Wednesday, 28 December 2016
Monday, 26 December 2016
छत्तीसगढ़ी अस्मिता और छत्तीसगढ़िया राज...
छत्तीसगढ़ की भाषा, संस्कृति और संपूर्ण अस्मिता के संरक्षण और संवर्धन के लिए सैकड़ों वर्षों से अपने-अपने स्तर पर काम किए जा रहे हैं। यहां के लेखकों, साहित्यकारों और इतिहासकारों ने अनेक एेसे काम किए हैं, जिन पर आज हर छत्तीसगढ़िया गर्व महसूस करता है।
लेकिन क्या इतने भर से ही आज तक छत्तीसगढ़ी अस्मिता की सही मायने में स्थापना हो पायी है? अलग छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के पश्चात भी यदि नहीं हो पायी है, तो क्यों नहीं हो पायी है? क्या एेसा नहीं लगता कि राजनीतिक सत्ता पर आसीन लोगों ने इसके लिए ईमानदारी के साथ आज तक कोई काम ही नहीं किया?
जितने भी राजनीतिक दलों ने यहां शासन किए सभी ने राष्ट्रीयता के नाम पर स्थानीय भाषा, संस्कृति और लोगों की उपेक्षा कर बाहरी लोगों को, बाहरी भाषा, संस्कृति और धर्म को लादने के अलावा और कुछ नहीं किया।यहां के गौरव को नष्ट कर उस पर बाहरी प्रतीकों को थोपने का कार्य किया। आज यहां के मूल निवासी षडयंत्र पूर्वक लगातार विस्थापित किए जा रहे हैं। हर क्षेत्र से, हर मार्ग से, हर स्थान से।
आखिर इसका समाधान क्या है? निश्चत रूप से यहां के मूल निवासियों के हाथों में यहां की संपूर्ण सत्ता। और एेसा तभी संभव है, जब यहां के मूल निवासियों की अपनी स्वयं की राजनीतिक पार्टी हो, जिसके माध्यम से राज सत्ता पर आसीन हुआ जाए। और एेसे चुने हुए लोगों को उस पर बिठाया जाए, जो अस्मिता के महत्व को समझते और जानते है, उसकी रक्षा के लिए कार्यरत रहे हैं।
तो आइए, नव वर्ष की नई सुबह पर हम संकल्प लें। संपूर्ण छत्तीसगढ़ी अस्मिता और छत्तीसगढ़िया राज के लिए कार्य करेंगे। अपने पुरखों के द्वारा देखे गये छत्तीसगढ़ राज के स्वप्न को सही मायने में साकार करेंगे।
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
लेकिन क्या इतने भर से ही आज तक छत्तीसगढ़ी अस्मिता की सही मायने में स्थापना हो पायी है? अलग छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के पश्चात भी यदि नहीं हो पायी है, तो क्यों नहीं हो पायी है? क्या एेसा नहीं लगता कि राजनीतिक सत्ता पर आसीन लोगों ने इसके लिए ईमानदारी के साथ आज तक कोई काम ही नहीं किया?
जितने भी राजनीतिक दलों ने यहां शासन किए सभी ने राष्ट्रीयता के नाम पर स्थानीय भाषा, संस्कृति और लोगों की उपेक्षा कर बाहरी लोगों को, बाहरी भाषा, संस्कृति और धर्म को लादने के अलावा और कुछ नहीं किया।यहां के गौरव को नष्ट कर उस पर बाहरी प्रतीकों को थोपने का कार्य किया। आज यहां के मूल निवासी षडयंत्र पूर्वक लगातार विस्थापित किए जा रहे हैं। हर क्षेत्र से, हर मार्ग से, हर स्थान से।
आखिर इसका समाधान क्या है? निश्चत रूप से यहां के मूल निवासियों के हाथों में यहां की संपूर्ण सत्ता। और एेसा तभी संभव है, जब यहां के मूल निवासियों की अपनी स्वयं की राजनीतिक पार्टी हो, जिसके माध्यम से राज सत्ता पर आसीन हुआ जाए। और एेसे चुने हुए लोगों को उस पर बिठाया जाए, जो अस्मिता के महत्व को समझते और जानते है, उसकी रक्षा के लिए कार्यरत रहे हैं।
तो आइए, नव वर्ष की नई सुबह पर हम संकल्प लें। संपूर्ण छत्तीसगढ़ी अस्मिता और छत्तीसगढ़िया राज के लिए कार्य करेंगे। अपने पुरखों के द्वारा देखे गये छत्तीसगढ़ राज के स्वप्न को सही मायने में साकार करेंगे।
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
Saturday, 24 December 2016
... मूलनिवासियों का शासन
चाहे कितने भी दो लच्छेदार भाषण
या एक रुपये में ही बांट लो राशन
दुनिया में खुशहाली आ नहीं सकती
जब तक न हो मूलनिवासियों का शासन
* जय सब्बो मूलनिवासी
* जय दुनिया के मूलनिवासी
*सुशील भोले*
या एक रुपये में ही बांट लो राशन
दुनिया में खुशहाली आ नहीं सकती
जब तक न हो मूलनिवासियों का शासन
* जय सब्बो मूलनिवासी
* जय दुनिया के मूलनिवासी
*सुशील भोले*
Sunday, 18 December 2016
एक न एक दिन रार मचाहीं...

धरे मशाल फेर जाग उठे हें, नारा ले स्वाभिमान के
एक न एक दिन रारा मचाहीं, अब बेटा सोनाखान के...
एक फिरंगी मार भगाएन, अब आगें रूप नवा धरे
हमरे सहीं बोली-भाखा, फेर चरित्तर हे अलग गढ़े
उन राष्ट्रीयता के माला जपथें, फेर नीयत हे शैतान के...
हमर भुइयां हमर जंगल तभो गुलामी हमीं भोगत हन
हटर-हटर जांगर ल पेरत उंकर पेट ल हमीं भरत हन
उन धरम-पंथ जाला बुनके, करथें खेल हिनमान के...
हमरे वोट अउ हमरे नोट तब राज उंकर कइसे होगे
गुनौ-चेतौ मूल निवासी, तुंहर आजादी कइसे खोगे
अब तो कनिहा कसना परही, ले परन नवा बिहान के...
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
Friday, 25 November 2016
रुक्खा-सुक्खा अउ करू होथे सत् ज्ञान...
रुक्खा-सुक्खा अउ करू होथे सत् ज्ञान के बानी
लगथे अइसे जस कोनो पिया दिस महुरा-पानी
रोग-राई ल फेर जइसे जड़ ले मिटाथे करू-दवाई
ठउका अइसनेच अज्ञान मिटाथे इहू ज्ञान-दवाई
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
लगथे अइसे जस कोनो पिया दिस महुरा-पानी
रोग-राई ल फेर जइसे जड़ ले मिटाथे करू-दवाई
ठउका अइसनेच अज्ञान मिटाथे इहू ज्ञान-दवाई
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
Thursday, 24 November 2016
जांच-टमड़ ले बने बइहा ...
जांच-टमड़ ले बने बइहा, का हावय करू-कस्सा
ठोस ज्ञान के मारग ते आय सिरिफ जी किस्सा
झन पाछू पछताना परय, ये बात ल बने गुन ले
नइते बन जाबे तहूं बस भेंड़िया धसान के हिस्सा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
ठोस ज्ञान के मारग ते आय सिरिफ जी किस्सा
झन पाछू पछताना परय, ये बात ल बने गुन ले
नइते बन जाबे तहूं बस भेंड़िया धसान के हिस्सा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
Wednesday, 23 November 2016
स्वागत हे तोर नवा बछर...
स्वागत हे तोर नवा बछर, नवा किरन बगरा देबे जी
नवा सुरुज के लाली संग, हमरो जिनगी उजरा देबे जी...
मन-अंतस करियागे हे, बिरबिट अंधियार हमागे हे
काम-क्रोध अउ ईरखा बैरी, चारों मुड़ा छरियागे हे
सात्विकता के भर के कोठी, सत्मारग ल धरा देबे जी...
रार मचे हे चारों मुड़ा, सब लहू-रकत म बूड़े हवयं
मीत-मितानी छोड़-छांड़ के एक-दूसर बर अड़े हवयं
देश-राज अउ जन-जन ल मया चिन्हार करा देबे जी...
बारी-बखरी खेत-खार म, हो जावय लछमी के बासा
चारोंमुड़ा खुशहाली उपजय बस अब हे अतके आसा
झन लांघन मरय कोनो चुल्हा, भूख-दुख परा देबे जी...
* सुशील भोले
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
Saturday, 19 November 2016
Thursday, 17 November 2016
गढ़ना हे त गढ़ले बइहा तोर नवा जनम के रस्ता...
गढ़ना हे त गढ़ले बइहा तोर नवा जनम के रस्ता
झन बीतन दे ए जनम ल निच्चट एकदम सस्ता
परमारथ के कारज ले तैं परलोक म पाबे आसन
होही कहूं फेर दुनिया म आना मिलही सुख-रासन
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
झन बीतन दे ए जनम ल निच्चट एकदम सस्ता
परमारथ के कारज ले तैं परलोक म पाबे आसन
होही कहूं फेर दुनिया म आना मिलही सुख-रासन
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
एक जनम बर होथे पक्का लिखे भाग...
एक जनम बर होथे पक्का लिखे भाग के रेखा
कर ले कुछू उदिम चाहे तैं कर ले कुछू सरेखा
नइ बदलय एक अंश तोर बीते करनी के लेखा
भोगना परथे निच्चट सबला इही आंखी के देखा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
कर ले कुछू उदिम चाहे तैं कर ले कुछू सरेखा
नइ बदलय एक अंश तोर बीते करनी के लेखा
भोगना परथे निच्चट सबला इही आंखी के देखा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
तीन पिंड माटी के होथे घर म...
तीन पिंड माटी के होथे घर म जिंकर कुलदेवता
उही आय असल म जेला मैं कहिथौं मूल देवता
मातृशक्ति पितृशक्ति अउ गणशक्ति के उन रूप
उही हमर पहिचान आय अउ उही ईश-स्वरूप
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
उही आय असल म जेला मैं कहिथौं मूल देवता
मातृशक्ति पितृशक्ति अउ गणशक्ति के उन रूप
उही हमर पहिचान आय अउ उही ईश-स्वरूप
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
Wednesday, 16 November 2016
आदि धर्म मैं कहिथौं काला ...
आदि धर्म मैं कहिथौं काला चिटिक इहू ल जान लेवौ
सृष्टिकाल के तीनों देवता, बस उनला पहिचान लेवौ
संग म रहिथें देवी मन, उन आयं सब उंकरेच अंग
गण-पार्षद सेवक-रक्षक बन रहिथें जी जिंकर संग
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
सृष्टिकाल के तीनों देवता, बस उनला पहिचान लेवौ
संग म रहिथें देवी मन, उन आयं सब उंकरेच अंग
गण-पार्षद सेवक-रक्षक बन रहिथें जी जिंकर संग
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
Tuesday, 15 November 2016
सबले ऊंचा आत्म ज्ञान के ठउर...
सबले ऊंचा अउ पबरित हे आत्म ज्ञान के ठउर
एकरे सेती कहिथें गुनी मन, एला मुकुट-मउर
तब काबर तैं भटकत हावस जतर-कतर रद्दा म
का नइए चिटको तोला कोनो बात-मरम के सउर
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
एकरे सेती कहिथें गुनी मन, एला मुकुट-मउर
तब काबर तैं भटकत हावस जतर-कतर रद्दा म
का नइए चिटको तोला कोनो बात-मरम के सउर
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
Monday, 14 November 2016
पर के पाछू भटकय नहीं ...
पर के पाछू भटकय नहीं मिल जाथे जेला ज्ञान
गढ़थे खुद के वो रद्दा नवा, इहीच वोकर पहिचान
कथा-कहानी बांचने वाला का जानय एकर मरम
एकरे सेती वो बांटत रहिथे दुनिया म भारी भरम
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
गढ़थे खुद के वो रद्दा नवा, इहीच वोकर पहिचान
कथा-कहानी बांचने वाला का जानय एकर मरम
एकरे सेती वो बांटत रहिथे दुनिया म भारी भरम
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 98269 92811, 80853 05931
Wednesday, 9 November 2016
रतिहा ल कहां बिताथे...
जहुंरिया ल का हो जाथे रे, धनी ल का हो जाथे
बिहनिया आथे संझा चले जाथे, रतिहा ल कहां बिताथे...
मंदिर-मस्जिद खोज डरे हौं, गुरुद्वारा म झांके हौं
चारों मुड़ा के चर्च मनला बही-भूती कस ताके हौं
निरगुन घाट म जा के घलो, आंखी पथराथे रे....
मन बैरी मानय नहीं, जिवरा धुक-धुक करथे
कोनो सउत के संसो म तन म आगी कस बरथे
करिया जाथे रे, लाली रंग के सपना ह करिया जाथे...
चंदा उतरगे हे गांव म, जुग-जुग ले हे गली खोर
फेर मोर मयारु संग जुड़ही, कइसे मया के डोर
जमो आस सिरागे रे, बइरी बिरहा बिजराथे न....
* सुशील भोले
डॉ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 98269 92811, 80853 05931
Sunday, 6 November 2016
खुद धरौ धरम के झंडा ...
कतेक भटकहू पर के पाछू खुद धरौ धरम के झंडा
पुरखा मन सम्हाल राखें हें, जे आदि काल के हंडा
भरे लबालब हे गुन म ये बस एला तुम कबियालौ
नइ लूटहीं फेर तुंहला, कोनोच जात-धरम के पंडा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
पुरखा मन सम्हाल राखें हें, जे आदि काल के हंडा
भरे लबालब हे गुन म ये बस एला तुम कबियालौ
नइ लूटहीं फेर तुंहला, कोनोच जात-धरम के पंडा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
डारा-शाखा म कतेक बिछलबे....
