Thursday 16 February 2023

सुआ, करमा ददरिया किताब राधिका वर्मा

किताब के गोठ//
परंपरा के संरक्षण करत 'सुआ, करमा अउ ददरिया'
    हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के मयारुक रचनाकार राधिका वर्मा जी के अभी तुरते छपे किताब 'सुआ, करमा अउ ददरिया' ल पढ़ के गजबे आनंद आइस, काबर ते ए किताब ह हमर पारंपरिक गीत मन के संकलन आय, जेकर मन के संरक्षण खातिर हमन जम्मो लेखक अउ इहाँ के संस्कृति खातिर बुता करइया मनला गोहरावत रहिथन.
    राधिका वर्मा जी के अपन खुद के सिरजाय रचना मन के संग्रह 'पीरा.. मन के' पहिली पढ़े बर मिले रिहिसे, फेर अभी के संकलन ह पारंपरिक गीत मन के थाथी आय. एमा राधिका वर्मा जी अपन खुद के प्रयास ले सकेले पुरखौती गीत मन के संगे-संग रमा विश्वकर्मा, सविता सोनी, बसंती दीक्षित, पूर्णिमा वर्मा, चमेली वर्मा, लक्ष्मी वर्मा, जानकी वर्मा, कालिन्द्री, सुलक्षणा वर्मा, तुलसा वर्मा, आशालता सोनी, गीता विश्वकर्मा, श्यामा उइके, पन्ना शर्मा, केजा बाई ग्वालीन, सोनकुंवर वर्मा, उमा वर्मा आदि मन के द्वारा संचालित तीन कोरी अकन लोकगीत मनला संघारे हे.
    राधिका वर्मा जी ए किताब म लोकगीत मन के संकलन खातिर प्रेरित करइया डाॅ. निरूपमा शर्मा जी ल सुरता करत लिखे हें- छत्तीसगढ़ महिला साहित्य अउ विकास परिषद के अध्यक्ष रहत वोमन एकर मन के संकलन खातिर कहे रिहिन हें. उंकरे बताए रद्दा म ए लोकगीत मनला अपन तीर-तखार म रहइया दाई-दीदी, बहिनी, मामी, ममादाई मन जगा गिंजर-गिंजर के सकेले रेहेंव अउ सन् 2004 म एकर पांडुलिपि ल रायपुर के दादा बाड़ी जैन मंदिर म सत्यनारायण शर्मा जी जगा विमोचन करवाए रेहेंव, फेर आज 14 फरवरी 2023 के सामाजिक समरसता सम्मान समारोह जेन रायपुर के कृष्णा नगर के कर्माधाम म होइस, तिहां वो पांडुलिपि ल किताब रूप म छपवा के विमोचन करवाए  हौं.
    ए किताब के नाॅव भले 'सुआ, करमा अउ ददरिया' हे, फेर एमा एकर मन के संगे-संग सोहर गीत, शीतला माता सेवा, माता सेवा जसगीत, बारहमासी, जंवारा गीत, भोजली गीत, गौरा-गौरी गीत, जम्मो नेंग जोंग मन के बिहाव गीत, नचउड़ी गीत, लोरिक चंदा के गीत, बांस गीत, गंगोरिहा गीत, भरथरी गीत, पंथी गीत के संगे-संग कुछ हाना अउ राउत नाचा वाले दोहा मनला  संघारे गे हवय.
    कुल मिलाके ए किताब ह परंपरा अउ संस्कृति खातिर बुता करइया लोगन मन बर अनमोल खजाना बरोबर हे. मैं राधिका वर्मा जी ल ए जबर बुता खातिर बधाई देवत ए अरजी घलो करत हौं, के उन अइसने हमर दाई-काकी अउ बूढ़ी दाई मन जेन अलग अलग परब-तिहार, प्रसंग आदि म किस्सा कहानी बेरा-बखत के मुताबिक सुनावत राहंय, वोकरो मन के संकलन कहूँ हो सकय, त अउ जबड़ बुता हो जाही.
    ए ठउका उदिम खातिर राधिका जी ल एक पइत अउ बधाई.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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