कोंदा भैरा के गोठ-29
-धान कटोरा के नॉव ले दुनिया भर म प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ के मनखे मनला कहूँ ससन भर भात खाए बर बरजहीं तब तो मरे बिहान हे जी भैरा.
-सही आय जी कोंदा, फेर कोन उजबक ह अइसन काहत हे.. हमन भात खाबो, बासी खाबो अउ चीला, फरा, अँगाकर सबोच खाबो.. ए सब तो हमर पुरखौती परंपरा आय.
-हव जी, फेर अभी रायपुर म देश भर के डायबिटीज चिकित्सक मन के संगोष्ठी चलत हे, तेमा दुरुग ले आए डॉ. प्रभात पाण्डेय ह कहिस हे के डायबिटीज के रोगी मनला चावल खाए बर कमतिया देना चाही.
-जउँहर हे संगी.. महूँ ल ए डायबिटीज के तकलीफ हावय, फेर मैं तो भात, बासी, चीला, फरा सबो ल नँगत के दंदोरथौं.
-सिरतोन म जी?
-हव भई.. मोला खुद एकझन हमर छत्तीसगढ़िया डॉक्टर ह केहे रिहिसे.. वोकर कहना रिहिसे के पसाए वाले भात ल खाए म तकलीफ नइए.. कुकर म या चोवा राँध के खाए वाला भात म रहिथे.
-अच्छा.. माने चोवा भात या कुकर म राँधे वाला भात ल शुगर के रोगी ल नइ खाना चाही.. पसाए वाला ल खा सकथें.
-हव.. भात ल पसाए म वोकर मीठहा तत्व ह पसिया संग निथर जाथे.
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-कहूँ के दान पेटी म हाथ लमा के डारे जिनिस अउ धोखा म वो दान पेटी म कुछू जिनिस के गिर जाए म अंतर होथे नहीं जी भैरा?
-इहू पूछे के बात आय जी कोंदा.. दूनों अलग अलग बात आय.. हाथ लमा के देवई ह दान आय अउ भोरहा म कुछू जिनिस के गिर जाय ह अलहन आय.
-ठउका कहे संगी, फेर अभी तमिलनाडु के थिरुपोरुर म अरुलमिगु कंडास्वामी मंदिर ले खबर आए हे, तेन ह मोला अकबकासी असन लागत हे!
-कइसे गढ़न के जी?
-उहाँ के दान पेटी म दिनेश नॉव के मनखे के मोबाइल ह धोखा म गिर गे, त उहाँ के प्रबंध समिति वाले मन दान पेटी म गिरे जिनिस भगवान के होगे कहिके वो बपरा के मोबाइल ल लहुटाबे नइ करिन.. हाँ वोकर सिम ल जरूर लहुटाय हें.
-ए ह तो मोला उजबक बानी के जनाथे संगी.. धोखा म बिछल के दान पेटी म गिरे जिनिस ह भगवान के कइसे हो जाही.. अउ मान ले मोबाइल ह जब भगवान के होगे त वोमा लगे सिम ह घलो तो भगवान के होइस ना?
-कोन जनी भई.. मोला तो ए ह कोनो जगा ले फभे अस नइ जनावत हे!
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-अनपढ़ मनखे मन घलो अब स्नातकोत्तर के लइका मनला पढ़ा सकहीं काहत हें जी भैरा.
-कइसे उजबक बानी के गोठियाथस जी कोंदा.. अरे भई जे मनखे ह एको आखर ल पढ़े लिखे नइए ते ह स्नातकोत्तर कहिथस तइसन पढ़त लइका मनला कइसे पढ़ा सकही जी?
-रविशंकर विश्वविद्यालय ह प्रोफेसर आॅन प्रैक्टिस के नॉव ले एक नवा योजना शुरू करे हे, जेमा वो क्षेत्र म ठोसलग बुता करे मनखे ल व्याख्यान दे खातिर बलाए जाही एकर बर कोनो किसम के शैक्षणिक योग्यता या उपाधि नइ देखे जावय, भलुक वो मनखे ह वो क्षेत्र विशेष म कतका ठोसलग बुता करे हे तेला देखे जाही.
-अच्छा.. जइसे कुछ दिन पहिली बिरहोर जनजाति मन के सेवा म अपन पूरा जिनगी लगइया पद्मश्री जागेश्वर यादव के व्याख्यान विश्वविद्यालय म होय रिहिसे तइसने?
-हव ठउका समझे.. अइसन मनखे मनला पूरा सत्र म चार पइत व्याख्यान दे खातिर बलाए जा सकथे.. एमा अलग ले कोनो थ्योरी पाठ्यक्रम नइ राहय वो ह लइका मनला अपन अनुभव के व्यावहारिक ज्ञान देही.
