Thursday 15 July 2021

गुरु पूर्णिमा..

गुरु परब के जोहार...

गुरु बनावव जान के, पानी पीयव छान के
रद्दा एकरे ले खुलथे सत्मारग अउ ज्ञान के
एकरे सेती पुरखा गढ़े हें गुरु ज्ञान के हाना
तभे फल पूरा मिलथे साधना अउ ध्यान के

   गुरु के महिमा ल दुनिया के जम्मो संत-महात्मा अउ धरमग्रंथ मन एक ले बढ़के एक किसम ले गाये अउ बताये हें. फेर सच्चा गुरु के डेहरी ल धरे खातिर इहू चेताए हे- 'गुरु बनावव जान के अउ पानी पीयव छान के'.

   हमर देश म तो वइसे एक ले बढ़के एक गुरु अउ गुनिक होए हें, फेर महर्षि वेदव्यास जी ह वो पहला गुनिक आय, जेन ह चारों वेद के व्याख्या करे रिहिन हें. एकर सेती उंकरे सम्मान म ही उंकर जनमदिन आषाढ़ पूर्णिमा ल गुरु परब या गुरु पूर्णिमा के रूप म मनाए जाथे.

  आषाढ़ पूर्णिमा ल गुरु परब के रूप म मनाए एक अउ बात ल गुनिक मन फोरियाथें. उंकर कहना हे- गुरु तो पुन्नी के चंदा कस ज्ञान के अंजोर बगरावत असन होथे, फेर चेला तो तब आषाढ़ के बादर बरोबर अंधियार म बूड़े अस रहिथें. एकरे सेती ए तिथि ल अंजोर बगरावत गुरु अउ अंधियार म बूड़े चेला के एकमई प्रतीक असन मान के गुरु परब खातिर इही तिथि ल  उपयुक्त तिथि जोंगे हें.

   वइसे इहाँ ए जानना जरूरी हे, के हमर छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति म सावन महीना के अमावस के दिन जेन हरेली के परब मनाए जाथे, उही दिन ल गुरु या चेला बनाए के दिन माने जाथे, जेला इहाँ के भाखा म "पाठ-पिढ़वा" दे या ले के रूप म मनाए जाथे. इही तिथि ल इहाँ अपन-अपन मंत्रिक ज्ञान के पुनर्पाठ या पुनर्जागरण के रूप म घलो मनाए जाथे.

   वइसे एक बात तो प्रमाणित हे, के हर मनखे ल विधिवत रूप ले एक योग्य गुरु जरूर बनाना चाही. मोला अपन साधना काल म एकर ज्ञान अउ अनुभव दूनों होइसे. गुरु बनाए के बाद ही हमर तप-साधना के फल ल पूर्ण रूप म मिलथे. हमर कर्म के फल तो ऊपर वाला ही देथे, फेर वोला गुरु के माध्यम ले देथे.

गुरु नाम के डोंगा म चढ़बे तभे उतरबे पार
नइते बस किंजरत रहिबे कांटा-खूंटी-खार
देव-कृपा पाए बर कर ले तैं कतकों उदिम
फेर पूरा फल पाबे जब गुरु बनही माध्यम

गुरु परब के जम्मो झनला बधाई अउ जोहार 🙏🙏
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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