Thursday 20 May 2021

जिनगी के साठा..

जिनगी के साठा
   अंगरेजी काल गणना पद्धति के अनुसार आज 2 जुलाई'21 के मैं साठ बछर के हो गेंव. हमर मितानी भाखा म कहिन त सठियागेंव. ए बात अलग हे, के हमर देशी कालगणना पद्धति के अनुसार ए तिथि ह असाढ़ अंधियारी पाख म पंचमी के आथे. फेर जेन देश के संसद अउ जम्मो प्रशासनिक व्यवस्था ह जेन गणना पद्धति ल अपना लिए हे, तेला आंखी तोप के कइसे छोड़े जा सकथे?
    जिनगी के सठियाना ल अपन करम-धरम के लेखा-सरेखा के बेरा आगे घलो कहे जाथे तइसे लागथे, तभे तो लोगन इही अवस्था ल चिंतन-मनन के रद्दा म लामी-लामा हो जाना चाही कहिथें. तब तक गृहस्थ जीवन के जिम्मेदारी ले मुक्त होए के आरो मिले ले धर लेथे. देंह-पांव घलो वोकर गवाही दे ले धर लेथे. मोर देंह तो दू बछर पहिलीच ले लकवा रोग के सपेटा म आके एकर सोर करत हे, के अब राहन दे तोर एती-तेती के पल्ला भगई ल. बस अब एके जगा बइठे राह या परे राह अउ का-का करे. कामा पास होए, अउ कामा नपास? अब बिन जांगर के का करे सकबे? इही ल गुन...
जिनगी के साठा अब पढ़ावत हावय पाठा
करम के खेती हरियाइस ते परे हे बंजर-भाठा
का मिल जाही अतकेच म परलोक के बांटा
बने माई कोठी के भरत ले ते सिरिफ खोंची-काठा
  सिरतोन आय. अब सिरिफ गुनइच भर रही गे हे. जेन उद्देश्य ल लेके जिनगी भर लिखेन-पढ़ेन, मिशन मान के जांगर टोर चारों मुड़ा भागेन-कूदेन. सब अधूरा छूट जही तइसे जनाथे.
  मोर साहित्य के लेखा-सरेखा मन तो जब साधना म गेंव, तभेच छदर-बदर होए ले धर लिए रिहिसे. एकर मनके महत्व ल जान-समझ के चेत करइया घर म कोनो नइ रेहे के सेती ऐतिहासिक जिनिस मन घलो छूछू-मुसवा के जेवन बनगें. साधना ले लहुटे के बाद ए रद्दा म सकेल ज्ञान अउ जरूरी जिनिस मनला जनता म बगराए के जतन ठउका करे ले धरत रेहेन, तइसनेच म लकवा के सोंटा परगे. सबो उद्देश्य अउ मिशन मोरेच देंह कस लरी-लरी होगे.
  अब तो दू बछर ले आगर होगे हे. दुनिया भर के जोखा करत फेर बिन ककरो थेगहा के घर ले निकले के लायक घलो नइ हो पाइस ए देंह ह. मोला अपन देंह के ए पीरा ले जादा वो ह जियानथे, के अतेक कूदे-फांदे अउ खोजे-खाजे के बाद घलो अभी मोर ए मिशन ल अपन खांध म बोह के आगू के रद्दा धरा देने वाला कोनो नइ मिल पाइस.
  संग म तो अबड़ झन संघरिन फेर सब संग म रेंगने वाला ही. मोर सिद्धांत अउ उद्देश्य ल लेके नेतृत्व करइया के अभी घलो अगोरा हे. अब तो धीरे- धीरे मोर लिखे कागज-किताब मन घलो जुन्ना होके अनपढ़ना बानी के होए ले धर ले हवय. कतकों मन तो अब  खोजे म घलो मुहिंच ल नइ मिलत हे. फेर आज के ए आधुनिक तकनीक के सहारा बने इंटरनेट म मोर एक ब्लाग www.mayarumati.blogspot.in बनगे हवय जेमा, अलवा-जलवा लिखे-पढ़े कुछ जिनिस मन तो सकलागे हवय. कोनो चतुर सुजान के नजर एमा पर जाही, अउ वो ह इंकर मन के गहराई ल समझ जाही, त निश्चित रूप ले मोर ए मिशन ल एक ठोसहा खांधा मिल जाही. देखव वो दिन कब आही?
  इहाँ के मूल आध्यात्मिक संस्कृति के पूजा-उपासना अउ जीवन पद्धति ल जन-जन म बगरा के बाहिर ले आवत आध्यात्मिक अतिक्रमण ल छेंके के जेन मोर उद्देश्य अउ मिशन रिहिसे, ते ह सिध पर पाही. बस इही आस लगाए अतकेच कहना हे...
जम्मो जीव-जगत जुरियावौ आदि धर्म के छइहां म
सृष्टि जेकर ले उपजे हे, उही मूल तत्व के बइहां म
सगुण- निर्गुण सब वोकरेच रूप, तेज-शक्ति के स्रोत
ऊंच- नीच के खंचका पाटव, जगावौ परमारथ के जोत
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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