Tuesday 18 June 2019

रामगढ़ की नाट्य शाला...

देश की प्राचीनतम् नाट्यशाला रामगढ़ छत्तीसगढ़ में..

जहां आषाढ़ मास के प्रथम दिवस नाट्यमंचन किया जाता है...
न्यायधानी बिलासपुर से 170 कि.मी. दूर तुर्रापानी बस स्टाफ से 3 कि.मी.पैदल रामगढ़ की पहाड़ी जिसका आकार दूर से ही एक सूंड उठाए हुए हाथी की शक्ल में  दिखाई दे जाती है। इस पहाड़ी को ही रामगढ़ कहते हैं। यह सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लाक में है। छत्तीसगढ़ शासन यहां प्रतिवर्ष आषाढ़ मास के प्रथम दिवस पर राष्ट्रीय स्तर की नृत्यांगनाओं को आमंत्रित कर नृत्य आयोजन करती है।
मान्यताओं के अनुसार महाकवि कालिदास ने जब राजा भोज से नाराज हो उज्जैनी का परित्याग किया था, तब यहीं महाकवि कालीदास ने शरण लिया एवं महाकाब्य "मेघदूतम्" की रचना  इसी जगह पर की। यहीं पर एक नाट्यशाला जो सीताबेंगरा गुफा के ऊपर में है, जिसे देखकर यह आभाष होता है कि प्राचीन में नाट्यशाला के रूप उपयोग किया जाता रहा होगा, पूरी ब्यवस्था ही कलात्मक है। गुफा के बाहर 50-60 लोगों के बैठने परिसर अर्धचन्द्राकार  में आसन बने हुए है। गुफा में प्रवेश स्थल की फर्श पर 2 छेद है , जिनका उपयोग सम्भवतः पर्दे में लगाए जाने वाली लकड़ी के डंडों को फंसाने के लिए किया जाता था।पूरा परिदृश्य रोमन रंगभूमि की याद दिलाता है।
सुशील भोले

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