Wednesday 12 October 2016

धर लेबे गुरु के अंगरी,...

सत् के मारग अब्बड़ बिच्छल कोन मेर पांव बिछल जाही
कांटा-खूंटी झुंझकुर-झाड़ी में, देंह कोनो मेर दहल जाही
नइए ठिकाना एक्को बिल्कुल कोन भेरका म धंस जाबे
फेर धर लेबे गुरु के अंगरी, हर बाधा सुट ले निकल जाही

* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931

No comments:

Post a Comment