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-परोसी राज मध्यप्रदेश के खजुराहो म प्रधानमंत्री ह काली केन अउ बेतवा नदिया मनला जोड़े के जेन उदिम शुरू करिन हें, तेन ह मोला घातेच सुग्घर लागिस हे जी भैरा.
-सही आय जी कोंदा महूँ ह ए बुता के शुरू च ले समर्थक अउ प्रशंसक रेहेंव काबर ते हमर देश म कोनो मुड़ा भारी बरखा त कहूँ खड़खड़ ले सुक्खा देखे ले मिलत रहिथे अइसन म उड़ेरा पूरा म बइहा बरोबर बकबकावत नदिया के पानी ल पसर भर पानी बर तरसत नदिया मन म लेगे के उदिम हो जाय त एकर ले बने बात अउ कुछू नइ हो सकय.
-सही आय जी.. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ह बछर 2002 म ए मुड़ा म बुता करे के शुरुआत करे रिहिन हें, फेर पाछू जाके वो ह अटक गे रिहिसे..अभी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के पहल ले 22 मार्च 2021 के मध्यप्रदेश अउ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मन ए समझौता म दस्तखत करे रिहिन हें, तेन ह अब शुरू होइस हे.
-देर आए दुरुस्त आए कहिथें तइसने आय संगी.. हमर शुभकामना हे ए बुता ह जल्दी सिध परय अउ देश के आने भाग के नदिया मनला घलो अइसने जोड़े के कारज होवय.
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-कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ह अभी रायपुर के सेजबहार म चलत शिव महापुराण कथा पंडाल काहत रिहिसे जी भैरा के लोगन अवइया 31 दिसंबर के थर्टी फर्स्ट भले मना लेवँय फेर नवा बछर ल अपन परिवार संग चैत महीना म ही मनावँय.
-अइसे काबर जी कोंदा? 1 जनवरी ल तो अब पूरा दुनिया भर म नवा बछर के रूप म मनाए जाथे.. हमर देश के संसद अउ जम्मो शासन प्रशासन के कारज घलो तो इही अंगरेजी कैलेंडर के मुताबिक चलथे.
-उँकर कहना रिहिसे के सनातन संस्कृति म चैत अँजोरी एकम ले ही नवा बछर के शुरुआत होथे.. ए दिन शिवालय म परिवार संग जा के खुशी मनाना चाही.
-मोला लागथे संगी के कथा वाचक जी ल छत्तीसगढ़ी संस्कृति के समझ थोकिन कमती हे.. हमर इहाँ के मूल संस्कृति म अक्ती परब ल नवा बछर के रूप म मनाए जाथे एकरे सेती ए दिन हमर खेती किसानी म मूठ धरई ले लेके पौनी पसारी, कमइया सौंजिया के नवा बछर खातिर नवा नियुक्ति होथे.. बहुत अकन सीजनउहा जिनिस मन के खाए पीए अउ बउरे के शुरुआत घलो हमन इही दिन करथन.
-तोरो कहना वाजिब हे.. छत्तीसगढ़ म कथा होवत हे त छत्तीसगढ़ी संस्कृति के मुताबिक गोठ होना चाही.. आखिर छत्तीसगढ़ के संस्कृति घलो तो सनातन के ही अंग आय न.
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-मोला जब मयारुक साग खाये के साध लागय जी भैरा त हमर इहाँ के सियानीन ल पनीर राँधे बर काहँव फेर जब ले हमर बीरगाँव ले अढ़ई हजार किलो नकली पनीर पकड़ाए के खबर आए हे तब ले वो डहार मने नइ जाय.
-सही कहे जी कोंदा.. ए नकली जिनिस बनइया व्यापारी मन तो अतिच करत हें.. सम्मार के बीरगाँव म अढ़ई हजार किलो नकली पनीर धराइस हे त वोकर बिहान भर मंगल के निमोरा के फैक्ट्री म चार हजार किलो नकली पनीर धरागे.
-ददा रे.. दुएच दिन म छै हजार किलो ले जादा के नकली पनीर हमर रायपुरे भर म.. माने इहाँ के चारों मुड़ा के पनीर बेचरउहा ठउर मन म नकली च नकली के खेल चलत हे कहि दे!
-हव भई महूँ ल अइसने जनाथे.. तभे तो जतका दूध के उत्पादन नइ होवय तेकर ले जादा दूध दही अउ वोकर ले बने जिनिस मन मिल जाथें.
-अइसन म तो मरे बिहान हे संगी.. काला खाईन अउ काला नहीं तइसे कहउल होगे हे.
-हव भई.. एक झन डेयरी वाले ह बतावत रिहिसे- पनीर के नान्हे कुटका ल मसल के देखना चाही.. कहूँ वो ह भुरभुरहा हो जाय त जान लेवौ के वो नकली आय.
