कोंदा भैरा के गोठ-28
-ए बछर कुंभ नहाय बर जाबो नहीं जी भैरा.
-टार बुजा ल.. मोला कुंभ के नॉव सुनते झझकासी चकचकासी असन लागथे जी कोंदा.
-अइसे काबर जी संगी.. 12 बछर म एक पइत भराथे तेकर अबड़ महात्तम होथे.
-अच्छा.. तैं ह अभी प्रयागराज म 13 जनवरी ले महाशिवरात्रि 26 फरवरी तक महाकुंभ भराही तेमा असनाँदे बर जाए खातिर काहत रेहे का जी?
-हव.. त तैं ह अउ का समझत रेहे?
-अरे.. मैं ह एदे हमर परोस म पुन्नी मेला ल बलद के नकली कुंभ के चोचला चलत हे तेमा जाए बर काहत हे का हावस सोचत रेहेंव.
-टार बइहा.. तहूं ह कहाँ ले अंते-तंते ल टमड़ डारथस.. हमर देश म सिरिफ चारे जगा- प्रयागराज, नासिक, उज्जैन अउ हरिद्वार म ही कुंभ लगथे.. उहू म अभी प्रयागराज म जेन महाकुंभ होही ना.. तेकर महात्तम ल गुनिक मन सबले जादा बताथें.
-हाँ.. प्रयागराज म तो पक्का जाबो संगी.. उहाँ खातिर तो हमर मन म जबर श्रद्धा अउ भरोसा हे.
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-अभी तो शिक्षा के नॉव म भइगे तोता रटंत भर चलत हे जी भैरा.
-सिरतोन कहे जी कोंदा.. हमर घर के लइका मनला देखथौं त अपन ले जादा गरु के बस्ता बोह के जाथे अउ तहाँ ले उहिच मनला रटत रहिथे.
-सबो घर के एके हाल हे.. फेर मोला लागथे संगी कागजी शिक्षा के संगे-संग तर्क शक्ति घलो होना चाही.
-बिलकुल होना चाही.. हमन तो बड़का बड़का डिग्री धर के किंजरइया मनला पाँचवीं फेल ढोंगी पाखंडी मन के पाँव तरी घोनडइया मारत देखे हावन.
-हव जी सिरतोन आय.. जहाँ धरम-करम के गोठ होइस, तहाँ ले तोर सब पढ़ई लिखई मन एक कोंटा म तिरिया जथे.
-हव भई.. एकरे सेती तो मोला सियान मन के वो बात ह बने सुहाथे .. उन काहँय- ' तेकर ले तो पढ़े ले कढ़े बने'.
-पढ़े ले कढ़े बने होबेच करथे.. एमा मनखे अपन आत्मज्ञान अउ अनुभव के अनुसार ही कोनो ल पतियाथें अउ आज एकरे सबले जादा जरूरत हे.
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-मोला अइसे जनाथे जी भैरा के कोनो मनखे के एको अंग ह कहूँ दिव्यांग गढ़न के रहिथे तेला उप्पर वाले ह कोनो अलग ले विशेष गुण अउ प्रतिभा दे देथे, जेकर ले वो सफलता के सिढ़िया चढ़ सकय.
-ए बात ल तो महूँ आकब करे हौं जी कोंदा.. बिलासपुर के रहइया आशीष सिंह ठाकुर ह जेन रायपुर म घलो पदस्थ रिहिसे अभी कर्नाटक के मैसूर जिला म डाक निदेशक के पद म आसीन हे, अउ तैं जानथस संगी आशीष ह दृष्टिहीन हे तभो ले हमर देश के सबले कठिन माने जाने वाला यूपीएससी के परीक्षा पास करे हे.
-सही म ए ह उप्पर वाला के देन ही आय जी.. अइसने हमर इहाँ के छत्तीसगढ़ी कवि मेहतरू मधुकर अउ बोधनराम निषादराज ल तैं जानथस नहीं?
-जानबे कइसे नहीं जी.. शारीरिक रूप ले भले वो मन ह दिव्यांग हे फेर वोकर रचना मन अगास ल अमरे कस ऊँचहा भाव लिए रहिथे.
-सही कहे संगी.. अउ ए सब ह उप्पर वाले के विशेष कृपा के बिना नइ हो सकय.
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-मोला सिख समाज के ए प्रायश्चित वाले परंपरा ह गजबेच निक लागथे जी भैरा.
-कइसन प्रायश्चित के परंपरा ह जी कोंदा?
-सिख समाज के जेन कोनो भी सदस्य ल धार्मिक सदाचार के दोषी पाए जाथे वोला तनखैया घोषित करे जाथे.
