
छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा-आरती के साथ प्रारंभ हुए धरने में साहित्यकार सुशील भोले ने सरकारल को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अपने

क्रांति सेना के प्रदेशाध्यक्ष अमित बघेल ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि सरकार अपने मूर्खता भरे निर्ण को तरंत वापस ले। जब तक यहां की मातृभाषा में संपूर्ण शिक्षा लागू नहीं हो जाती, हम उड़िया भाषा को या किसी भी अन्य प्रदेश प्रदेश की किसी भी भाषा को यहां स्वीकार नहीं कर सकते। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि सरकार एक महीने के अंदर अपने इस बेवकूफी भरे निर्णय को वापस नहीं लेती तो पूरे छत्तीसगढ़ में आग लगा दिया जायेगा। यहां का समस्त व्यापार-व्यवसाय को बंद कर दिया जायेगा। और इन सबकी जिम्मेदारी सरकार की अपनी खुद की होगी।
वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर शुक्ला ने मातृभाषा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए इस प्रदेश में तुरंत छत्तीसगढ़ी में संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ स देश का पहला राज्य है जहां अपनी खुद की मातृभाषा में पढ़ाई देने की बजाय अन्य प्रदेशों की भाषा को लादा जा रहा है। हमारा उड़िया या किसी भी अन्य भाषा से कोई वैचारिक विरोध नहीं है, लेकिन जब तक यहां की मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक किसी भी अन्य भाषा ओं को यहां स्वीकार नहीं किया जा सकता।
महाधरना *जबर गोहार* को विष्णु बघेल, श्याम मूरत कौशिक, दाऊ आनंद कुमार, अजय यादव, ऋतुराज साहू, ललित साहू, तुकाराम साहू, संजीव साहू, देव लहरी, सोनू नेताम, गजेन्द्र चंद्राकर, रामशरण टंडन, राजेन्द्र चंद्राकर, सुश्री दुर्गा झा, कल्याण सिंह आदि ने भी संबोधित किया। महाधरना में पूरे प्रदेश भर से आये सैकड़ों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
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