Wednesday 21 July 2021

अगासदिया परदेशी राम वर्मा

18 जुलाई हीरक जन्मोत्सव//
साहित्य के अगासदिया डॉ. परदेशी राम वर्मा
    हमर छत्तीसगढ़ म सुरहुत्ती के रतिहा अगासदिया बारे के परंपरा हे. वइसे तो सुरहुत्ती के रतिहा गाँव बस्ती के चारों खुंट गोड़ी दिया के अंजोर टिमटिमावत रहिथे, फेर अगासदिया जेला लम्हरी बांस के टिलिंग म टांग के बारे जाथे, वो ह गाँव के बाहिर ले घलो कोस भर दुरिहा ले देखब म आ जाथे. ठउका अइसने हमर छत्तीसगढ़ के साहित्य अगास म अंजोर बगरावत दिया तो गजब दीया हें, फेर ए जम्मो के बीच म डॉ. परदेशी राम वर्मा अइसन अगासदिया ए जेन पूरा देश के चारों खुंट ले देखब म आ जाथे.
     दुरुग जिला के गाँव लिमतरा के कलावंत किसान नंदराम जी अउ महतारी हेमबती के जेठ बेटा के रूप म 18 जुलाई 1947 के जनमे परदेशी राम जी के चिन्हारी कथाकार, उपन्यासकार, संस्मरण, रिपोतार्ज, त्वरित राजनीतिक लेख, समीक्षक, निबंध, ऐतिहासिक अउ तथ्यात्मक लेखक माने लेखन के जम्मो विधा के रचनाकार के रूप म हवय. उंकर लेखन के आधार अउ केन्द्र दलित, शोषित अउ अन्याय पीड़ित समाज आय. एकरे सेती उनला लोगन छत्तीसगढ़ के प्रेमचंद घलो कहिथें.
     मोर सौभाग्य आय, उंकर संग मोर गजब जुन्ना चिन्हारी हे. एकरे सेती उंकर भिलाई वाले घर म तो जाना-आना होते रथे. उंकर गाँव लिमतरा घलो जाए के अवसर मिले हे.  उंकर गाँव खातिर मोर अंतस ले जुराव हे. काबर के ए गाँव ह कलाकार अउ साहित्यकार मन के जनमभूमि आय. परदेशी राम जी के सियान खुद एक जबर कलाकार रिहिन हें. उंकरे संस्कार ल परदेशी राम जी साहित्यकार के रूप म पाइन, फेर उंकर छोटे बेटा (परदेशी राम जी के छोटे भाई) महेश वर्मा जी घलो इहाँ के नामी कलाकार आयं. फेर मोला छत्तीसगढ़ी लेखन खातिर प्रेरित करइया पत्रकार अउ साहित्यकार रहे टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी के गाँव घलो इही लिमतरा ह आय.
    परदेशी राम जी, एक अइसे  लेखक आयं, जेन ए लेखन कारज ल मिशन के रूप म करथें. हिन्दी छत्तीसगढ़ी दूनों भाखा म संघरा. उंकर रचना देश के नामी पत्र-पत्रिका मन म लगातार छपत रहिथे. उंकर लिखे उपन्यास 'आवा' ह रविशंकर विश्विद्यालय के एम.ए. हिन्दी के पाठ्यक्रम म घलो शामिल हे. उंकर ए सब उदिम मन के सेती उनला छत्तीसगढ़ शासन के सबले बड़े साहित्य सम्मान 'पं. सुंदरलाल शर्मा' पुरस्कार के संगे-संग कतकों राष्ट्रीय अउ प्रदेश स्तर के साहित्यिक-सामाजिक पुरस्कार मिलत रहे हे. ए मिशनरी भावना उंकर मन म तबले जागे हे, जब उन आसाम राइफल्स म 1966 ले 1969 तक एक फौजी के रूप म काम करीन. एकर पाछू उन भारतीय डाक तार विभाग, डी.एम.सी. कुम्हारी अउ फेर भिलाई इस्पात संयंत्र म घलो नौकरी करीन.
     परदेशी राम जी जतका बड़का लेखक आयं वतकेच बड़का जमीनी कार्यकर्ता घलो आंय. उन अपन लेखन के संगे-संग 'अगासदिया' नांव के एक साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था के संचालन घलो करथें. एकर नांव ले एक पत्रिका के प्रकाशन संपादन तो करबेच करथें, संगे-संग बारों महीना कुछु न कुछु मैदानी आयोजन घलो करत रहिथें. 'आगमन' पत्रिका के संपादन करे के संगे-संग माता कौशल्या गौरव अभियान समिति के अध्यक्ष के बड़का बुता ल घलो करतेच रहिथें.
