ के गीत संगीत के रिहर्सल घलो करन. तब बी.एस. अखिलेश, मोहन गोस्वामी, लक्ष्मण दीवान, मस्तुरिया जी के बड़े बेटा दिनेश अउ मैं जादा कर के बइठन. कभू कभार एक दू अउ संगी उहाँ आ जावत रिहिन हें. हमर मन के रिहर्सल ल देख के एक पइत मस्तुरिया जी मजाक करत केहे रिहिन हें- तुमन तो मोर ले बड़े गायक बन जाहू तइसे लागथे. ए बइठकी म मोरो गीत मनला अखिलेश भाई ह स्वरबद्ध करे रिहिसे, जेन आगू चल के 'फूलबगिया' के नॉव ले कैसेट के रूप म निकले रिहिसे.
वो बखत रायपुर के चित्रकार जगत म बीएस अखिलेश अउ मोहन गोस्वामी ए दूनों के जबर नाम रिहिसे. दूनों ही चित्रकार अउ डिजाइनर होय के संग स्क्रीन प्रिंटिंग के बुता घलो कर देवत रिहिन हें. छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका मयारु माटी के टाइटल ले लेके पत्रिका के सबो अंक के आवरण अउ भीतर के पृष्ठ मन म छपे सबो चित्र मन मोहन गोस्वामी के ही बनाय आय, त मोर पहला काव्य संकलन 'छितका कुरिया' के आवरण अउ प्रिंटिंग बीएस अखिलेश के हाथ ले सिरजे हे.
मोहन, मोर, अखिलेश अउ लक्ष्मण दीवान के बइठकी मोहन घर तब तक बने चलत रिहिसे जब तक मोहन के बिहाव नइ होय रिहिसे, मोहन के बिहाव होय के बाद एमा कमी आइस अउ फेर जब मोहन ह टिकरापारा के भगत चौक म खुद के मकान बिसा के रेहे लागिस, तेकर बाद तो फेर हमर मन के बइठकी पूरा बंद होगे. ए बीच कभू कभार मिले के मन होवय त मैं मोहन के फूल चौक वाले दूकान मोगो क्रियेशन म चले जावत रेहेंव या फेर वो मन मोर रिकार्डिंग स्टूडियो म आ जावत रिहिन हें.
ए बीच हमर मन के मिलई जुलई बनेच कम होगे रिहिसे. कुछू सुख- दुख के संदेशा लक्ष्मण दीवान के माध्यम ले मिलय. इही बीच खबर आइस के मोहन के मयारुक सुपुत्र के देवलोक गमन होगे हे. जवान बेटा के अबेरहा जवई ह मोहन ल भीतरी ले टोर डारे रिहिसे, एकरे सेती मोहन बीमार परे अस दिखे लागय. 22 अक्टूबर 2017 के ए दुनिया के बिदागरी ले के पहिली मोहन संग मोर सिरिफ एके पइत भेंट होय रिहिसे, जब वो ह हमर घर के तीर म ही हीरा बेकरी के डिजाइन के बुता के देखरेख करत रिहिसे.
मोहन के जाए के बाद तो फेर महूंँ खटिया के रखवार होगेंव. आज बहुत दिन बाद मोहन के सुरता आइस त उनला श्रद्धा के फूल चढ़ावत ए चार डाँड़ के सिरजन होगे. मोर जबर मयारुक संगी ल जोहार.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
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