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-अब इंद्रावती ह छत्तीसगढ़ महतारी के पइयाँ नइ पखार पाही तइसे जनावत हे जी भैरा.
-कइसे उजबक बानी के गोठियाथस जी कोंदा.. बारों महीना कलकल बोहावत इंद्रावती के जलधारा ल ही देख के हमर राजगीत म वोला 'इंद्रावती ह पखारय तोर पइयाँ.. जय हो छत्तीसगढ़ मइया' कहिके ठउर दिए गे हवय.
-हव गा.. तब ए इंद्रावती ह बारों मासी पानी म लबालब राहय.. एकरे सेती एला बस्तर के जीवन दायिनी घलो कहे जाथे, फेर अब एक तो खातुगुडा डेम ले बस्तर के हक के पानी ह पूरा नइ मिल पावत हे अउ एती जोरानाला विवाद के सेती इंद्रावती खड़खड़ ले सुखावत जावत हे.. अब तो इंद्रावती म जलरंग पानी के बलदा जगा जगा रेती के टीला दिखे लगे हे.. बस्तर के रहइया मन एकर खातिर कतकों उदिम कर डारे हें, फेर अभी तक ए मुड़ा काकरो चेत नइ आवत हे.
-ओहो.. जिम्मेदार लोगन ल बेरा राहत एती चेत करना चाही गा.. इंद्रावती म सिरिफ पानी भर नहीं, भलुक हमर गौरवशाली इतिहास घलो कलकल करत बोहावत रहिथे.
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-जइसे जइसे सियानी उमर बाढ़थे वइसे वइसे लोगन के देंह गरू होवत जाथें कहिथें जी भैरा.
-सियनहा मन जी कोंदा?
-हव.. एक रिपोर्ट म बताए गे हवय- 50 बछर ले उपराहा होइस तहाँ ले हर बछर आधा ले एक किलो तक वजन बाढ़त जाथे, तेकर सेती लोगन ल चेतलग रहना चाही.
-अच्छा..!
-हव.. वजन बाढ़े खातिर उमर के संग जीवनशैली म आए बहुत अकन नान-नान बदलाव अउ उमर ले संबंधित जैविक परिवर्तन ह असल कारण होथे.
-हव भई ए उमर म हमर शारीरिक गतिविधि कमतिया जाथे, निष्क्रियता घलो बाढ़थे व्यायाम कसरत घलो कमितच हो पाथे.
-सही कहे.. एकरे सेती हमन कैलोरी ल कमती मात्रा म बर्न कर पाथन.. वजन बाढ़े के संबंध नींद ले घलो बताथें.. लंदर-फंदर बजरहा जिनिस के खवई ले घलो होथे.
-सिरतोन कहे संगी.. अब हर किसम ले चेतलग रेहे बर लागही.. जतका जादा हो सकय अपन ल सक्रिय रखना परही अउ खवई-पीयई म घलो जीभ के सेवाद ल छोड़ाए बर लागही.
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-जे मन ल कला अउ संस्कृति के अंतर नइ समझँय ते मन छत्तीसगढ़ी संस्कृति के बढ़वार के गोठ करथें त बड़ा उजबक बानी के लागथे जी भैरा.
-तोर कहना महूँ ल वाजिब जनाथे जी कोंदा.. अब देखना.. अभी एक झन लइका ह अपन आप ल पहला पुरुष भरथरी गायक बतावत काहत हे के वो ह छत्तीसगढ़ी संस्कृति ल बढ़ावा दे खातिर ए रद्दा म आए हे.
-पहिली बात तो ए हे के भरथरी अउ पंडवानी जइसन गाथा गायन विधा ह छत्तीसगढ़ ले बाहिर के प्रसंग आय, जेकर छत्तीसगढ़ के इतिहास अउ संस्कृति ले कोनो संबंध नइए.. भरथरी ह बंगाल के जोगी मन ले आए विधा आय, जे मन बंगाल ले उज्जैन जावत बेरा छत्तीसगढ़ ले नाहकत रिहिन हें, उही बेरा म इहाँ के लोगन के संपर्क म आगे अउ गाथा गायन के एक विधा बनगे.
-हव भई छत्तीसगढ़ के गाथा अउ परंपरा के बढ़वार करना हे त आरंग के राजा मोरध्वज जइसन मन के गाथा ल गावयँ, जे ह अपन बेटा ताम्रध्वज ल सउहें आरा म दू फाँकी चीर के परीक्षा लेवत भगवान के आगू म मढ़ा दिए रिहिसे.
-सही आय जी.. पूरा दुनिया म एकर ले बढ़ के कहूँ उदाहरण अउ प्रसंग नइए, फेर इहाँ के लोगन मनला सिरिफ दूसर के पिछलग्गू बने रहे म ही आनंद आथे.. उही ल ए मन अपन गौरव समझथें.
