छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति को बिगाड़ने, भ्रमित करने और उसे गलत संदर्भों के साथ जोड़कर लिखने का कुत्सित कार्य कई वर्षों से चल रहा है। अन्य प्रदेशों से लाये गये ग्रंथों और संदर्भों के मापदण्ड पर लिखे जा रहे इन कारगुजारियों के चलते यहां के वास्तविक धर्म और संस्कृति के समक्ष अस्तित्व रक्षा का संकट उत्पन्न हो गया है, लेकिन आश्चर्य होता है इन सब दृश्यों के चलते भी यहां के कथित विद्वान खामोश कैसे रह जाते हैं..?
छत्तीसगढ़ के प्राय: सभी गांव-कस्बों में मड़ई या मेला का आयोजन होता है। ये छोटे स्तर के मड़ई-मेले गांव के बाजार स्थल पर या किसी अन्य स्थल पर आयोजित कर लिए जाते हैं। लेकिन जो बड़े स्तर के मेले होते हैं वे सभी किसी न किसी सिद्ध शिव स्थलों पर ही होते हैं। इसलिए हम यह प्राचीन समय से सुनते और देखते आ रहे हैं कि राजिम मेला कुलेश्वर महादेव के नाम पर भरने वाला मेला कहलाता था।
एक गीत हम बचपन में सुनते थे- *चल ना चल राजिम के मेला जाबो, कुलेसर महादेव के दरस कर आबो...* लेकिन जब से इस मेला को कुंभ के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है, तब से इसे राजीव लोचन के नाम पर भरने वाला कुंभ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, जो कि यहां की मूल संस्कृति को समाप्त कर उसके ऊपर अन्य संस्कृति को थोपने का षडयंत्र मात्र है।
मुझे लगता है कि इस मेला के राजीव लोचन नामकरण के पीछे राजनीतिक षडयंत्र भी एक मुख्य कारण है। आप सब इस बात को जानते हैं कि राजीव लोचन भगवान राम का ही एक नाम है, और राम भारतीय जनता पार्टी का चुनावी एजेंडा भी है। शायद इसीलिए भारतीय जनता पार्टी के शासन में परिवर्तित इस आयोजन को कुलेश्वर महादेव के स्थान पर राजीव लोचन के नाम पर भराने वाला मेला के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
मेरा प्रश्न है कि केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं अपितु पूरे देश में जो कुंभ का आयोजन होता है, वह केवल शिव स्थलों पर और उसी से संबंधित तिथियों पर आयोजित होता है, तब भला वह राजीव लोचन या राम के नाम पर आयोजित होने वाला कुंभ कैसे हो सकता है? राम के नाम पर तो अयोध्या में भी मेला या कुंभ नहीं भरता तो फिर राजिम में कैसे भर सकता है? वह भी महाशिवरात्रि के अवसर पर?
महाशिवरात्रि के अवसर पर लगने वाला मेला या कुंभ कुलेश्वर महादेव के नाम पर भरना चाहिए या राजीव लोचन के नाम पर?
मुझे छत्तीसगढ़ के तथाकथित बुद्धिजीवियों पर, उनके क्रियाकलापों पर आश्चर्य होता है। वे इस तरह की सांस्कृतिक विकृतियों पर कैसे खामोश रहकर सरकार की जी-हुजूरी में लगे रहते हैं..?
सुशील भोले
डॉ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
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