Thursday 26 February 2015

आंखी ले निंदिया....














आंखी ले निंदिया अब कोन कोती चल देथे
छपक के धरथौं तबले कइसे वो बुलक देथे
सुरता करथौं लोरी के नानपन म महतारी के
फेर उमर के चेत गजब हे उहू ल बिसर देथे

*सुशील भोले*

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