Friday, 7 May 2021

सिनेमा/ मेटनी शो..

सुरता//
छात्र जीवन के मेटनी शो
   भारत म हिन्दी सिनेमा के शुरुआत ल दादा साहेब फाल्के के 3 मई 1913 म बना के रिलीज होए 'राजा हरिश्चंद्र' ले माने जाथे. तब मुक्का माने बिना संवाद वाला सिनेमा बनत रिहिसे. पहला बोलती सिनेमा 'आलम आरा' ल माने जाथे. तब सिनेमा ह करिया-सादा (ब्लेक एण्ड व्हाइट) ही बनत रिहिसे. देश ल आजादी मिले के बाद 1950 के दशक ले सिनेमा ह रंगीन दिखे लागिस.
   जिहां तक हमर छत्तीसगढ़ के बात हे त मनु नायक जी ह  16 अप्रैल 1965 म अपन बनाए पहिली छत्तीसगढ़ी फिलिम 'कहि देबे संदेश' के प्रदर्शन करे रिहिन हें. जेन ह खूब सफल होए रिहिसे. मैं ह ए सिनेमा ल बड़े परदा म तो नइ देखे पाए रेहेंव. फेर एक पइत दूरदर्शन के राष्ट्रीय प्रसारण म क्षेत्रीय फिल्म के श्रेणी म प्रसारित होए रिहिसे, तब देखे रेहेंव. अब तो ए ह यूट्यूब म घलो उपलब्ध हे, जेला डहर चलती कोनो जगा मोबाइल म घलो देखे जा सकथे.
    जिहां तक मोर सिनेमा देखे के शुरुआत हे, त ए ह जब मैं आठवीं पढ़े खातिर गाँव ले रायपुर आए रेहेंव. सन् 1974-75 के बात होही. तब  हमन रायपुर के पुरानी बस्ती थाना के ठउका आगुच म रोडे ऊपर के घर म राहत रेहेन. चौक म रोड ऊपर घर होए के सेती इहाँ रायपुर म वो बखत जतका टाकीज रिहिसे, सबो झन अपन सिनेमा के पोस्टर ल हमर घर के छत ऊपर टांगय, अउ बदला म संबंधित फिलिम ल देखे खातिर 'पास' देवंय. घर म हमीं मन छोटे राहन तेकर सेती 'फोकट पास' जेमा दू मनखे एक संग देख सकंय, हमन ल मिल जावत रिहिसे. वो बखत वो घर म दू परिवार राहत रेहेन. एक हमन अउ दूसर एक गुजराती परिवार, तेमा के दीपक नांव के लइका दूनों सिनेमा जावन.
   वो बखत लइकुसहा उमर रिहिसे, तेकर सेती सिनेमा मन तो बने गढ़न के समझ म नइ आवत रिहिसे. का कहानी ये? कइसे ये? फेर गीत -संगीत मन ल देख-सुन के मन गदगद हो जावत रिहिसे. ए कहना अच्छा होही, के हमन फिलिम के नांव म गीत के ही मजा ले बर जावन. तब के गीत संगीत ह वाजिब म अंतस ल छू लेवत रिहिसे. सिनेमा के कथा- कहानी कुछू रहितीस गीत ह जबड़ राहय. कतकों फिलिम मन  तो गीतेच मन के भरोसा चलंय.
  हाईस्कूल गेन त दू-चार फिलिम के दीवानगी म बूड़े संगवारी पाएन. इहाँ रायपुर म एक झन सरदार लइका रिहिस त्रिलोचन सिंह हूड़ा अउ मोर गाँव म राहय केजऊ राम निषाद. इन दूनों के सेती कतकों बखत कक्षा ले 'गोल' मरई घलो हो जावय. तब 12 ले 3 बजे के मेटनी शो चलय. केजऊ तो कभू-कभार रायपुर घलो आ जावय, तहाँ ले बस फिलिम. हमन गर्मी के छुट्टी म गाँव जावन, तभो केजऊ दूनों फिलिम देखे बर रायपुर आ जावत रेहेन. हमर गाँव ह रायपुर ले जादा दुरिहा नइए. सइकिल म डेढ़- दू घंटा के सफर. फेर छात्र जीवन के उत्साह जबर होथे. गाँव ले 10 बजे निकलन रायपुर म 12 से 3 मेटनी शो देखन फेर वापस पांच बजे गाँव के गाँव.
    मोर साहित्यिक सामाजिक अउ राज्य आंदोलन म जुड़े के बाद सिनेमा देखई म कमी आइस. तब तक कहानी- उहानी सब समझ म आए ले धर ले रिहिसे. फेर धीरे धीरे सिनेमा म गीत संगीत के नांव कानफोडू संगीत के चलन बाढ़त गिस. तहाँ ले एमा रुचि अउ कम होवत गिस.
    छत्तीसगढ़ राज बने के बाद छत्तीसगढ़ी फिलिम मन के घलोक एक दौर आइस. सतीश जैन के निर्देशन म बने 'छइयां भुइंया' ल जब जबरदस्त सफलता मिलिस. तब तक मोर फिलिम देखई ह नहीं के बरोबर होगे रिहिसे. फेर छत्तीसगढ़ी फिलिम बनइया मन आके जोजियाए ले धर लेवय, के एक बार देख के समीक्षा लिख देतेव कहिके. त चलव भई अपन तीर तखार अउ चिन्हार के लइका मनला प्रोत्साहित करे जाय कहिके सिनेमा देख घलोक घलोक रेहेन, अउ समीक्षा लिख के पेपर म छपवा घलो देवत रेहेन.
   धीरे धीरे इहू ह असकट लागे लागिस. कारन ए के छत्तीसगढ़ी के नांव बम्बइया फिलिम के नकल अउ पिछलग्गू पना. अपन भाखा संस्कृति सबो के हिनमान कस लागय. वइसे दू चार अच्छा फिलिम घलो बनय, फेर वो मन सिरिफ अंगरी गिनई हे. जइसे- मया दे दे मया ले ले, मयारु भौजी, झन भुलव माँ बाप ल, परदेशी के मया, आदि आदि. एक-दू फिलिम के प्रिमियर शो घलो देखेन, जेमा चंद्रशेखर चकोर के गुंरावट अउ गुरु जी के चक्कर. संतोष सारथी अउ पुनीत सोनकर घलो कई पइत  जोजिया के ले जावय.
    छत्तीसगढ़ी फिलिम के भीष्म पितामह के रूप म चिन्हे जाने वाले मनु नायक जी संग कई पइत मोर ए संबंध म गोठ होए हे. उहू मन आज जेन किसम के छत्तीसगढ़ी फिलिम बनत हे, वोमन ले खुश नइए. छत्तीसगढ़ी भाषा, साहित्य, संस्कृति के क्षेत्र म जतका झन हें, सबके लगभग इही विचार हे. हमन कतकों फिलिम बनइया मन संग ए संबंध म गोठ घलो करथन, त उन कहिथें के हमूं मन अच्छा सिनेमा बनाना चाहथन, फेर वोमा हमर लागत ह घलो नइ निकल पावय. मजबूरी म व्यावसायिक बुद्धि अपनाना परथे. वोकर मन के इहू कहना हे के कुछ विशुद्ध व्यापारी किसम के निर्माता मन लोगन के मानसिकता ल बिगाड़त हें, तेकर सेती लोगन हमरो मन जगा अइसने उम्मीद करथें.
  छत्तीसगढ़ी फिलिम के दिन बहुरय. छत्तीसगढ़ महतारी ले इही अरजी हे..
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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