सुरता//
चरडबिया गाड़ी के मजा..
हमर देश म 16 अप्रैल 1853 के सबले पहिली रेल गाड़ी मुंबई अउ ठाणे के बीच 33.8 कि. मी. के दूरी ल 57 मिनट म पूरा करे रिहिस हे. उही दिन ह इहाँ के इतिहास म रेलगाड़ी के शुरुआत के दिन के रूप म शामिल होगे. तब ले चालू होए सफर ह आज पौने दू सौ साल अकन के अपन बड़का यात्रा ल पूरा करत कतकों हजारों किमी के लंबाई म विस्तारित होगे हवय. भाप इंजन ले डीजल इंजन अउ फेर बिजली इंजन के रूप म गौरव गाथा गावत हे. आज हमर देश के अइसन कोनो राज्य या क्षेत्र नइहे जिहां रेल के पहुँच नइ हो सके होही, अइसे कहे जाय. तभो ले आजो कुछ अइसन लोगन मिल जाथें, जे ए कहिथें के हमन अभी तक रेलगाड़ी के सवारी नइ करे हन, त बड़ा अलकर लागथे. एकदम पहुँच विहीन जगा के लोगन के मुंह ले अइसन सुनई ह एक बखत पतियाए असन लाग घलो जथे. फेर कोनों पढ़े लिखे, नौकरी पेशा मनखे जे शहर असन जगा म राहत होवय, उंकर मुंह ले अइसन गोठ के सुनई ह मुंह फार के देखे के छोड़ अउ कुछु असन नइ लागय.
बात 2014-15 के आय. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला सम्मेलन जिला मुख्यालय गरियाबंद म होवत रिहिसे. तब के अध्यक्ष दानेश्वर शर्मा जी के नेवतई म हमन कविता पाठ खातिर उहाँ पहुंचे रेहेन. कवि सम्मेलन के संचालन मुकुंद कौशल जी करत रिहिन हें. मंच म मोर बगल म उही क्षेत्र के एक नवा कवयित्री रीता जी बइठे रिहिन हें. वो मोर जगा पूछिस- सर, आपमन रायपुर म रहिथव त रेलगाड़ी म अबड़ चढ़त होहू ना? मैं हां कहेंव. त वो बताइस- मैं दुरिहा ले देखे तो हंव, फेर अभी तक चढ़े के मौका नइ मिल पाए हे. मैं वोला कहेंव- ये कार्यक्रम ल झरन दे. मंच ले उतरे के बाद गोठियाबो.
कार्यक्रम के झरे के बाद वो मोला कहिस- सर जी, इहें मोर भाई घलो रहिथे. तीरेच के एक गाँव म शिक्षक हे. मैं रात के उहें रइहू. आपो मन रुक जावव न. इही बहाना मैं गरियाबंद के तीरेच म बिराजे भकुर्रा (भूतेश्वर) महादेव के दरस करे करे के मनसुभा बनावत हव कहि देंव. रतिहा म उंकर घर फेर रेलगाड़ी ऊपर चर्चा होइस. त वोला बताएंव- अभी भिलाई म छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के प्रदेश स्तरीय वार्षिक जलसा होवइया हे. तैं वो दिन रायपुर म मोर घर आ जाबे. मैं तोला रायपुर ले भिलाई तक के यात्रा ल रेलगाड़ी म करवा दुहूं. वो हव सर कहिके, तुरते तैयार होगे. वइसे तो मैं दुरुग भिलाई जब कभू जावंव त सड़क के रद्दा जावंव. फेर वो दिन वो नोनी के रेलगाड़ी म बइठे के साध पूरा करे खातिर रेलगाड़ी म भिलाई गेंव.
जिहां तक मोर बात हे, त मैं तो नानपन ले रेलगाड़ी के मजा लेवत हंव. काबर ते हमर गाँव नगरगांव ह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अन्तर्गत मुंबई हावड़ा मार्ग म हावय. पहिली हमन भाठापारा म राहत रेहेन त सिलयारी स्टेशन ले रेलगाड़ी चढ़-उतर के आवन-जावन. बाद म हमर सियान के बदली भाठापारा ले रायपुर होगे, त मांढर रेलवे स्टेशन ले रायपुर आना-जाना होवय. चाहे सिलयारी स्टेशन ले उतर के आ, चाहे मांढर स्टेशन ले जा हमर गाँव ह दूनों जगा ले एकेच कोस परथे.
रायपुर म आए के बाद जब गाँव जावन त वो बखत मांढर ले रायपुर के टिकिट किराया 30 पइसा लागय अउ कुल 12 मिनट के सफर म रायपुर ले मांढर पहुँच जावत रेहेन. मांढर म उतरन अउ रेलवाही के तीरे-तीर बरबंदा फाटक तीर जावन, उहाँ ले गिधौरी के बस्ती होवत नगरगांव पहुंचन.
हमर गाँव के तीर ले कोलहान नरवा बोहाथे. वोमा रेलगाड़ी नाहके खातिर जबर पुलिया बने हे. वोकर बाजूच म एक अउ पुलिया हे, जेला हम सब बंगाली पुलिया के नांव ले जानथन. ए पुलिया के नांव बंगाली पुलिया कइसे परिस? एकर संबंध म हमर बबा बतावय- जब ए मुंबई हावड़ा रेल लाईन बनत रिहिसे, तब ए पुलिया ह घेरी-भेरी भरभरा के गिर जावय.