-अच्छा.. काली उहाँ के जुन्ना मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल अउ वोकर मंत्रीमंडल के सदस्य रेहे विक्रम सिंह मजीठिया मन अपन टोटा म दोषी होय के तख्ती ओरमाए सेवादार के नीला डरेस पहिने हाथ म भाला धरे स्वर्णमंदिर परिसर के दरवाजा म घंटा भर सेवा बजाइन तेला कहिथस का?
-हव जी वो मन ल राम रहीम वाले मामला म धार्मिक रूप ले दोषी पाए गे रिहिसे तेकर सेती सिख धर्मगुरु मन तनखैया घोषित करे रिहिन हें.
-सही म उँकर मन के ए न्याय व्यवस्था महूँ ल गजब सुहाथे संगी काबर ते एमा कोनो किसम के ऊँच नीच छोटे बड़े के भेदभाव नइ करे जाय सबो ल एक बरोबर माने जाथे अउ वोकरे मुताबिक व्यवहार या कहिन न्याय करे जाथे.
-कभू कभू मैं गुनथौं संगी.. का हमरो समाज म बिना भेदभाव वाला अइसन न्याय परंपरा या व्यवहार देखे बर मिल पाही?
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-गीता जयंती के जोहार जी भैरा.
जोहार संगी कोंदा.. आज मोर मन म एक बात ह गजब उठत हे जी संगी- मैं देखथौं ते कतकों झन अइसन साधू, संत अउ तपस्वी हें, जे मन कोनो न कोनो किसम के शारीरिक दुख-पीरा.. रोग-राई म बूड़ेच असन दिखथें. भई हमर असन लंदर-फंदर मनखे के अइसन तकलीफ ह तो फभ जथे, फेर तपस्वी मन घलोक अइसनेच म अभरे रहिथें!
-हाँ.. अइसन तो होथेच जी भैरा.. एला अध्यात्म म प्रारब्ध भोग कहे जाथे.
-अच्छा.. प्रारब्ध भोग?
-हहो.. अउ एला पूरा करे बिना कोनो ल मोक्ष या कहिन सद्गति नइ मिलय.
-अच्छा... ताज्जुब हे भई!
-ए ह वो तपस्वी मन के पाछू जनम मन म कोनो भी कारन ले होय गुण-दोस मनला बराबर करे के एक प्रक्रिया होथे, जेला अध्यात्म के भाखा म प्रारब्ध भोग कहे जाथे. मान ले वो तपस्वी ह ए जनम म ए प्रारब्ध भोग ल पूरा नइ करही, त वोला फेर दूसर जनम ले बर लागही, फेर वोला पूरा करेच बर लागही.
-अच्छा..!
-हव.. बिन प्रारब्ध पूरा करे कोनो ल सद्गति नइ मिलय.
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-रामायण महाभारत काल के जबर युद्ध के घाव मनला तुरते भर दे के कमाल करइया औषधि जेला शल्यकर्णी के नॉव ले जाने जावय तेकर अति दुर्लभ पौधा ह अभी अमरकंटक के जंगल म मिले हे कहिथें जी भैरा.
-अच्छा.. जेकर ले बड़का बड़का घाव ह रात भर म भर जावय कहिथें तेने ह जी कोंदा?
-हव जी वो शल्यकर्णी के पौधा ल रीवा के वन संरक्षक अनुसंधान केंद्र म बो के बढ़वार करत हें.. अभी पौधा मन पाँच ले दस फीट तक ऊँचहा होए हे कहिथें.
-वाह भई.. ए तो बहुते सुग्घर बात आय.. वइसे भी हमर इहाँ के जड़ीबूटी मन म अबड़ गुन हे, बस जरूरी हे त इँकर संरक्षण अउ बढ़वार के.
-सही आय.. मोला तो इही आयुर्वेद के परंपरा ऊपर जादा भरोसा जनाथे.. मोर खुद के बीमारी ह एकरे ले थोरिक राहत बरोबर जनाय हे.
-अभी पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ह प्रेस कांफ्रेंस म बताय रिहिसे के वोकर सुवारी के केंसर के बीमारी ह जड़ीबूटी अउ संतुलित खान पान ले ठीक होइस हे कहिके, फेर दुर्भाग्य हे संगी हम अपन ए ज्ञान के संगे-संग जड़ीबूटी के विविध रूप अउ उपयोग ल बिसरावत जावत हन.. उहू म जानबूझ के.
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-भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व ल अब दुनिया ह जाने समझे अउ माने ले धर लिए हे जी भैरा.
