Tuesday 11 May 2021

बइला गाड़ी के बरात..

सुरता//
बइला गाड़ी के बरात
   जब ले सृष्टि उद्गरे हे, तब ले एकर नियमित संचालन खातिर नर अउ मादा के वैवाहिक-संबंध कोनो न कोनो रूप म होवत रेहे हे. जइसे- जइसे समूह, परिवार संग शिक्षा अउ संस्कार के अंजोर म लोगन आवत गिन, तइसे-तइसे ए संबंध ह एक सुव्यवस्थित रूप लेवत गिस. आज हम एला अलग- अलग समाज अउ वर्ग म अलग-अलग नेंग-जोग अउ परंपरा के रूप म देखथन.
     जिहां तक हमर छत्तीसगढ़ के बात हे, त इहाँ पहिली पांच तेलिया माने पांच दिन के बिहाव, तीन तेलिया माने तीन दिन के बिहाव देखे बर मिलत रिहिसे, जेन ह अब दू दिनिया ले एक दिनिया अउ अब तो एक जुवरिया घलो देखे बर मिल जाथे. जइसे-जइसे लोगन काम बुता अउ आने- आने रोजी रोजगार म बिपतियावत जावत हें, तइसे-तइसे बेरा-बखत म कमी आवत जावत हे, जे ह अइसन किसम के रीति रिवाज अउ परंपरा मन के परिवर्तन के रूप म घलो दिखत जावत हे.
   इहाँ के मूल निवासी समाज म पैठुल बिहाव, जेमा लड़की ह अपन पसंद के लड़का के घर घुसर जावत रिहिसे, फेर वोला लड़का के राजी होए के बाद सामाजिक स्वीकृति मिल जावत रिहिसे. अइसने एक लमसेना बिहाव घलो होवय. एमा बिहाव के लाइक लड़का ल लड़की घर जा के एकाद-दू बछर रहि के अपन शारीरिक कार्यकुशलता के परिचय देना परय. जब लड़की वाले मन वोकर काम काज ले संतुष्ट हो जावंय, त फेर उंकर बिहाव कर दिए जाय. कोनो कोनो एला घरजिंया अउ घरजन प्रथा घलो कहिथें. एक भगेली बिहाव के घलो परंपरा रिहिसे. एहा लड़का अउ लड़की के सहमति ले होवय. ए ह एक किसम के प्रेम बिहाव ही राहय. लड़का लड़की के घर वाले मन उंकर बिहाव खातिर राजी नइ होय म अइसन बिहाव होवय. एमा लड़की ह रतिहा म अपन घर ले भाग के प्रेमी के घर आ जावय, अउ वोकर छपरी के नीचे आके खड़ा हो जावय. तब लड़का ह एक लोटा पानी धर के अपन छपरी म डारय, वो पानी ल लड़की ह अपन मुड़ी ले लेवय. तब लड़का के महतारी सियान मन लड़की ल अपन घर भीतर ले जावंय. तहाँ ले गाँव के सियान मन लड़की के भगेली होय के सूचना देके उंकर बिहाव करवा देवंय.
    हमर एती चातर राज म तो मंगनी-जंचनी अउ पूरा नेंग-जोग के साथ ही बिहाव होवत देखे हावन. बहुत पहिली बाल विवाह घलो देखे रेहेन, फेर अब ए ह शिक्षा के संग नंदावत जावत हे. सियान मन बतावंय, लड़की लड़का एकदम नान्हें राहयं, त पर्रा भांवर घलो पर जावत रिहिसे. पर्रा भांवर म दुल्हा दुल्हिन एकदम नान्हें राहंय. उन भांवर घूमे तक ल नइ जानत रहंय, त उंकर मनके सुवासा-सुवासिन (ढेंड़हा- ढेंड़हिन) मन वोमन ल पर्रा म बइठार लेवंय अउ मड़वा के चारों मुड़ा उठा के किंजार के भांवर के नेंग ल पूरा करवावंय.
   हमन एती देखे हावन, गरमी के दिन म ही जादा करके बिहाव होवय. पढ़त राहन त 30 अप्रैल के भारी अगोरा राहय. जिहां 30 अप्रैल के स्कूल म पास-फेल के रिजल्ट सुनाइस, तहाँ ले दू महीना के रगड़ के छुट्टी. तहाँ चारों मुड़ा किंजरई. काकर-काकर बिहाव होवत हे, तेकर सोर-खबर लेवई अउ बरात-परघनी म नचई-कूदई के सरेखा चालू हो जावय. गाँव म हमन अपन पारा के सबले जादा सक्रिय कार्यकर्ता राहन. ककरो घर बिहाव होतीस, कोल्हान नरवा के खंड़ ले मंगरोहन, तेल चघ्घी पिड़हा अउ मड़वा म छाए खातिर डुमर डारा लाने के जिम्मा हमीं मनला मिलय. चुलमाटी, तेलमाटी के रतिहा भांठा म भुन्नाटी चलाए बर सुतरी मनला बांध के माटी तेल म बोरना, माय मौरी म रोटी झपटे बर खंभा पोगराना. सब हमरे मनके ड्यूटी रहय.
    बरात जाए के तो असली मजा रहय. तब बइला गाड़ी, भइंसा गाड़ी अउ सवारी गाड़ी. ये तीन किसम के विकल्प राहय बरात जाए खातिर. हमर मनके जुगाड़ राहय, कइसनो करके बइला गाड़ी के सवारी मिल जाय. काबर ते बइला मन भइंसा ले थोकन बनेच रेंगय. सवारी गाड़ी घलो राहय, फेर वो ह एक किसम से दुल्हा बाबू खातिर आरक्षित राहय. वोमा सिरिफ नेंग वाले मन ही दुल्हा के संग म बाइठंय.
  तब बरात एक जुवरिया बेरा  बरतिया भात खा के निकलन. दिन बुड़तही दुल्हिन गाँव पहुंचय, त फेर परघनी के तैयारी चलय.
    बराती मन के असली मजा तो परघनीच म होथे. परघनी ठउर ले लेके जेवनास घर के पहुंचत ले गंड़वा बाजा ल जगा-जगा छेंक के नाचना. पहिली कतकों बरात म अखाड़ा वाले मन घलो जावंय, जे मन अपन शारीरिक कला के अद्भुत प्रदर्शन करंय. कोनो कोनो गाँव म अखाड़ा नइ राहय, ते मन दूसर गाँव के अखाड़ा वाले मन ल मान-गौन कर के लेगंय. कभू-कभू तो अखाड़ा के प्रदर्शन ह रात भर चल जावय. तब मुंदरहा-मुंदरहा दूधभत्ता खाए बर मिलय. अउ फेर दिन म तहाँ ले बांचे नेंग-जोग मन होवंय.
   अब तो वो सब देखना दुर्लभ होगे हे. बिहाव के शुरू होवत ले मड़वा के झरत तक हर प्रसंग खातिर अलग-अलग गीत. वो सब ल सुरता करबे त लागथे, के हमर लोक साहित्य अउ परंपरा कतेक समृद्ध रिहिसे. चुलमाटी ले चालू होवय, तेन ह तेल चघी, माय मौरी, नहडोरी, बरात निकलनी, परघनी, भांवर, बिदाई, डोला परघनी ले लेके कंकन मउर के छूटत अउ आखरी म मड़वा झर्रा के तरिया म सरोवत तक हर प्रसंग के गीत चलय.
(सभी फोटो गूगल से साभार)
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 9826992811

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