Sunday 23 January 2022

छत्तीसगढ़ी गद्य म व्यंग्य. जीतेन्द्र खैरझिटिया

छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य मा व्यंग्य यात्रा*

           एक खूबसूरत फूल के पेड़ मा, जे काम काँटा के होथे, वइसने काम साहित्य मा व्यंग्य विधा हा करथे। हमर राज मा चाहे ददरिया गीत होय, भड़ोंनी गीत होय या जोक्कड़ गीत व्यंग्य कसे के जुन्ना चलन चलत आवत हे। हमर जुन्ना हाना ठेही घलो व्यंग्य ले भरे पड़े हे, जइसे ररूहा सपनाये दार भात, चोर ले जादा मोटरा उतलइन,कलजुग के लइका करै कछैरी,बुढ़वा जोतै नागर, कुकुर के पूछी कभू सीधा नइ होय, सब कुकुर गंगा जाही ता पतरी ला कोन चाँटही--- आदि कतको हे। साहित्य के पद्य विधा मा व्यंग्य के वर्णन भक्ति काल ले चलत आवत हे, फेर गद्य विधा मा व्यंग्य बाद मा आइस। आजादी के बाद छत्तीसगढ़ी मा गद्य विधा मा व्यंग्य पढ़े सुने बर मिलिस। अपन बात ला झोज्झे नइ कहिके, कोनो प्रतीक या फेर कोनो काल्पनिक पात्र, जीव जंतु के माध्यम ले कहना व्यंग्य आय। व्यंग्य कसना माने छत्तीसगढ़ी मा तुतारी मारना। नेता, अफसर, पंडित- पुरोहित या फेर समाज के अइसन व्यक्ति जेन अपन पथ ले भटक जाथे, ओला शब्द के तुतारी मा कोचे जाथे। एखर ले ना वो व्यक्ति ला कुछु कहत बने का करत काबर कि, वो बात सोज्झे वोला नइ कहै जाय। व्यंग्य गिरे थके शोषित पीड़ित के आवाज ला बुलन्द करथे, तभे तो हिंदी के साहित्कार बालमुकुंद गुप्त जी मन व्यंग्यकार मन ला गूंगी प्रजा के वकील केहे हे। व्यंग्य के विषय शोषक अउ शोषित होथे, जेला कोनो प्रतीक के माध्यम ले बात रखे जाथे। सीधा सीधा कोनो आदमी ला व्यंग्य के विषय नइ बनाय जाय। व्यंग्य के मूल उद्देश्य पथभ्रष्ट शासक, समाज, नेता, अफसर, पंडा पुजारी  मन ला फटकार लगाके  पथ मा लहुटाना होथे।

*छत्तीसगढ़ी व्यंग्य विधा के विकास अउ व्यंग्यकार**

                1900 ले 1950 तक  छत्तीसगढ़ी कविता मा व्यंग्य सहज दिखथे, फेर गद्य मा व्यंग्य के दर्शन आजादी के बाद दिखथे। छत्तीसगढ़ी भाषा मा व्यंग्य के दर्शन लेखक मनके नाटक अउ एकांकी मा घलो दिखथे। देखब मा पता लगथे कि छत्तीसगढ़ी मा व्यंग्य लेखन के शुरुवात पत्र पत्रिका मन मा व्यंग्य लेखन के साथ होइस। वो समय प्रकाशित पत्र पत्रिका अउ समाचार पत्र मन मा लेखक मन सरलग व्यंग्य कालम लिखत रिहिन, जेमा रामेश्वर वैष्णव, सुशील भोले, टिकेंद्र टिकरिया, चेतन आर्य, लक्ष्मण मस्तुरिया, केयूरभूषण, जयप्रकाश मानस,गिरीश ठक्कर, बन्धु राजेश्वर खरे, गजेंद्र तिवारी, हेमनाथ वर्मा, तीरथ राम गढ़ेवाल, दुर्गा प्रसाद पारकर, राजेन्द्र सोनी, शत्रुघ्न सिंह राजपूत आदि मन प्रमुख व्यंगकार रिहिन।