डारा-शाखा म कतेक बिछलबे पेंड़वा ल सीधा धर ले
जड़ संग जइसे वो ठोस रथे फेर तइसे जिनगी गढ़ले
कतेक अमरबे पान-पतइला डारा तो रट ले टूट जाही
फेर इंंकरे चक्कर म मूल घलो तोर हाथ ले छूट जाही
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
जड़ संग जइसे वो ठोस रथे फेर तइसे जिनगी गढ़ले
कतेक अमरबे पान-पतइला डारा तो रट ले टूट जाही
फेर इंंकरे चक्कर म मूल घलो तोर हाथ ले छूट जाही
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Wednesday, 2 November 2016
भेदभाव ले भरे व्यवस्था.....
भेदभाव ले भरे व्यवस्था के जे मन पोषक यें
धरम नहीं असल म उन मानवता के शोषक यें
छो़ड़ौ अइसन ग्रंथ-गुरु ल जे तुंहला अलगाथें
शिव बाबा के रद्दा धर लौ जे समता के द्योतक यें
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
धरम नहीं असल म उन मानवता के शोषक यें
छो़ड़ौ अइसन ग्रंथ-गुरु ल जे तुंहला अलगाथें
शिव बाबा के रद्दा धर लौ जे समता के द्योतक यें
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
मुक्ति देथे जनम-मरन ले...
मुक्ति देथे जनम-मरन ले, केवल शिव बाबा
पाप करम ले बचाए के गुन भरे हे वोकरे ढाबा
जानौ-समझौ कहिथें काबर वोला संहारकर्ता
करथे संहार सबो पाप के, धर लौ काबा-काबा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
पाप करम ले बचाए के गुन भरे हे वोकरे ढाबा
जानौ-समझौ कहिथें काबर वोला संहारकर्ता
करथे संहार सबो पाप के, धर लौ काबा-काबा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
सब देवता के अपन कारज...
सब देवता के अपन कारज, जस गुन तस करथें
इही मुताबिक भक्त ल अपन, फल सबो झन देथें
पाना का हे तब तो तोला ये बात ल ठउका गुन ले
फेर रद्दा ल वो दाता के बने ठोक-बजा के धर ले
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
इही मुताबिक भक्त ल अपन, फल सबो झन देथें
पाना का हे तब तो तोला ये बात ल ठउका गुन ले
फेर रद्दा ल वो दाता के बने ठोक-बजा के धर ले
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Tuesday, 1 November 2016
जोहार दाई....
मोतियन चउंक पुरायेंव... जोहार दाई
डेहरी म दिया ल जलायेंव ....जोहार दाई
छत्तीसगढ़ महतारी परघाये बर,
अंगना म आसन बिछायेंव... जोहार दाई...
ओरी-ओरी धान लुयेन, करपा सकेलेन
बोझा उठा के फेर, सीला बटोरेन
पैर बगरायेन अउ दौंरी ल फांदेन
रात-रात भर बेलन घलो, उसनिंदा खेदेन
तब लछमी के रूप धरे, धान-कटोरा जोहारेंव... जोहार दाई...
बस्तर के बोड़ा सुघ्घर, सरगुजा के चार
जशपुर के मउहा फूल सबले अपार
शबरी के बोइर गुत्तुर, रइपुर के लाटा
नांदगांव के तेंदू पाके, हावय सबके बांटा
महानदी कछार ले, केंवट कांदा मंगायेंव..... जोहार दाई...
छुनुन-छानन साग रांधेंव, गोंदली बघार डारेंव
मुनगा के झोर सुघ्घर, बेसन लगार मारेंव
इड़हर के कड़ही दाई, अम्मट जनाही
अमली के रसा सुघ्घर, कटकट ले भाही
दही-लेवना के मथे मही, आरुग अलगायेंव..... जोहार दाई...
चूरी-पटा साज-संवागा, जम्मो तो आये हे
खिनवा-पैरी सांटी-बिछिया, करधन मन भाये हे
चांपा के कोसा साड़ी, जगजग ले दिखथे
रायगढ़ के बुने कुरती, सुघ्घर वो फभथे
राजधानी के सूती लुगरा, मुंहपोंछनी बनायेंव..... जोहार दाई...
खनर-खनर झांझ-मंजीरा, पंथी अउ रासलीला
करमा के दुम-दुम मांदर, रीलो के हीला-हीला
भोजली के देवी गंगा, जंवारा के जस सेवा
गौरा संग बिराजे हे, देखौ तो बूढ़ा देवा
कुहकी पारत ददरिया संग, सुर-ताल मिलायेंव...जोहार दाई...
सुशील भोले
40-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
Monday, 31 October 2016
जइसे-जइसे बुद्धि बाढ़थे कर्म घलो...
जइसे-जइसे बुद्धि बाढ़थे, कर्म घलो बढ़ना चाही
छोड़ लइकई के खेल-कूद आदर्श नवा गढ़ना चाही
इही मानक ये बड़े होय के, संग उमर के जे बाढ़थे
कथा-कहानी ल छोड़त, शुद्ध ज्ञान टमड़ना चाही
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
छोड़ लइकई के खेल-कूद आदर्श नवा गढ़ना चाही
इही मानक ये बड़े होय के, संग उमर के जे बाढ़थे
कथा-कहानी ल छोड़त, शुद्ध ज्ञान टमड़ना चाही
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
सुशील भोले के गुन लेवौ ये .....
सुशील भोले के गुन लेवौ ये आय मोती बानी
सार-सार म सबो सार हे नोहय कथा-कहानी
कहां भटकथस पोथी-पतरा अउ जंगल-झाड़ी
बस अतके ल गांठ बाध ले सिरतो बनहू ज्ञानी
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
सार-सार म सबो सार हे नोहय कथा-कहानी
कहां भटकथस पोथी-पतरा अउ जंगल-झाड़ी
बस अतके ल गांठ बाध ले सिरतो बनहू ज्ञानी
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Thursday, 27 October 2016
कुल-गोत्र ले होवय नहीं...
कुल-गोत्र ले होवय नहीं, कोनो ब़ड़का मनखे
न होवय घर म वोकर चाहे कतकों धन खनके
ये सब तो माया के मेला लोगन ल भरमाए के
सिरिफ कर्म होथे मानक देव-कृपा ल पाए के
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
न होवय घर म वोकर चाहे कतकों धन खनके
ये सब तो माया के मेला लोगन ल भरमाए के
सिरिफ कर्म होथे मानक देव-कृपा ल पाए के
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Wednesday, 26 October 2016
सुरहुत्ती के दिया ...
कार्तिक अमावस्या को मनाया जाना वाला पर्व दीपावली छत्तीसगढ़ में सुरहुत्ती के नाम पर जाना जाता है। इस अवसर पर यहां दीपदान की परंपरा है। गांव के छोटे-छोटे बच्चे अपने आसपास और परिचितों के घरों में एक छोटा सा जलता हुआ दीपक लेकर जाते हैं, और उनके यहां के तुलसी चौंरा या किसी अन्य पवित्र स्थल पर उसे रख आते हैं। घर के मुखिया बच्चों को कुंआ, तालाब, मंदिर, घर के प्रमुख स्थलों और बाड़ी एवं खेतों आदि में भी दिया रखने के लिए निदेर्शित करते हैं।
इस अवसर पर जो दीपक बनाया जाता है, वह धान की नई फसल से प्राप्त चावल के आटे से बना होता है, लेकिन नई पीढ़ी के लोग इस बात को विस्मृत करते जा रहे हैं। इसलिए वे मिट्टी से बने हुए दीपक या अन्य साधनों से बने दिए का इस्तेमाल कर लेते हैं।
ज्ञात रहे हमारे यहां नई फसल को अपने ईष्टदेव को समर्पित कर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने की परंपरा है, जिसे हम *नवा खाई* के रूप में जानते हैं। यहां नवा खाई को तीन अलग-अलग अवसरों पर मनाने का रिवाज है। कई लोग ऋषि पंचमी के अवसर पर नवा खाई मनाते हैं, कई दशहरा के अवसर पर मनाते हैं और कई दीपावली के अवसर पर। सुरहुत्ती के अवसर पर नई फसल से प्राप्त चावल के आटे से बनाये जाने वाला दीपक भी इसी परंपरा का निर्वाह है।
(नोट- फोटो इंटरनेट से लिया गया है। यह चावल आटे से निर्मित नहीं है।)
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Monday, 24 October 2016
चुटइया बढ़ाय म ज्ञान बाढ़तीस ....
चुटइया बढ़ाय म ज्ञान बाढ़तीस त जकला होतीस ज्ञानी
छोड़ किंजरना बरदी के पाछू, गढ़तीस इतिहास के बानी
नइ ठगतीन फेर कोनो वोला, ठग-जग अउ बहुरूपिया
न जात-मरजाद ल वोकर कहितीन, कोनो आनी-बानी
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
छोड़ किंजरना बरदी के पाछू, गढ़तीस इतिहास के बानी
नइ ठगतीन फेर कोनो वोला, ठग-जग अउ बहुरूपिया
न जात-मरजाद ल वोकर कहितीन, कोनो आनी-बानी
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Sunday, 23 October 2016
जिहां ले मिलथे झट अपनाले मया ज्ञान ...
जिहां ले मिलथे झट अपनाले मया ज्ञान अउ अशीष
ऊंच-नीच अउ धरम-पंथ म, इनला झन तो बांटिस
मानवता ले बढ़के नइए दुनिया म कोनो धरम-करम
देश-राज कोनो सीमा म, तब काबर इनला फांसिस
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
ऊंच-नीच अउ धरम-पंथ म, इनला झन तो बांटिस
मानवता ले बढ़के नइए दुनिया म कोनो धरम-करम
देश-राज कोनो सीमा म, तब काबर इनला फांसिस
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
कहां जाबे तैं मंदिर-मस्जिद....
कहां जाबे तैं मंदिर-मस्जिद कहां जाबे गुरुद्वारा
तोरे भीतर म बइठे हावय जगत के पालनहारा
फेर काबर तैं भटकत हावस जोगी रूप ल धर के
कर साधना घर बइठे तैं, इहें मिलही खेवनहारा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
तोरे भीतर म बइठे हावय जगत के पालनहारा
फेर काबर तैं भटकत हावस जोगी रूप ल धर के
कर साधना घर बइठे तैं, इहें मिलही खेवनहारा
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Friday, 21 October 2016
Thursday, 20 October 2016
पूरा नइहे ग्रंथ कोनो....
पूरा नइहे ग्रंथ कोनो, न तो पूर्ण सत्य के मान
जतका देखिस लिखने वाला बस वतके हे ज्ञान
कई किताब तो हे अइसे, जस कचरा के ये ढेरी
छोड़ सत्य के रद्दा ल, बस भरमाये के हे बखान
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
जतका देखिस लिखने वाला बस वतके हे ज्ञान
कई किताब तो हे अइसे, जस कचरा के ये ढेरी
छोड़ सत्य के रद्दा ल, बस भरमाये के हे बखान
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Wednesday, 19 October 2016
मोर लेखनी के आधार....
मोर लेखनी के आधार, सब खुद के आंखी देखे
नइहे कोनो गोठ-किताबी, न ककरो उधारी लेके
मिलथे बस ये देव-कृपा ले रेंगत रद्दा साधना के
एकरे सेती रहिथे जी संगी ठोस अउ जांचे-परखे
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
नइहे कोनो गोठ-किताबी, न ककरो उधारी लेके
मिलथे बस ये देव-कृपा ले रेंगत रद्दा साधना के
एकरे सेती रहिथे जी संगी ठोस अउ जांचे-परखे
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Tuesday, 18 October 2016
सुआ नृत्य के माध्यम से ईसरदेव-गौरा विवाह की तैयारी प्रारंभ....
छत्तीसगढ़ में कार्तिक अमावस्या को ईसरदेव-गौरा के विवाह को गौरा-गौरी पर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक माह की प्रथमा तिथि से ही इसकी तैयारी प्रारंभ हो जाती हैं। इस तिथि से यहां प्रात:काल में कार्तिक स्नान तथा शाम को सुआ नृत्य के माध्यम से इसका संदेश लोगों तक पहुंचाने की परंपरा प्रारंभ हो जाती है।
महिलाएं शाम के समय टोली बनाकर गांव के सभी घरों में जाती हैं। अपने साथ एक टोकरी में सुआ (तोता) रखकर उसके चारों ओर घूम-घूम कर नाचती और गाती हैं, तथा लोगों के द्वारा दिये गये धन (पैसा या चावल आदि) को कार्तिक अमावस्या को संपन्न होने वाले ईसरदेव-गौरा विवाह के लिए संग्रहित करती हैं।
ज्ञात रहे इस विवाह पर्व को छत्तीसगढ़ में कार्तिक अमावस्या अर्थात देवउठनी के दस दिन पूर्व ही संपन्न किया जाता है। यह इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति में चातुर्मास की व्यवस्था लागू नहीं होती, जिसमें कहा जाता है कि चातुर्मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों नहीं किये जाते।
ज्ञात रहे कि छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, जिसे मैं आदि धर्म कहता हूं वह सृष्टिकाल की संस्कृति है, जिसे उसके मूल रूप में लोगों को समझाने के लिए हमें फिर से प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ लोग यहां के मूल धर्म और संस्कृति को अन्य प्रदेशों से लाये गये ग्रंथों और संस्कृति के साथ घालमेल कर लिखने और हमारी मूल पहचान को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
Monday, 17 October 2016
कातिक महीना धरम के महीना...
कातिक महीना धरम के महीना अन्नपुरना के बासा
चार महीना कमा के किसान लूथे जिनगी के आसा
इही म ईसर देव गौरा संग, बिहाव घलो रचाइन हें
करत साधना मोटियारिन ल आशीष मया के देइन हें
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
चार महीना कमा के किसान लूथे जिनगी के आसा
इही म ईसर देव गौरा संग, बिहाव घलो रचाइन हें
करत साधना मोटियारिन ल आशीष मया के देइन हें
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Sunday, 16 October 2016
छोड़ के अपन मूल देवता ल ...
परबुधिया बन मूल निवासी जतर-कतर छरियावत हें
छोड़ के अपन मूल देवता ल पर के धरम अपनावत हें
ये तो कोनो समाधान नइहे जूझत-भोगत समस्या के
चाहे ककरो पांव पखारौ देव मिले नहीं बिन तपस्या के
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
छोड़ के अपन मूल देवता ल पर के धरम अपनावत हें
ये तो कोनो समाधान नइहे जूझत-भोगत समस्या के
चाहे ककरो पांव पखारौ देव मिले नहीं बिन तपस्या के
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
कोन कहिथे देवता सूतथे....
कोन कहिथे देवता सूतथे, उहू म चार महीना
सांस-सांस म जे बसे हे वोकर का सुतना-जगना
अंधरा होही अइसन मनखे जे अइसे गोठियाथे
अउ परबुधिया हे उहू मन, जे एला पतियाथे
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
सांस-सांस म जे बसे हे वोकर का सुतना-जगना
अंधरा होही अइसन मनखे जे अइसे गोठियाथे
अउ परबुधिया हे उहू मन, जे एला पतियाथे
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
सत्-सिद्धांत के खातिर दे दय........
सत्-सिद्धांत के खातिर दे दय जे अपन परान
अइसन मनखे ल सिरतो तैं संत बरोबर जान
बड़ मुश्किल म मिलथे संगी सत् मारग के राही
कर संघर्ष बनथे कुंदन, इही वोकर पहिचान
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
अइसन मनखे ल सिरतो तैं संत बरोबर जान
बड़ मुश्किल म मिलथे संगी सत् मारग के राही
कर संघर्ष बनथे कुंदन, इही वोकर पहिचान
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
करिया आखर उज्जर-निर्मल.....
करिया आखर उज्जर-निर्मल इही ज्ञान के सोत
बिन समझे तैं गुन ल एकर झन कागज म पोत
बिपत परे म संगी बनके, सत् रद्दा इही देखाथे
फेर मिलथे जब संग गुरु के बनथे जीवन-जोत
सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
बिन समझे तैं गुन ल एकर झन कागज म पोत
बिपत परे म संगी बनके, सत् रद्दा इही देखाथे
फेर मिलथे जब संग गुरु के बनथे जीवन-जोत
सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
Friday, 14 October 2016
आने वाला जाही एक दिन ...
आने वाला जाही एक दिन इही जिनगी के लेखा
तोप-ढांक ले कतकों चाहे तैं कर ले कुछू सरेखा
छोटे-बड़े राजा-परजा सब के एकेच गति होही
माटी के पुतरा कूद-फांद के माटी म मिल जाही
सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
तोप-ढांक ले कतकों चाहे तैं कर ले कुछू सरेखा
छोटे-बड़े राजा-परजा सब के एकेच गति होही
माटी के पुतरा कूद-फांद के माटी म मिल जाही
सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
Wednesday, 12 October 2016
कहूं नहा ले नंदिया-नरवा...
कहूं नहा ले नंदिया-नरवा या कोनो तिरिथ धाम
माथ म घंस ले चंदन-बंदन नइ चमकय रे चाम
छोड़ देखावा रंगे कपड़ा के बस कर्मयोग अपनाले
इही रद्दा म मिलथे मुक्ति अउ शिव बाबा के धाम
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
माथ म घंस ले चंदन-बंदन नइ चमकय रे चाम
छोड़ देखावा रंगे कपड़ा के बस कर्मयोग अपनाले
इही रद्दा म मिलथे मुक्ति अउ शिव बाबा के धाम
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
धर लेबे गुरु के अंगरी,...
सत् के मारग अब्बड़ बिच्छल कोन मेर पांव बिछल जाही
कांटा-खूंटी झुंझकुर-झाड़ी में, देंह कोनो मेर दहल जाही
नइए ठिकाना एक्को बिल्कुल कोन भेरका म धंस जाबे
फेर धर लेबे गुरु के अंगरी, हर बाधा सुट ले निकल जाही
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
कांटा-खूंटी झुंझकुर-झाड़ी में, देंह कोनो मेर दहल जाही
नइए ठिकाना एक्को बिल्कुल कोन भेरका म धंस जाबे
फेर धर लेबे गुरु के अंगरी, हर बाधा सुट ले निकल जाही
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Sunday, 9 October 2016
कर्म योग है श्रेष्ठ मार्ग ...
कर्म योग है श्रेष्ठ मार्ग, प्रभु भक्ति की राह में
ले जाता यही जीव को अनंत ज्ञान की थाह में
पर कुछ एेसे हैं जो करते भ्रमित बन वाचाल
देते सीख सहजता की बस ठगने की चाह में
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
ले जाता यही जीव को अनंत ज्ञान की थाह में
पर कुछ एेसे हैं जो करते भ्रमित बन वाचाल
देते सीख सहजता की बस ठगने की चाह में
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Saturday, 8 October 2016
Wednesday, 5 October 2016
Monday, 3 October 2016
Friday, 30 September 2016
Tuesday, 27 September 2016
Monday, 26 September 2016
रोग लगगे शुगर...
मीठ खवई नोहर होगे, भात-बासी जस जहर
का गतमरहा जिनगी होगे रोग लगगे हे शुगर
हरहिंछा कहूं जा नइ पावस पांव म लगगे बेड़ी
बस करू-करू खाना-पीना अब कइसे होही गुजर
सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811
का गतमरहा जिनगी होगे रोग लगगे हे शुगर
हरहिंछा कहूं जा नइ पावस पांव म लगगे बेड़ी
बस करू-करू खाना-पीना अब कइसे होही गुजर
सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811
Sunday, 25 September 2016
Friday, 23 September 2016
पाकिस्तान और क्रांति पथ....
छप्पन इंच का सीना वाले मुंह छिपाए घूम रहे हैं
पाकिस्तान के मुद्दे पर ये शंका में हो गुुम रहे हैं
कैसे निपटें सबक सिखाएं इस आतंकी मुल्क को
उबल रहा है देश, पथ क्रांति का सब चूम रहे हैं
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
उधारी के महापुरुष...
कई समाज में आ रहे उधारी के महापुरुष
गुण उनका कुछ गा रहे सामाजों के कापुरुष
अपना गौरव छोड़ जो औरों को शीश बिठाता है
एेसे लोगों को निश्चित समय खूब रुलाता है
चेतो समाज के ठेकेदारों अपनी प्रतिभा पहचानो
छोड़ बाहरी आडंबर भीतर के उनके गुण जानो
तुम्ही हो जिम्मेदार उनके जो गुलामी भोग रहे
लुद्दी किताबों को ग्रंथ समझ आंख मूंदकर ढो रहे
नई पीढ़ी जब घेरेगी तुमको ले प्रश्नों का जुलूस
भाग नहीं पाओगे तब तुम बस चढ़ना होगा क्रूस
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Thursday, 22 September 2016
बाबा बेच रहे मंजन...

बाबा बेच रहे मंजन शर्म-हया का नहीं है अंजन स्वदेशी का राग अलापते बने हुए हैं दुखभंजन.... दंत क्रांति हो चाहे या सरसों का तेल उनके सब उत्पाद से नहीं किसी का मेल कई लेप हैं जिनसे दमकेंगे बालाओं के चेहरे-कंचन.... हनी से मनी बचेगा त्रिफला करेगा पेट साफ कभी भूल से गलती हो गई तो करना जी माफ विदेशियों ने कभी गंवार कहा उनका करते हैं खंडन.... * सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Wednesday, 21 September 2016
भातृसंघ में कितने...
(छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नदृष्टा डा. खूबचंद बघेल की संस्था *छत्तीसगढ़ भातृसंघ* को कुछ लोगों के द्वारा पुनर्गठित करने पर एक प्रश्न )
भातृसंघ में कितने भाई और कितने हैं सौदाई
महापुरुष के आदर्श की अब जो दे रहे हैं दुहाई
कितना संघर्ष किए हैं ये अस्मिता के धंधेबाज
कितनी छाती छलनी हुई कितनों ने गोली खाई
*सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Sunday, 18 September 2016
Friday, 16 September 2016
Thursday, 15 September 2016
कौन परदेशिया?
ले प्रमाण-पत्र बांट रहे जोगी छत्तीसगढ़िया
जो रहते इस भू पर सब हैं यहीं के गढ़िया
पूछे फिर उनसे कोई तो है कौन परदेशिया
जो लूट रहा यहां समृद्धि बनके सबसे बढ़िया
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
जो रहते इस भू पर सब हैं यहीं के गढ़िया
पूछे फिर उनसे कोई तो है कौन परदेशिया
जो लूट रहा यहां समृद्धि बनके सबसे बढ़िया
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
बूझता दीपक और मसीहा...
एक बूझता दीपक अनायास भभक गया है
अग्नि शिखर से खुद को श्रेष्ठ समझ गया है
प्रकृति ने तोड़ी है जिसकी अहंकार की जांघ
वह श्रेष्ठजनों का खुद को मसीहा समझ गया है
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
अग्नि शिखर से खुद को श्रेष्ठ समझ गया है
प्रकृति ने तोड़ी है जिसकी अहंकार की जांघ
वह श्रेष्ठजनों का खुद को मसीहा समझ गया है
* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931
Wednesday, 14 September 2016
छत्तीसगढ़ भातृसंघ, उसकी गरिमा और कुछ सवाल...
डॉ. भारत भूषण बघेल की डिस्पेन्सरी मेरे घर के बगल में थी, इसलिए हम दोनों प्राय: रोज मिलते थे। अनेक विषयों पर चर्चा भी करते थे। इस दौरान यह भी चर्चा हो जाती थी, कि बहुत से अपात्र और अयोग्य लोग हैं, जो केवल अपने राजनीतिक-सामाजिक स्वार्थ साधने के लिए डॉ. खूबचेद बघेल के नाम का उपयोग कर लेते हैं, जबकि ऐसे लोगों का व्यक्तित्व और कृतित्व किसी भी दृष्टि से उनके पिता (डॉ. खूबचंद बघेल) की गरिमा के अनुरूप रत्ती भर भी नहीं होती।
डॉ. भारत भूषण बघेल कई बार रो पड़ते थे, और कहते थे कि उनके पिता ने उन्हें हर प्रकार की राजनीति और पदों के स्वार्थ से दूर रहने की सलाह दी है। उसे संयम और सादगी पूर्ण जीवन जीने का निर्देश दिया है, इसलिए वे किसी को कुछ कहते नहीं, किन्तु ऐसे लोगों को देखकर उन्हें दुख तो होता ही है।
मुझे डॉ. भारत भूषण बघेल के इस बात का संस्मरण पिछले दिनों शंकर नगर, दुर्ग स्थित कुर्मी भवन जाने और वहां उपस्थित कुछ लोगों के चेहरे देखकर हुआ, जहां छत्तीगढ़ राज्य आन्दोलन के समय डॉ. खूबचंद बघेल द्वारा गठित संस्था छत्तीसगढ़ भातृसंघ को पुनर्जीवित और पुनर्गठित करने की कवायद चल रही थी।
दुर्ग से वापस रायपुर आने के पश्चात रात्रि में मुझे ठीक से नींद नहीं आई। क्योंकि वहां मैंने कुछ ऐसे भी चेहरे देखे थे, जिन्हें उगाही करने, चंदाखोरी करने, राजनीतिक दलाली करने के लिए अक्सर चिन्हित किया जाता है। कुछ ऐसे अयोग्य और अपात्र लोग भी थे, जिन्हें किसी सिद्धांत, किसी आदर्श की समझ ही नहीं, कई ऐसे थे जो केवल धंधेबाजों की तरह लिखने-पढऩे, गाने-नाचने के अलावा और कुछ नहीं जानते। क्या ऐसे लोगों के भरोसे डॉ. खूबचंद बघेल के आदर्श और ऊंचाई को स्थापित किया जा सकता है?
छत्तीसगढ़ भातृसंघ के लिए दुर्ग में हुई पहली बैठक से लेकर आज तक मेरे मन में प्रश्नों का यही सैलाब उमड़ रहा है कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं होने वाला है? क्या इसका भी हश्र स्वधीनता आन्दोलन के समय की कांग्रेस, उनके महान नेता और आज की कांग्रेस और आज के तथाकथित नेता की तरह तो नहीं हो जाएगा?
मन में यह भी विचार आया कि क्या डॉ. खूबचंद बघेल के नाम का इस्तेमाल किए बिना भी इस तरह के आयोजनों को, उनके उद्दश्यों को अंजाम नहीं दिया जा सकता? वैसे भी 50-55 साल पहले जो स्थितियां थीं, आज परिवर्तित हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़ भातृसंघ का मुख्य उद्देश्य राज्य निर्माण था, वह भी देढ़ दशक पहले 1 नवंबर 2000 को ही पूरा हो चुका है। मुझे लगता है कि आज राज्य निर्माण के पश्चात की परिस्थितियों पर सोचने और उसके लिए किसी नये बैनर पर ईमानदार अभियान चलाने की आवश्यकता है।
मेरा सभी आयोजक और अध्यक्ष मंडल से अनुरोध है कि वे किसी नये नाम और बैनर माध्यम से अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में आगे बढ़ें।
धन्यवाद,
भवदीय
सुशील भोले
डॉ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931
Monday, 12 September 2016
अब क्रांति की बारी...
जय-जय छत्तीसगढ़ महतारी,
अब क्रांति की आई बारी
बहुत हुई चरण वंदना,
और गौरवगान की लाचारी।।...
अब रणबांकुरों की बांहों से
गीत समर का गाना है
जो लूट रहे यहां की समृद्धि
उन्हें खून-खून रुलाना है
जितने शोषक रक्त पिपासु
उन्हें सजा देना है भारी।।....
राष्ट्रीयता के भ्रम से निसदिन
जो नादान भटक रहे
झूठे-पाखंडी के संग में
सत्ता-सुख जो गटक रहे
एेसे लोगों को जागृत कर
कराएं उन्हें क्षेत्रीय चिन्हारी।।...
धर्म-मुखौटों को ढ़ांके
जो गली-गली यहां बोल रहे
हमारी अस्मिता को लीलने
जो दुश्मन सा यहां डोल रहे
एेसे धर्म-भ्रष्टों को रौंदने की
आओ करें तैय्यारी।। .....
* सुशील भोले
मो. 98269 92811
(फोटो- बसंत साहू)
Saturday, 13 August 2016
Thursday, 4 August 2016
Wednesday, 3 August 2016
जोगी के रूप धरे....
जोगी के रूप धरे रावन सीता ल हर के ले जाथे
सत्ता मद म बूड़े़ बाम्हन धरम-करम बिसर जाथे
कइसे मोह बनाए हावय अहंकार के मोर-मुकुट के
बड़े-बड़े विद्वान घलो मन लंदर-फंदर म पर जाथे
सुशील भोले
मो. 98269 92811
8085305931
सत्ता मद म बूड़े़ बाम्हन धरम-करम बिसर जाथे
कइसे मोह बनाए हावय अहंकार के मोर-मुकुट के
बड़े-बड़े विद्वान घलो मन लंदर-फंदर म पर जाथे
सुशील भोले
मो. 98269 92811
8085305931
Friday, 29 July 2016
नइ मिलय एको साथी...
कनिहा-कूबर टूट जही जब परही धरम के लाठी
गेंड़ी सही मचमचा जाही नइ बांचय कुछु लुआठी
का बात के भरम म तैं बोह डारे हस अभिमान ल
छिन भर बिलम फेर देख लेबे नइ मिलय एको साथी
सुशील भोले
मो. नं. 9826992811
गेंड़ी सही मचमचा जाही नइ बांचय कुछु लुआठी
का बात के भरम म तैं बोह डारे हस अभिमान ल
छिन भर बिलम फेर देख लेबे नइ मिलय एको साथी
सुशील भोले
मो. नं. 9826992811
पहचान लेबे संगी...
बुझावत दीया के भभका ल पहचान लेबे संगी
बहुरूपिया बन आये हे, वोला जान लेबे संगी
टोरे हे कतकों सपना मूल निवासी के रूप धरे
बस वोकर मुखौटा के चिन्हा चिन्हान लेबे संगी
सुशील भोले
मो. नं. 9826992811
बहुरूपिया बन आये हे, वोला जान लेबे संगी
टोरे हे कतकों सपना मूल निवासी के रूप धरे
बस वोकर मुखौटा के चिन्हा चिन्हान लेबे संगी
सुशील भोले
मो. नं. 9826992811
Tuesday, 19 July 2016
खूबचंद बघेल स्मृति कवि सम्मेलन संपन्न...
छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नदृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल की जयंती के अवसर पर 18 जुलाई सोमवार को संध्या 7 बजे से आजाद चौक, रायपुर स्थित कुर्मी भवन के सभागार में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस आयोजन में सर्वश्री मीर अली मीर, ऋषि कुमार वर्मा, चोवाराम बादल, राजेन्द्र पाण्डेय, भवानी शंकर बेगाना, जागृति बघमार, शशि तिवारी एवं निशा तिवारी ने अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को देर रात तक गुदगुदाया। संचालन सुशील भोले ने किया...
Thursday, 14 July 2016
तुतारी // आउट सोर्सिंग ले बहू...
छत्तीसगढ़ के राजनीति म अभी आउट सोर्सिंग शब्द के भारी चलन हे। सरकार ल रोज आउट सोर्सिंग ले कर्मचारी-अधिकारी लाने के बात म घेरे जाथे। फेर मजेदार बात ये हे के जे मन आउट सोर्सिंग के बात करथें, वोकरे मन के घर के कतकों बहू-बंद मन आउट सोर्सिंग ले आये हवयं। का आउट सोर्सिंग के नियम घर-परिवार, भाषा-संस्कृति अउ रिश्ता-नता म लागू नइ होवय?
सुशील भोले
9826992811, 8085305931
सुशील भोले
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Wednesday, 13 July 2016
तुतारी // छत्तीसगढ़ी पहिरावा कब?
विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह म विदेशी पहिरावा ल छोड़ के देशी पहिरावा के फैसला के स्वागत करे जा सकथे। फेर संग म ये सवाल घलो उठाये जा सकथे के देशी पहिरावा ल वो राज्य के अस्मिता अउ पहिरावा के मापदण्ड म होना चाही। अच्छा होतिस के रायपुर म होवइया दीक्षांत समारेह म धोती-कुर्ता के संग कोष्टउंहा पंछा के पगड़ी अउ नोनी मन अइसने लुगरा पहिनतीन।
सुशील भोले
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Tuesday, 12 July 2016
तुतारी // खेल मैदान ले मिलत खुशखबरी...
राज्य गठन के बाद ले छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी मनला राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खेल म अपन जौहर देखाए के अच्छा अवसर मिलत हे। अभी रियो ओलंपिक खातिर महिला हॉकी टीम म राजनांदगांव के रेणुका यादव के नाम के घोषणा हमर मन बर गौरव के बात आय। नोनी ल एकर खातिर बधाई। एकर पहिली खो-खो के एशिया कप म इहां के एक नोनी गोल्ड मेडल जीत के घलो छत्तीसगढ़ ल गौरवान्वित होए के अवसर दिए रिहिस हे।
सुशील भोले
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Friday, 8 July 2016
तुतारी // बरसा के पानी ल हे छेंकना जरूरी...
हर बछर के गरमी म तरमरावत छत्तीसगढ़ ल बरसा के पानी ल छेंके के कुछू उदिम करना चाही। ए बछर मानसून के आये के बाद ले इहां पानी के गिरना अच्छा होवत हे। नंदिया-नरवा मन म जीवन आगे हे। ए जीवन ल लोगन के जीवन बनाना जरूरी हे। इहां छोटे-बड़े कुल मिलाके 39 नदिया-नरवा हे, फेर पानी के सही ठहराव नइ होय के सेती गरमी म तालाबेली हो जाथे। सरकार ल छोटे-छोटे बांध के माध्यम ले हर नंदिया के पानी ल छेंके के उदिम करना चाही।
सुशील भोले
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तुतारी // मौसमी बीमारी के महामारी...
हर मौसम के बदलाव के संग रोग-राई के शिकायत मिलबे करथे। फेर बरसात के दिन म एकर बढ़वार जादा देखे बर मिलथे। चारोंमुड़ा के अस्पताल मन म अभी ले लोगन के भीड़ दिखे बर धर लिए हे। फेर सरकारी अस्पताल मन म दवई-पानी के कमी के खबर घलो संग म आवत हे। इहां के कतकों गांव मन अभी ले डॉक्टर अउ अस्पताल के दर्शन नइ कर पाये हे, भले सरकार कुछू भी दावा करत राहय।
सुशील भोले
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Thursday, 7 July 2016
तुतारी // इतिहास लेखन के सच्चाई...
छत्तीसगढ़ म अभी जइसन किसम के इतिहास लेखन होवत हे, वोकर ऊपर विश्वास करना मुश्किल होए अस लागथे। बाहिर ले आये कथित विद्वान मन बाहरीच ग्रंथ अउ संदर्भ के आधार म छत्तीसगढ़ ल परिभाषित करत हें। दुनिया के इतिहास के मानक उहां के मूल निवासी मन होथे। इहां के मूल निवासी मन के मानक म कब इतिहास अउ संस्कृति ल लिखे जाही, ए बात के अगोरा हे।
सुशील भोले
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Wednesday, 6 July 2016
तुतारी // 'स्वाभिमान" अब नइ रिहिस...?
क्षेत्रीय दल 'स्वाभिमान मंच" ल पहिली बेर वोकर संस्थापक के बेटा बोरे रिहिसे, अउ अब बांचे-खोचे ल नवा-नेवरिया बने अध्यक्ष ह बोर दिस। माने अब 'स्वाभिमान" नइ रिहिस। 'स्वाभिमानी" मन पहिली भजपा के सरन म गेइन, अब के मन कांग्रेस के जोगी संस्करन म हमागे हें। कुल मिला के क्षेत्रीय दल के मूल स्वरूप अउ उद्देश्य राष्ट्रीय पार्टी वाले मन के छइहां म थिरागे, सिरागे...
सुशील भोले
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Monday, 4 July 2016
तुतारी // विधानसभा म छत्तीसगढ़ी...
देश के अधिकांश राज्य के विधानसभा म उहां के मातृभाषा म ही सबो काम-काज होथे। मंत्री-विधायक मन उहां के जनभाषा म ही आपसी संवाद करथें, बहस करथें। फेर छत्तीसगढ़ एक अइसन राज्य आय जिहां के विधानसभा म अइसन देखे बर नइ मिलय। ए राज के सरकार कहे बर तो छत्तीसगढ़ी ल प्रदेश स्तर म राजभाषा के दरजा दे दिए हे। राजभाषा आयोग के स्थापना कर दिए हे, फेर सब देखाए भर के हे। इही सबला देखत अवइया 11 जुलाई दिन सोम्मार के बिहनिया 10 ले 12 बजे तक इहां के महतारी भाखा के मयारुक मन छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन के आगू म जम्मो विधायक मनला छत्तीसगढ़ी म गोठियाए खातिर उदिम करहीं। आपो मनले अरजी हे जादा ले जादा संख्या म अपन हाजिरी दे के उदिम करहू।
सुशील भोले
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Sunday, 3 July 2016
तुतारी // विधायक ल सबक...
राजनीति के चस्का लगते लोगन लबारी मारे, ठगे, भुलवारे म मगन हो जाथें। अइसन मनला सबक सिखाए बर बस्तर के झाड़उमर गांव के मन ठउका उपाय निकालिन। गांव म बोरिंग लगवाए बर विधायक ल घेरी-भेरी अरजी करंय फेर विधायक धियाने नइ देवय। गांव के मन वोला चिढ़ाए बर लकड़ी के बोरिंग बना के चार-पांच जगा गडिय़ा दिन अउ वोकर उद्घाटन करे बर विधायक ल बलाइन। विधायक लाज के मारे आइस तो नहीं फेर गांव म एक ठन बोरिंग जरूर लगवा दिस।
सुशील भोले
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तुतारी // अंजोर या अंधियार छत्तीसगढ़...
देश भर के जुरियाये कलेक्टर मन के बइठका म मुख्यमंत्री जी काहत रिहिन हें- छत्तीसगढ़ म बिजली सरप्लस हे। इहां के दुकान मन म अब मोमबत्ती बेचाना बंद होगे हे। शहर, गांव, फैक्टरी, खेती सबो म अंजोर के डेरा हे। राजधानी रायपुर ले लगे कतकों गांव के लोगन काहत रिहिन हें- का करबे भइया बिजली कतका बेर आथे, कतका बेर जाथे, तेकर ठिकाना नइए। इहां के कतकों गांव तो अइसन हे, जिहां आज तक बिजली के दर्शन घलो नइ होए हे।
सुशील भोले
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तुतारी // सच या साजिश...?
बिलासपुर आईजी के संबंध म एक महिला आरक्षक ले संबंधित जइसन खबर आवत हे, वोमा कतका सच्चाई या साजिश हे, ये तो जांच के बाद पता चलही। फेर एक बात जरूर हे के ये विभाग के कतकों कर्मचारी-अधिकारी अपन आप ल कानून ले ऊपर समझथें, कतकों किसम के गैर कानूनी काम म लगे रहिथें। एकर सेती कोन कतका दूध के धोए हे एला कहना अभी सही नइए।
सुशील भोले
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Thursday, 30 June 2016
तुतारी // अपराधगढ़ बनत छत्तीसगढ़...
रमन सिंह के छवि एक सीधा-सरल अउ अच्छा मनखे के जरूर हे, फेर ए बात घलोक सोला आना सच हे के प्रशासन म उंकर पकड़ वतके ढिल्ला हे। चोर-उचक्का-लूटेरा-हत्यारा-भ्रष्टाचारी मन के जेन अति अभी इहां देखे बर मिलत हे, अइसन कभू नइ रिहिसे। एकर पहिली अजीत जोगी के शासन घलो देखे हे छत्तीसगढ़ ह। जोगी के चाहे कतकों राजनीतिक आलोचना करे जाय, फेर जिहां तक शासन के बात रिहिसे, कोई भी अपराधी तत्व, अपराध करे के पहिली चार बार सोंचय अउ कांपत जरूर रिहिसे।
सुशील भोले
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Monday, 27 June 2016
तुतारी // राज्य आन्दोलनकारी ल पेंशन कब..?
इंदिरा शासन काल म लगे मीसा म जेल गे लोगन ल भाजपा सरकार पेंशन देवत हे। सम्मान-जलसा घलो करत हे। छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन ले जुड़े एक सदस्य काहत रिहिसे- 'राज्य आन्दोलनकारी मनला घलो पेंशन अउ सम्मान मिलना चाही। काबर ते एकर मन के संघर्ष अउ ए राज के अस्मिता खातिर समर्पण ह मीसा बंदी मनले कोनो किसम के कम नइए"।
सुशील भोले
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तुतारी // भाजपा के चिंतन... कांग्रेस के चिंता...
भाजपा वाला मन अभी 'जंगल" म 'मंगल" मनावत हें। चौथा बेर सत्ता म बइठे खातिर पागी कसत हें। प्रदेश ले लेके राष्ट्रीय स्तर के नेता एकर खातिर चिंतन-मनन अउ क्रियान्वयन म भीड़े हें। फेर इहां के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के स्थिति उल्टा हे। वो अभी 'चिंता" के दौर ले गुजरत हे। देखौ वोकर चिंतन-मनन कब शुरू होही? कब जनता ल कोनो विकल्प मिलही?
सुशील भोले
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Friday, 24 June 2016
तुतारी // क्षेत्रीय पार्टी के रूप-रंग...
छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन ले लेके आज तक इहां जतका भी क्षेत्रीय पार्टी बनिस, सबके मानक इहां के मूल निवासी, भाषा-संस्कृति अउ अस्मिता रहिस। फेर लागथे के अभी-अभी नवा अंवतरे पार्टी ल एकर ले कोनो मतलब नइए, काबर ते एकर मुखिया ए विषय ऊपर न तो कभू एक शब्द कहे हे, न कुछु करे हे। तब तो सोचे जाना चाही के अइसन पार्टी ल का कहे जाना चाही, का माने जाना चाही? या फेर अइसन सोच वाले कोनो नवा के अगोरा करे जाना चाही?
सुशील भोले
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तुतारी // भाजपा के भरोसा....
सरगुजा म होय भाजपा के बड़का मनके बइठका म मुख्यमंत्री अपन चौथा पारी बर निसफिक्कर लागिस। पार्टी के जम्मो बड़का मन के सोच घलोक अइसने हे, के अब विपक्ष म कोनो संगठित बड़का ताकत नइ रहिगे त उंकर सत्ता सुरक्षित हे। फेर भविष्य के गर्भ अनचिन्हार होथे। कइसन लइका जनम जाही तेकर ठिकाना नइ राहय। भाजपा खातिर घलोक कहूं अइसने तो नइ हो जाही?
सुशील भोले
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Thursday, 23 June 2016
तुतारी // अधिकारी मन के बोल...
इहां के बड़का अधिकारी मन के बोल बीच-बीच म बिगड़त रहिथे। पहिली शिक्षा सचिव के जिम्मेदारी निभावत सुब्रत साहू इहां बरपेली उडिय़ा पढ़ाये के नांव म लोगन ल नाराज करे रिहिसे। स्वास्थ्य सचिव बने के तुरते बाद नर्स मनला सूजी लगाय के सिरिंज तक धरे बर नइ आवय कहिके नाराजगी झेलत हे। एलेक्स पाल मेनन के अलगेच गोठ हे, वो तो विवाद संग मितानी बद लिए हे।
सुशील भोले
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तुतारी // कला परंपरा के संरक्षण
जइसे-जइसे मनोरंजन के साधन के नवा-नवा तरीका आवत जात हे, तइसे-तइसे हमर पारंपरिक कला मंच अउ तरीका के चलन बंद होवत जात हे। अभी रायपुर म नाचा के कार्यशाला हेवत हे। नाचा के जुन्ना अउ नवा कलाकार मनला देख के मन खुशी घलो होथे अउ दुख घलो। खुशी ए बात के- हमर कला परंपरा ल एमन जीवित राखे हें। अउ दुख ए बात के सरकार इहां के कला के संरक्षण बर वतका चेत नइ करत ये जतका करना चाही।
सुशील भोले
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Tuesday, 21 June 2016
जोगी का 'कांग्रेस" मोह...
वर्ष का सबसे बड़ा दिन 21 जून छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नया इतिहास लिख गया। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने वर्तमान मुख्यमंत्री के गांव ठाठापुर में एक नई राजनीतिक पार्टी का विधिवत ऐलान कर दिया। इसी के साथ अब अजीत जोगी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 'पंजा" से पूरी तरह मुक्त हो गये हैं। उनकी नई पार्टी का नाम है- छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी)।
जोगी की पार्टी का नाम उम्मीद के अनुरूप ही है। जानकारों का यह विचार था कि वे 'कांग्रेस" के मोह से मुक्त नहीं हो सकते। इसलिए उनकी पार्टी में किसी न किसी रूप में 'कांग्रेस" शब्द का समावेश होगा ही। वैसे ही, जैसे पूर्व में कांग्रेस से अलग होने वालों ने कभी- कांग्रेस अर्स, कभी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या कभी तृणमूल कांग्रेस जैसे नामों का उपयोग किया।
अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ की जनता जोगी के इस 'कांग्रेस" मोह को किस रूप में स्वीकार करती है। खासकर यहां की उस वर्ग की जनता जो क्षेत्रीय पार्टी के मानक पर छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री का सपना संजोए बैठी है। क्षेत्रीय अस्मिता और क्षेत्रीय लोगों के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है।
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 9826992811, 8085305931
जोगी की पार्टी का नाम उम्मीद के अनुरूप ही है। जानकारों का यह विचार था कि वे 'कांग्रेस" के मोह से मुक्त नहीं हो सकते। इसलिए उनकी पार्टी में किसी न किसी रूप में 'कांग्रेस" शब्द का समावेश होगा ही। वैसे ही, जैसे पूर्व में कांग्रेस से अलग होने वालों ने कभी- कांग्रेस अर्स, कभी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या कभी तृणमूल कांग्रेस जैसे नामों का उपयोग किया।
अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ की जनता जोगी के इस 'कांग्रेस" मोह को किस रूप में स्वीकार करती है। खासकर यहां की उस वर्ग की जनता जो क्षेत्रीय पार्टी के मानक पर छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री का सपना संजोए बैठी है। क्षेत्रीय अस्मिता और क्षेत्रीय लोगों के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है।
* सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 9826992811, 8085305931
Monday, 20 June 2016
डेंगू और मलेरिया का मारक इलाज है 'चापड़े' की चटनी...
बस्तर के आदिवासियों में भोजन के साथ चापड़ा (लाल चींटे) की चटनी खास तौर पर लजीज और औषधीय मानी जाती है। जंगल में पाए जाने वाला लाल चींटा जिसे चापड़ा कहा जाता है। इसे बस्तरिया ग्रामीण बड़े चाव से इसका उपयोग चटनी बनाकर खाने में करते हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि टमाटर, हरी धनिया और मिर्ची के मिश्रण से चापड़ा की लजीज चटनी पीसी जाती है। ग्रामीणों के अनुसार इसके सेवन से मलेरिया तथा डेंगू की बीमारी ठीक हो जाती है। आमतौर पर ऐसी मान्यता है कि साधारण बुखार होने पर ग्रामीण पेड़ के नीचे बैठकर चापड़ा (लाल चीटों) से स्वयं को कटवाते हैं, इससे ज्वर उतर जाता है। चापड़ा की चटनी आदिवासियों के भोजन में अनिवार्य रूप से शामिल होती है।
बस्तर के हाट बाजारों में बहुतायत में चापड़ा 5 रूपए दोना में बेचा जाता है। ग्रामीण जंगल जाकर पेड़ के नीचे गमछा, कपड़ा बिछाकर शाखाओं को जोर-जोर से हिलाते हैं, जिससे चींटें झड़कर नीचे गिरते हैं, उन्हें इकट्ठा कर बेचने के लिए बाजार लाया जाता है।
Friday, 17 June 2016
तुतारी // हत्या के सुपारी बइगा ल...
मजेदार खबर हे। हमर इहां के पंचायत मंत्री ल मरवाये खातिर एक झन बइगा ल दस लाख रुपिया के सुपारी दे गे हवय। सुपारी वोमन दिये हें, जेकर जगा दस रुपिया तक नइये। ए खबर ल सुनके मोर सुवारी काहत रिहिसे- इहां के जतका बइगा अउ टोनही हें, वोमन ल पाकिस्तान अउ चीन के बार्डर म भेज देना चाही। हमर देश के असली दुश्मन मन मर जाहीं।
सुशील भोले
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सुशील भोले
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माँ : रीना उर्फ जयंती
मेरे कार्यालय में एक झाड़ू-पोछा लगाने वाली बाई है। लोग उसे रीना के नाम से जानते हैं। उसका असली नाम है-जयंती। छत्तीसगढ़ के महान संत गुरु घासीदास जी की जयंती 18 दिसंबर को होती है। इसी दिन रीना का जन्म हुआ था, इसलिए माता-पिता ने उसका नाम जयंती रख दिया। लेकिन बाद में रीना ने अपना नाम स्वयं रखा, और वह इसी नाम से जानी जाती है।
रीना जब मात्र 17 साल की थी तब उसकी शादी हो गई थी, और इसके ठीक दो वर्ष बाद 19 वर्ष की अवस्था में वह विधवा हो गई। इस बीच उसकी गोद में एक पांच माह का बेटा आ चुका था, जो आज भी उसके जीने का एकमात्र सहारा है।
रीना आज 36 वर्ष की हो चुकी है। बेटा मयंक 9 वीं कक्षा का छात्र है, जो उसका पूरा संसार है। रीना इसे झाड़ू-पोछा जैसे छोटे-मोटे काम कर के पाल-पोस भी रही है, और एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ा भी रही है।
रीना बेहद खूबसूरत है। जो भी देखता है, उससे आकर्षित और प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। कई लोग उसे आज भी पुर्नविवाह के लिए प्रस्ताव दे देते हैं। लेकिन रीना है कि अपने बेटे के अलावा और किसी चीज के लिए सोचती भी नहीं।
ऐसा नहीं है कि रीना किसी गरीब परिवार की बहू है। इसका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न कहलाता है। लेकिन सास-ससुर दकियानुस सोच के हैं। बेटा के कम उम्र में निधन हो जाने के कारण इसे अपशकुनी मानते हैं, इसलिए वे इसे किसी प्रकार का सहयोग नहीं करते। परिणाम स्वरूप रीना को अपना और अपने बेटे के जीवकोपार्जन के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़ते हैं।
रीना मुझे भैया कहती है। जब भी मुझसे बात करती है, तो केवल अपने बेटे के ही विषय में बात करती है। मैंने माताओं की महानता के अनेक किस्से पढ़े और सुने हैं। मुझे लगता है कि रीना के जीवन को भी उन महान और प्रेरणाप्रद कहानियों की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। भगवान ऐसी माँ हर संतान को दे।
सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 98269-92811, 80853-05931
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
तुतारी // योग अउ रोग...
दुनिया म जेन गति ले रोग-राई के बढ़वार होवत हे, वो ह चिंता के बात ये। सबले जादा चिंता के बात ये- मन के बीमारी। ये मानसिक रोग के कोनो किसम के दवई-दारू नइए। फेर भारतीय ऋषि-मुनि मन एकरो समाधान योग के माध्यम ले निकाले हें। योग न सिरिफ तन ल भलुक मन ल घलोक शांत करथे, स्वस्थ करथे। त आवव योग दिवस के बेरा म एला अपन जीवन म अपनावन, अउ एकर महात्तम ल दुनिया म बगरावन।
सुशील भोले
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तुतारी // छत्तीसगढिय़ा मन 4 साल कम जीहीं...
छत्तीसगढिय़ा मन बर खतरा के घंटी हे। अब एमन चार साल कम जीहीं। एक शोध म जानकारी मिले हे के देश के आने भाग म तो लोगन के जिनगी 3.4 साल कम होगे हे, फेर छत्तीसगढिय़ा मन के जिनगी 4.1 साल कम होगे हे। एकर कारण हे- जहर उगलत औद्योगिकीकरण, उजार परत जंगल-झाड़ी अउ जीवन दायिनी नंदिया-नरवा मन के बर्बादी। आउटसोर्सिंग वाले सरकार तैं इहां के जिनगी खातिर कतका ईमानदार हस, तोर ऊपर प्रश्न चिन्ह हे?
सुशील भोले
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Wednesday, 15 June 2016
तुतारी // उधारी के महापुरुष....
राजनीतिक स्वार्थ ह आस्था, इतिहास अउ परंपरा ल कइसे बिगाड़ देथे, एला देखना हे, त अभी इहां होवत सामाजिक जलसा मनला देखे जा सकथे। सत्ताधारी मन के सलाह म जम्मो समाज के स्थानीय महापुरुष मनला एक तीर म तिरिया के बाहिर ले लाने गे उधारी के महापुरुष मनला फूल-माला पहिराए जावत हे।
सुशील भोले
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Monday, 13 June 2016
तुतारी // सरकारी गरुवा- 'गुरुजी"
सरकार के जतका विभाग हे, वोमा के सबले गरुवा विभाग हे- 'गुरुजी विभाग"। बपरा मनला लइका पढ़ाए के छोड़ बाकी सब काम म लगा दिए जाथे। अभी डोंगरगांव के कलेक्टर ह जम्मो गुरुजी मनला लोटा धर के कोन-कोन संझा-बिहनिया भांठा कोती जाथे, एकर देख-रेख के ड्यूटी लगा दिए हे। देखौ, अभी गुरुजी मनला अउ का-का देखना बाकी हे।
सुशील भोले
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तुतारी // कबीर के संस्कार....
मैं ये देश म सिरिफ कबीर दास ल ही कवि मानथौं। काबर, वो जइसन कहे हें, वइसनेच जीए हें। फेर दुख के बात हे, वोकर चेला मन पद, पइसा अउ पॉवर ल मानक माने बर धर लिए हें। आज जेठ महीना के पुन्नी के दिन उंकर जयंती के बेरा म उनला शत-शत नमन हे। मोर बर खुशी के बात ए हे के आज कबीर-पुन्नी के ही मोर बड़का नोनी के जनम दिन आय। मोर पीढ़ी ल कबीर के संस्कार मिलय, बस इही अरजी हे।
सुशील भोले
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तुतारी // आस्था अउ अवैध कब्जा...
आस्था के आड़ म अवैध कब्जा के भारी खेल होवत हे। कोनो भी जगा कोनो प्रतीक ल रख दिए जाथे, तहांले वोकर आड़ म चारों मुड़ा के जमीन ल कब्जाना, चंदाखोरी करना, राजनीतिक अउ सामाजिक दलाली होए लागथे। का अइसे नइ लागय के अपन खुद के जगा म, सही जगा मआस्था के केन्द्र बनाए जाही त लोगन के श्रद्धा वोकर खातिर जादा बाड़ही?
सुशील भोले
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तुतारी // हरियर पंछा... भगवा पंछा...
छत्तीसगढ़ के राजनीति म पहिली बेर दू बड़का नेता अलग-अलग पार्टी ले आके क्षेत्रीय पार्टी के बात करत हें। एक हरियर पंछा वाला, दूसर भगवा पंछा वाला। ये दूनों पंछा म काकर ऊपर भरोसा करे जाय? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार- हरियर रंग के स्वामी बुध होथे, एकर जातक बुद्धिमान होथे, शातिर होथे। भगवा रंग के स्वामी मंगल होथे, एकर जातक ईमानदार, समर्पित अउ भरोसादार होथे। अब आप मनला देखना हे- कोन रंग के पंछा के भरोसा छत्तीसगढिय़ा राज लाना हे।
सुशील भोले
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सुशील भोले
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Friday, 10 June 2016
तुतारी // संजीवनी बनत जहर...
संजीवनी कर्मचारी मन के हड़ताल अब लोगन ल 'जहर" बरोबर जनावत हे। पूरा राज भर ले मरीज अउ उंकर परिवार वाले मन के हलाकान होए के खबर सुनावत हे। राजधानी के बूढ़ा तरिया तीर के धरना स्थल म बइठे कर्मचारी मनला एस्मा के अंतर्गत गिरफ्तार घलो करे गे हवय, फेर हड़ताल टूट नइ पाये हे। देखौ कब हड़ताल टूटही... कब गरीब-गुरबा मनला सरकारी अस्पताल म आये-जाये के थेगहा मिलही?
सुशील भोले
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सुशील भोले
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तुतारी // छालीवुड के सिनेमा....
छत्तीसगढ़ी के नांव म बनत सिनेमा देखे के सउंख मोर बुतागे हावय। दू-चार फिलिम देखे रेहेंव उनला देख के लागय के मुंबइया फिलिम के नकल देखत हावंव। फेर चंद्रशेखर चकोर के फिलिम 'गुरुजी के चक्कर" देखे के बाद मन म थोरिक मया जागिस। चंद्रशेखर इहां के भाषाई अउ सांस्कृतिक अस्मिता ले जुड़े हे, तेकर सेती वोकर सिरजन म छत्तीसगढ़ी अस्मिता के छाप दिखिस... नइते तो धंधा छाप निर्माता मन तो छत्तीसगढ़ी के हत्या के छोड़ अउ कुछु नइ करंय।
सुशील भोले
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सुशील भोले
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Wednesday, 8 June 2016
तुतारी // नवा डोंगा के सवारी...
इहां के राजनीतिक समुंदर म तउंरे खातिर एक ठन नवा डोंगा बनत हे। फेर मजेदार बात ए हे, के जतका 'आउट डेटेट" नेता रिहिन हें, तेमन अपन-अपन बिला ले निकल के नवा डोंगा के सवारी खातिर भागत हें। अब सवाल ए बात के हे, के डोंगहार के पतवार एमन ला पार नहकाही, ते बीच दहरा म बोर देही?
सुशील भोले
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सुशील भोले
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तुतारी // तरिया पार म कलेक्टर के बइठका...
कोंडागांव के कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी अभी तरिया के सफाई म भारी मगन हें। रोज माड़ी भर पानी म उतर के उहां बगरे कचरा मनला साफ करथें। अधिकारी मनके बइठका घलो उहेंच बर पेंड़ के छांव म ले लेथें। मंत्रालय के जुड़-जुड़ एसी रूम बइठ के खुरसी टोरत अधिकारी मनला उंकर ले कुछु सीखना चाही। काम करे बर खुद तरिया म उतरे बर लागथे। एसी रूम म बइठ के खेत-खार, गरीब-किसान मन के दुख ल नइ जाने जा सकय।
सुशील भोले
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Tuesday, 7 June 2016
तुतारी // स्कूल जाबो... जिनगी गढ़बो...
स्कूल खुले के दिन लकठागे हे। फेर सरकारी स्कूल मन के हाल अभी ले बेहाल हे। लइका मनला बांटे जाने वाला कपड़ा-किताब कुछुच के जुगाड़ शिक्षा विभाग नइ कर पाये हे। फेर ए सबले अनजान लइका मन बस अतके काहत हें- 'स्कूल जाबो पढ़े बर, अपन जिनगी ल गढ़े बर।" देखौ कतका जिनगी गढ़ाथे। मुख्यमंत्री जी सुराज अभियान के बखत काहत रिहिन हें- "इहां के गुरुजी मनला बीस तक के पहाड़ा नइ आवय, त लइका मनके का कहिबे?"
सुशील भोले
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सुशील भोले
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तुतारी // अब मरीज मन भोगाहीं...
पनियर दार अउ जरहा भात खा खाके हलाकान होए मरीज मन बर खुशखबरी हे। इहां के जिला अस्पताल ह अब एमन ला रोज सौ रुपिया के खाना देही, जेमा गाढ़ा दार, पातर चांउर के भात, फल-दूध के संग मिठई घलो रइही। लागथे अब मरीज मन जल्दी भोगाहीं? फेर कतकों झन इहू पूछत रिहिन- सौ रुपिया के खाना सिरतोन म मरीज तक पहुंचही, ते बीच के चील-कौंवा मन एला झपट लेहीं?
सुशील भोले
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Monday, 6 June 2016
तुतारी // छत्तीसगढ़ी म एमए अउ बेरोजगारी...
पं. रविशंकर शुक्ल वि.वि. ह छत्तीसगढ़ी म एमए के पढ़ई चालू कर के सैकड़ों लोगन ल डिगरी बांट डारे हे। फेर अभी तक एको लइका ल छत्तीसगढ़ी के नांव म नौकरी नइ मिल पाए हे। नवा सत्र ले प्राथमिक शिक्षा के पचीस प्रतिशत पढ़ई छत्तीसगढ़ी म होही अइसे कहे जावत हे। अब देखना ये हे, के एमए छत्तीसगढ़ी पढ़े मन के उद्धार होथे या इहों अउटसोर्सिंग के खेल चलथे?
सुशील भोले
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तुतारी // अंकरस के दिन नंदागे...
मानसून आये के पहिली जब बरसा होय अउ किसान मन नांगर फांदय, त वोला अंकरस के नांगर कहंय। अब बेरा के संग खेती-किसानी के तौर-तरीका बदलगे। खुर्रा बोनी, अंकरस बोनी लगभग नंदागे। नांगर जोतत किसान के ददरिया के सर्रई अउ कमइलीन के वोला झोंक के जुवाब देवई। सब तइहा के बात होगे। अब टेक्टर के धुंगिया उगलत भकभकी भाखा के सोर के छोंड़ खेत म अउ कुछु नइ सुनावय।
सुशील भोले
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सुशील भोले
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Saturday, 4 June 2016
तुतारी // बड़का चोर कब धराही..?
छापा मार विभाग वाले मन अभी दनादन छापामारी करत हें। फेर छोटे-मोटे अधिकारी अउ उंकर जगा ले निकलत थोर-मोर पइसा ल देख के ककरो मन अघावत नइये। लोगन तो ए देखना चाहत हें, के भ्रष्टाचार के सिंहासन म बइठे लोगन कब फांदा म फंदहीं? कब इहां के असली चोर मन जेल म धंधाहीं? का छापामार विभाग वाले मन अतका हिम्मत कर पाहीं?
सुशील भोले
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सुशील भोले
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तुतारी // धर्म अउ कानून...
रायपुर के महादेव घाट म अवैध रूप ले बनाए गे हनुमान मंदिर ल अदालत ह टोरे के आदेश दे दिए हे। एला बनवाने वाला मन के अगुवा एक बड़का संवैधानिक पद म बइठे हे, तभो ले वो ह संवैधानिक संस्था के आदेश ल माने ल छोड़ के अवैध मंदिर ल बचाए बर लोगन जगा आस्था के भजन गवावत हे। अब प्रश्न ये हे के ए देश के संवैधानिक पद म बइठे लोगन संवैधानिक संस्थान के आदेश ल नइ मानहीं, त देश के संविधान अउ कानून-कायदा के रखवारी कइसे होही?
सुशील भोले
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सुशील भोले
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Friday, 3 June 2016
छत्तीसगढिय़ावाद और अजीत जोगी....
कांग्रेस की स्थानीय राजनीति में अपने हर प्रतिद्वंद्वी को नेस्तनाबूद कर देने के लिए हमेशा एक पैर पर खड़े रहने वाले अजीत जोगी, इन दिनों क्षेत्रीय पार्टी बनाने के रास्ते पर चल पड़े हैं। अपने पुत्र अमित जोगी को कांग्रेस की बर्खास्तगी से नहीं बचा पाने और स्वयं भी निष्काषन की कगार पर खड़ा होने के कारण अपने अंतिम दांव के रूप में नई पार्टी बनाने की लगभग घोषणा कर दिए हैं। लेकिन प्रश्न अब यह है कि क्या जोगी इस क्षेत्रीय पार्टी को छत्तीसगढिय़ावाद के मापदंड पर खड़ा करेंगे या अपनी घिसी-पिटी कांग्रेसी चाल पर ही चलते रहेंगे?
इस बात को यहां के लोग अब तक नहीं भूले हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ जब अजीत जोगी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब यहां के मूल निवासियों की उम्मीद बढ़ गई थी। उन लोगों को लग रहा था कि उन्हें यहां विशेष तवज्जो मिलेगा। यहां की अस्मिता, भाषा-संस्कृति देश के नक्शे पर सम्मानित होगी। यहां के शिक्षित युवक-युवती शासन के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होंगे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों की उम्मीदों पर पानी फिरता गया। जोगी, सोनिया गांधी की जय बोलाने और स्थानीय लोगों को जाति-पाती के नाम पर लड़ाने और बरगलाने के अलावा और कुछ नहीं किए। छत्तीसगढ़ की दो प्रमुख स्वाभिमानी जाति कुर्मी और सतनामी को बार-बार लड़ाने की कोशिश की गई, और यह कोशिश आज भी जारी है।
राज्य निर्माण के साथ ही यहां के प्रमुख भवनों का नामकरण प्रारंभ हुआ, और यहीं से ही जोगी की असलियत सामने आने लगी। पहले दिन मनवा कुर्मी समाज का महाधिवेशन रायपुर के पंडरी में आयोजित था। वहां उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के स्वप्नदृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल के नाम पर विधान सभा भवन का नामकरण करने की घोषणा की। ठीक इसके दूसरे दिन सतनामी समाज का कार्यक्रम था, वहां जाकर उन्होंने उसी भवन का नाम मिनी माता के नाम पर करने की घोषणा कर दी। उनके इस विरोधाभाषी घोषणा पर दोनों ही समाज के लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया था,। यह एक ऐतिहासिक सत्य है।
अजीत जोगी यहां की अस्मिता के प्रति हमेशा उदासीन रहे। उनके कार्यकाल में न तो यहां की भाषा के लिए किसी आयोग का गठन किया गया, और न ही मूल संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के कोई विशेष पहल की गई। यहां का बहुसंख्य समाज ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) उनकी उपेक्षा का हमेशा शिकार रहा। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में और तो और पिछड़ा वर्ग विकास आयोग का गठन भी नहीं किया। उनके ऐसे ही क्रियाकलापों के चलते राज्य निर्माण के पश्चात पहली बार हुए चुनाव में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया। यह सिलसिला लगातार तीन चुनावों में हैट्रिक लगा चुका है। अब तक उनकी पार्टी में यह स्थिति निर्मित हो चुकी थी, कि उन्हें पार्टी से 'खो" करने की कोशिश की जा रही थी। तभी वे अपनी लंगोटी बचाने के लिए खुद ही कांग्रेस से निकलने और एक नई क्षेत्रीय पार्टी बनाने की दिशा में आगे बढ़ गये।
अब देखना यह है कि इस पार्टी को किस मापदण्ड पर स्थापित करते हैं। क्योंकि छत्तीसगढिय़ावाद को समाप्त करने में तो उनका ही प्रमुख योगदान रहा है। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में मुख्यमंत्री निवास केवल बाहरी लोगों से गुलजार रहता था। बाद के दिनों सागौन बंगला भी ऐसे ही तत्वों से भरा रहा। इसलिए मन में यह प्रश्न कौंधना लाजिमी है कि उनकी क्षेत्रीय पार्र्टी का मापदंड क्या होगा?
सुशील भोले
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इस बात को यहां के लोग अब तक नहीं भूले हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ जब अजीत जोगी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब यहां के मूल निवासियों की उम्मीद बढ़ गई थी। उन लोगों को लग रहा था कि उन्हें यहां विशेष तवज्जो मिलेगा। यहां की अस्मिता, भाषा-संस्कृति देश के नक्शे पर सम्मानित होगी। यहां के शिक्षित युवक-युवती शासन के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होंगे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों की उम्मीदों पर पानी फिरता गया। जोगी, सोनिया गांधी की जय बोलाने और स्थानीय लोगों को जाति-पाती के नाम पर लड़ाने और बरगलाने के अलावा और कुछ नहीं किए। छत्तीसगढ़ की दो प्रमुख स्वाभिमानी जाति कुर्मी और सतनामी को बार-बार लड़ाने की कोशिश की गई, और यह कोशिश आज भी जारी है।
राज्य निर्माण के साथ ही यहां के प्रमुख भवनों का नामकरण प्रारंभ हुआ, और यहीं से ही जोगी की असलियत सामने आने लगी। पहले दिन मनवा कुर्मी समाज का महाधिवेशन रायपुर के पंडरी में आयोजित था। वहां उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के स्वप्नदृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल के नाम पर विधान सभा भवन का नामकरण करने की घोषणा की। ठीक इसके दूसरे दिन सतनामी समाज का कार्यक्रम था, वहां जाकर उन्होंने उसी भवन का नाम मिनी माता के नाम पर करने की घोषणा कर दी। उनके इस विरोधाभाषी घोषणा पर दोनों ही समाज के लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया था,। यह एक ऐतिहासिक सत्य है।
अजीत जोगी यहां की अस्मिता के प्रति हमेशा उदासीन रहे। उनके कार्यकाल में न तो यहां की भाषा के लिए किसी आयोग का गठन किया गया, और न ही मूल संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के कोई विशेष पहल की गई। यहां का बहुसंख्य समाज ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) उनकी उपेक्षा का हमेशा शिकार रहा। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में और तो और पिछड़ा वर्ग विकास आयोग का गठन भी नहीं किया। उनके ऐसे ही क्रियाकलापों के चलते राज्य निर्माण के पश्चात पहली बार हुए चुनाव में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया। यह सिलसिला लगातार तीन चुनावों में हैट्रिक लगा चुका है। अब तक उनकी पार्टी में यह स्थिति निर्मित हो चुकी थी, कि उन्हें पार्टी से 'खो" करने की कोशिश की जा रही थी। तभी वे अपनी लंगोटी बचाने के लिए खुद ही कांग्रेस से निकलने और एक नई क्षेत्रीय पार्टी बनाने की दिशा में आगे बढ़ गये।
अब देखना यह है कि इस पार्टी को किस मापदण्ड पर स्थापित करते हैं। क्योंकि छत्तीसगढिय़ावाद को समाप्त करने में तो उनका ही प्रमुख योगदान रहा है। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में मुख्यमंत्री निवास केवल बाहरी लोगों से गुलजार रहता था। बाद के दिनों सागौन बंगला भी ऐसे ही तत्वों से भरा रहा। इसलिए मन में यह प्रश्न कौंधना लाजिमी है कि उनकी क्षेत्रीय पार्र्टी का मापदंड क्या होगा?
सुशील भोले
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Thursday, 2 June 2016
तुतारी // का जोगी बनही तीसर शक्ति....?
छत्तीसगढ़ राज आन्दोलन जबले चालू होय रिहिसे, तब ले इहां राजनीतिक ताकत के रूप म एक तीसर शक्ति के अगोरा होवत रिहिसे। राज बने के पहिली अउ राज बने के बाद इहां कुछ क्षेत्रीय पार्टी बनिस घलो, फोर तीसर शक्ति बने के क्षमता कोनो म नइ दिखिस। अब अजीत जोगी कांग्रेस ले बिदा ले लेके तीसर शक्ति के रद्दा म आगू बढ़त हवंय। भरोसा हे लोगन के तीसर शक्ति के अगोरा ल मंजिल मिलही। शुभकामना.....
सुशील भोले
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सुशील भोले
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Wednesday, 1 June 2016
तुतारी // अमृत बनत जहर....
सरकार के कतकों योजना बहुत अच्छा होथे, फेर वोकर क्रियान्वयन कतका दुखद अउ जीवलेवा हो सकथे, एला देखना हे, त अभी इहां के आंगनबाड़ी मन म अमृत दूध के नांव म बांटे गे जहर के परिणाम ल देखे जा सकथे। सरकारी तंत्र म बइठे लोगन कतका लापरवाह, बेसुध अउ गैरजिम्मेदार होगे हें। 28 दिन पुराना दूध जब लइका मनला पियाए जाही, त वो जहर के ही काम करही।
सुशील भोले
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Tuesday, 31 May 2016
तुतारी // समरसता भोज
जइसे-जइसे चुनाव लकठाथे तइसे-तइसे एक ले बढ़के एक ढोंग अउ पाखण्ड देखे बर मिलथे। अभी उत्तर प्रदेश म चुनाव होवइया हे, त उहां समरसता के खेल चालू होगे हे। बीते मंगलवार के वाराणसी के एक दलित के घर भाजपा के शहंशाह 'समरसता भोज" करे बर पहुंचगे। मजेदार बात ये आय के पेट भर खाइसे 'शाह" ह अउ पेट पिराइसे 'बहिन जी" के।
सुशील भोले
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सुशील भोले
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तुतारी // कबीरदास अउ कुमार विश्वास..?
कवि हजारों होथें, फेर सबके अलग-अलग दृष्टिकोण अउ उद्देश्य होथे। कतकों झन जब मोला जानथें के ये कवि ये, त झट पूछथे- फलाना हास्य कवि संग आथस-जाथस का? मैं कहिथौं के मैं तो एक उद्देश्य अउ सिद्धांत ल लेके साहित्यिक रचना लिखथौं, त वोकर समझ म कुछु नइ आवय। मैं कहिथौं- जेन दिन तैं कबीर दास अउ कुमार विश्वास के अंतर ल समझ जाबे, उही दिन तोला हास्य अउ गंभीर लेखन के अंतर घलोक समझ आ जाही।
सुशील भोले
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Monday, 30 May 2016
तुतारी // मानसून ढेरियावत हे....
मानसून हमर देश म 1 जून ले लेके 5 जून तक प्रवेश करथे। मौसम विज्ञानी मन के कहना हे के देश के बाकी भाग म तो मानसूम ह अपन बेरा म प्रवेश करही फेर केरल म थोकन पिछुवा जाही। नवतपा म बरखा के नजारा देखत छत्तीसगढ़ बर ये ह संसो के बात ये, काबर ते हमर राज म केरल के ही मानसून ह खेती-किसानी बर जादा फायदा के होथे। मानसून ढेरियाही त खेती घलोक ढेरिया देही।
सुशील भोले
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सुशील भोले
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तुतारी // राज्यसभा म आरुग छत्तीसगढिय़ा....
अभी राज्यसभा म हमर राज ले दू आरुग छत्तीसगढिय़ा सदस्य के रूप म जाहीं। इहां अइसन नजारा तब देखे बर मिलथे, जब मुख्य चुनाव तीर-तखार म नजर म आए बर धर लेथे। नहीं ते बाकी समय म तो राष्ट्रीयता के नांव म क्षेत्रीय उपेक्षा के खेल चलत रहिथे। जय राष्ट्रीयता....जय राष्ट्रीय पार्टी....
सुशील भोले
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Saturday, 28 May 2016
तुतारी // अंत समय म मति भ्रम...
अइसे कहे जाथे के जब काकरो अंत समय आथे, त वोकर मति भ्रष्ट हो जाथे या भ्रम के अवस्था म पहुंच जाथे। अभी मोदी सरकार ह अपन कार्यकाल के दू बछर पूरा करे के जलसा मनावत हे। फेर कांग्रेस वाला मन के एकर खातिर जइसे किसम के प्रतिक्रिया आवत हे, वो ह, वो अंत समय वाला कहावत ल चरितार्थ करत हे, अइसे जनावत हे।
सुशील भोले
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तुतारी // नवतपा म बरखा....
जब ले नवतपा लगे हे, तब ले बादर भइया के मया बाढग़े हे। रोज संझा धमक देथे। थोक-बहुत घुड़ुर-घाडऱ करथे, पानी बरसथे, फेर कोनो-कोनो जगा करा घलो ठठा देथे। आंधी-गरेर घलो संग म लानथे, जे ह टीन-टप्पर, रूख-राई मन के सत्यानाश कर देथे। लोगन बस अतके पूछत रहि जाथें, के बादर भइया तैं बरसात म कहां लुकाए रेहे?
सुशील भोले
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Friday, 27 May 2016
छत्तीसगढ़ी लेखन म शब्द के चयन
छत्तीसगढ़ राज बने के बाद अउ खास करके छत्तीसगढ़ी ल ये राज म राजभाखा के दरजा मिले अउ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के स्थापना होय के बाद छत्तीसगढ़ी लेखन ह भरदरागे हवय। अब उहू मन छत्तीसगढ़ी म लिखे बर धर लिए हें, जे मन कभू हमन ल संकीर्ण अउ राष्ट्रभाषाद्रोही होए के आरोप लगावत राहंय। फेर ये भरदराये लेखन म इहू देखब म आवत हवय के लोगन कतकों शब्द मनला बिगाड़ के या फेर आने-ताने लिखत हावंय।
खास करके मोला अइसन देखे बर ए सेती मिलथे काबर ते मैं कई ठन पत्र-पत्रिका मन के संपादन के बुता म कोनो न कोनो किसम ले जुड़े रहिथंव। एकरे सेती जुन्ना साहित्यकार मन के संगे-संग नवा-नेवरिया मन के लेखन अउ उंकर शब्द चयन के पाला मोर संग परत रहिथे। अलग-अलग क्षेत्र के लोगन के अलग-अलग शब्द चयन संग घलोक मुठभेड़ होवत रहिथे। तब लागथे के अभी तक एकर मानक रूप के निर्धारण या पालन काबर नइ हो पाय हे, जेमा जम्मो क्षेत्र के लोगन एके किसम के शब्द मन के उपयोग कर लेतीन?
उदाहरण खातिर मैं अइसन मनखे के लिखे शब्द अउ वाक्य ल ए मेर रखना चाहत हंव, जेकर छत्तीसगढ़ के संगे-संग देश भर म एक भाषा-वैज्ञानिक के रूप म चिन्हारी हवय, अउ वो हें- डॉ. विनय कुमार पाठक। संगी हो, मैं कोनो नवा-नेवरिया लेखक के लिखे ल जान-बूझके उदाहरण के रूप म नइ रखना चाहंव, काबर ते वोकर लेखन म अंगरी उठाये के अबड़ अकन ठउर मिल सकत हे।
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के प्रांतीय सम्मेलन 2014 के स्मारिका के पृष्ठ क्र. 10 म डॉ. विनय कुमार पाठक के एक लेख छपे हे, शीर्षक हे- 'छत्तीसगढ़ के चिन्हारी : भाषा-साहित्य के जुबानी"। ये लेख के शुरुवात ल बने चेत लगाके पढ़व, काबर ते हम एकरे ऊपर चरचा करबो। लिखे गे हे- 'छत्तीसगढ़ी साहित्य भारतेंदु युग ले ओगर के आज के इक्कीसवीं सदी के चौदा बछर म हबरगे हे।"
अब ये वाक्य ऊपर मोर दू-तीन ठन प्रश्न हवय, आपो मन जुवाब दे के कोशिश करहू। सबले पहला प्रश्न- छत्तीसगढ़ी साहित्य संग भारतेंदु के का संबंध हे? का हिंदी या खड़ी बोली के भारतेंदु के पहिली ले छत्तीसगढ़ी म लेखन होवत नइ आवत हे? हमर इहां लोक साहित्य के जेन खजाना हवय वो ये बात ल सिद्ध करथे के भारतेंदु के पहिली ले छत्तीसगढ़ी म लेखन होवत आवत हे। लोक साहित्य के अथाह खजाना दू-चार बछर म नइ सिरज जाय, एकर बर हजारों साल के लंबा दौर ले गुजरना होथे।
हमर इहां के विद्वान मन छत्तीसगढ़ी के पहला प्रयोग आज ले 600 साल पहिली सन् 1497 म चारण कवि बलराम राव खैरागढ़ वासी ले करे के उदाहरण देथें-
लक्ष्मीनिधी राय सुनौ चित्त के गढ़ छत्तीसगढ़ न गढैय़ा रही
मरदूमी रही नहीं मरदन के फेर हिम्मत ले न लड़ैया रइही।।
एकरो ले आगू बढिऩ त छत्तीसगढ़ी के जुन्ना रूप ल दंतेवाड़ा म सन् 1703 अउ वोकर कोरी भर पाछू आरंग के अभिलेख म घलोक देखे के बात कहे जाथे। संत कबीर के शिष्य अउ वोकर समकक्ष धनी धरमदास के 'जामुनिया के डार मोर टोर देव हो...Ó जइसन रचना मनला घलोक छत्तीसगढ़ी के जुन्ना रूप के उदाहरण खातिर देखाये जाथे। त फेर एला भारतेंदु युग ले ओगरे के बात काबर कहे जाथे? कहूं ये ह छत्तीसगढ़ी ल भारतेंदु माध्यम ले हिंदी के पिछलग्गू बनाय के प्रयास तो नोहय?
मोर दूसरा प्रश्न- 'छत्तीसगढ़ी साहित्य भारतेंदु युग ले 'ओगर" के..." का साहित्य या भाखा ह 'ओगरथे"? ओगरना, पझरना, निथरना, बोहाना जइसन शब्द ल हमन कोनो तरल पदार्थ, जइसे- पानी या पछीना खातिर प्रयोग करत रेहे हावन के वो कुआं या झिरिया ले तुरते पानी 'ओगरे" ले धर लिस गा। फेर भाखा या साहित्य खातिर हम कभू 'ओगरे" शब्द के प्रयोग न सुने रेहेन न करे रेहेन। का कोनो फलाना घर लइका ओगरे हे कहि देही त हमन मान लेबो? हर शब्द के प्रयोग के अपन मरजाद हे, वोला वोकरे अंतर्गत करे म सुहाथे। जिहां तक भाखा या साहित्य के बात हे, त एकर खातिर 'उद्गरथे" शब्द के उपयोग ह जादा अच्छा लाग सकथे। काबर भाखा या साहित्य के जनम होथे, उत्पत्ति होथे। वो उद्गरथे।
मोर तीसरा प्रश्न- 'छत्तीसगढ़ी साहित्य..... आज के इक्कीसवीं सदी के चौदा बछर म हबरगे हे।" सुरता रखव- 'हबरगे हे"। मोला लागथे के इहां 'हबरगे" शब्द ह वतका अच्छा नइ लागत हे, जतका 'संघरगे" जइसे कोनो शब्द ए जगा लिखे जातीस। बिलासपुर अउ रायगढ़ क्षेत्र म पहुंचे खातिर 'हबरना" शब्द के प्रयोग करे जाथे, फेर रायपुर अउ दुरुग क्षेत्र म 'हबरना" शब्द ल ए रूप म स्वीकार नइ करे जाय।
मोला जिहां तक थोक-मोक जानकारी हे तेकर अनुसार रायपुर-दुरुग के छत्तीसगढ़ी ल ही गुनिक मनखे मन मानक रूप म अपनाये के गोठ करथें। वइसे भी कोनो भी भाषा के मानक रूप वो क्षेत्र या राज के राजधानी के भाषा ल मानक रूप माने जाथे। जिहां तक भाषा के मिठास के बात हे, त पूरा छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र के भाषा, शब्द अउ उच्चारण गुरतुर हे। तभो ले मानक रूप तो राजधानी के ही भाषा ल माने जाही। डॉ. विनय कुमार पाठक के छवि एक भाषा-वैज्ञानिक के हवय त उंकर ले अइसन शब्द प्रयोग के आशा करे जाथे, जेला चारोंखुंट स्वीकारे जाय।
आजकल दू गोडिय़ा, चरगोडिय़ा जइसन शब्द के प्रयोग दोहा अउ मुक्तक शैली के पद्य लेखन खातिर करे जावत हे, एहू ह मोला बने नइ लागय। हमर इहां लोक परंपरा म दू गोडिय़ा, चरगोडिय़ा जइसे शब्द मन के प्रयोग जानवर मन खातिर करे जाथे। कविता के कोनो रूप खातिर नहीं। हमर इहां लाईन या पंक्ति खातिर डांड़ शब्द के प्रयोग करे जाथे, त अइसन रचना मनला दू डांड़, चार डांड़ काबर नइ कहे जाय?
