Monday 1 April 2019

चितावर दाई....

चितावर दाई....
सिमगा विकासखंड के गाँव झिरिया कामता म बस्ती ले बाहिर खेत-खार के बीच ले एक नान्हे नरवा बोहाथे,  एकरे तीर म एक प्राकृतिक जलस्रोत (झिरिया) हे। ए झिरिया ल चारों मुड़ा ले पक्का बना के एकर बीच म अर्धनारीश्वर (भगवान भोलेनाथ अउ माता शक्ति के समिलहा रूप) के एक पखरा के मूर्ति स्थापित करे गे हवय,  इसी ल लोगन "चितावर माता" के रूप म जानथें अउ मानथें। 
अब तो एक ठउर म अउ कतकों अकन मंदिर अउ पूजा के ठउर बनगे हवय।  ए जगा आज पूरा के परा एक धार्मिक पर्यटन के रूप म विकसित होगे हवय,  जिंदा साल भर लोगन के आना जाना लगे रहिथे।  साल के विशेष तिथि म इहाँ अब मेला चलो भराथे।  मैं पाछू बछर चैत नवरात के पहिली संझा दरसन करे बर गेंव,  वो दिन कुंड (झिरिया) म स्थापित अर्धनारीश्वर के मूर्ति म एक ठन करिया रंग के सांप ह वोमा आधा चढ़ के बइठे रिहिसे अउ वोकर शरीर के आधा भाग ह पानी म रिहिस हे। मोला लागिस के तीर म बोहाने वाला नान्हे नरवा संग ए झिरिया के संपर्क होही वोकरे सेती ए सांप, मछरी आदि परानी मन झिरिया म आके अर्धनारीश्वर के मूर्ति म चढ़ जाता होही। 
वइसे प्राकृतिक जगा के देखे के शौकीन मनला ए ए झिरिया दाई के नाम ले प्रचलित अर्धनारीश्वर के दर्शन जरूर करना चाही। 
-सुशील भोले

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