1995 मा *जयप्रकाश मानस के व्यंग्य संग्रह *कलादास के कलाकारी* प्रकाशित होइस। कलादास के कलाकारी ला हरि ठाकुर जी अउ कतको विद्वान  लेखक मन हा छत्तीसगढ़ी के पहली व्यंग्य संग्रह माने हे।

आवन छत्तीसगढ़ी मा व्यंग्य लिखइया व्यंग्यकार अउ उंखर रचना ला जानथन-

*रामेश्वर वैष्णव-* रामेश्वर वैष्णव जी के गीत के संगे संग हास्य व्यंग्य के घलो जवाब नइहे। वैष्णव जी मन व्यंगात्मक पद्य के साथ गद्य विधा मा घलो खूब व्यंग्य लिखिन। उन मन 500 ले जादा व्यंग्य सृजन करिन जे,प्रदेश भर के कतको पत्र पत्रिका मा सन 1966 ले सरलग छपते रिहिस। वैष्णव जी उत्ता धुर्रा, उबुक चुबुक,आँखी मूंद के देख ले, गुरतुर चुरपुर, छत्तीगढ़िया सबले बढ़िया जइसे कतको नाम से कालम मा व्यंग्य लिखें। उंखर लिखे कुछ व्यंग्य- का साग खायेस, सब्जी मनके गोठ बात,करिया कुकुर के उज्जर बात, अच्छा आदमी के हालत खराब प्रमुख हे।

*सुशील भोले*-  सन 1987 ले 1989 तक मयारू माटी के सम्पादन करत भोले जी स्वयं व्यंग्य लिखे अउ आने व्यंग्य कार मन ला सरलग स्थान देवय। मयारू माटी मा ज्यादातर *रामेश्वर वैष्णव, सुशील भोले, टिकेंद्र टिकरिया, चेतन आर्य, बन्धु राजेश्वर खरे, हेमनाथ वर्मा विकल, तीरथ राम गढ़ेवाल, गजेंद्र तिवारी* आदि लेखक मनके व्यंग्य छपे। गोल्लर ला गरुवा सम्मान, धोन्धो बाई, सम्मान के सपना, दीया तरी अंधेरा, बजरंग तोला युग पुरुष बनाबों आदि भोले जी के प्रमुख व्यंग्य हे।'भोले के गोले, भोले जी के 2015 मा प्रकाशित धारदार व्यंग्य संग्रह आय।

*जयप्रकाश मानस*- व्यंग्य संग्रह कलादास दास के कलाकारी के संग, मानस जी सन 1990- 91 मा अमृत सन्देश मा पंचनामा नामक कालम ले कतको व्यंग्य लिखिन।

*केयूरभूषण*- स्वतन्त्रता सँग्राम सेनानी, राजनेता, उत्कृष्ट कवि अउ लेखक स्व केयूर भूषण जी वैभव प्रकाशन(सम्पादक- डाँ सुधीर शर्मा) ले निकलइया पत्रिका अउ कतको आन पत्र पत्रिका मा व्यंग्य लिखे। देवता मनके भूतहा चाल उंखर उत्कृष्ट व्यंग्य आय।

*दुर्गाप्रसाद पारकर*- काखर संग बिहाव करबे,जय हिंद गुरुजी, तोर रंग निच्चट पनियर हे, बइगा घर लइका नइहे, कुकुर बने के साध, रायपुर वाले राजा के विकास यात्रा, पठोनी एक्सप्रेस, तीजा के बिहान दिन, दारू अउ बुधारू, पारकर जी के  प्रमुख व्यंग्य रचना आय। एखर आलावा अउ कतको अकन व्यंग्य पारकर जी मन लिखे हे। पारकर जी मन हिंदी के व्यंग्य ला घलो छत्तीसगढ़ी मा अनुवाद करे हे, जेमा, हरिशंकर परसाई जी के व्यंग्य के संगे संग फर के अगोरा म वृक्षारोपण(त्रिभुवन पाण्डेय के व्यंग्य),हमर वोट आखिर कोन डाहर जाही?(रवि श्रीवास्तव के व्यंग्य) ,दुर्योधन काबर फेल होथे? - (प्रभाकर चौबे के व्यंग्य),कुकरी चोर के कथा - (लतीफ घोंघी के व्यंग्य) प्रमुख हे। पारकर जी सन 1992-94 ले (आनी बानी के गोठ)अउ कतको पत्र पत्रिका मा स्तम्भ लिखत रिहिन, जेमा व्यंग्य घलो रहय। बइगा घर लइका नइहे शीर्षक ले पारकर जी के व्यंग्य संग्रह अवइया हे।

