सुरता//
किन्नर मनला घलो मिलय उंकर प्रतिभा के सम्मान
दुनिया के हर जीव ककरो न ककरो संग म रहे के साध राखथे. इही साध ह वोला परिवार, अउ फेर परिवार ले समाज निर्माण के रद्दा म आगू बढ़ाथे. फेर हमर समाज म कुछ अइसनो लोगन हें, जिनला परिवार निर्माण के सुख ह आज घलो सपना बरोबर लागथे. ए मन वो लोगन आयं, जिनला हम हिजड़ा, किन्नर, उभर लिंगी या थर्ड जेंडर (तृतीय लिंग) के रूप म जानथन.
ए थर्ड जेंडर ह अभी-अभी मिले नवा चिन्हारी आय. 15 अप्रैल 2014 के इहाँ के सुप्रीम कोर्ट ह एमन ल ए चिन्हारी दिए रिहिस हे. जे दिन सुप्रीम कोर्ट ह एमन ल ए चिन्हारी दिए रिहिसे, वो दिन मोर मन म एके संग कई किसम के प्रश्न उमड़े-घुमड़े ले धर लिए रिहिसे, इंकर मन के बारे म जाने-समझे के जिज्ञासा होए लागिस. इही पाय के वो बखत लगातार चार-पांच दिन मैं रायपुर शहर के चारों मुड़ा के किन्नर मन संग भेंट कर करके कई ठन प्रश्न मन के उत्तर खोजत रेहेंव. जे ह वो बखत 'इतवारी अखबार' म कवर स्टोरी के रूप म लंबा-चौड़ा छपे रिहिसे. (एमा संलग्न जम्मो चित्र मन उही बखत के आय).
वो बखत जतका झन संग मोर भेंट होइस, वोमा के चार-पांच अइसन हें, जिंकर मनले मैं बहुत प्रभावित होएंव. उनमा हें- विकास/विद्या राजपूत जी जेन मितवा संस्था के अध्यक्ष घलो हें, संस्था के प्रवक्ता रवीना बरिहा जी, अउ सचिव वीणा सेंदरे जी. वीणा सेंदरे जी आगू चल के किन्नर मन के मिस इंडिया प्रतियोगिता होए रिहिसे, तेमा पूरा देश भर म पहला स्थान पाए रिहिन हें. तब इंकर रायपुर म बाजा-गाजा के साथ ऐतिहासिक स्वागत होए रिहिसे. चौथा डॉ. हीरक डे जी अउ पांचवा हैली नायक जी. ये पांचों अच्छा पढ़े लिखे, समझदार अउ स्वाभिमानी हें. आत्मनिर्भर जीवन जीना चाहथें. जे मन किन्नर के नांव म गाना गा बजा के पइसा मांगथें या रेल यात्रा म या अउ कोनो जगा ताली बजाके लोगन ले पाइसा अंइठे के उदिम करथें. वोमन ल एमन पसंद नइ करंय. इंकर कहना हे, के अइसने ढोंगी पाखंडी अउ नकली किन्नर मन के सेती हमर जइसे स्वाभिमानी अउ आत्मनिर्भर मन बदनाम होथन. उन कहिथें, के अइसन तमाशबाज मनला पुलिस म शिकायत कर के जेल भेजवा देना चाही.
सम्मान, संयम अउ संघर्ष के उद्देश्य ल लेके संगठित 'मितवा' संस्था के अध्यक्ष विकास/विद्या जी बताइन के सन् 2012 म हमन राष्ट्रीय विधिक सेवा संस्थान म याचिका दाखिल करे रेहेन, वोकरे आधार म हमन ल 'तृतीय लिंग' के चिन्हारी मिल पाए हे. उन बताइन के जे मन जानकर हें, उन लइका जब 5-6 बछर के रहिथे, तभे जान डरेथें, के ए ह 'तृतीय लिंग' वाला आय. फेर हमन ल एकर अहसास तब होथे, जब हम किशोरावस्था के दरवाजा म खड़ा होए रहिथन, यौनाकार्षण जागे लगथे. तब समझ म आथे, के एक आने शरीर म आने आत्मा के प्रवेश होगे हे. माने, शरीर तो पुरुष के हे, फेर एमा जेन आत्मा बइठे हे वो ह स्त्री के आय. एकरे संग फेर लोगन के हमर मन खातिर उपेक्षा के भाव घलो दिखे ले धर लेथे.
समिति के सचिव रहे वीणा सेंदरे जी के कहना रिहिसे के हमर चिन्हारी हमर योग्यता अउ प्रतिभा के आधार म होना चाही, न कि शरीर के कोनो चीज के कमी के आधार म.
रवीना जी कहिन कि हमर मन के अंदर कतकों किसम के प्रतिभा हे, एकर मन के उपयोग राष्ट्र अउ समाज हित म करे जाना चाही. डॉ. हीरक जी कहे रहिन हे- हमन एक स्त्री के रूप म ही अपन जीवन ल जीना चाहथन, तेकर सेती कानून म कुछ अइसन नियम बनाए जाना चाही, जेकर ले हम आसानी के साथ जेंडर ट्रांस प्लांट करवा सकन, एकर खातिर आवश्यक सहयोग घलो मिलना चाही.
अभी छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा ए तृतीय लिंग वर्ग के लोगन मन खातिर पुलिस विभाग म भर्ती खातिर आरक्षण के प्रावधान करे गे रिहिसे, एहा मोला बहुत अच्छा लागिस. अउ अइसन कतकों विभाग के अन्तर्गत काम हे, जेमा एमन ल रखे जा सकथे, अउ इही सब माध्यम ले इहू मनला समाज के मुख्य धारा म जोड़े जा सकथे.
इंकर मन संग मिले अउ इंकर दुख-पीरा अउ समस्या ल समझे के बाद मोर अंतस ले ये उद्गार गीत के रूप म फूट परे रिहिसे-
घर म रहिके घलो मैं बिरान होगेंव
कइसे बहिनी- भाई बर घलो आन होगेंव...
एके पेंड़ के डारा हम आन सबो झन
लइकई म होवय सबके एके कस जतन
फेर उमर के खसलते अनजान होगेंव....
अब जिनगी बनगे हे पीरा के खजाना
ककरो मिलथे गारी त कोनो देथे ताना
सबके गोठ के सुनई म हलाकान होगेंव...
न कोनो देवय रोजी न कोनो रोजगार
मोर जिनगी के डोंगा खड़े हे मंजधार
फोकटे-फोकट फेर कइसे शैतान होगेंव...
न मोर लोग हे, न कोनो हवय लगवार
जिनगी बनही तब कइसे मोरो चतवार
गुन-गुन के बुढ़ापा ल परेशान होगेंव...
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
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