Sunday 7 April 2019

प्रेम में.....

प्रेम नि: स्वार्थ होता है,
वो केवल देना जानता है,
मांगता कुछ भी नहीं।
स्वार्थ से परे होता है,
प्रेम में वाणी का नहीं,
मन का निरंतर
संवाद होता है।
प्रेम असीम है,
बिन बोले ही,
सबकुछ बोलने का
उदाहरण है।
प्रेम में अधिकार
होता ही नहीं,
सिर्फ त्याग होता है,
कल्याण होता है, 
और समर्पण होता है।
-सुशील-9826992811

No comments:

Post a Comment