Thursday 13 January 2022

छत्तीसगढ़ी दशा.. रामनाथ साहू-1

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                *आधुनिक काल के छत्तीसगढ़ी कविता : दशा अउ दिशा*

आलेख-रामनाथ साहू

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       आधुनिक काल के छत्तीसगढ़ी  कविता के दशा और दिशा के ऊपर बातचीत करे ले वोकर  लिखित साहित्य के पड़ताल हर ही आधार बनथे । काबर की वाचिक- परंपरा म तो बात हर हवा- हवाई हो जाए रथे । एकर  सेती, कछु भी जिनिस के  लिखित साहित्य हर ही अध्ययन- गवेषणा बर प्रमाण माने जाथे ।

                सिंघनपुर कबरा जइसन जगहा के शैलाश्रय मन  ये बताथें ,कि  जबले मनखे ये धरती म रहत रहिन तबले छत्तीसगढ़ के ये धरती हर जन शून्य  नई  रहिस अउ  जब  जनशून्य  नई  रहिस  तब मनुष्य मन आपस म बोलत रहिन भाखत रहिन, तब  वोमन के भाखा रहिस अउ  जब वोमन के भाषा रहिस , तब  वोमन के साहित्य रहिस   ही । भले ही  ये साहित्य हर लिखित नई हो सकिस ;  वैज्ञानिक रीति ले वोला सहेजे  नई जा  सकिस ।

        विशुद्धतावादी भाषा वैज्ञानिक मन छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ वांग्मय के विस्तार ला बीसवीं शताब्दी ले पहेली के स्वीकार नई करें।  एकर उल्टा बहुत जन विद्वान मन सदगुरु कबीर के योग्यतम शिष्य धनी धर्मदास ला,  छत्तीसगढ़ी के पहली कवि करार देवत उन ल छत्तीसगढ़ी के प्रथम कवि मानथें अउ ये आग्रह हर 'सत्य' घलव आय ।  धनी धर्मदास जी अपन जीवन के अवसान बेला मा छत्तीसगढ़  अइन । अउ जतेक दिन ल इहाँ रहके जइसन तइसन अपन बघेली  अवधी मिंझरे भाखा बोली म गाईन -बजाईंन । वोला छत्तीसगढ़ी ले अलग काबर करबे । वोहर निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ी आय ;छत्तीसगढ़ी साहित्य के मजबूत पूर्व पीठिका पीढ़ा आय ।

अरजी भंवर बीच नइया हो,

साहेब पार लगा दे।

तन के नहुलिया सुरती केबलिया,

खेवनहार मतवलिया हो।

हमर मन पार उतरगे,
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हमू हवन संग के जवईया हो।
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माता पिता सुत तिरिया बंधु,

कोई नईये संग के जवईया हो।
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धरमदास के अरज गोसांई,

आवागमन के मिटईया हो।
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साहेब पार लगा दे।।

 
           बिना किसी विवाद के धनी धर्मदास जी, छत्तीसगढ़ी के पहली कवि  आंय । वोकर ले लेके  भक्ति- मार्गी शाखा म गुरु घासीदास अउ वोकर पाठ चेला मन के द्वारा  'सतनाम प्रवर्तन' के  जउन  भी  पद हें , वो सब मन  विशुद्ध  साहित्यिक महत्व के  हें अउ  छत्तीसगढ़ी साहित्य के प्राचीनता ल स्थापित करत हें । छत्तीसगढ़ी साहित्य म निरंतरता के अभाव तो हे , फेर अनुपस्थिति बिल्कुल भी नई ये । खैर आज के हमन के विषय 'आधुनिक युग म छत्तीसगढ़ी काव्य ' के चर्चा करे के हे ।

              आधुनिक छत्तीसगढ़ी साहित्य के चर्चा- मीमांसा ल घलव हमन, स्पष्ट रूप ले तीन खंड  म बांट सकत हन -
1 प्रथम खंड- सन  1901 ले लेके सन 1935 तक
2.दूसरा खंड-सन 1936 ले लेके सन 2000 तक।
3.तीसरा खंड-सन 2001 ले लेके आज तक।

( सरलग )

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