Tuesday, 25 May 2021

छै आगर छै कोरी तरिया

सुरता//
छै आगर छै कोरी तरिया
   हमर जुन्ना ग्रामीण जीवन म तरिया समृद्धि अउ संस्कार के प्रतीक रिहिसे. अइसे माने जावय के जेन गाँव म जतका जादा तरिया वो वतके संपन्न अउ खुशहाल. काबर ते जादा तरिया के रहे ले वो गाँव म पानी के जादा संरक्षण, अउ पानी के जादा संरक्षण ले खेत-खार म अन्न के जादा पैदावार. तब इही उपज ह लोगन के संपन्नता के मानक रिहिसे न. एकरे सेती तब जादा ले जादा तरिया कोड़वाय के चलन रिहिसे.
   हमन ल आज घलो सुने बर मिल जाथे, के फलाना गाँव म छै आगर छै कोरी तरिया रिहिसे. आज घलो छत्तीसगढ़ के इतिहास म अइसन गाँव मन के उल्लेख मिलथे, जिहां छै आगर छै कोरी तरिया रिहिसे. इहाँ हमर आसपास म हमर गाँव ले कोस भर के दुरिहा म बसे बड़का गाँव कूंरा (कुंवरगढ़) के नांव सुनन. हमन कतकों बेर तो उहाँ तरियच देखे के नांव म गे हावन. अब छै आगर छै कोरी तो नइ होही तरिया मन, फेर अभो अतका हे, जेकर ले भरोसा हो जाथे, के वाजिब म उहाँ छै आगर छै कोरी तरिया रिहिस होही.
   हमर लोक साहित्य म अहिमन रानी अउ रेवा रानी के गाथा तरिया म नहाएच ले होथे. नौ लाख ओड़िया, नौ लाख ओड़निन के उल्लेख म तरिया कोड़ाथे अउ फुलबासन के गाथा म मायावी तरिया रहिथे. जेमा एक लाख माल-मत्ता के जबर बरदी धर के रेंगइया बंजारा अउ नायक मन के स्वामीभक्त कुकुर के कुकुरदेव मंदिर के संगे-संग उंकर कोड़वाए तरिया के जानबा खपरी, दुर्ग, मंदिर हसौद, पांडुका तीर, रतनपुर जगा करमा-बसहा, बलौदा जगा महुदा जइसन कतकों गाँव म लोक मान्यता के अनुसार जानबा मिलथे.
   छत्तीसगढ़ म छै आगर छै कोरी तरिया होए के जानबा तो रतनपुर, मल्हार, खरौद, महंत, नवागढ़, अड़भार, आरंग अउ धमधा जइसन कतकों गाँव म होए के जानबा मिलथे. फेर ए सबो म पानी के संरक्षण के सबले अच्छा उदाहरण धमधा म देखे बर मिलथे. इहाँ सबले खास बात ए हे के इहाँ के जम्मो तरिया मनला बरसात के पानी ले भरे खातिर मानव निर्मित एक नरवा  बनाए गे रिहिसे, जेला "बूढ़ा नरवा" कहे जाथे.
  इहाँ ए जानना जरूरी हे, हमर इहाँ पानी निकासी के छोटे रद्दा ल नाली, वोकर ले थोकन बड़े ल ढोंड़गा या ढोंड़गी, अउ फेर वोकर बड़े ल नरवा, अउ नरवा ले बड़े ल नंदिया कहे जाथे. आखिरी म जम्मो स्रोत ले आवत पानी ह नंदिया के माध्यम ले समुंदर म समा जाथे. ए सब प्राकृतिक होथे. फेर धमधा म जेन नरवा हे, वो ह मानव निर्मित आय.
  ए नरवा ह आजकाल के नहीं, भलुक आठ सौ साल बछर पहिली उहाँ के गोंडवाना साम्राज्य द्वारा बनवाए गे रिहिसे, तेमा उहाँ के छै आगर छै कोरी तरिया, माने 126 तरिया के विशाल श्रृंखला ल भरे जा सकय.
    धमधा के महत्व पुरातात्त्विक अउ ऐतिहासिक रूप म घलो हे. ए नरवा ह ठउका वइसने हे, जइसे बांधा के कैचमेंट बने होथे.
   हमर पुरखा मन के पानी खातिर अइसन जागरूकता अउ संरक्षण के उदिम ल देख के गरब होथे. फेर आजकाल जेन अइसन ठिकाना मनके दुर्दशा होवत हे, तेला देख के रिस घलो लागथे. खासकर शहरी क्षेत्र म तो अतिच होवथे. हमन लइका राहन त सइकिल सीखे अउ चलाए के नांव रायपुर शहर ल चारों मुड़ा किंजरन. छुट्टी के दिन तो तीर-तखार के कोनो गाँव जइसे सरोना या रायपुरा के महादेव घाट घलो चल देवत राहन. तब रायपुर शहर पुरानी बस्ती इलाका म ही सकलाए बरोबर राहय. एकर छोड़ थोर-बहुत जय स्तंभ चौक के जावत ले एती-तेती बगरे असन. तब चारों मुड़ा जलरंग तरिया अउ रूख-राई दिख जावत रिहिसे. आज के रायपुर ल देखबे त एकर दुर्दशा बनगे हे तइसे जनाथे.
  हमर मनके देखतेच देखत कतकों अकन तरिया मन पटागें अउ उंकर जगा म आंखी ततेरत बड़े-बड़े बिल्डिंग, पारा, नगर अउ कालोनी दिखथे.
  नवा छत्तीसगढ़ राज बने के बाद इहाँ के पहिली मुख्यमंत्री अजित जोगी ह एक अच्छा बुता चालू करे रिहिसे, गाँव गाँव म 'जोगी डबरा' के निर्माण के माध्यम ले पानी के संरक्षण करे के एक नान्हे प्रयास चालू करवाए रिहिसे. फेर वोकर बाद के सरकार मन ए डहर चेत नइ करिन. उल्टा ए जरूर होइस, के बड़े बड़े उद्योग चालू करवाए के उदिम करिन. जेकर ले लगभग नंदावत पानी के स्रोत मन अउ जादा गति ले सूखाय लागिन.
  अभी घलो चेत करे जाय, त इहाँ के किसानी अउ निस्तारी के संगे-संग उद्योग मन खातिर घलो पानी के भरपूर संरक्षण करे जा सकथे. इहाँ जतका भी छोटे-बड़े नंदिया नरवा हे, सबो म हर दू-चार किलोमीटर के आड़ म छोटे छोटे स्टाप डेम बनाए के जोखा करे जाय. एकर ले इहाँ के बरसात के जम्मो पानी जेन बोहा के समुंदर म चले जाथे, वोला बहुत कुछ छेंके जा सकथे. एकर एक अउ फायदा ए होही के चारों मुड़ा के कुआँ-बावली अउ बोरिंग मन के जल स्तर म बढ़वार होही. फेर देखव अइसन नीति कब बनही?
छत्तीसगढ़ म 36 नंदिया फेर 36 गति हो जाथे
खेत-खार सुक्खा रहिथे कारखाना मजा उड़ाथे
जीना होही मुश्किल जब तक बनही अइसे नीति
कुआँ-बावली-बोरिंग सबके मरे कस होही गति
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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