     मोला सुरता हे. जब संत कवि पवन दीवान जी रहिन हें. तब उंकर संग मिलके ए मन 'माता कौशल्या गौरव अभियान' के नांव ले जब जबरदस्त अभियान चालू करे रिहिन हें. तब मैं ए आयोजन म खूबेच संघरत रेहेंव. ए मंच के माध्यम ले पवन दीवान जी एक बात हर मंच म कहयं- 'बंगाल गुजरात के मन अपन देवता धर के आइन हर उंकरो पांव परेन. उत्तर प्रदेश अउ बिहार के मन अपन देवता धर के आइन हम उंकरो पांव परेन. चारों मुड़ा के मन अपन अपन देवता धर के आइन हम सबके पांव परेन. भईगे सबके देवता के पांवे परई तो चलत हे. फेर मैं पूछथौं, अरे ददा हो, भइगे हम दूसरेच मन के देवता के पांव परत रहिबो, त अपन देवता के पांव कब परबो? देख लेवव उंकर देवता के पांव परई म हमर माथा खियागे हे, अउ ए परदेशिया मन ए
इंकरे नांव म इहाँ के जम्मो शासन-प्रशासन म छागे हें.' मोला उंकर ए बात बहुतेच अच्छा लागय. काबर ते महूं ह  इहिच सिद्धांत ल लेके एक नान्हे संस्था 'आदि धर्म जागृति संस्थान' के गठन कर के इहाँ के मूल आध्यात्मिक संस्कृति, पूजा उपासना अउ जीवन पद्धति ल लेके जानजागरण करत हंव.
    परदेशी राम जी के संग तो मैं अबड़ कार्यक्रम म संघरे हंव. फेर एक ऐतिहासिक कार्यक्रम के जबर सुरता हे. जब सन् 2017  के अक्टूबर महीना म हमन गुजरात राज्य के राजधानी अहमदाबाद म आयोजित 'गुजराती अउ छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्य गोष्ठी' म संघरे खातिर गे रेहेन. एकर महत्व एकर सेती जादा हे, काबर ते ए ह भारत सरकार के साहित्य अकादमी के आयोजन रिहिसे, जेमा छत्तीसगढ़ी भाखा ल पहिली बेर राष्ट्रीय आयोजन म शामिल करे गे रिहिसे. असल म अभी तक छत्तीसगढ़ी ल संवैधानिक  रूप ले भाषा के दर्जा नइ मिल पाए हे, तेकर सेती भारत सरकार के एक संस्था के राष्ट्रीय स्तर के गोष्ठी म छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्यकार के रूप म प्रतिभागी बनना ऐतिहासिक बात आय. जेकर हिस्सा बने के सौभाग्य मिलिस.
     परदेशी राम जी के आयोजन के वो दिन के सुरता ल घलो मैं जिनगी भर नइ भुलावंव जब मोर जिनगी म सबले बड़े शारीरिक पीरा के संचार होइस. बात सन् 2018 के आय, तब शरद पुन्नी ह 24 अक्टूबर के परे रिहिसे. छत्तीसगढ़ के नामी कलाकार अउ शब्दभेदी बाण चलइया कोदूराम वर्मा जी के सुरता म आमदी नगर, भिलाई के अगासदिया परिसर म जबर कार्यक्रम होवत रिहिसे. ए कार्यक्रम म हमन रायपुर ले बंशीलाल कुर्रे जी दूनों जाके संघरे रेहेन. बांसगीत के कलाकार मन के मयारुक प्रस्तुति के पाछू परदेशी राम जी कार्यक्रम म उद्घोषणा करत मोला कविता पाठ खातिर बलाइन. मैं शरद पुन्नी अउ महर्षि वाल्मीकि के सुरता करत - 'जब-जब पांवों में कोई कहीं, कांटा बन चुभ जाता है, दर्द कहीं भी होता हो गीत मेरा बन जाता है.' गीत के पाठ करेंव. लोगन के ताली के आवाज सुनेंव तहाँ ले अचानक गिर परेंव. बाद म जब सब झन के अबड़ उदिम करे म होश आइस त लोगन के मुंह ले सुनेंव, के मोला 'लकवा' के बड़का अटैक आगे हे. तब ले अब तक घर के रखवारी करत साहित्य सेवा म मगन हंव.
    आज 18 जुलाई के डॉ. परदेशी राम वर्मा जी अपन जिनगी के 75 बछर पूरा करत हें. उनला गाड़ा-गाड़ा बधाई अउ शुभकामना हे, छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी भाखा-साहित्य के कोठी ल लबालब भरतेच राहंय.
शुभकामना संग जोहार 🙏
 
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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