Friday 25 October 2013

गीत गाना चाहता हूं...

मैं तुम्हारे आंसुओं का गीत गाना चाहता हूं
भूख और बेचारगी पर ग्रंथ गढऩा चाहता हूं....

जब जमीं पर श्रम का तुमने, बीज बोया था कभी
पर सृजन के उस जमीं को, कोई रौंदा था तभी
मैं उसी पल को जहां को दिखाना चाहता हूं... मैं तुम्हारे...

जब तुम्हारे घर पर पहरा, था पतित इंसान का
बेडिय़ों में जकड़ा रहता, न्याय सदा ईमान का
उन शोषकों को तुम्हारे बेनकाब करना चाहता हूं.. मैं तुम्हारे...

दर्द की परिभाषा मैंने, समझी थी वहीं पहली बार
जब तुम्हारे नयन बांध ने, ढलकाये थे अश्रु-धार
उसी दर्द को अब जीवन से, मैं भगाना चाहता हूं... मैं तुम्हारे..

सुशील भोले
41-191, कस्टम कालोनी के सामने,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853 05931, 098269 92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
https://www.youtube.com/watch?v=BnBbA3fHJPk

2 comments: