Friday 2 January 2015

धुर्रा-गर्दा ल झटकारे के जरूरत..

मोला जब ले ये बात के जानबा होइस के इहां भगवान भोलेनाथ ह माता पार्वती संग सोला साल तक रहिके अपन जेठ बेटा कार्तिकेय ल वापस कैलाश लेगे खातिर डेरा डार के बइठे रिहीसे तब ले मोर मन म ए गुनान चालू होगे के त फेर आज हमन ल छत्तीसगढ़ी के जेन इतिहास देखाए जावत हे, वोहर आधा-अधूरा अउ बौना हे, जेला फेर नवा सिरा ले लिखे के जरूरत हे।

अभी तक इहां बगरे किताब मन के माध्यम ने सिरिफ अतके जान पाये रेहेन के छत्तीसगढ़ के इतिहास ह रमायन अउ महाभारत कालीन हे। फेर अब जानेन के सिरिफ अतके नहीं भलुक ए माटी के जुन्ना इतिहास सृष्टिकाल संग जुड़े हे, जेला युग निर्धारण के दृष्टि ले सतयुग घलोक कहि सकथन। त फेर मन म इहू बात उपजथे के इहां जे मनला  हमन इतिहासकार के रूप म जानथन वो मन ए सब बात ल काबर नइ लिखिन? त एक बात झक ले आगू म आ जथे के इहां जतका भी इतिहासकार होए हें, उन सबो के ज्ञान के स्रोत उत्तर भारत ले आये धारमिक ग्रंथ मन रेहे हें, एकरे सेती उन उहां ले जुड़े घटना संग जोड़ जाड़ के छत्तीसगढ़ के इतिहास ल लिख दिए हें। तभे तो वो इतिहास लेखन ह इहां के मूल संस्कृति अउ धारमिक रीति रिवाज संग जोड़ के देख ले त अन्ते-तन्ते जनाथे।

इहां के गांव-गांव अउ घर-घर म बूढ़ा देव, ठाकुर देव, साड़हा देव, शीतला दाई जइसन देवी-देवता काबर मिलथे। राम अउ कृष्ण संग जुड़े  संस्कृति या ए मनला कुल देवता के रूप म काबर नइ पाये जाय? कहूं छत्तीसगढ़ के धारमिक अउ सांस्कृतिक इतिहास सिरिफ रमायन अउ महाभारत कालीन तक सीमित होतीस त निश्चित रूप ले राम अउ कृष्ण ह इहां घरों-घर म कुल देवता के रूप म बिराजे रहितीस। फेर अइसन नइहे छत्तीसगढ़ ह सतयुग माने भगवान भोलेनाथ के संस्कृति ल जीथे तेकर असल कारन हे ये माटी के इतिहास ह सतयुग माने सृष्टिकाल तक जुन्ना हे। जेला फिर से लिखे-पढ़े के जरूरत हे।

बस्तर म एक लोक गीत मिलथे जेकर मुताबिक भगवान भोलेनाथ अउ माता पार्वती ह अपन जिनगी के सोला साल तक इहां रिहिन हें। अइसे कहे जाथे के उन इहां रहिके अपन जेठ बेटा कार्तिकेय ल कैलाश लेगे खातिर मनावत रिहीन हें। हमन ल धरम ग्रंथ के माध्यम ले ए जानकारी मिलथे के भगवान गणेश ल वोकर चतुराई अउ तेज बुद्धि के सेती प्रथम पूज्य के आशीर्वाद दे दिए गे रिहीसे, तेकरे सेती आज घलो जम्मो किसम के धरम-करम के कारज म हमन गणेश के ही सबले पहिली पूजा करथन। इही प्रथम पूज्य के आशीर्वाद के सेती वोकर बड़का भाई कार्तिकेय ह रिसा के दक्षिण भारत म आके रेहे बर धर लिए रिहीसे। तब भगवान भोलेनाथ अउ माता पार्वती ह वापिस कैलाश लेगे खातिर छत्तीसगढ़ के बस्तर म आके सोला बछर तक रिहिन हें।
निश्चित रूप ले एहर छत्तीसगढ़ खातिर गौरव के बात आय। शायद, एकरे सेती इहां के जम्मो संस्कृति म शिव अउ शिव परिवार ह रचे-बसे हावय। अपन लेख मन  म मैं ह इहां के मूल संस्कृति अउ धरम के कतकों पइत चरचा कर डारे हावौं जेकर ले ए बात साबित हो जाथे के हमर इतिहासकार अउ संस्कृति मर्मज्ञ मन हमन ला इहां के मूल संस्कृति अउ इतिहास के बलदा उत्तर भारत ले आए ग्रंथ अउ संस्कृति मन के मापदण्ड म चुरो-पको के उहां के रूप म इहां के संस्कृति अउ इतिहास ल देखाए -बताए हें।

ए बात ल सबो जानथें के इहां के मूल निवासी मन शिक्षा ले, पढ़ई-लिखई ले कतकों कोस दुरिहा रिहीन हें। एकरे सेती उन अपन गौरवशाली संस्कृति अउ इतिहास ल नइ लिख पाइन। इही बात के फायदा उठावत बाहिर ले आके इहां बसे मनखे मन अपन संग वोती ले लाने संस्कृति अउ इतिहास ल इहां के रूप म लिख-पढ़ के रख दिन। इही कटु सत्य आय जेकर सेती इहां के मूल संस्कृति अउ इतिहास ह किताब म बगरे संस्कृति अउ इतिहास ले अलग दिखथे। अब जब इहां के मूल निवासी मन घलो पढ़-लिख डारे हें, अउ संग म ए समझ डारे हें, के हमला जेन बताए अउ पढ़ाए जावत हे, वो हर हमर नहीं भलुक आने क्षेत्र के संस्कृति अउ इतिहास आय त निश्चित रूप ले वो बाहिर के संस्कृति अउ इतिहास ल अपन-अपन मुड़ ले उतार के इहां के मूल संस्कृति, गौरव अउ इतिहास ल अपन-अपन मुड़ म चढ़ाना चाही, अपन ल मानना चाही।

सुशील भोले
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संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
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