Monday 28 April 2014

घर म घलो आन होगेंव...

(किन्नर समुदाय के पीड़ादायी जीवन पर आधारित छत्तीसगढ़ी गीत..फोटो-वीना सेन्दरे)


















घर म रहिके घलो मैं बिरान होगेंव
कइसे बहिनी-भाई बर घलो आन होगेंव....

एके पेंड़ के डारा हम आन सबो झन
लइकई म होवय सबके एके कस जतन
फेर उमर के खसलते अनजान होगेंव.....

अब जिनगी बनगे हे, पीरा के खजाना
ककरो मिलथे गारी त कोनो देथे ताना
सबके गोठ के सुनई म हलाकान होगेंव....

न कोनो देवय रोजी, न कोनो रोजगार
मोर जिनगी के डोंगा खड़े हे मंजधार
फोकटे-फोकट फेर कइसे शैतान होगेंव....

न मोर लोग हे, न कोनो हवय लगवार
जिनगी बनही तब कइसे मोरो चतवार
गुन-गुन के बुढ़ापा ल परेशान होगेंव....

सुशील भोले
54/191, डॉ. बघेल गली, संजय नगर,
(टिकरापारा), रायपुर (छ.ग.)
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