Saturday 2 May 2015

दूधाधारी मठ

दूधाधारी मंदिर का भीतरी भाग

राम मंदिर

लेखक सुशील भोले प्रसाद ग्रहण करते

संकट मोचन हनुमान जी

बालाजी मंदिर

राम मंदिर की परिक्रमा में भगवान विष्णु के विविध अवतार

राम मंदिर की परिक्रमा में भगवान विष्णु के विविध अवतार

राम मंदिर की परिक्रमा में भगवान विष्णु के विविध अवतार

दूधाधारी महाराज का समाधि स्थल
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की पश्चिम दिशा में स्थित ऐतिहासिक दूधाधारी मठ की स्थापना विक्रम संवत 1610 में हुई है। बताते हैं कि दूधाधारी के नाम से विख्यात स्वामी श्री बलभद्र दास जी यहां जिस समय आये तब यह इलाका घने जंगल के रूप में जाना जाता था। यहीं पर निर्जन जंगल के बीच श्री संकट मोचन हनुमान जी की मूर्ति थी, जिस पर एक गाय अपने स्तन से दूध चढ़ाया करती थी। बलभद्र दास जी उसी दूध को पीकर रहते थे। कहते हैं कि उनका नाम इसीलिए दूधाधारी पड़ा।

दूधाधारी जी के यहां पर रहने के साथ ही उनकी ख्याति चारों ओर होने लगी। इसे सुनकर नागपुर के राजा रघु भोसले उनके दर्शनार्थ यहां आये और उनसे आशीर्वाद के रूप में पुत्र प्राप्त किये। इन्ही राजा रघु भोसले ने यहां पर सबसे पहले स्वामी बालाजी भगवान मंदिर का विक्रम संवत 1610 में निर्माण करवाया, जो कि श्री संकट मोचन हनुमान जी के ठीक सामने स्थित है।

इस मठ के अंदर वर्तमान में जो सबसे बड़ा मंदिर है, उसका निर्माण भगवान बालाजी मंदिर निर्माण के करीब 200 वर्षों  के बाद हुआ है। इस मंदिर में भगवान राम अपने अनुजों एवं भार्या के साथ विराजित हैं।
इस मठ का संचालन दूधाधारी महाराज के शिष्य परंपरा के माध्यम से होता है। वर्तमान में रामसुंदर दास जी दसवें मठाधीश के रूप में यहां का संचालन कर रहे हैं।  

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

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