कोनो-कोनो संगी मन धन्यवाद के छत्तीसगढ़ी अनुवाद पूछथें, कोनो स्वागत हे के विकल्प पूछथे, त मोला बड़ा अचरज लागथे। हमन ल इहां ेए बात जानना जादा जरूरी हे संगी हो, के छत्तीसगढ़ी लेखन खातिर पहिली इहां के संस्कृति, परंपरा, लोकाचार अउ लोकव्यवहार ल जानना जादा जरूरी हे। तभे लेखन म छत्तीसगढ़ी के आत्मा दिखही। नइते फर्जी भाषा वैज्ञानिक मन के चक्कर म छत्तीसगढ़ी लेखन छदर-बदर हो जाही।
धन्यवाद काबर दिए जाथे? हमर खातिर कोनो अच्छा बुता करथे तब ना? फेर छत्तीसगढ़ी म जुच्छा धन्यवाद कहे के परंपरा नइए, भलुक हमर इहां एकर बदला म शुभकामना दे के परंपरा हे। जब कोनो हमर हित के काम करथे, त हम वोला सिरिफ धन्यवाद कहिके नइ टरका देवन, भलुक वोकर बदला, बने करे बाबू, भगवान तोर भला करे जइसे शब्द के माध्यम ले शुभकामना देथन। अइसने स्वागत शब्द के बात हे। त हमर इहां जब कोनो हमर घर आथे त वोला जुच्छा आना गा तोर स्वागत हे नइ कहे जाय, भलुक हमर इहां जोहार करे जाथे। जोहार संग भेंट शब्द के प्रयोग करे जाथे। एला जोहार-भेंट करना कहिथन।
संगवारी हो, ए ह छोटकुन उदाहरण आय के छत्तीसगढ़ी लेखन ल बने चेत लगा के करे जाय। छत्तीसगढ़ी के नांव म कुछ भी नइ लिखे जाना चाही। एकर ले हमर भाखा-साहित्य के हिनमान होये के संभावना रहिथे। मोर वोकरो मनले अरजी हे, जेमन शब्द ल बिगाड़ के लिखत रहिथें। जइसे संस्कृति ल संसकिरिति, शब्द ल सब्द, सुशील ल सुसील, ऋषि ल रिसि आदि-आदि। मैं ये सिद्धांत के पोषक आंव के हमन जब लेखन खातिर नागरी लिपि ल आत्मसात करे हावन त वोकर जम्मो शब्द (अक्षर / वर्ण) मनके प्रयोग ल घलोक करन। वोमा कोनो किसम के छेका-बांधा झन करन।
सुशील भोले
म.नं. 41-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 98269-92811, 80853-05931
खास करके मोला अइसन देखे बर ए सेती मिलथे काबर ते मैं कई ठन पत्र-पत्रिका मन के संपादन के बुता म कोनो न कोनो किसम ले जुड़े रहिथंव। एकरे सेती जुन्ना साहित्यकार मन के संगे-संग नवा-नेवरिया मन के लेखन अउ उंकर शब्द चयन के पाला मोर संग परत रहिथे। अलग-अलग क्षेत्र के लोगन के अलग-अलग शब्द चयन संग घलोक मुठभेड़ होवत रहिथे। तब लागथे के अभी तक एकर मानक रूप के निर्धारण या पालन काबर नइ हो पाय हे, जेमा जम्मो क्षेत्र के लोगन एके किसम के शब्द मन के उपयोग कर लेतीन?
उदाहरण खातिर मैं अइसन मनखे के लिखे शब्द अउ वाक्य ल ए मेर रखना चाहत हंव, जेकर छत्तीसगढ़ के संगे-संग देश भर म एक भाषा-वैज्ञानिक के रूप म चिन्हारी हवय, अउ वो हें- डॉ. विनय कुमार पाठक। संगी हो, मैं कोनो नवा-नेवरिया लेखक के लिखे ल जान-बूझके उदाहरण के रूप म नइ रखना चाहंव, काबर ते वोकर लेखन म अंगरी उठाये के अबड़ अकन ठउर मिल सकत हे।
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के प्रांतीय सम्मेलन 2014 के स्मारिका के पृष्ठ क्र. 10 म डॉ. विनय कुमार पाठक के एक लेख छपे हे, शीर्षक हे- 'छत्तीसगढ़ के चिन्हारी : भाषा-साहित्य के जुबानी"। ये लेख के शुरुवात ल बने चेत लगाके पढ़व, काबर ते हम एकरे ऊपर चरचा करबो। लिखे गे हे- 'छत्तीसगढ़ी साहित्य भारतेंदु युग ले ओगर के आज के इक्कीसवीं सदी के चौदा बछर म हबरगे हे।"
अब ये वाक्य ऊपर मोर दू-तीन ठन प्रश्न हवय, आपो मन जुवाब दे के कोशिश करहू। सबले पहला प्रश्न- छत्तीसगढ़ी साहित्य संग भारतेंदु के का संबंध हे? का हिंदी या खड़ी बोली के भारतेंदु के पहिली ले छत्तीसगढ़ी म लेखन होवत नइ आवत हे? हमर इहां लोक साहित्य के जेन खजाना हवय वो ये बात ल सिद्ध करथे के भारतेंदु के पहिली ले छत्तीसगढ़ी म लेखन होवत आवत हे। लोक साहित्य के अथाह खजाना दू-चार बछर म नइ सिरज जाय, एकर बर हजारों साल के लंबा दौर ले गुजरना होथे।
हमर इहां के विद्वान मन छत्तीसगढ़ी के पहला प्रयोग आज ले 600 साल पहिली सन् 1497 म चारण कवि बलराम राव खैरागढ़ वासी ले करे के उदाहरण देथें-
लक्ष्मीनिधी राय सुनौ चित्त के गढ़ छत्तीसगढ़ न गढैय़ा रही
मरदूमी रही नहीं मरदन के फेर हिम्मत ले न लड़ैया रइही।।
एकरो ले आगू बढिऩ त छत्तीसगढ़ी के जुन्ना रूप ल दंतेवाड़ा म सन् 1703 अउ वोकर कोरी भर पाछू आरंग के अभिलेख म घलोक देखे के बात कहे जाथे। संत कबीर के शिष्य अउ वोकर समकक्ष धनी धरमदास के 'जामुनिया के डार मोर टोर देव हो...Ó जइसन रचना मनला घलोक छत्तीसगढ़ी के जुन्ना रूप के उदाहरण खातिर देखाये जाथे। त फेर एला भारतेंदु युग ले ओगरे के बात काबर कहे जाथे? कहूं ये ह छत्तीसगढ़ी ल भारतेंदु माध्यम ले हिंदी के पिछलग्गू बनाय के प्रयास तो नोहय?
मोर दूसरा प्रश्न- 'छत्तीसगढ़ी साहित्य भारतेंदु युग ले 'ओगर" के..." का साहित्य या भाखा ह 'ओगरथे"? ओगरना, पझरना, निथरना, बोहाना जइसन शब्द ल हमन कोनो तरल पदार्थ, जइसे- पानी या पछीना खातिर प्रयोग करत रेहे हावन के वो कुआं या झिरिया ले तुरते पानी 'ओगरे" ले धर लिस गा। फेर भाखा या साहित्य खातिर हम कभू 'ओगरे" शब्द के प्रयोग न सुने रेहेन न करे रेहेन। का कोनो फलाना घर लइका ओगरे हे कहि देही त हमन मान लेबो? हर शब्द के प्रयोग के अपन मरजाद हे, वोला वोकरे अंतर्गत करे म सुहाथे। जिहां तक भाखा या साहित्य के बात हे, त एकर खातिर 'उद्गरथे" शब्द के उपयोग ह जादा अच्छा लाग सकथे। काबर भाखा या साहित्य के जनम होथे, उत्पत्ति होथे। वो उद्गरथे।
मोर तीसरा प्रश्न- 'छत्तीसगढ़ी साहित्य..... आज के इक्कीसवीं सदी के चौदा बछर म हबरगे हे।" सुरता रखव- 'हबरगे हे"। मोला लागथे के इहां 'हबरगे" शब्द ह वतका अच्छा नइ लागत हे, जतका 'संघरगे" जइसे कोनो शब्द ए जगा लिखे जातीस। बिलासपुर अउ रायगढ़ क्षेत्र म पहुंचे खातिर 'हबरना" शब्द के प्रयोग करे जाथे, फेर रायपुर अउ दुरुग क्षेत्र म 'हबरना" शब्द ल ए रूप म स्वीकार नइ करे जाय।
मोला जिहां तक थोक-मोक जानकारी हे तेकर अनुसार रायपुर-दुरुग के छत्तीसगढ़ी ल ही गुनिक मनखे मन मानक रूप म अपनाये के गोठ करथें। वइसे भी कोनो भी भाषा के मानक रूप वो क्षेत्र या राज के राजधानी के भाषा ल मानक रूप माने जाथे। जिहां तक भाषा के मिठास के बात हे, त पूरा छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र के भाषा, शब्द अउ उच्चारण गुरतुर हे। तभो ले मानक रूप तो राजधानी के ही भाषा ल माने जाही। डॉ. विनय कुमार पाठक के छवि एक भाषा-वैज्ञानिक के हवय त उंकर ले अइसन शब्द प्रयोग के आशा करे जाथे, जेला चारोंखुंट स्वीकारे जाय।
आजकल दू गोडिय़ा, चरगोडिय़ा जइसन शब्द के प्रयोग दोहा अउ मुक्तक शैली के पद्य लेखन खातिर करे जावत हे, एहू ह मोला बने नइ लागय। हमर इहां लोक परंपरा म दू गोडिय़ा, चरगोडिय़ा जइसे शब्द मन के प्रयोग जानवर मन खातिर करे जाथे। कविता के कोनो रूप खातिर नहीं। हमर इहां लाईन या पंक्ति खातिर डांड़ शब्द के प्रयोग करे जाथे, त अइसन रचना मनला दू डांड़, चार डांड़ काबर नइ कहे जाय?
कोनो-कोनो संगी मन धन्यवाद के छत्तीसगढ़ी अनुवाद पूछथें, कोनो स्वागत हे के विकल्प पूछथे, त मोला बड़ा अचरज लागथे। हमन ल इहां ेए बात जानना जादा जरूरी हे संगी हो, के छत्तीसगढ़ी लेखन खातिर पहिली इहां के संस्कृति, परंपरा, लोकाचार अउ लोकव्यवहार ल जानना जादा जरूरी हे। तभे लेखन म छत्तीसगढ़ी के आत्मा दिखही। नइते फर्जी भाषा वैज्ञानिक मन के चक्कर म छत्तीसगढ़ी लेखन छदर-बदर हो जाही।
धन्यवाद काबर दिए जाथे? हमर खातिर कोनो अच्छा बुता करथे तब ना? फेर छत्तीसगढ़ी म जुच्छा धन्यवाद कहे के परंपरा नइए, भलुक हमर इहां एकर बदला म शुभकामना दे के परंपरा हे। जब कोनो हमर हित के काम करथे, त हम वोला सिरिफ धन्यवाद कहिके नइ टरका देवन, भलुक वोकर बदला, बने करे बाबू, भगवान तोर भला करे जइसे शब्द के माध्यम ले शुभकामना देथन। अइसने स्वागत शब्द के बात हे। त हमर इहां जब कोनो हमर घर आथे त वोला जुच्छा आना गा तोर स्वागत हे नइ कहे जाय, भलुक हमर इहां जोहार करे जाथे। जोहार संग भेंट शब्द के प्रयोग करे जाथे। एला जोहार-भेंट करना कहिथन।
संगवारी हो, ए ह छोटकुन उदाहरण आय के छत्तीसगढ़ी लेखन ल बने चेत लगा के करे जाय। छत्तीसगढ़ी के नांव म कुछ भी नइ लिखे जाना चाही। एकर ले हमर भाखा-साहित्य के हिनमान होये के संभावना रहिथे। मोर वोकरो मनले अरजी हे, जेमन शब्द ल बिगाड़ के लिखत रहिथें। जइसे संस्कृति ल संसकिरिति, शब्द ल सब्द, सुशील ल सुसील, ऋषि ल रिसि आदि-आदि। मैं ये सिद्धांत के पोषक आंव के हमन जब लेखन खातिर नागरी लिपि ल आत्मसात करे हावन त वोकर जम्मो शब्द (अक्षर / वर्ण) मनके प्रयोग ल घलोक करन। वोमा कोनो किसम के छेका-बांधा झन करन।
सुशील भोले
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