-हाँ ए बात तो हे जी कोंदा.. अभी हमर इहाँ के जेन ध्यान के परंपरा हे, तेला अवइया 21 दिसंबर ले हर बछर 'विश्व ध्यान दिवस' के रूप म मनाए जाही.
-अच्छा.. जइसे इहाँ के योग के महत्व ल समझ के विश्व योग दिवस मनाए के चलन शुरू होइस हे तइसने?
-हव.. संयुक्त राष्ट्र महासभा ह 21 दिसंबर ल विश्व ध्यान दिवस के रूप म घोषित कर दिए हे. ए प्रस्ताव ल पारित करवाए म भारत के संगे-संग लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको अउ अंडोरा घलो ह बड़का भूमिका निभाए हे.
-ए तो बढ़िया बात आय जी.. ध्यान ल कोनो धर्म विशेष संग जोड़ के नइ देखना चाही, जइसे योग ल आज शारीरिक अउ मानसिक समृद्धि खातिर दुनिया के हर देश ह अपनावत हे, वइसने ध्यान ल घलो सबो ल सहजता ले स्वीकार करना चाही.
सही आय जी.. ध्यान ले लोगन ल नवा नजरिया प्राप्त होथे.. सोचे-समझे के अउ कोनो बात ल फोरिया के गोठियाय बताय म सोहलियत होथे अउ सबले बड़का बात.. ध्यान ह हमर तीर-तखार के नकारात्मकता ल दुरिहा के सकारात्मक स्थिति बनाथे.
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-अब हमर इहाँ के महापुरुष मन के जीवनी ल घलो गाथा के रूप म गाये के परंपरा चलही तइसे जनावत हे जी भैरा.
-ए तो बढ़िया बात आय जी कोंदा.. कब तक आने आने देश राज के लोगन ल हमन अपन गायन-वादन के हिस्सा बनावत रहिबोन?
-सही आय जी.. आज 10 दिसंबर के हमर छत्तीसगढ़ के अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी के जीवनी ल पंडवानी शैली म प्रसिद्ध गायक चेतन देवांगन जी गाहीं.
-ए तो बढ़िया शुरुआत आय जी.. इहाँ के सबो गायक कलाकार मनला अइसन करना चाही.. हमर इहाँ एक ले बढ़ के एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व होए हें, जेकर मन के जीवनी ल गाथा गायन के रूप म लोगन तक अमराना चाही.
-हव जी.. आज वीर नारायण सिंह जी के शहादत दिवस घलो आय न तेकर सेती उँकर शहादत ठउर रायपुर के जय स्तंभ चौक म पंडवानी शैली म गायन करे जाही संग म उनला अपन अपन श्रद्धा के मुताबिक लोगन श्रद्धांजलि घलो देहीं.
-बहुत बढ़िया संगी.. हमरो डहर ले अमर शहीद ल जोहार.. पैलगी.. शहीद वीर नारायण सिंह जी अमर रहँय.
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-विश्व ध्यान दिवस के जोहार जी भैरा.
-जोहार संगी कोंदा.. हमर संत महात्मा मन के ज्ञान, सकारात्मक ऊर्जा अउ अध्यात्म संग जुड़े के ए ध्यान के परंपरा ह कतेक सुग्घर अउ सरल हे ना.. उन एकांत गुफा-कुँदरा म रहि के घलो देश दुनिया अउ अपन आराध्य संग जुड़ जावत रिहिन हें.
-हव जी सही आय.. ध्यान के परंपरा ह तभो गजब मयारुक रिहिसे अउ आजो हे.
-अइसे ना?
-हव जी.. मैं खुद एकर बड़का उदाहरण हावौं.. छै बछर ले आगर होगे हे मोला खटिया धरे.. अब न कहूँ मंदिर देवाला जा सकौं न घरे के पूजा ठउर ल अमरे सकौं, तभो इही ध्यान के भरोसा वो जम्मो आवश्यक ऊर्जा अउ ज्ञान स्रोत ल अमर डारथौं, जेकर मोला आवश्यकता होथे.
-अइसे ना?
-मोर खटिया ही ह अब जप-तप अउ साधना के ठउर बनगे हे ए ध्यान परंपरा के भरोसा.. अब मोला अपन कोनो किसम के दिनचर्या म कोनोच किसम के कमी महसूस नइ होवय.
-चलौ बनेच हे.. अब दुनिया के लोगन घलो हमर ध्यान परंपरा के महात्तम ल जानहीं, परखहीं अउ अपनाहीं.