*शत्रुघ्न सिंह राजपूत*- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य के क्षेत्र मा शत्रुघ्न सिंह राजपूत के बड़ योगदान हे, उंखर लिखे व्यंग्य हीरा गँवागे कचरा मा, गउ माता परीक्षा मा आइस निबन्ध,नारद जी के छत्तीसगढ़ दौरा, आन लाइन कविता के बरसात, फ्री जीवी भरम जीवी अउ आंदोलन जीवी,जइसे मदारी के बाजा वइसने बेंदरा जे नाचा, बड़ उदार हे हमर कका, तिजहा फरार, बाबू सु ओखर आफिस, खेल खेल मा कुर्सी के खेल,सबे करत हे मंथन,सत्ता खड़ी जे खास लंगर, जीभ के खसल पट्टी, पंचायती राज मा महीना मनके आरक्षण अउ पुरुष के सियानी, सलाह हाजिर हे, आदि के आलावा अउ कतको बहुचर्चित व्यंग्य हे। news18 cg मा राजपूत जी ला पढ़े जा सकत हे। राजपूत जी दैनिक भास्कर(कबीर चँवरा स्तम्भ) अउ कतको पत्र पत्रिका मा सन 1993 ले सरलग छपत आवत हें।

*राजेन्द्र सोनी*- क्षणिका,हायकू अउ प्रथम लघुकथा लेखक सोनी जी के आंचलिक कथा संग्रह खोरबाहरा तोला गाँधी बनाबों,व्यंग्य विशेष कहानी आय, जेमा आंचलिक समस्या अउ अंचल के पीड़ित शोषित मनके सुध दिखथे। एखर आलावा सोनी जी 2005 मा व्यंग्य विशेष कालम घलो निकालिन।

*लक्ष्मण मस्तुरिया*- वइसे तो *मस्तूरिहा* जी मूलतः कवि गीतकार, अउ गायक रिहिन, फेर माटी कहे कुम्हार शीर्षक ले, सन 2015 मा वैभव प्रकाशन ले प्रकाशित पत्रिका गुनान गोठ मा सरलग व्यंग्य लिखे। जेमा *गाय न गरु सुख सोय हरु, जइसे अउ कतको सशक्त व्यंग्य रचना रहय*

*डॉ दीनदयाल साहू-* हरिभूमि चौपाल मा सरलग कालम लेखन , जेमा कतको व्यंग्य साहू जी लिख चुके हें। जइसे बीबी अउ टीबी, कुर्सी नइ पूरत हे, होरी तिहार के मजा नामक दर्जन भर व्यंग्य साहू जी लिखें हे।

*गिरीश ठक्कर*-लबरा के गोठ ठक्कर जी के बहुचर्चित अउ धारदार व्यंग्य आय।

*कासी पूरी कुंदन*- बईमान के मूड़ मा पागा, गदहा माल उड़ावत हे, कासीपुरी कुंदन जी के व्यंग्य कृति आय।

*सन्तोष चौबे* - चौबे जी के लिखे चोरहा चिल्लाय चोर चोर बहुत बढ़िया व्यंग्य  आय।

*तमंचा रायपुरी(संजीव तिवारी)*- गुरतुर गोठ के सम्पादक संजीव तिवारी जी *बियंग के रंग* के रूप मा व्यंग्य के दशा दिशा ला देखावत व्यंग्यकार मनके विचार ला संरेखत एक संग्रह निकालिन। जेमा छत्तीसगढ़ी म गद्य साहित्य : विकास के रोपा, बियंग के अरथ अउ परिभासा, बियंग म हास्य अउ बियंग, हास्य अउ बियंग के भेद, देसी बियंग, बियंग के उद्देश्य अउ तत्व, बियंग विधा, बियंग के अकादमिक कसौटी, बियंग के महत्व : बियंग काबर, बियंग के भाखा, छत्तीसगढ़ी बियंग के रंग, अउ बाढ़े सरा जइसे बारा ठन खांचा म बांध के व्यंग्य के जम्मो इतिहास ल पिरोये के उदिम करे गे हवय। संगे संग गुरतुर गोठ अउ आन पत्र पत्रिका मन मा अपन मन के बात ला तिवारी जी व्यंग्य रूप मा लिखें।

*वीरेंद्र सरल*-  नवा सड़क के नवा बात,बछरू के साध अउ गोल्लर के लात, छत मा जल संग्रहण, बैठागुंर ला चिट्ठी, घट घट मा राम, गोल्लर उवाच, आदि के अलावा अउ बनेच अकन छत्तीसगढ़ी व्यंग्य सरल जी मन सरल सहज भाषा शैली मा पिरोये हे। वीरेंद्र कुमार सरल जी के छत्तीसगढ़ी भाषा मा  व्यंग्य संग्रह घलो छप चुके हें।

            

*धर्मेंद्र निर्मल*-भगत के लात, नवा महाभारत, बाढ़ के बढ़वार निर्मल जी के सशक्त व्यंग्य संग्रह आय।

*विट्ठल राम साहू निश्च्छल*- के पत्नी पीड़ित संघ,वा रे गोंदली, गैस सिलेंडर लानव पति नम्बर वन कहलावव,सम्पत अउ विपत,अब महूं हैसियत वाला होगेंव, मोबाइल कथा आदि मनोरंजक अउ धारदार व्यंग्य हे।

*चोवाराम वर्मा बादल*- बादल जी एक छंदकार, कहानीकार के साथ साथ बड़का व्यंव्यकार घलो आय। उंखर लिखे व्यंग्य दू मिनट,सेम्पल अउ शोध,प्रेम, प्रसंशनाचार्य साहित्यविद,चक्कर मा चक्कर, ईलाज, रोजगार प्रशिक्षण केंद्र आदि बहुत धारदार हे।

*हरिशंकर गजानंद देवांगन जी*- देवांगन जी व्यंग्य लेखन मा माहिर हे, उंखर लिखे- लहू, मिटना अउ मिटाना, पंख, महाकुम्भ, रावण कब मरही, चेतावनी, पनही,कलम, गांधी जिंदा हे, रजिस्ट्रेशन,गांधी जी के बाद, कर्जा के प्रकार,चुनाव आयोग मा भगवान आदि सब चर्चित व्यंग्य हे। देवांगन जी सरलग पत्र पत्रिका मा छपत रहिथे,अउ सरलग उत्कृष्ट व्यंग्य लिखत हे।

*राजकुमार चौधरी रौना*- "का के बधाई" राजकुमार चौधरी जी के 2019 मा प्रकाशित व्यंग्य विधा के सशक्त संग्रह आय। जेमा देशी गदहा, कुल मिलाके मरना हे, आवव खँचका खनी, जइसे उत्कृष्ट व्यंग्य सम्मिलित हे।

*सत्य धर बान्धे"ईमान"* जी के महूँ बनहूँ नेता, महँगाई, सलमान खान जे बिहाव, मोटापा, जय हो गोल्लर देवता प्रमुख व्यंग्य रचना आय।

*विजेंद्र वर्मा*- मोला कुकुर बना देबे,कुकुर घुमइया मनखे,सेल्फी बिलहोरत हे,काय के नवा साल,तेकर ले तो चिरइ बने,बेटी के पीरा,हंडा निकाले हे,मालचू कस मितान आदि वर्मा जी के चर्चित व्यंग्य रचना आय, जे  कतको पत्र पत्रिका मा जघा पा चुके हे।

*डाँ अशोक आकास*-जी के अंते तंते शीर्षक ले व्यंग्य संग्रह छत्तीसगढ़ केसरी मा छपत रिहिस।

