Tuesday 29 October 2013

रौशनी बांटने का पर्व *सुरहुत्ती*


छत्तीसगढ़ में कार्तिक अमावस्या को मनाया जाने वाला पर्व *सुरहुत्ती* और *गौरा-गौरी* का विवाह ही मुख्य है, लेकिन अब इनके साथ *लक्ष्मी पूजन* को भी शामिल कर लिया गया है।
लक्ष्मी पूजन और गौरा-गौरी के विवाह पर्व को प्राय: हम सभी जानते हैं। इसलिए आज थोड़ी सी चर्चा सुरहुत्ती के संबंध में।
सुरहुत्ती छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति है। कार्तिक अमावस्या के दिन सूर्यास्त के पश्चात यह दीपदान या कहें रौशनी बांटने का पर्व प्रारंभ हो जाता है। लोग अपने-अपने घरों में, खेत-खलिहानों में, कुआं-बावली जैसे जीवनदायिनी जलस्रोतों पर, रोजी-रोजगार के अन्य साधनों के पास दीपक से रौशनी करते हैं। और इन सबसे बड़ी बात यह कि जितने भी अपने ईष्ट-मित्र और पड़ोसी होते हैं, उन सबके यहां भी दीपक लेकर जाते हैं और उनके घरों के तुलसी-चौरा या घर के अन्य प्रमुख स्थल पर दीपक रख कर प्रकाश फैलाते हैं।
मुझे लगता है कि रौशनी के आदान-प्रदान का ऐसा पर्व शायद ही दुनिया के किसी अन्य भागों में होता हो, जिसमें अपने ईष्ट-मित्रों या पड़ोसियों के घर जाकर रौशनी बांटी जाती हो।
इस दिन जिस दीपक का इस्तेमाल होता है, वह नई फसल से प्राप्त चावल के आटे का होता है। आजकल लोग नये चावल के आटे उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण मिट्टी के दिये का भी इस्तेमाल कर लेते हैं।
मित्रों, आप सभी के जीवन में *सुरहुत्ती* की रौशनी फैले इन्हीं शुभकामनाओं के साथ... ऐसी गौरवशाली संस्कृति को और भी आगे बढ़ाने का आग्रह....

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

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