-जरूर अपनाहीं, तभे तो संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आज के दिन ल विश्व ध्यान दिवस घोषित करे के निर्णय ह सुफल होही.
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-राजनीतिक लाभ हानि के सेती स्कूल मन म लइका मन के पढ़ई घलो लट्टे-पट्टे हो पावत हे जी भैरा.
-वाजिब कहे जी कोंदा.. फलाना समाज ल खुश करे बर वोकर कोनो परब म छुट्टी अउ तहाँ ले फेर कोनो समाज के लोगन ल खुश करे बर फेर छुट्टी.. भइगे छुट्टी उप्पर छुट्टी चलत हे.
-भइगे.. काला कहिबे.. मोर नाती मनला जब देखथौं त घरेच म रहिथे आज फलाना के छुट्टी त आज ढेकाना के.. शिक्षा विभाग के नियमावली के मुताबिक बछर भर म 220 दिन स्कूल संचालित होना चाही, फेर थोक के भाव म छुट्टी देवई के सेती लट्टे-पट्टे 180 ले 185 दिन ही स्कूल संचालित हो पाथे.
-ले तो भला अइसने म लइका मन के पढ़ई कइसे बने गतर के हो पाही?
-अरे.. उँकर कोर्स घलो पूरा नइ हो पावय.. एकरे सेती तो निजी स्कूल वाले मन चिथियागे हें.. उँकर कहना हे के पाँचवी अउ आठवीं बोर्ड के परीक्षा ल इहू बछर सामान्य ही लिए जाय.
-सरकार ल एती खंँचित चेत करना चाही.. सार्वजनिक छुट्टी के संख्या मनला कम करना चाही, भले ऐच्छिक छुट्टी के संख्या ल बढ़ो देवय.. फेर जिहाँ तक पाँचवी अउ आठवीं के बोर्ड परीक्षा के बात हे त वोला तो लिए ही जाना चाही.. एमा कोनो ढील या छूट नहीं.
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-कोनो भी नवा विचार या गोठ ल लोगन एकदमेच नइ पतियावयँ जी भैरा.
-कहाँ ले पतियाहीं जी कोंदा.. जइसे पहिली ले बने बुनाए चातर रद्दा म ही लोगन ल रेंगन भाथे, नवा बने एकपइँया रद्दा ल लोगन कन्नेखी तक नइ देखय न.. ठउका नवा गोठ संग घलो अइसनेच होथे.
-हव भई महूँ आकब करे हौं.. अभी हमन छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति अउ इतिहास के वाजिब बात ल करथन त लोगन हमन ल गुरेरे अस देखथें काबर ते हमर मन जगा वोकर जुन्ना बेरा के कोनो लिखे साहित्य नइए.. अउ वोकर मन के बात ल झट पतिया लेथें जेकर मन के पहिली ले लिखे साहित्य या किताब हे, भले वो साहित्य ल अन्ते के लोगन अपन डहार के चलागन म लिखे रहिथें, जेकर हमर परंपरा संग कोनो तालमेल नइ राहय तभो.
-अइसन तो होथेच संगी.. सच ल पहिली लोगन के हिनमान सहे बर लागथे, तेकर पाछू विरोध घलो झेले बर लागथे अउ फेर तब कहूँ जाके आखिर म वोला लोगन के स्वीकृति मिलथे.. दम धरौ.. तुँहरो संग अइसने होही, आखिर म लोगन तुँहरे गोठ ल पतियाहीं.. अपन गरब के चिन्हारी मानहीं.
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-मंदिर-देवाला मन म नरियर खुरहोरी या लइची-लाड़ू आदि के परसाद तो सबो जगा बाँटे जाथे जी भैरा फेर हमर रायपुर के माँ मरही माता मंदिर म संझा-बिहनिया दूनों जुवर बिहनिया 10 ले 12 बजे तक अउ संझौती 6 ले 8 बजे तक जेवन घलो बाँटे जाथे.
-अच्छा.. डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के बाजू वाले मरही माता मंदिर म जी कोंदा?
-हव जी.. जब विश्वव्यापी महामारी कोरोना ह बछर 2020 म दंदोरे ले धरे रिहिसे ना तब अंबेडकर अस्पताल म इलाज कराए बर अवइया लोगन के रिश्ता-नता मन खोंची भर जेवन बर तरस जावत रिहिन हें, इही सब ल देख के गणेश भट्टर नॉव के मनखे के करेजा पसीज जावत रिहिसे.
-हव.. कतकों दयालु धरमी मन संग अइसन होथे.
