Monday 12 July 2021

जगन्नतिहा गीत...

*// ठाकुर भला बिराजे हो //*
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     *वर्षों पहले जब हमारे गांव से जो तीर्थयात्री भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करने हेतु पैदल चलते हुए उड़ीसा राज्य के जगन्नाथ पुरी जाथे थे |*।      *जब वे तीर्थयात्री वापस गांव आते थे,तब तालाब तट में स्थित एक मंदिर में रूकते थे,और वापस आने की सूचना घर-परिवार एवं गांव वालों को देते थे*
     *तब उन्हें आदर पूर्वक"परघा कर "लाने के लिए मृदंग,झांझ मंजीरा ढोलक बजाते हुए गांव के लोग यह गीत गाते थे :-*

*ठाकुर भला बिराजे हो*
*उड़ीसा जगन्नाथ पुरी में भला बिराजे-२*

*ओड़िया मांगैं खिचड़ी*
*बंगाली मांगैं भात*
*साधु मांगै दर्शन महापरसाद*
    *ठाकुर भला बिराजे हो ..........|०|*

*काहे छोड़े मथुरा नगरी?*
*काहे छोड़े कांशी ?*
*झारखंड म आए बिराजे*
*वृंदावन के वासी*
    *ठाकुर भला बिराजे हो ........|०|*

*नील चक्र में धजा बिराजे*
*मस्तक सोहे हीरा*
*ठाकुर आगे दासी नाचे*
*गावैं दास कबीरा*
      *ठाकुर भला बिराजे हो .. .... ...*|०|*
***"
एक अउ गीत गाए जावय--

भजन बोलो भगवान के
तोर नइया ल लगाही वो ह पार हो..
ए भजन बोले... हो मुरली वाला के..

(इही मनला तब जगन्नतिहा गीत कहे जावय)
-सुशील भोले
👏🌷🌺🌹💐👏

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