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-सच ल सुने के क्षमता शासन के तंत्र म बइठे लोगन म रहिबे नइ करय जी भैरा.
-ए तो तइहा ले चले आवत चलागन आय जी कोंदा, तभे तो राजा रजवाड़ा म चारणभाट मन मौज करँय अउ सच के संगवारी मन बनवास भोगयँ या फेर उनला जान ले हाथ धोना परय.
-जान ले हाथ धोय के घटना तो आजो देखे म आवत हे संगी, काली बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर के जेन किसम ले निर्मम हत्या के खबर आए हे, तेन ह जबर चिंता के हे.
-हव भई.. शासन के तंत्र म बइठे लोगन ठेकादार मन संग साँझर-मिंझर कर के प्राकृतिक जंगल झाड़ी ल उजार के कांक्रीट के जंगल जगाय म मगन हें, अउ जे मन कहूँ एकर मन के चरित्तर ल उजागर करत हें त उंँकर कलम के आवाज ल ही चुप करवा दिए जावत हे.
-हव भई.. कई ठन सरकार इहाँ बन गे अउ बिगड़ गे फेर आज तक इहाँ पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नइ हो पाइस.. मुकेश चंद्राकर संग अभी जेन घटना घटे हे तेन ह अइसने के परिणाम आय.
-सही आय जी.. अभी खबर मिले हे के रायपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष संदीप शुक्ला ल घलो सीता नदी वन क्षेत्र के रेंजर ले जान ले मारे के धमकी मिले हे.
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-काकरो घर जब लइका अवतरथे त दाई ददा मन बने सोच विचार के ग्रह दशा के लेखा सरेखा कर के वोकर नॉव धरथें जी भैरा.
-हाँ ए बात तो वाजिब आय जी कोंदा.. भई जिनगी भर बर एके पइत नॉव धरे जाथे तेकर सेती सबो ल जाँच टमड़ के नॉव धरथें गा.
-हव, फेर हमर देश के मेघालय राज्य म एक अइसन गाँव घलो हे, जिहाँ लइका अवतरथे त वोकर महतारी ह एक अलगेच धुन बना के सुनाथे.
-अच्छा.. धुन बना के?
-हव.. अउ आगू चल के फेर इही धुन ह वो लइका के नॉव हो जाथे, लोगन ल जब वोला हुँत कराना होथे त उही धुन ल मुंह ले सुसरी बजा के वोला हुँत कराथें.
-भारी बिचिरत बात हे गा..!
-कांगथान नॉव के ए गाँव पहाड़ी म बसे हे.. सुसरी बजा के सबो झनला बलाए के परंपरा के सेती ए गाँव ल 'व्हिसलिंग विलेज' घलो कहे जाथे.. बताथें के उहाँ महतारी ह अपन लइका बर जेन धुन बनाथे वो ह चिरई के चहचहाट ले प्रभावित होथे. ए धुन ल 'जिंग्रवाई लॉबेर्ड' कहे जाथे.
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-डॉक्टर, बैद जइसन सबोच झन लोगन ल रोज नहाना चाही काहत एला देंह खातिर बड़ फायदा के जिनिस बताथें जी भैरा.
-नहाना-धोना, साफ-सफई ले रहना ए तो शरीर बर फायदा के बातेच आय जी कोंदा.. एकर ले मन घलो शांत अउ प्रसन्न रहिथे.
-हव जी.. हमूँ मन तइहा ले अइसने सुनत आवत हावन, फेर अभी प्रयागराज महाकुंभ म छोटू बाबा नॉव के एक संत आए हे, तेन ह पाछू बत्तीस बछर ले नहाएच नइए कहिथें.
-ददा रे.. बत्तीस बछर ले बिन नहाए हे गा..!
-हव भई.. उँकर असली नॉव गंगापुरी महराज बताथें जे ह सिरिफ साढ़े तीन माने अउठ फीट के हे, एकरे सेती सब उनला छोटू बाबा कहिथें.. वो मन असम के कामाख्या पीठ ले जुड़े हें.. वोकर मन के कहना हे के उन अपन गुप्त संकल्प ल उजागर नइ करना चाहँय, जे दिन उँकर संकल्प पूरा हो जाही, ते दिन सबले पहिली क्षिप्रा नदिया म डुबकइय्या मारहीं.. उँकर इहू कहना हे के शरीर के बाहरी शुद्धि ले जादा भितरी शुद्धि महत्वपूर्ण होथे.
-सब के अलग अलग साधना अउ संकल्प होथे गा.. वइसे साधना तो हमूँ मन करे हावन, फेर हमर गुरु ह मुंदरहा ब्रह्म मुहुर्त म रोजे नहाए बर चेताय रिहिन हें, तेन टकर ह आजो ले बनेच हे.
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