-सही कहे.. तब भट्टर जी ह मरही माता मंदिर समिति वाले मन संग गोठबात कर के इहाँ जेवन बाँटे के शुरू करिस.. पहिली तो इहाँ जेन कोनो भी वो तीर म आवय सबो ल जेवन दे दिए जावय फेर अब जेकर मन जगा अंबेडकर अस्पताल के पास होथे तेही मनला जेवन दिए जाथे.
-बने हे.. दया-धरम के पुन्न परसाद ल योग्य पात्र मनला ही मिलना चाही.
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-धरम के लंबरदार मन के भारी चरित्तर हे जी भैरा.
-कइसे का होगे जी कोंदा?
-अभी मोर हाथ म एक ठ प्रमाण पत्र आय हे.. जानथस ए ह कारक प्रमाण पत्र आय?
-तैं बताबे तब तो जानहूँ संगी.
-ए ह "पाप मुक्ति प्रमाण पत्र" आय.
-ददा रे.. पाप मुक्ति के प्रमाण पत्र?
-हव भई.. ए प्रमाण पत्र ल 16 जून 2023 के श्री गौतमेश्वर महादेव अमीनात कचहरी, गौतमेश्वर थाना अमनोद जिला प्रतापगढ़ राजस्थान के सिल मोहर ले जारी करे गे हवय, जेमा पुजारी क्षितिज अउ अमीन के हस्ताक्षर हे.
-वाह भई..
-जेन मनखे ल पाप मुक्ति के प्रमाण पत्र दिए गे हे वोकर नॉव राधाकृष्ण मीणा पिता रामसिंह मीणा गाँव कैमला जिला करौली राजस्थान लिखाय हे, जेला श्री गौतमेश्वर जी के मन्दाकिनी पाप मोचनी गंगा कुंड म नहवा के प्रायश्चित करवाए गे हे लिखाय हे.
-अच्छा..!
-हव.. अउ खाल्हे म वोकर जाति समाज म वापस ले के बात कहे हे.
-अच्छा.. त हो सकथे उँकर जाति समाज म कोनो कारण से अइसे करवाए जावत होही.
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-तंत्र-मंत्र अउ ठुआँ-टोटका के नॉव म अभी तक कुकरा बोकर के पुजवन देके बात सुने रेहेन जी भैरा फेर सरगुजा के छिंदकालो गाँव ले खबर आए हे के उहाँ के एक झन आनंद यादव नॉव के छोकरा ह जीयत चीयाँ ल ही खा डरिस.
-अच्छा.. कुकरी पिला ल जी कोंदा?
-हव भई.. बताथें के 15 बछर होगे रिहिसे वोकर बिहाव होय, फेर लइका नइ होवत रिहिसे, लइका के आस म जीयत चीयाँ ल खा डरिस अउ मर घलो गे.
-मरबे करही.. चीयाँ ह वोकर टोटा म फँस गिस होही.
-हव.. समझ म नइ आवय भई लोगन अइसन कइसन उजबक किसम के सलाह दे देथें अउ लोगन वोला पतिया घलो लेथें! डॉक्टर मन बतावत रिहिन हें के चीयाँ के पाँव ह वोकर श्वांस नली म अउ मुड़ ह आहार नली म यू आकार म फंसे रिहिसे, जेला पोस्टमार्टम के बेरा निकाले गिस.
-कलंक हे संगी.. बइगा गुनिया मन के विचित्र सलाह अउ लइका सुख पाए बर अलकरहा जीवलेवा उपाय!
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-धरम-पंथ ह लोगन ल एक-दूसर संग जोड़थे जी भैरा.. मीत-मितानी सीखोथे अउ देश राज म सुख शांति के स्थापना करत विकास के रद्दा ल चातर करथे.. वोमा बढ़वार करथे.
-सही आय जी कोंदा.. धरम-पंथ के इही कारज ह लोगन के हिरदे म वोला ऊँचहा आसन देवाथे.
-फेर मोला एक बात ह अचरज बानी के जनाथे संगी- तब फेर लोगन धरम-पंथ, जाति समाज के नॉव म एक-दूसर संग पटकिक-पटका तिरिक-तीरा करत नफरत अउ भेदभाव काबर बगरावत रहिथें.. का अइसन करइया मनला सही मायने म धार्मिक कहे जा सकथे?
-बिल्कुल नहीं.. जाति, धरम, संप्रदाय अउ देवी देवता के नॉव म तनाव, भेदभाव अउ ऊँच-नीच के नार लमइया मन भला धार्मिक कइसे हो सकथे? अइसन मन धरम के कोचिया दलाल हो सकथें.. उँकर रखवार या खेवनहार नहीं.
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