वो पुलिया के निर्माण कारज एक बंगाली इंजीनियर के देखरेख म होवत रिहिसे. पुलिया के बार बार गिरई म वो हलाकान होगे रिहिसे. तब एक रतिहा वोला सपना आइस के, उहिच तीर म बोहरही दाई के ठउर हे, तेकरे आसपास म एक मंदिर के निर्माण करवा तब वो पुलिया ह पूरा बन पाही. बंगाली इंजीनियर ह सपना के बात ल मान के बोहरही दाई के जेवनी मुड़ा म थोरिक दुरिहा म एक शिव जी के मंदिर बनवाइस. तब जाके वो पुलिया के निर्माण कारज ह सिध पर पाइस. अउ फेर उही बंगाली इंजीनियर के सुरता म वो पुलिया के नांव बंगाली पुलिया परगे.
वो बखत बिहनिया जुवर जेन लोकल गाड़ी आवय, वो ह दुर्ग ले मांढर तक ही चलय. मांढर ले फेर वापस लहुट जावय. अब तो ये गाड़ी ह एती डोंगरगढ़ तक बाढ़गे हे, अउ वोती कोरबा तक. तब ए लोकल गाड़ी ल "चरडबिया गाड़ी" काहन, काबर ते वोमा मुड़ी के छोड़ चारेच ठन डब्बा राहय.
हमर ए मुंबई हावड़ा लाईन म जतका गाड़ी आथे सब बड़े लाईन वाला आय. फेर छोटे लाईन के गाड़ी म चघे के घलो जबर मजा आवय. एक तो रायपुर ले राजिम जावय, तेमा सिरिफ सउंख खातिर चढ़ परन. फेर एक बार के छोटे लाईन के गाड़ी म चघे के जबर सुरता हे.
तब मैं आईटीआई म रेहेंव. उहाँ हर बछर खेलकूद प्रतियोगिता होवय. वोमा जेन मन पोठ प्रदर्शन करयं वोकर मन के चयन प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता खातिर होवय. मोर स्कूली बेरा ले ही कबड्डी अउ बालीबाल के खेलई म चयन होवत राहय. आईटीआई म घलो प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता खातिर मोर चयन होगे. ए प्रतियोगिता ल जबलपुर म होना राहय.
हम सबो प्रतिभागी मनला जबलपुर लेगे-लाने के जवाबदारी उहाँ एक खत्री सर रिहिसे, तेन ल सौंपे गिस. वो ह सब लइका मन संग बइठ के जोंगिस के जबलपुर हमन गोंदिया-बालाघाट होवत जाबो अउ लहुटती म बिलासपुर डहार ले आबो. सबो लइका वोकर बात म सहमत होगेन.
निश्चित तिथि म रायपुर ले बड़े लाईन वाले गाड़ी म चढ़के गोंदिया पहुंचेन. तहाँ ले उहाँ ले गाड़ी बदलेन. उहाँ देखेन ते छोटे लाईन वाले 'धकपकहा गाड़ी'. ए ह छोटे लाईन वाले गाड़ी म चढ़े के जबर अनुभव रिहिसे. वइसे तो रायपुर ले राजिम वाले गाड़ी म चढ़े रेहेन, फेर ए दूनों के अनुभव म भारी अंतर. रायपुर ले राजिम वाले रद्दा ह मैदानी भाग म होए के सेती वतेक जीवलेवा नइ रिहिसे, जतका गोंदिया वाले रद्दा ह रिहिसे.
गोंदिया ले बालाघाट तक तो अलवा-जलवा बनेच रेंगिस. फेर जइसे उहाँ ले आगू बढ़ेन अउ डोंगरी-पहाड़ मन के बीच म हबरेन तहाँ ले वो सफर ह मुड़पीरवा असन लागे लागिस. वो जगा के पहुंचत ले बेरा पंगपंगाए असन होगे राहय, त हमन गाड़ी ले उतर के रेंगत जावन तभो ले गाड़ी ले अगुवा जावन. तहाँ ले फेर कोन जगा बइठ के सुरतावन. गाड़ी जब हमर मन जगा आ जावय त फेर वोमा बइठन. वो गाड़ी ह भाप इंजन म चलय, तेकर सेती जगा-जगा वोमा पानी भरे खातिर जुगाड़ लगे राहय. हमन गाड़ी के दंतनिपोरई के सेती उही पानी भरे के जगा मन म दतवन-मंजन अउ नहाना-धोना घलो कर डारे राहन. वो दिन तो अतिच होगे रिहिसे. हमन ल लेगइया खत्री सर ल अबड़ गारी देवन. बाद म पता चलिस, के खत्री सर के ससुरार गोंदिया म रिहिसे तेकर सेती वो ह उहाँ थोकन बिलमे खातिर अइसन जाए के रद्दा जोंगे रिहिसे. सही म जब हमन गोंदिया म गाड़ी बदले खातिर रगड़ के तीन-चार घंटा स्टेशन म बइठे रेहेन, तब तक खत्री सर ससुरारी मान के लहुट आए रिहिसे.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Tuesday, 6 July 2021
चरडबिया गाड़ी के मजा.
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