कम शब्दों में चुन-चुन कर जो बिन मांगे दुआएँ देते हैं
हमने देखा है, ऐसे चेहरों को कुछ-कुछ माँ जैसे ही होते हैं

मुंह में मिश्री, हाथ में छुरा, दिल में कपट बस रखते हैं
हमने देखा है, मीठा बोलने वाले ज्यादा जहरीले होते हैं

बिना परिश्रम मिल जाये हीरा तो मोल नहीं समझ पाते हैं
हमने देखा है, हीरे की नहीं परख जिन्हें, वे पारस नहीं पाते हैं

स्वप्न लोक में जीने वाले, हर बार भ्रमति हो जाते हैं
हमने देखा है, छोड़ प्याला अमृत का निरा गरल पी जाते हैं
चांद-सितारे तोड़कर लाने का, जो-जो दंभ भरते हैं
हमने देखा है, आसमान से मुंह के बल ये धरा पर गिरते हैं

मुंह से तो फूल झड़ते, पर कर्मों से कांटे बोते हैं
हमने देखा है, दर्द देने वाले कुछ-कुछ ऐसे ही होते हैं
सरहद पर शीश कटा कर जो माँ की लाज बचाते हैं
हमने देखा है, ऐसे ही सच्चे वीर घर-घर पूजे जाते हैं
*** ***
सुशील भोले
54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
No comments:
Post a Comment