*ललित साहू जख्मी*- जख्मी जी के लिखे  व्यंग्य टेटका के बदलत रंग, कुकुर खुसर जही, गजब जे स्टाइल, चुनई जे बेरा, सोझ रद्दा टेंड़गा चाल, बस मा गँवई गांव जे सफर आदि कतको पत्र पत्रिका मा छप चुकें हे।

*लखनलाल साहू लहर*- लहर जी व्यंग्य रचना छत्तीसगढ़ राज कुर्सी मा चपकागे, गौटिया राज अउ पंचायती राज, इही आय आय मोर सपना के छत्तीसगढ़ कतको पत्र पत्रिका मा छप चुके हे।

              छत्तीसगढ़ी साहित्य मा मूलतः व्यंग्यकार गिनती के हे, भले व्यंग्य रचना अउ व्यंगकार ऊपर कोती बड़ अकन दिखत हे, फेर छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह के बात करिन  ता  तो अउ सम्मानजनक नइहे। येखर कारण व्यंग्य के विषय विशेषता ले अंजाना होना अउ थोरिक कठिन विधा हो सकत हे, संगे संग विमर्श सलाह ना मिलना अउ कोनो बड़का व्यंग्य कार ला ना पढ़ना  भी हो सकत हे। व्यंजनाशब्द शक्ति मा शब्द ला गूथ के कोनो भटके ला(शोषक) तुतारी कोचना अउ ओखर मुँह ले(शोषक)हक्का बक्का ना निकलना, कोनो सहज बूता नोहे।

                  फेर आज यदि कहन ता व्यंग्य विधा के जेन कसर रिहिस वो पूरा होवत दिखत हे। छत्तीसगढ़ी गद्य के विकास बर संचालित वॉट्सप समूह लोकाक्षर के माध्यम ले  घलो कई व्यंग्य रचना अभी तक पढ़े बर मिले हे, जेमा छंदविद अरुण कुमार निगम जी के रेखा रे रेखा, मंगनी मा मांगे मया नइ मिले रे,मथुरा प्रसाद वर्मा  के- गुरुजी, अश्वनी कोशरे के- हंस तो हंस होथे, तोर नाँव का हे, हीरा गुरुजी समय के- गुलाबी, महेंद्र कुमार मधु के- चाहा पानी, फकीर प्रसाद फक्कड़ के- तड़क फांस, सरकार बाबा,जीतेंन्द्र वर्मा खैरझिटिया के - जगाना मना हे, आशा देसमुख के- पितर नेवता , राजकिशोर धिरही के- दू झन सुवारी आदि। एखर संगे संग सरलग गद्य विधा मा लिखत सरला शर्मा जी, स्वराज करुण जी, रामनाथ साहू जी, गयाप्रसाद साहू जी, डाँ अनिलभतपहरी जी,राजकुमार लोधी मसखरे,दिनेश चौहान, पोखनलाल जायसवाल, अजय अमृतांशु, चन्द्रहास साहू, डी के सार्वा, अनिल पाली, रामेश्वर गुप्ता, मोहन निषाद आदि साहितकार मन घलो अवइया समय मा जरूर व्यंग्य विधा के कोठी ला भरही ये आशा हे। एखर आलावा पत्रिका के पहट, दैनिक भास्कर के संगवारी, चैनल इंडिया, गुरतुर गोठ,अँजोर, छत्तीसगढ़ झलक, अपन डेरा, लोक सदन, आरुग चौरा, चौपाल,मड़ई, खबर गंगा, आदि अउ कतको पत्र पत्रिका के सम्पादक मन घलो समय समय मा शब्द बाण ढीलत रहिथे।

जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को कोरबा(छग)

संदर्भ-

गूगल सर्च,गद्य खजाना, लोकाक्षर समूह अउ वरिष्ठ साहित्यकार मन ले चर्चा

(सुधार सुझाव सादर आमंत्रित हे)

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर आलेख सर जी

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  2. व्यंग्य यात्रा बहुत सुंदर आलेख सबो हमर छत्तीसगढ के प्रमुख व्यंग्य कार मनके वर्णन हे ।
    बधाई सर जी।

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