*// ठाकुर भला बिराजे हो //*
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*वर्षों पहले जब हमारे गांव से जो तीर्थयात्री भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करने हेतु पैदल चलते हुए उड़ीसा राज्य के जगन्नाथ पुरी जाथे थे |*। *जब वे तीर्थयात्री वापस गांव आते थे,तब तालाब तट में स्थित एक मंदिर में रूकते थे,और वापस आने की सूचना घर-परिवार एवं गांव वालों को देते थे*
*तब उन्हें आदर पूर्वक"परघा कर "लाने के लिए मृदंग,झांझ मंजीरा ढोलक बजाते हुए गांव के लोग यह गीत गाते थे :-*
*ठाकुर भला बिराजे हो*
*उड़ीसा जगन्नाथ पुरी में भला बिराजे-२*
*ओड़िया मांगैं खिचड़ी*
*बंगाली मांगैं भात*
*साधु मांगै दर्शन महापरसाद*
*ठाकुर भला बिराजे हो ..........|०|*
*काहे छोड़े मथुरा नगरी?*
*काहे छोड़े कांशी ?*
*झारखंड म आए बिराजे*
*वृंदावन के वासी*
*ठाकुर भला बिराजे हो ........|०|*
*नील चक्र में धजा बिराजे*
*मस्तक सोहे हीरा*
*ठाकुर आगे दासी नाचे*
*गावैं दास कबीरा*
*ठाकुर भला बिराजे हो .. .... ...*|०|*
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एक अउ गीत गाए जावय--
भजन बोलो भगवान के
तोर नइया ल लगाही वो ह पार हो..
ए भजन बोले... हो मुरली वाला के..
(इही मनला तब जगन्नतिहा गीत कहे जावय)
-सुशील भोले
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